गौमूत्र का आयुर्वेद में व्यापक प्रयोग होता है इसके गुणों के कारन, अनेकों शास्त्रीय औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है. इसी के बेस पर बना गौमूत्रादि घन कैप्सूल कई तरह की बीमारियों को दूर करने में रामबाण है, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं -
गौमूत्रादि घन कैप्सूल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है गौमूत्र के घनसत्व के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बना कवच या कैप्सूल
कैप्सूल में होने से न इसका टेस्ट पता चलता है और न ही कोई गंध, इसके सेवन में कोई दिक्कत नहीं होती है.
गौमूत्रादि घन कैप्सूल के घटक या कम्पोजीशन -
इसका कम्पोजीशन बेजोड़ है. कई लोग गौमूत्र अर्क, आसव और क्षार इत्यादि लेते हैं पर सभी लोगों के उनका प्रयोग आसान नहीं होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे गौमूत्रघनसत्व, त्रिफला घनसत्व, कालीजीरी घनसत्व, पुनर्नवा घनसत्व, नागरमोथा घनसत्व और कुटकी घनसत्व के मिश्रण से बनाया गया है.
गौमूत्रादि घन कैप्सूल के फ़ायदे-
यह विभिन्न उदर विकारों के लिए रामबाण है. मतलब पेट की कैसी भी कोई भी बीमारी हो तो इसका सेवन कर सकते हैं.
अजीर्ण, अग्निमान्ध, उदावर्त, गुल्म, अर्श, यकृत प्लीहा वृद्धि, पांडू, कामला, कृमि, मलावरोध, आमवृद्धिजन्य विकार, शोथ, मेदवृद्धि और श्लीपद आदि विकारों में विशेष उपयोगी है.
आसान और सीधे शब्दों में कहा जाये तो इसे इन बीमारियों में लेना चाहिए जैसे -
अपच, बदहज़मी, गैस ऊपर को चढ़ना, गोला बनना, कब्ज़, पेट में कीड़े होना.
लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना, फैटी लिवर, कोलेस्ट्रॉल, खून की कमी, जौंडिस, शरीर में कहीं भी सुजन होना. मोटापा, बवासीर, आँव आना, फ़ाइलेरिया इत्यादि.
हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर, पेट का कैंसर, ब्लड कैंसर इत्यादि में भी इसे सहायक औषधि के रूप में प्रयोग कर सकते हैं.
यह एक ऐसी दवा है जो अकेले आरोग्यवर्धिनी वटी, पुनर्नवादि मंडूर, यकृतहर लौह और लोकनाथ रस जैसी शास्त्रीय औषधि से अच्छा काम करती है, तो इसी बात से आप इसका महत्त्व समझ सकते हैं.
गौमूत्रादि घन कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो कैप्सूल तक सुबह-शाम पानी से लेना चाहिए.
इसके 60 कैप्सूल की क़ीमत है सिर्फ़ 170 रुपया जो अवेलेबल है lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है.
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