आज मैं जिस औषधि के बारे में बताने वाला हूँ उसका नाम है कनकासव. जी हाँ दोस्तों, कनकासव जो है दमा यानि अस्थमा और खाँसी की जानी-मानी औषधि है जो सिरप या लिक्विड फॉर्म में होती है, तो आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
कनकासव जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कनक से बना हुआ आसव या एक तरह का सिरप. आयुर्वेद में धतुरा को कनक भी कहा जाता है.
कनकासव के घटक या कम्पोजीशन- इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें धतूरे के पंचांग के अलावा वासा, मुलेठी, पीपल, छोटी कटेरी, नागकेशर, सोंठ, भारंगी, तालिशपत्र, धाय के फुल और मुनक्का जैसी जड़ी-बूटियों से बना होता है. जिसे आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से संधान होने के बाद बनाया जाता है.
कनकासव के गुण -
यह श्वास-कास नाशक यानि अस्थमा और खाँसी को दूर करने वाला, Anti Tussive, Expectorant, Anti inflammatory, रक्तपित्त नाशक, बुखार, टी. बी. नाशक जैसे कई तरह के गुणों से भरपूर होता है.
कनकासव के फ़ायदे-
- खाँसी-अस्थमा की उग्र अवस्था में ही इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग किया जाता है, क्यूंकि यह अस्थमा में होने वाली तकलीफ़ को कम कर देता है.
- खाँसी, कफ़ जमा होना, फेफड़े के रोग, श्वासनली की सुजन इत्यादि को दूर करने में असरदार है.
- अस्थमा का दौरा पड़ने पर इसे दुसरे औषधियों के साथ दिया जाता है. यह कफ़ को पतलाकर निकाल देता है और इसके सेवन से हिचकी में भी लाभ होता है.
कनकासव की मात्रा और सेवन विधि -
15 से 30 ML तक रोज़ दो-तीन बार तक बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर भोजन के बाद लेना चाहिए. रोग की बढ़ी हुयी अवस्था में इसके साथ में श्वासकुठार रस, श्वासचिन्तामणि रस जैसी दवाएं भी डॉक्टर की देख-रेख में लेनी चाहिए.
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