दोस्तों, स्वस्थ रहने के लिए उचित आहार-विहार का बड़ा महत्त्व है. एक कहावत भी है - "जैसा खाए अन्न, वैसा रहे मन" स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद के अनुसार आपके भोजन…
बिल्वादि लेह्य को बिल्वा अवलेह, बिल्वादि लेह्यम जैसे नामों से जाना जाता है जिसका विवरण 'सहस्र योग' में मिलता है जिसका मुख्य घटक बिल्व फल मज्जा का कच्चा बेल का…
आज वैद्य जी की डायरी में बताने वाला हूँ बाजीकरण चूर्ण के बारे में जो कमज़ोरी, वीर्य विकार, नामर्दी, शीघ्रपतन, जोड़ों का दर्द और कमर दर्द जैसे रोगों में असरदार…
खून की कमी, जौंडिस, लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना, पाचन विकृति और कुछ दुसरे रोगों में ताप्यादि लौह का प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं ताप्यादि लौह क्या है?…
कृमिमुद्गर रस शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जिसका वर्णन 'रसराजसुन्दर' नामक ग्रन्थ में मिलता है. कृमिमुद्गर रस के घटक या कम्पोजीशन - शुद्ध पारा एक भाग, शुद्ध गंधक दो भाग, अजमोद तीन भाग,…
नागार्जुनाभ्र रस एक शास्त्रीय औषधि है जो ह्रदय रोगों के अतिरिक्त दुसरे रोगों में भी असरदार है. नागार्जुनाभ्र रस के घटक या कम्पोजीशन - सहस्रपुटी अभ्रक भस्म और अर्जुन छाल का क्वाथ…