भुवन भास्कर रस एक स्वर्णकल्प है जिसमे भस्मों के अलावा जड़ी-बूटियों का भी मिश्रण होता है. भुवन भास्कर रस के घटक- कज्जली 10 ग्राम, शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल, शुद्ध मैनसिल, स्वर्ण भस्म, अभ्रक भस्म सहस्रपुटी, लौह भस्म और खर्पर भस्म प्रत्येक 5-5 ग्राम, बंग भस्म, नाग भस्म, ताम्र भस्म प्रत्येक 10-10 ग्राम, गोखरू, शुद्ध भिलावा, सोंठ, मिर्च, पीपल, गिलोय, विदारी कन्द और वराही कन्द प्रत्येक 5-5 ग्राम. निर्माण विधि - सभी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण कर अलग रख लें, कज्जली और भस्मों को अच्छी तरह से मिक्स करने के बाद जड़ी-बूटियों के चूर्ण को मिलाकर आँवला के रस और नीम के पत्तों के रस की अलग-अलग एक-एक भावना देकर सुखाकर रख लें. भुवन भास्कर रस की मात्रा और सेवन विधि - 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम तक 2 स्पून शहद और चौथाई स्पून देसी घी में मिक्स कर चाटकर खाना चाहिए, रोज़ दो बार सुबह-शाम हर तरह के कैंसर की प्रथम अवस्था में बेहद असरदार है. ब्लड कैंसर, थ्रोट कैंसर, ब्रेन कैंसर, ब्रैस्ट कैंसर, पेट का कैंसर और कैंसर वाले ट्यूमर, सिस्ट, अबुर्द, शिश्नाबुर्द में भी प्रयोग कर सकते है. चिकित्सक बन्धु से आग्रह है कि इस योग का निर्माण कर रोगियों पर प्रयोग कराएँ और जो भी रिजल्ट मिलता है ज़रूर बताएं.
अजवायन का कोई परिचय देने की ज़रूरत नहीं है यह आपके किचन में ही मिल जायेगा. अजवायन मुख्यतः तीन तरह की होती है जंगली अजवायन, ख़ुरासानी अजवायन और अजमोद या अजमोदा जंगली अजवायन तो मुश्किल से ही मिलती है, अजमोद जो है साइज़ में बड़ी होती है और ख़ुरासानी अजवायन ही अक्सर रसोई में प्रयोग की जाती है. अजवायन के गुण - आयुर्वेदानुसार अजवायन तीक्ष्ण, चरपरी, पाचक, अग्निवर्धक, वायु एवम कफ़ नाशक और कृमिनाशक जैसे गुणों से भरपूर होती है. पेट की बीमारीयों के लिए यह बहुत ही असरदार होती है. गैस, वायु गोला बनना, अपच, पेट दर्द, अजीर्ण, पेचिश, उल्टी-दस्त, पेट के कीड़े, लिवर और स्प्लीन के रोगों में असरदार है. आईये अब जानते हैं अजवायन के कुछ औषधिय प्रयोग - अपच या बदहज़मी होने पर - अजवायन, सोंठ, सेंधा नमक और हर्रे बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें. इस चूर्ण को एक-एक चम्मच रोज़ तीन बार लेने से अपच और अजीर्ण जैसी समस्या दूर होती है. पेट दर्द, डकार, पेट के भारीपन में - पीसी हुयी अजवायन एक स्पून और खाने वाला सोडा चौथाई स्पून मिक्स कर भोजन के बाद लेना चाहिय. अजवायन को अदरक के रस में भिगाकर सुखाकर रख लें. पेट दर्द होने पर आधा स्पून इसका सेवन करने से लाभ होता है. बच्चों के हरे पीले दस्त और उल्टी होने पर - एक चुटकी अजवायन के बारीक चूर्ण को दूध के साथ मिक्स कर चटाना चाहिए. पेट के कीड़े होने पर - अजवायन और वायविडंग बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें. इस चूर्ण को शहद और अन्नानास के रस के साथ देने से बच्चों के पेट के कीड़े दूर होते हैं. उदर विकार के लिए - अजवायन 50 ग्राम, ग्वारपाठा का रस 25 ग्राम और नौसादर 2 ग्राम लेकर एक काँच के जार में मिक्स कर धुप में रख 4-5 दिन रख दें. अब इस मिश्रण को 1 स्पून प्रतिदिन दो-तीन बार सेवन करने से हर तरह के उदर विकार नष्ट हो जाते हैं. भूख की कमी होने पर - पीसी हुयी अजवायन, सोंठ का चूर्ण, काला नमक और आक की कली बराबर मात्रा में लेकर खरल कर मटर के साइज़ की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. दो-दो गोली सुबह-शाम लेने से अग्नि तीव्र हो जाती है, भूख खुलकर लगने लगती है. अपच, गैस जैसी पेट की बीमारियाँ दूर होती हैं. एक स्पून अजवायन को दो कप पानी में उबालें और जब एक कप पानी बचे तो छानकर इस पानी को भोजन के बाद पीने से गैस-अपच जैसी प्रॉब्लम नहीं होती और हाजमा ठीक रहता है. अजवायन को पीसकर पेट पर लेप करने से भी गैस की प्रॉब्लम में आराम मिलता है. बच्चों के पेट फूलने पर अजवायन को आग में जलाकर इसके धुवें से पेट की सिकाई करने से लाभ होता है. तो ये थी आज की जानकारी, अजवायन के इस छोटे से दाने के बड़े-बड़े गुण के बारे में.