पंचामृत लौह गुग्गुल आयुर्वेद में अपने कैटगरी की स्पेशल दवा है अपने यूनिक कम्पोजीशन की वजह से. यह गुग्गुल होते हुए भी बेजोड़ रसायन औषधि है.
पंचामृत लौह गुग्गुल के घटक या कम्पोजीशन -
इसे शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, रौप्य भस्म, अभ्रक भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म प्रत्येक एक-एक भाग, लौह भस्म दो भाग और त्रिफला और गिलोय द्वारा शोधित शुद्ध गुग्गुल छह भाग के मिश्रण से बनाया जाता है.
पंचामृत लौह गुग्गुल के फ़ायदे-
यह हर तरह के वात रोग जैसे जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, साइटिका, जकड़न इत्यादि को दूर करता है.
नर्व और नर्वस सिस्टम की कमज़ोरी, दिमाग की कमज़ोरी और इसकी वजह से होने वाले सर दर्द, नीन्द की कमी इत्यादि में लाभकारी है.
पेट की बीमारी जैसे गैस, लिवर-स्प्लीन की बीमारी, भूख की कमी, खून की कमी जैसी प्रॉब्लम को दूर कर हेल्थ इम्प्रूव करता है और ताक़त लाता है.
कुल मिलाकर देखा जाये तो चाँदी, अभ्रक, स्वर्णमाक्षिक और लौह भस्मों का सारा फ़ायदा इस एक दवा से मिल जाता है.
पंचामृत लौह गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि -
एक-एक गोली सुबह शाम दूध या रोगानुसार उचित अनुपान के साथ देना चाहिए. इसके आभाव में महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग किया जा सकता है उचित अनुपान के साथ. यह ज़्यादा प्रचलित नहीं है, इसलिए सभी कंपनियाँ से नहीं बनाती.
ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक दिया गया है.
आँखों की रौशनी कम हो या फिर आँखों की कोई भी प्रॉब्लम से अगर आप परेशान हैं तो आज की जानकारी आपके लिए है, क्यूंकि आज मैं आँखों की रौशनी बढ़ाने वाले एक बेजोड़ आयुर्वेदिक योग के बारे में बताने वाला हूँ जिसके प्रयोग से न सिर्फ़ आँखों की रौशनी बढ़ेगी बल्कि आप चश्मा से भी छुटकारा पा सकते हैं, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
सुरमा का नाम आपने सुना ही होगा, अक्सर लोग आँखों की सुन्दरता बढ़ाने के लिए इसे लगाते हैं. पर आज जो सुरमा मैं बता रहा हूँ यह न सिर्फ़ आँखों की सुन्दरता हो बढ़ाता है बल्कि आखोँ की बीमारियों को दूर कर रौशनी इतनी तेज़ कर देता है कि फिर चश्मे की ज़रूरत ही नहीं रहती है.
आयुर्वेद का यह वरदान है, प्राचीन समय में राजा-महाराजा लोग इस सुरमे का प्रयोग करते थे आँखों की रौशनी बनाये रखने के लिए. इसका नाम रखा गया है नेत्रज्योतिवर्धक सुरमा
नेत्रज्योतिवर्धक सुरमा के फ़ायदे -
- इसे लगाने से नज़र साफ़ होती है,आँखों की रौशनी बढ़ती है और चश्मा धीरे-धीरे छूट जाता है.
- आँखों में धुन्ध और जाला पड़ गया हो, ख़ासकर उम्र बढ़ने पर तो इसके इस्तेमाल से बेजोड़ लाभ होता है.
- मोतियाबिन्द की शुरुआत में इसके प्रयोग से लाभ होता है.
- आँखों की रौशनी बनाये रखने के लिए भी इसका प्रयोग करते रहना चाहिए.
सुरमा की प्रयोग विधि -
जैसा नार्मल सुरमा लगाते हैं, वैसे लगाया जाता है. काँच की सलाई दी गयी है साथ में इसी से सुबह और रात में सोने से पहले लगाना चाहिए. इसे लगाने के साथ अगर खाने की दवा 'चक्षुष्य कैप्सूल' भी एक-एक सुबह-शाम लिया जाये तो जल्दी फ़ायदा मिलेगा.
इस सुरमा को तीन साल से बड़े बच्चों को भी लगा सकते हैं. इसे लगाने के बाद थोड़ी देर आँख में जलन होगी और पानी आयेगा तो घबराना नहीं चाहिए. इसके बारे में कुछ सवाल-जवाब आप पढ़ सकते हैं, जिसका लिंक दिया गया है.
इसका 2.5 ग्राम का दो पैक दिया जा रहा है सिर्फ 150 रूपये में जिसका लिंक निचे दिया गया है -
तो दोस्तों, अगर आँखों की रौशनी बढ़ाकर चश्मा से मुक्ति पाना चाहते हैं यह सुरमा और खाने की दवा दोनों का इस्तेमाल करें, आपकी आँखों की रौशनी बढ़ जाएगी यही तो आयुर्वेद की गारन्टी है.
गौमूत्र का आयुर्वेद में व्यापक प्रयोग होता है इसके गुणों के कारन, अनेकों शास्त्रीय औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है. इसी के बेस पर बना गौमूत्रादि घन कैप्सूल कई तरह की बीमारियों को दूर करने में रामबाण है, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं -
गौमूत्रादि घन कैप्सूल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है गौमूत्र के घनसत्व के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बना कवच या कैप्सूल
कैप्सूल में होने से न इसका टेस्ट पता चलता है और न ही कोई गंध, इसके सेवन में कोई दिक्कत नहीं होती है.
गौमूत्रादि घन कैप्सूल के घटक या कम्पोजीशन -
इसका कम्पोजीशन बेजोड़ है. कई लोग गौमूत्र अर्क, आसव और क्षार इत्यादि लेते हैं पर सभी लोगों के उनका प्रयोग आसान नहीं होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे गौमूत्रघनसत्व, त्रिफला घनसत्व, कालीजीरी घनसत्व, पुनर्नवा घनसत्व, नागरमोथा घनसत्व और कुटकी घनसत्व के मिश्रण से बनाया गया है.
गौमूत्रादि घन कैप्सूल के फ़ायदे-
यह विभिन्न उदर विकारों के लिए रामबाण है. मतलब पेट की कैसी भी कोई भी बीमारी हो तो इसका सेवन कर सकते हैं.
अजीर्ण, अग्निमान्ध, उदावर्त, गुल्म, अर्श, यकृत प्लीहा वृद्धि, पांडू, कामला, कृमि, मलावरोध, आमवृद्धिजन्य विकार, शोथ, मेदवृद्धि और श्लीपद आदि विकारों में विशेष उपयोगी है.
आसान और सीधे शब्दों में कहा जाये तो इसे इन बीमारियों में लेना चाहिए जैसे -
अपच, बदहज़मी, गैस ऊपर को चढ़ना, गोला बनना, कब्ज़, पेट में कीड़े होना.
लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना, फैटी लिवर, कोलेस्ट्रॉल, खून की कमी, जौंडिस, शरीर में कहीं भी सुजन होना. मोटापा, बवासीर, आँव आना, फ़ाइलेरिया इत्यादि.
हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर, पेट का कैंसर, ब्लड कैंसर इत्यादि में भी इसे सहायक औषधि के रूप में प्रयोग कर सकते हैं.
यह एक ऐसी दवा है जो अकेले आरोग्यवर्धिनी वटी, पुनर्नवादि मंडूर, यकृतहर लौह और लोकनाथ रस जैसी शास्त्रीय औषधि से अच्छा काम करती है, तो इसी बात से आप इसका महत्त्व समझ सकते हैं.
गौमूत्रादि घन कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो कैप्सूल तक सुबह-शाम पानी से लेना चाहिए.
इसके 60 कैप्सूल की क़ीमत है सिर्फ़ 170 रुपया जो अवेलेबल है lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है.
यह एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो मूत्ररोग, किडनी और गर्भाशय विकारों में प्रयोग की जाती है, तो आईये जानते हैं इसके कम्पोजीशन और फ़ायदे के बारे में विस्तार से -
लोध्र पठानी इसका पहला घटक है और इसी पर लोध्रासव इसका नाम दिया गया है.
लोध्रासव के घटक या कम्पोजीशन -
इसे लोध्र पठानी, कचूर, फूल प्रियंगु, पोहकरमूल, बड़ी इलायची, मूर्वा, विडंग, त्रिफला, अजवायन, चव्य, सुपारी, इन्द्रायणमूल, चिरायता, कुटकी, भारंगी, तगर, चित्रकमूल, पीपलामूल, कूठ, अतीस, पाठा, इन्द्रजौ, नागकेशर, नखी, तेजपात, काली मिर्च और मोथा जैसी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से शहद और पानी के साथ सन्धान या फ़रमेनटेशन प्रोसेस से इसका आसव बनाया जाता है.
लोध्रासव के फ़ायदे-
इसके फ़ायदों की बात करें तो किडनी, मूत्राशय, गर्भाशय और लिवर पर इसका ज़्यादा असर होता है.
यह पेशाब की जलन को दूर करता है, बार-बार अधीक पेशाब होना, बून्द-बून्द या कम पेशाब होना, पेशाब के समय तकलीफ़ होना, पेशाब नली की सुजन और इन्फेक्शन में इस से फ़ायदा होता है.
कब्ज़, अरुचि, संग्रहणी, खून की कमी और जौंडिस में भी इसे सहायक औषधि के रूप में लेने से लाभ होता है.
स्वप्नदोष, धातुस्राव, महिलाओं के गर्भाशय रोग जैसे ल्यूकोरिया और पीरियड रिलेटेड प्रॉब्लम में इस से अच्छा लाभ होता है.
लोध्रासव की मात्रा और सेवन विधि -
15 से 30 ML तक सुबह-शाम भोजन के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स लेना चाहिए. रोगानुसार मुख्य औषधियों के साथ इसे सहायक औषधि के रूप में ही लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है इसके सेवन से. आयुर्वेदिक कंपनियों की यह मिल जाती है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं जिसका लिंक दिया जा रहा है.
हर लोग सुन्दर दिखना चाहते हैं ख़ासकर हमारी यंग जनरेशन चाहे वह लड़का हों या लड़की. पिम्पल्स या कील-मुहाँसे और दाग-धब्बे अगर चेहरे पर हो जाएँ तो हर लोग इस से जल्दी छुटकारा पाना चाहते हैं और इसके लिए तरह-तरह की क्रीम ट्राई करते हैं. अगर आपमें से भी किसी को पिम्पल्स हो, दाग-धब्बे हों और अपना रंग निखार कर गोरा दिखना चाहते हों आज की जानकारी आपके काम की है, आईये पूरी डिटेल्स जानते हैं -
पिम्पल्स के लिए हर लोग कोई न कोई क्रीम ज़रूर ट्राई करते हैं यह बात सौ फीसदी सच है, अगर आपको भी कभी पिम्पल्स हुआ होगा तो आपने भी कुछ लगाया ही होगा.
तो क्या सिर्फ़ किसी क्रीम से पिम्पल्स जा सकता है? तो जवाब है नहीं
आयुर्वेद का सिधान्त कहता है कि कील-मुहांसे और दाग धब्बों के लिए सिर्फ़ लगाने की दवा से नहीं होगा बल्कि खाने वाली दवा भी लेनी होगी.
पिम्पल्स और दाग-धब्बों को दूर कर रूप निखारने वाली औषधि यौवनपीड़ीकान्तक टेबलेट और रूपसी उबटन के बारे में आज बताने वाला हूँ. इसमें एक खाने की दवा है तो दूसरी लगाने की.
यौवनपीड़ीकान्तक टेबलेट कील-मुहाँसों के मूलकारन को दूर कर खून साफ़ करती है और रूप निखारती है.
रूपसी उबटन को फेसपैक की तरह चेहरे पर लगाना होता है दूध या गुलाब जल में पेस्ट बनाकर.
बेहतरीन जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी शत प्रतिशत शुद्ध आयुर्वेदिक औषधि है यह जो न सिर्फ़ पिम्पल्स को जड़ से दूर कर देती है बल्कि रूप निखारकर गोरा बना देती है.
यह दोनों ऑनलाइन अवेलेबल है जिसका लिंक दिया जा रहा है-
खून की कमी, जौंडिस, पीलिया और लिवर बढ़ने जैसी बीमारियों का सबसे बेस्ट ट्रीटमेंट आयुर्वेद में ही है. इन्ही रोगों को दूर करने वाली औषधि पाण्डुहारी कैप्सूल के बारे में आज बताने वाला हूँ, तो आईये जानते हैं पाण्डुहारी कैप्सूल के गुण, उपयोग और प्रयोगविधि के बारे में विस्तार से -
पाण्डुहारी कैप्सूल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है पाण्डु को हराने वाला कैप्सूल. शरीर में खून की कमी होने को ही आयुर्वेद में पाण्डु कहा जाता है.
किसी भी कारण से शरीर में खून की कमी होना, लम्बी बीमारी के बाद खून की कमी होना, जौंडिस होना, जौंडिस के कारण शरीर का पीला पड़ जाना, अवरोधक कामला या Obstructive Jaundice, भूख की कमी, लिवर का बढ़ जाना, सुजन, पेशाब का पीलापन इत्यादि समस्या होने पर इसके से आशानुरूप लाभ होता है.
बस मोटे तौर पर यह समझ लीजिये कि खून की कमी, जौंडिस, शरीर के पीलापन और पेशाब पीला होने पर इसे आप आँख मूंदकर प्रयोग कर सकते हैं.
हर तरह का हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, लिवर कैन्सर और ब्लड कैंसर इत्यादि में भी इसे सहायक औषधि के रूप में ले सकते हैं.
पाण्डुहारी कैप्सूल के घटक या कम्पोजीशन -
सबसे पहले आपको बता दूँ कि इसमें गोमूत्र की भावना दी गयी है, जो लोग गोमूत्र से बनी औषधि नहीं लेना चाहें वो 'लिवट्रीट' टेबलेट प्रयोग कर सकते हैं.
पाण्डुहारी कैप्सूल के इनग्रीडेंट की बात करें तो इसे लौह भस्म, मंडूर भस्म, त्रिफला घनसत्व, चिरायता घनसत्व, गिलोय घनसत्व, पुनर्नवा घनसत्व, निम्ब घनसत्व और कुटकी घनसत्व के मिश्रण में गोमूत्र और गिलोय स्वरस की भावना देकर बनाया गया है. इसका कॉम्बिनेशन अपने आप में बेजोड़ है. कई लोग पतंजलि की नीम वटी, गुडूचीघन वटी त्रिफला चूर्ण इत्यादि पचीस तरह की दवा लेते हैं. पर उन सब से अच्छा है कि सिर्फ पाण्डुहारी कैप्सूल लीजिये और फिर चमत्कार देखिए
पाण्डुहारी कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो कैप्सूल तक सुबह-शाम पानी से. इसका सेवन करते हुवे भोजन के बाद अगर दो-दो स्पून कुमार्यासव + रोहित्कारिष्ट + पुनर्नवारिष्ट लिया जाये तो तेज़ी से लाभ होता है, और जहाँ अंग्रेज़ी दवा फेल हो गई हो वैसे रोगी भी स्वस्थ हो जाते हैं.
इसके 60 कैप्सूल की क़ीमत है सिर्फ़ 180 रुपया जो मिलेगा ऑनलाइन lakhaipur.in पर जिस लिंक दिया गया है -
अर्शान्तक कैप्सूल और अर्शहर वटी ख़ूनी और बादी दोनों तरह की बवासीर को निर्मूल करने वाली आयुर्वेदिक औषधि है.
ख़ूनी बवासीर में शौच के बाद रक्तस्राव होता है, इसे ब्लीडिंग पाइल्स भी कहा जाता है. जबकि बादी बवासीर में ब्लीडिंग नहीं होती है, पर इसमें ज़्यादा कष्ट होता है. मस्से दोनों तरह की बवासीर में हो सकते हैं. इन सब के बारे में ज़्यादा बताने की ज़रूरत नहीं, आप सभी इसके बारे में जानते ही हैं.
अर्शान्तक कैप्सूल और अर्शहर वटी पाइल्स या बवासीर से मुक्ति दिलाने में सक्षम है. पाइल्स को आयुर्वेद में अर्श के नाम से जाना जाता है. ख़ूनी बवासीर को रक्तार्श और बादी बवासीर को वातार्श
दोनों तरह की बवासीर में अर्शान्तक कैप्सूल और अर्शहर वटी में से एक-एक सुबह-शाम गर्म पानी से लेना चाहिए.
इन दोनों के इस्तेमाल से ब्लीडिंग बंद हो जाती है और मस्से धीरे-धीरे सुख जाते हैं. यह मल ढीला करती है और कब्ज़ियत दूर करती है.
अर्शान्तक कैप्सूल और अर्शहर वटी के कम्पोजीशन की डिटेल्स आप दिए गए लिंक ओपन कर पढ़ सकते हैं. दोनों का कॉम्बिनेशन बेजोड़ है, इतनी असरदार दवा कोई और नहीं.
यह दोनों दवा ऑनलाइन अवेलेबल है lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है. अर्शान्तक कैप्सूल की कीमत है सिर्फ 180 रुपया और अर्शहर वटी सिर्फ 135 रुपया में उपलब्ध है.