खून की कमी, जौंडिस, पीलिया और लिवर बढ़ने जैसी बीमारियों का सबसे बेस्ट ट्रीटमेंट आयुर्वेद में ही है. इन्ही रोगों को दूर करने वाली औषधि पाण्डुहारी कैप्सूल के बारे में आज बताने वाला हूँ, तो आईये जानते हैं पाण्डुहारी कैप्सूल के गुण, उपयोग और प्रयोगविधि के बारे में विस्तार से -
पाण्डुहारी कैप्सूल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है पाण्डु को हराने वाला कैप्सूल. शरीर में खून की कमी होने को ही आयुर्वेद में पाण्डु कहा जाता है.
किसी भी कारण से शरीर में खून की कमी होना, लम्बी बीमारी के बाद खून की कमी होना, जौंडिस होना, जौंडिस के कारण शरीर का पीला पड़ जाना, अवरोधक कामला या Obstructive Jaundice, भूख की कमी, लिवर का बढ़ जाना, सुजन, पेशाब का पीलापन इत्यादि समस्या होने पर इसके से आशानुरूप लाभ होता है.
बस मोटे तौर पर यह समझ लीजिये कि खून की कमी, जौंडिस, शरीर के पीलापन और पेशाब पीला होने पर इसे आप आँख मूंदकर प्रयोग कर सकते हैं.
हर तरह का हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, लिवर कैन्सर और ब्लड कैंसर इत्यादि में भी इसे सहायक औषधि के रूप में ले सकते हैं.
पाण्डुहारी कैप्सूल के घटक या कम्पोजीशन -
सबसे पहले आपको बता दूँ कि इसमें गोमूत्र की भावना दी गयी है, जो लोग गोमूत्र से बनी औषधि नहीं लेना चाहें वो 'लिवट्रीट' टेबलेट प्रयोग कर सकते हैं.
पाण्डुहारी कैप्सूल के इनग्रीडेंट की बात करें तो इसे लौह भस्म, मंडूर भस्म, त्रिफला घनसत्व, चिरायता घनसत्व, गिलोय घनसत्व, पुनर्नवा घनसत्व, निम्ब घनसत्व और कुटकी घनसत्व के मिश्रण में गोमूत्र और गिलोय स्वरस की भावना देकर बनाया गया है. इसका कॉम्बिनेशन अपने आप में बेजोड़ है. कई लोग पतंजलि की नीम वटी, गुडूचीघन वटी त्रिफला चूर्ण इत्यादि पचीस तरह की दवा लेते हैं. पर उन सब से अच्छा है कि सिर्फ पाण्डुहारी कैप्सूल लीजिये और फिर चमत्कार देखिए
पाण्डुहारी कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो कैप्सूल तक सुबह-शाम पानी से. इसका सेवन करते हुवे भोजन के बाद अगर दो-दो स्पून कुमार्यासव + रोहित्कारिष्ट + पुनर्नवारिष्ट लिया जाये तो तेज़ी से लाभ होता है, और जहाँ अंग्रेज़ी दवा फेल हो गई हो वैसे रोगी भी स्वस्थ हो जाते हैं.
इसके 60 कैप्सूल की क़ीमत है सिर्फ़ 180 रुपया जो मिलेगा ऑनलाइन lakhaipur.in पर जिस लिंक दिया गया है -
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