काफ़ी टाइम से मैं वैद्य की डायरी सीरीज का विडियो नहीं दे पा रहा था तो इसी सीरीज को आगे करते हुवे वैद्य जी की डायरी में आज बताने वाला हूँ खर्राटे यानि Snoring दूर करने वाले आयुर्वेदिक योग के बारे में. जी हाँ दोस्तों, कई लोगों को यह प्रॉब्लम होती है सोते हुवे तरह-तरह की आवाज़ निकालते हैं जिसकी वजह से पास में या साथ सोने वाले की नीन्द हराम हो जाती है और कई बार पति-पत्नी के बिच झगड़े का कारन बनता है. तो आईये आज के इस विडियो में जानते हैं खर्राटा दूर करने वाले आयुर्वेदिक योग के बारे में विस्तार से -
कुछ लोग समझते हैं कि यह कोई बीमारी नहीं, पर सच तो यह है कि श्वास नली फ्री नहीं होने, नासाछिद्र की झिल्ली कमज़ोरी होने या फिर दुसरे कारणों से यह प्रॉब्लम होती है. कारन जो भी हो, आयुर्वेद में इसका उपचार है.
वात और कफ़ दोष के कारन ही ऐसा होना माना जाता है. तो सवाल यह उठता है कि इसका उपचार क्या है?
इसका सबसे बेस्ट ट्रीटमेंट है पञ्चकर्म, अगर सही से 3-4 हफ़्ते तक पंचकर्म किया जाये तो समस्या दूर हो सकती है. अगर पंचकर्म न करा सकें तो परहेज़ करते हुवे औषधियों का सेवन करने से समस्या दूर होती है.
सबसे पहले जान लेते हैं परहेज़ -
तली भुनी चीजें, फ्राइड फ़ूड, खटाई, अल्कोहल, मिठाई और चिकनाई वाले भोजन नहीं करें. हफ्ते में कम से कम एक दिन सिर्फ जूस या रसाहार पर ही रहें.
औषधि क्या सेवन करनी है?
त्रिफला गुग्गुल 10 ग्राम + लौह भस्म 10 ग्राम + त्रिकटु चूर्ण 10 ग्राम सभी को अच्छी तरह से मिक्स कर बराबर वज़न की 60 मात्रा बना लें. एक-एक मात्रा सुबह-शाम पानी से लेना है.
भोजन के बाद में दो स्पून महारास्नादि क्वाथ + दो स्पून दशमूलारिष्ट हाफ कप पानी के साथ पीना चाहिए
रात में सोने से पहले एक स्पून त्रिफला चूर्ण भी लेना चाहिए. सिंपल सा दिखने वाला यह खर्राटा या स्नोरिंग की समस्या से छुटकारा देने में बेहद असरदार है. इसे एक से तीन महिना तक लेना चाहिए.
तो दोस्तों, अगर आपको इस तरह की समस्या है तो ट्राई करें, मेरा चैनल देखने वाले चिकित्सक बंधू अपने रोगियों को इस योग का सेवन कराएँ और जैसा रिजल्ट रहे कमेंट कर मुझे बताएं.
दर्दहर तेल ऐसा तेल है जिसकी मालिश से जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, मसल्स का दर्द, कन्धों का दर्द, साइटिका का दर्द, पिण्डलियों का दर्द इत्यादि हर तरह का दर्द दूर होता है. तो आईये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से -
दर्दहर तेल का कम्पोजीशन -
जैसा कि इसका नाम दर्दहर अथार्त दर्द का हरण करने वाला या दर्द को दूर करने वाला. दर्द को दूर करने वाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों और तेलों के मिश्रण से इसे बनाया गया है. इसे रसोन कल्क, गंधाविरोजा सत्व, अजवायन सत्व, पुदीना सत्व और कपूर जैसी कई तरह की औषधियों के मिश्रण से शुद्ध मूर्छित सरसों तेल में बनाया जाता है. इसकी मालिश से दर्द में तुरंत फ़ायदा होता है और चिप-चिप भी नहीं करता.
दर्दहर तेल के फ़ायदे -
हर तरह के दर्द को दूर करने में यह तेल बेहद असरदार है. पहली बार की मालिश से ही फ़ायदा दिखता है.
जोड़ों का दर्द, सुजन, कमर दर्द, मसल्स दर्द, कन्धों का दर्द, साइटिका का दर्द जैसा कैसा भी दर्द हो तो इसकी मालिश करनी चाहिए.
अगर आपमें से किसी को भी दर्द की समस्या है तो एक बार इसका प्रयोग कर अवश्य देखें.
प्रयोग विधि - पर्याप्त मात्रा में तेल को लेकर दर्द वाली जगह पर रोज़ दो-तीन बार तक मालिश करनी चाहिए. यह बिल्कुल सुरक्षित तेल है, इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं. बस जली-कटी त्वचा पर इसे नहीं लगाना चाहिए.
इसके 100ML के पैक की क़ीमत है 300 रुपया जिसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
कुटज बिल्वादि घन वटी आयुर्वेदिक औषधि है जो दस्त, ग्रहणी, संग्रहणी या IBS, कोलाइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे पेट की बीमारियों में बेहद असरदार है, तो आईये जानते हैं कुटज बिल्वादि घन वटी के बारे में विस्तार से -
कुटज बिल्वादि घन वटी के घटक या कम्पोजीशन -
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कुटज की छाल और बिल्व फल मज्जा का घनसत्व ही इसका मेन इनग्रीडेंट होता है. इसमें इसकी विशेष भावना देकर 500mg की गोलियाँ बनाई जाती हैं.
कुटज बिल्वादि घन वटी के फ़ायदे-
दस्त होना, आंव आना, कोलाइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे रोगों में इसका प्रयोग करना चाहिए.
संग्रहणी या IBS से कई लोग परेशान रहते हैं, इसमें में भी इसके लगातार सेवन से समस्या दूर होती है. अगर आप IBS के लिए तरह-तरह की दवा ट्राई कर थक चुके हैं तो इसे एक बार अवश्य प्रयोग करें.
पेचिश और ख़ूनी दस्त जैसी पेट की बीमारियों में इसका सेवन करना चाहिए.
कुटज बिल्वादि घन वटी की मात्रा और सेवन विधि -
दो गोली सुबह-शाम छाछ या पानी से लेना चाहिए. कम उम्र के लोगों को एक-एक गोली सुबह-शाम दे सकते हैं. इसे हल्का चबाकर खाना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है.
इसका सेवन करते हुवे तेल, मसाला, ऑयली, फ्राइड फ़ूड, मिठाई, दूध और गरिष्ठ भोजन से परहेज़ करना चाहिए. दही, छाछ और अनार का जूस का सेवन करना चाहिए.