यह एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो मूत्ररोग, किडनी और गर्भाशय विकारों में प्रयोग की जाती है, तो आईये जानते हैं इसके कम्पोजीशन और फ़ायदे के बारे में विस्तार से -
लोध्र पठानी इसका पहला घटक है और इसी पर लोध्रासव इसका नाम दिया गया है.
लोध्रासव के घटक या कम्पोजीशन -
इसे लोध्र पठानी, कचूर, फूल प्रियंगु, पोहकरमूल, बड़ी इलायची, मूर्वा, विडंग, त्रिफला, अजवायन, चव्य, सुपारी, इन्द्रायणमूल, चिरायता, कुटकी, भारंगी, तगर, चित्रकमूल, पीपलामूल, कूठ, अतीस, पाठा, इन्द्रजौ, नागकेशर, नखी, तेजपात, काली मिर्च और मोथा जैसी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से शहद और पानी के साथ सन्धान या फ़रमेनटेशन प्रोसेस से इसका आसव बनाया जाता है.
लोध्रासव के फ़ायदे-
इसके फ़ायदों की बात करें तो किडनी, मूत्राशय, गर्भाशय और लिवर पर इसका ज़्यादा असर होता है.
यह पेशाब की जलन को दूर करता है, बार-बार अधीक पेशाब होना, बून्द-बून्द या कम पेशाब होना, पेशाब के समय तकलीफ़ होना, पेशाब नली की सुजन और इन्फेक्शन में इस से फ़ायदा होता है.
कब्ज़, अरुचि, संग्रहणी, खून की कमी और जौंडिस में भी इसे सहायक औषधि के रूप में लेने से लाभ होता है.
स्वप्नदोष, धातुस्राव, महिलाओं के गर्भाशय रोग जैसे ल्यूकोरिया और पीरियड रिलेटेड प्रॉब्लम में इस से अच्छा लाभ होता है.
लोध्रासव की मात्रा और सेवन विधि -
15 से 30 ML तक सुबह-शाम भोजन के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स लेना चाहिए. रोगानुसार मुख्य औषधियों के साथ इसे सहायक औषधि के रूप में ही लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है इसके सेवन से. आयुर्वेदिक कंपनियों की यह मिल जाती है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं जिसका लिंक दिया जा रहा है.
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