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26 दिसंबर 2019

Siddh Makardhwaj | सिद्ध मकरध्वज - कमज़ोरी दूर करने वाली बेजोड़ औषधि


मकरध्वज आयुर्वेद की एक ऐसी पॉपुलर दवा है जिसके बारे में सभी लोग कुछ न कुछ जानते ही हैं. इसी के सबसे उच्च गुणवत्ता वाले रूप सिद्ध मकरध्वज के ऐसे ऐसे गुण और प्रयोग के बारे में आज बताने वाला हूँ जो शायेद ही आपने पहले कभी सुना हो. तो आईये इसके बार में विस्तार से जानते हैं -

मकरध्वज अपने आप में एक बेजोड़ औषधि है जिसे बड़े-बड़े डॉक्टर भी मान चुके हैं. सिद्ध मकरध्वज टॉप क्लास का होता है और इसी के बारे में आज विशेष चर्चा करूँगा. मकरध्वज के दुसरे योगों की जानकारी पहले भी दी गयी है, जिसका लिंक दिया जा रहा है.


सिद्ध मकरध्वज पारा गंधक और स्वर्ण का विशेष योग है. सबसे पहले भोले शंकर जी ने इसे बनाकर सिद्धों को इसका सेवन कराया था इसलिए इसे सिद्ध मकरध्वज कहते हैं.

सिद्ध मकरध्वज के सेवन से ताक़त बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है. वैसे तो यह पुरे शरीर के लिए लाभकारी है पर हार्ट, ब्रेन और नर्वस सिस्टम पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है. बच्चे, बड़े, बूढ़े, जवान, महिला और पुरुष सभी के लिए यह फ़ायदेमंद है. अनुपान भेद से इसे अनेकों रोगों में प्रयोग किया जाता है. किस बीमारी में इसे किस चीज़ के साथ लेना है, आगे सब बताऊंगा. पर उस से पहले ठण्ड के इस मौसम में इसका प्रयोग जान लिजिए-

चूँकि इंडिया में अभी जाड़े का मौसम आ गया है, कई लोगों को ठण्ड बहुत ज़्यादा महसूस होती है उनके लिए सिद्ध मकरध्वज बड़े काम की चीज़ है.

तो भई, अगर आपको ठण्ड ज़्यादा लगती है और गर्म कपड़ों से दबे रहते हैं तो अभी से सिद्ध मकरध्वज का विधि पूर्वक सेवन शुरू कीजिये और फिर देखिये इसका चमत्कार.
स्कुल के दिनों की एक घटना मुझे याद आती है-

जनवरी का महिना था, कडकडाती ठण्ड थी, गाँव से मुझे शहर जाना था किसी काम से. उन दिनों गाँव में यातायात का कोई साधन नहीं था, पैदल चलकर बस स्टैंड तक जाना पड़ता था और बिच में एक नदी है मोहाने जिसमे उस समय पानी थोड़ी धारा थी, लगभग एक डेढ़ फिट तक ही पानी था. सुबह-सुबह ठण्ड इतना थी कि मैं स्वेटर के ऊपर जैकेट, टोपी, मफ़लर सब पहने जा रहा था. नदी को ऐसे ही पार करना होता था, पानी इतना ठन्डा होता था कि जितना पैर पानी में जाता था लगता था की बस पैर कट गया है.

तो ऐसी ठण्ड में देखता हूँ कि एक साधू जी नदी में नहाकर भीगा गमछा पहने खुले बदन इस ठण्ड में मज़े से चले जा रहे हैं. यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ था. बाद में पता चला कि वह साधू जी ठण्ड के पुरे मौसम में सिद्ध मकरध्वज का सेवन करते थे जिसकी वजह से ठण्ड उनसे कोसों दूर रहती थी.

ठण्ड को दूर करने के लिए मकरध्वज का मैं प्रत्यक्ष अनुभव कर देख चूका हूँ. आप भी एक बार ट्राई ज़रूर कीजिये. सिद्ध मकरध्वज ओरिजिनल होना चाहिय तभी पूरा लाभ मिलेगा. ओरिजिनल सिद्ध मकरध्वज न. 1 का लिंक दिया जा रहा है.


सिद्ध मकरध्वज की सेवन विधि -

मकरध्वज को एक विशेष विधि से सेवन करने का विधान है. सही विधि से सेवन करने पर ही इसके सारे गुणों की प्राप्ति होती है.

तो अब सवाल यह उठता है कि इसके सेवन की सही विधि क्या है?

सिद्ध मकरध्वज को शहद के साथ अच्छी तरह से खरल कर सेवन से इसका पूरा लाभ मिलता है. जैसा कि शास्त्रों में भी कहा गया है - 'मर्दनम गुणवर्धनम' 

अथार्त- मर्दन करने से इसके गुणों में वृद्धि हो जाती है. जितना पॉसिबल हो इसे शहद के साथ खरल या पेश्टर में डालकर मर्दन कर ही यूज़ करना चाहिए.

125 mg से 375 mg तक आयु के अनुसार इसकी मात्रा लेकर एक स्पून शहद के साथ दस से 15 मिनट तक खरल कर रोज़ दो से तीन बार तक इसका सेवन करें और फिर चमत्कार देखें. अगर किसी ख़ास बीमारी के लिए इसे लेना है तो उस बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवा के साथ इसे मिक्स कर लेना चाहिए.

सिद्ध मकरध्वज के गुण -

अगर मैं कहूँ कि सिद्ध मकरध्वज गुणों की खान है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. मकरध्वज के जैसी दवा दुनिया की किसी भी पैथी में नहीं है. यह मरणासन्न रोगी को भी  बचा देती है.

आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष नाशक है जिस से यह हर तरह की बीमारी में लाभकारी है.
इसके गुणों की बात करें तो यह ताक़त बढ़ाने वाली बेजोड़ दवा है. यह हार्ट और नर्वस सिस्टम को ताक़त देती है. खून की कमी और कमज़ोरी दूर कर वज़न बढ़ाती है.

शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन,नपुँसकता और वीर्य विकारों के लिए बेजोड़ है. न्युमोनिया, खांसी, दमा, टी. बी., हृदय रोग, हर तरह की बुखार, हर तरह की कमज़ोरी, चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ना इत्यादि अनेकों रोगों में इसका प्रयोग करना चाहिए.

यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. बहुत सारे लोग ठण्ड के मौसम में इसका सेवन कर पुरे साल उर्जावान बने रहते हैं. अभी का मौसम इसके इस्तेमाल के लिए सबसे बेस्ट है.

चूँकि सिद्ध मकरध्वज योगवाही भी है, मतलब जिस किसी भी दवा के साथ मिक्स कर यूज़ करेंगे यह उसके गुणों को बढ़ा देता है. अनुपान भेद से यह अनेकों रोगों में प्रयोग किया जाता है, आईये संक्षेप में कुछ बता देता हूँ जैसे -

सर्दी खाँसी में - पान के रस, अदरक के रस, मुलेठी चूर्ण, पीपल चूर्ण के साथ इसे लेना चाहिए

साधारण बुखार में - पीपल और अदरक के रस के साथ
मलेरिया में - करंज बीज या सुदर्शन चूर्ण के साथ
टाइफाइड में - मोती पिष्टी के साथ
जीर्ण ज्वर या पुरानी बुखार में - पीपल चूर्ण के साथ
कब्ज़ में - त्रिफला चूर्ण या त्रिफला क्वाथ के साथ
एसिडिटी में - आँवला चूर्ण या गिलोय सत्व के साथ
आँव वाले दस्त में - बेलगिरी चूर्ण या आमपाचक चूर्ण के साथ
बवासीर में - सुरण चूर्ण या कंकायण वटी के साथ
संग्रहणी या आई बी एस में - भुने हुवे जीरा के चूर्ण, शहद और छाछ के साथ
हृदय रोगों में - मोती पिष्टी और अर्जुन की छाल के चूर्ण के साथ
पागलपन में - सर्पगंधा चूर्ण के साथ
मृगी में - बच के चूर्ण के साथ
गैस में - भुनी हींग के साथ
पथरी में - गोक्षुर और कुल्थी के क्वाथ के साथ
धात रोग में - गिलोय के रस के साथ
स्वप्नदोष में - कबाब चीनी चूर्ण के साथ
शीघ्रपतन में - कौंच बीज चूर्ण या दिर्घायु चूर्ण के साथ
डायबिटीज में - गुडमार और जामुन गुठली चूर्ण के साथ
एनीमिया या खून की कमी में - लौह भस्म के साथ
ल्यूकोरिया में - तण्डूलोदक के साथ

तो दोस्तों, इस तरह से अनेकों रोगों में इसे उचित अनुपान के साथ प्रयोग किया जाता है. 
बेस्ट क्वालिटी का स्पेशल सिद्ध मकरध्वज न. 1 ऑनलाइन अवेलेबल है, 1 ग्राम का पैक सिर्फ 150 रुपया में जिसका लिंक गया है. 


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14 दिसंबर 2019

Filaria Treatment | फ़ाइलेरिया का महाकाल - श्लिपदहर योग


यह एक ऐसी बीमारी है जिसके कारन रोगी का जीवन कठिन हो जाता है जिस से चलना फिरना और यहाँ तक की उठने बैठने में भी समस्या हो जाती है, तो आईये इसकी चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानते हैं - 

फ़ाइलेरिया को श्लिपद और हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है. रोगी का पैर फूलकर हाथी के पैर की तरह मोटा हो जाता है जिसे लोग हाथी पाँव भी कहते हैं. 

फ़ाइलेरिया रोग का कारण - 

आयुर्वेदानुसार एक तरह की कृमि ही इसका कारन है और इसे मॉडर्न साइंस भी मानता है. 

क्या यह रोग ठीक हो सकता है? 

जी हाँ, आयुर्वेदिक चिकित्सा से यह रोग ठीक हो जाता है इसमें कोई शक नहीं. इसके लिए लम्बे समय तक दवा लेनी होती है. जब तक आपने धैर्य नहीं होगा, इस रोग से मुक्ति नहीं मिलेगी. 

होता क्या है कि अक्सर लोग दो चार महीने दवा खाकर छोड़ देते हैं और मान लेते हैं कि रोग ठीक नहीं होगा. इस से छुटकारा पाने के लिए एक से दो साल तक औषधि का सेवन करना पड़ता है तभी रोग निर्मूल हो जाता है और दुबारा नहीं होता. 
साध्य फ़ाइलेरिया(नया रोग)

दो चार साल तक का पुराना रोग जल्दी ठीक हो जाता है परन्तु जिसमे रोगी की त्वचा कछुआ के पीठ के समान कड़ी हो गयी हो, असाध्य माना जाता है. पर यह भी ठीक हो सकता है औषधि के निरन्तर सेवन से, साथ में अग्निकर्म और जलौकावचारण भी करना चाहिए इसके लिए. 
असाध्य फ़ाइलेरिया(बहुत पुराना रोग)


फ़ाइलेरिया की आयुर्वेदिक चिकित्सा - 

इसकी आयुर्वेदिक चिकित्सा से पहले दो बात का ध्यान रखना होगा. पहली बात यह कि बड़े धैर्य के साथ आपको इसकी औषधि सेवन करनी पड़ेगी 

और दूसरी बात यह कि खाने-पिने में परहेज़ भी करना होगा. यदि आप खान-पान में परहेज़ नहीं करेंगे तो सफलता नहीं मिलेगी. 

परहेज़ क्या-क्या करना है?

फ़ाइलेरिया की इस दवा का इस्तेमाल करते हुए आलू, केला, उरद, गोभी, आम, अरबी, कटहल, शकरकंद, ठण्डा पानी, ठंडा भोजन, फ्रिज की चीज़, गन्ना, गुड़, चीनी, दूध और दूध से बनी चीजों का परहेज़ करना चहिये. 

आईये अब जानते हैं इसकी औषधि के बारे में. चूँकि इसका मूलकारण कृमि है तो कृमिघन औषधियों के मिश्रण से बनाया गया है - श्लिपदहर योग 
शास्त्रों में भी कहा गया है - 

'प्रकृति विघातस्त्वेषां कटुतिक्त कषायक्षारोष्णानां द्रव्याणामुपयोगः,
यच्चान्यदापि किन्चिच्छलेष्म पुरीषप्रत्यानीकभूतं तत् स्यात् ||'

अथार्त - कृमियों की प्रकृति का नाश कटु, कषाय, क्षार और उष्णवीर्य वाले द्रव्यों के उपयोग से होता है और जो भी क्रिया, द्रव्य उपचारादि कफ तथा पुरीष के गुणों के विपरीत होते हैं, उनके सेवन से भी कृमियों का विनाश होता है. 

श्लिपदहर योग इसी तरह की कृमिनाशक और फ़ाइलेरिया में प्रयुक्त होने वाली औषधियों का बेजोड़ मिश्रण है. 

श्लिपदहर योग के घटक या कम्पोजीशन - 

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे श्लीपदगजकेशरी रस, नित्यानन्द रस, कृमिमुदगर रस, कृमिकुठार रस, नागार्जुनाभ्र रस और कृष्ण भृंगराज घनसत्व का उचित संयोग होता है. इसकी बनी बनाई पुड़िया अब उपलब्ध है. इसके साथ में फ़ाइलेरियल कैप्सूल का भी सेवन करना चाहिए.

औषधि की मात्रा और सेवन विधि - 

श्लीपदहर योग एक पुडिया रोज़ दो से तीन बार तक शहद में मिक्स कर 
फ़ाइलेरियल कैप्सूल एक-एक सुबह-शाम.

संभव हो तो इनके साथ में गोमूत्र अर्क, आसव या क्षार में से कोई एक भी एक सेवन कर सकते हैं. 

यह दोनों औषधि अवेलेबल है ऑनलाइन जिसका लिंक दिया गया है -



 फ़ाइलेरियल कैप्सूल के 120 पैक की क़ीमत है सिर्फ़ 400 रुपया जबकि श्लीपदहर योग के 90 मात्रा की क़ीमत है 999 रुपया. दोनों दवा मिलाकर सिर्फ़ एक हज़ार से 1200 तक एक महीने का खर्च होता है जो कि कोई अफ़ोर्ड कर सकता है, इस महाव्याधि से मुक्ति पाने के लिए. 

तो दोस्तों, अगर किसी को फ़ाइलेरिया से मुक्ति पानी है तो बताई गयी दवा को धैर्यपूर्वक सेवन करना चाहिए. यह कष्टकारक महाव्याधि दूर होगी, यह आयुर्वेद की गारन्टी है!!! 

फ़ाइलेरियल कैप्सूल की जानकारी 

फ़ाइलेरिया का उपचार 

07 दिसंबर 2019

Diabetes Herbal Remedy | मधुमेह की आयुर्वेदिक औषधि


अगर आप डायबिटीज से परेशान हैं और शुगर लेवल बढ़ा हुआ है तो आजकी जानकारी आपके लिए है. जैसा कि आप सभी जानते हैं जिस किसी को डायबिटीज हो जाती है उसे मीठी चीज़ों से परहेज़ करना पड़ता है और साथ ही शुगर लेवल कण्ट्रोल में रखने के लिए दवाईयाँ लेनी पड़ती है. और यदि आप अंग्रेज़ी दवा पर डिपेंड  हैं तो इसका डोज़ धीरे-धीरे बढ़ता ही जाता है और किसी-किसी को तो इन्सुलिन का इंजेक्शन तक लेने की नौबत आ जाती है. तो ऐसी कौन सी दवा ली जाये जिस से न सिर्फ़ शुगर लेवल नार्मल रहे बल्कि इस बीमारी से मुक्ति भी मिले? आईये इसके बार में विस्तार से जानते हैं - 

आप मानें या न माने टाइप वन और टाइप टू या हर तरह की डायबिटीज के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ आयुर्वेदिक दवाएँ ही सबसे बेस्ट हैं. और यदि नियमपूर्वक इनका सेवन किया जाये और रोग नया हो तो आप इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं. 
तो अब सवाल यह उठता है कि कौन सी औषधि इसके लिए सेवन करनी चाहिए? 

अपने अनुभव के आधार पर मेरा जवाब यह है इसके लिए काष्ठ औषधियों के योग के साथ रसायन औषधि भी लेना आवश्यक है तभी बेस्ट रिजल्ट मिलता है. 

इसके लिए कम से कम दो तरह की औषधि लेनी चाहिए सुगरोल चूर्ण और स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस 

यह जो सुगरोल चूर्ण है इसका कॉम्बिनेशन बेजोड़ है. इसे मधुमेह के लिए प्रयुक्त होने वाली जड़ी-बूटियों के संतुलित मिश्रण से बनाया गया है. इसके मुख्य घटक हैं - 
जम्बूफल की गुठली, गुडमार, नाय, बेलपत्र, तेजपत्र और मेथीदाना जैसी चीज़ें इसका मुख्य घटक होती हैं. 

इसके निरंतर सेवन से ब्लड शुगर और यूरिन शुगर का लेवल नार्मल हो जाता है. शुगर को कण्ट्रोल करने वाली किसी भी अंग्रेजी दवा से यह सौ गुना बेहतर है. क्यूंकि इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता और डायबिटीज की वजह से होने वाली दूसरी कम्पलीकेशन को भी दूर कर देता है. 

इसके साथ जो दवा लेनी होती है वह है स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस. वैसे तो यह आयुर्वेद की पॉपुलर मेडिसिन है जो मार्केट में कई बड़ी नामी कंपनियों की मिल जाती है पर उनसे इसके जैसा रिजल्ट नहीं मिलता है क्यूंकि यह जो स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस है इसे विशेष भावना देकर बनाया गया है. यह एक बेजोड़ शास्त्रीय योग है जो बीमारी दूर कर शरीर में नवयौवन लाता है और चुस्ती-फुर्ती का संचार करता है. 

शास्त्रों में इसकी प्रशंशा में लिखा गया है- सर्व रोगों वसन्ते !!

अथार्त - जिस तरह से बसन्त का मौसम आने पर फूल खिल जाते हैं ठीक उसी तरह इस औषधि के सेवन से शरीर में नयी शक्ति, स्फूर्ति और ऊर्जा आती है और शरीर खिल उठता है. यह पुरुषों की मर्दाना कमज़ोरी, यौन रोगों और महिलाओं के लिए भी समान रूपसे लाभकारी है. 

बसन्त कुसुमाकर रस के बारे में अधिकतर लोगों में यह धारणा कि बुजुर्गों की दवा और सिर्फ डायबिटीज के लिए है. यह बिल्कुल ग़लत है, अनुपान भेद से यह अनेक रोगों में प्रयोग की जाती है. 

इन दो दवाओं के इस्तेमाल से अनेकों रोगियों को लाभ हुआ है. उदाहरण के लिए एक रोगी की रिपोर्ट बताना चाहूँगा -

51 साल की एक महिला रोगी जिनका ब्लड सुगर लेवल 400 से ऊपर था और इसकी वजह से आँखों की रौशनी भी कम हो गयी थी. 20 अगस्त की इनकी रिपोर्ट देख सकते हैं - 

एक हफ़्ते यही दवा इस्तेमाल करने के बाद जब टेस्ट कराया गया तो रिपोर्ट में शुगर 145 आयी, 28 अगस्त की रिपोर्ट आप देख सकते हैं - 


11 सितम्बर की रिपोर्ट नार्मल आई और उनकी सारी प्रॉब्लम दूर हो गयी, जैसा कि आप रिपोर्ट में देख सकते हैं - 



यह तो Example का तौर पर बता रहा हूँ, ऐसे बहुत सारी रिपोर्ट्स से मेरा व्हाट्सऐप भरा पड़ा है. 

औषधि की मात्रा और सेवन विधि - 

चूर्ण को एक स्पून सुबह-शाम लेना है ताज़े पानी से भोजन के बाद. और स्पेशल बसन्त कुसुमाकर रस की जो गोली है इसे 2-2 गोली सुबह-शाम आधा कप दूध में घोलकर लेना चाहिए. 

चूर्ण की क़ीमत सिर्फ़ 100 रुपया सौ ग्राम के पैक की, जबकि स्पेशल बसन्तकुसुमाकर रस 325 रुपया का है 1 पैक

यह दोनों दवा अवेलेबल है ऑनलाइन जिसका लिंक दिया जा रहा है -



तो दोस्तों, ये थी आज की जानकारी डायबिटीज या मधुमेह से मुक्ति दिलाने वाली औषधि के बारे में. 

08 अक्टूबर 2019

Kanyalohadi Vati Benefits | कन्यालोहादि वटी के गुण एवं उपयोग


कन्यालोहादि वटी लड़कियों और महिलाओं के लिए ख़ास आयुर्वेदिक औषधि है जो मासिक धर्म या पीरियड सम्बंधित सभी समस्याओं को दूर करने में बेजोड़ है. इसके सेवन से पीरियड का नहीं आना, पीरियड कम आना, पीरियड में दर्द होना, PCOS, PCOD जैसी समस्या दूर होती है. 

कन्यालोहादि वटी के घटक या कम्पोजीशन - 

इसे एलुआ, शुद्ध कसीस, दालचीनी, छोटी इलायची, सोंठ और गुलकन्द के मिश्रण से बनाया जाता है. 

कन्यालोहादि वटी के फ़ायदे- 

कन्या या कम उम्र की लड़कियों और महिलाओं के लिए यह औषधि वरदान समान है. मासिक धर्म या पीरियड की सभी परेशानियों को दूर करने में यह बेजोड़ है.

समय से पीरियड नहीं होना, पीरियड कम होना, पीरियड में दर्द होना, पीरियड देर से होना जैसी समस्या दूर करती है. 

यह खून की कमी को दूर करती है, गर्भाशय में रक्त प्रवाह को बढ़ाती है. 

पित्त दोष और वात को दूर करती है, शरीर को ठंडक देती है और कब्ज़ दूर करती है. 

कुल मिलाकर बस समझ लीजिये कि PCOS और पीरियड की समस्या के लिए यह एक बेहतरीन दवा है. 

कन्यालोहादि वटी की मात्रा और सेवन विधि - 

दो से तीन गोली तक सुबह शाम भोजन के बाद पानी से लेना चाहिए. कम पीरियड होने पर इसे रोज़ तीन बार तक भी लिया जा सकता है. प्रेगनेंसी में इसे नहीं लेना चाहिए. यह ऑनलाइन उपलब्ध है जिसका लिंक निचे दिया जा रहा है. 


27 अगस्त 2019

Herbal Remedy for Uric Acid | यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक औषधि - वैद्य जी की डायरी | यूरोक्योर चूर्ण


आज आप सभी की डिमांड पर वैद्य जी की डायरी में यूरिक एसिड को दूर करने वाला योग बताने वाला हूँ. यूरिक एसिड को आप सभी जानते ही हैं. यूरिक एसिड बढ़ने पर दर्द, जोड़ों का दर्द, जोड़ों की सुजन जैसी कई तरह की समस्या हो जाती है. इसके लिए लोग अंग्रेज़ी दवा का सहारा लेते हैं. आयुर्वेद में भी इसका सटीक उपचार है जो पहले ख़ुराक से ही असर दिखाता है, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं - 

यूरिक एसिड दूर करने वाले योग का नाम मैंने रखा है यूरोक्योर चूर्ण. बढ़े हुए यूरिक एसिड के अनेकों रोगियों पर इसका सफलतापूर्वक परिक्षण करने के बाद आपके सामने इसे प्रस्तुत कर रहा हूँ.

यूरोक्योर चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन - 

इसे शांकर योग विशेष और सुरंजान शीरीं के मिश्रण से बनाया जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि शांकर योग विशेष क्या है? यह एक थोड़ा लेंदी योग है इसके बारे में किसी दुसरे विडियो में विस्तार से बताऊंगा. 

यूरोक्योर चूर्ण के गुण - 

इसके गुणों की बात करें इसके मुख्य गुण हैं दर्द नाशक, सुजन नाशक, मूत्रल और यूरिक एसिड नाशक.

यूरोक्योर चूर्ण के फ़ायदे - 

बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम कर नार्मल करना ही इसका मेन फ़ायदा है. 

यूरिक एसिड बढ़ने से होने वाला दर्द, सुजन इत्यादि को दूर करता है.

यह मूत्रल होने से पेशाब को बढ़ाता है और शरीर से यूरिक एसिड को निकाल देता है. 

कुल मिलाकर बस यह समझ लीजिये की यूरिक एसिड को कम करने की यह बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा है जो Allopath की तरह साइड इफ़ेक्ट नहीं करती है. 

यूरोक्योर चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि - 

एक-एक ग्राम सुबह-दोपहर-शाम दूध के साथ. इसका सेवन करते हुए नॉन वेज और हर तरह की दालों से परहेज़ करना चाहिए. यूरोक्योर चूर्ण अब अवेलेबल है हमारे स्टोर पर 100 ग्राम का पैक सिर्फ 600 रुपया में, जिसका लिंक दिया जा रहा है.




 अगर किन्ही को यूरिक एसिड बढ़ने के कारन समस्या है तो इसका प्रयोग कर लाभ उठायें और मेरा चैनल देखने वाले डॉक्टर्स से अनुरोध है कि अपने रोगियों पर इसका प्रयोग कराकर यश अर्जित करें. 

17 अगस्त 2019

Kaharwa Pishtee Benefits | कहरवा पिष्टी के फ़ायदे जानिए


आज की की जानकारी है एक बेहद असरदार औषधि कहरवा पिष्टी के बारे में जो आयुर्वेद के साथ-साथ यूनानी में भी इस्तेमाल की जाती है. इस विडियो में आप जानेंगे कहरवा के गुण, निर्माण और प्रयोग विधि के बारे में विस्तार से - 

कहरवा एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है विधुत या बिजली. आयुर्वेद में इसे 'तृणकान्तमणि' कहते हैं पर यह कहरवा के नाम से ही प्रचलित है. यह गोंद की तरह का एक पदार्थ है जो बर्मा और दूसरी जगहों की खानों से निकलता है. यह सोने के जैसा पीले रंग का दीखता है. 

कहरवा पिष्टी निर्माण विधि -

 इसके छोटे-छोटे टुकड़े कर चूर्ण बनाकर खरल में डालकर गुलाब जल मिला-मिलाकर दस-पंद्रह दिनों तक खरल कर सुखाकर रख लेना चाहिए. इसका भस्म भी बनाया जाता है पर इसकी पिष्टी ही ज़्यादा गुणकारी होती है. 

कहरवा पिष्टी के गुण - 

इसके गुणों की बात करें तो यह शीतल यानि तासीर में ठंडा, पित्त नाशक, दाह नाशक यानि शरीर की गर्मी और जलन को दूर करने वाला, दिल को ताक़त देने वाला, रक्तनिरोधक यानि ब्लीडिंग रोकने वाला चाहे ब्लीडिंग शरीर के अन्दर से हो या बाहर शरीर में  कहीं से भी हो और व्रण नाशक जैसे कई तरह के गुणों से भरपूर होता है. 

कहरवा पिष्टी के फ़ायदे - 

पित्तज विकारों जैसे रक्तपित्त, अम्लपित्त, उलटी, शरीर की गर्मी, जलन, ज़्यादा प्यास लगना, ज़्यादा पसीना आना, ख़ूनी दस्त, नाक-मुँह या शरीर में कहीं से भी ब्लीडिंग होना, रक्त प्रदर, ख़ूनी  बवासीर इत्यादि में इसका प्रयोग किया जाता है. 

दिल की कमज़ोरी, लिवर, पेट, किडनी की कमज़ोरी इत्यादि में भी दूसरी दवाओं के साथ इसे देना चाहिए.

व्रण नाशक गुण होने से यह हर तरह के ज़ख्म के लिए भी असरदार है. ज़ख्म से मवाद आता हो, बदबू आती हो और यहाँ तक की कीड़े भी पड़ गए हों तो ड्रेसिंग कर इसे पाउडर की तरह छिड़कना चाहिए. 

 अधिकतर लोग समझते हैं कि आयुर्वेद में ज़ख्म के लिए कोई पाउडर नहीं होता, तो समझ लीजिये की कहरवा पिष्टी ज़ख्म के लिए भी बेहतरीन पाउडर है. एंटीबायोटिक वाले अंग्रेज़ी पाउडर से कहीं बेहतर. 

यह एक ऐसी दवा है जिसे खाने के साथ-साथ लगाने में भी प्रयोग कर सकते हैं. उच्च गुणवत्ता वाला विधि पूर्वक बनाया हुआ कहरवा पिष्टी अब अवेलेबल है हमारे स्टोर पर जिसका लिंक दिया गया है- 



26 जुलाई 2019

Rudanti Capsule Benefits | रुदन्ती घनसत्व के चमत्कारी फ़ायदे


आज एक दिव्य औषधि रुदन्ती के बारे में बताने वाला हूँ. जी हाँ दोस्तों रुदन्ती एक ऐसी बूटी है जो लंग्स या फेफड़ों की बीमारियों के लिए वरदान है तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं - 

रुदन्ती को रुद्रवंती भी कहा जाता है. रुदन्ती घनसत्व को अनेकों रोगियों पर प्रयोग कर बेहद इफेक्टिव पाया हूँ. यक्ष्मा या टी. बी. के इसका कोई जवाब नहीं. 

रुदन्ती चूर्ण या रुदन्ती घनसत्व को इस रोगों में प्रयोग करना चाहिए जैसे - पुरानी खाँसी, टी. बी., फेफड़ों में पानी आ जाना या प्लूरिसी और इसकी वजह से होने वाली बुखार, कफ़ ज़्यादा बनना और फेफड़ों की कमज़ोरी इत्यादि. 

यहाँ एक सबसे महत्वपूर्ण बात बता दूं कि टी. बी. के रोगी को दूसरी दवाओं के साथ रुदन्ती घनसत्व का प्रयोग कराने से टी. बी. तो ठीक होती ही बल्कि रोगी का फेफड़ा पहले जैसा बेदाग हो जाता है. 

जबकि अंग्रेज़ी दवा से ठीक हुए रोगी के फेफड़े के दाग नहीं मिटते और मेडिकल टेस्ट में कई बार लोग रिजेक्ट हो जाते हैं. 

अगर टी. बी. के रोगी को रुदन्ती का सेवन कराया जाये फेफड़े के ज़ख्म ठीक होने के बाद किसी भी तरह कोई दाग या निशान नहीं बचता है. यही इसका सबसे बड़ा एडवांटेज मैंने प्रत्यक्ष अनुभव किया है. 

पुरानी खाँसी, कफ़ और फेफड़ों की कमज़ोरी में इसका अवश्य प्रयोग करें और फिर चमत्कार देखें. 

रुदन्ती घनसत्व से बना कैप्सूल अब ऑनलाइन अवेलेबल है हमारे स्टोर पर जिसका लिंक दिया जा रहा है. 


रुदन्ती कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि - एक-एक कैप्सूल सुबह-शाम दूध से. (वैद्यगण कैप्सूल को खोलकर दुसरे योग के साथ मिक्स कर भी दे सकते हैं)

जिन रोगियों की टी. बी. अंग्रेज़ी से ठीक नहीं हो रही तो उनको स्वर्णबसन्तमालती रस के साथ रुदन्ती घनसत्व कैप्सूल का सेवन करना चाहिए. 

तो ये थी आज की जानकारी रुदन्ती घनसत्व कैप्सूल के बारे में. मेरा चैनल देखने वाले चिकित्सक बंधू से निवेदन है कि अगर आपने अब तक रुदन्ती का प्रयोग नहीं किया है तो इसका प्रयोग कर यश अर्जित करें. धन्यवाद्

21 जुलाई 2019

Udar Mahayog | उदर महायोग- वैद्य जी की डायरी


वैद्य जी की डायरी में आज एक बहुत ही स्पेशल योग बताने वाला हूँ जो पेट की बीमारियों के लिए बेजोड़ है और रामबाण की तरह काम करता है, जिसका नाम है उदर महायोग. तो आईये जानते हैं इस योग के गुण, निर्माण विधि और प्रयोग के बारे में विस्तार से - 

पेट के रोगों के लिए आयुर्वेद में कई तरह के योग भरे पड़े हैं जिसे आप सभी जानते हैं. आज जो औषधि बता रहा हूँ इसका कॉम्बिनेशन बड़ा ही बेजोड़ है जो उदर विकारों में बेहतरीन रिजल्ट देता है. 

उदर महायोग का के घटक या कम्पोजीशन - 

इस योग को बनाने के लिए चाहिए होगा प्रवाल पंचामृत रस मोती युक्त(न.1) 5 ग्राम, वृहत लोकनाथ रस 5 ग्राम और कासीस गोदन्ती भस्म 5 ग्राम

निर्माण विधि - सबसे पहले वृहत लोकनाथ रस को खरल कर लें इसके बाद दूसरी औषधियों को अच्छी तरह मिक्स खरल में डालकर तीन घन्टे तक घुटाई कर लें. मर्दनम गुणवर्धनम के अनुसार जितना ज़्यादा घुटाई होगी, उतनी ज़्यादा प्रभावशाली औषधि होती है. 

उदर महायोग की मात्रा और सेवन विधि - 

250 mg सुबह-शाम शहद में मिक्स कर चाट लें और ऊपर से 4 स्पून कुमार्यासव आधा कप पानी में मिक्स कर पीना चाहिए भोजन के बाद. 

उदर महायोग के फ़ायदे -

इसके फ़ायदों की बात करें तो यह पाचन तंत्र की बीमारियों के लिए बेहद असरदार है जैसे - पाचक पित्त विकृति, पेट की जलन, एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना, लिवर की हर तरह की प्रॉब्लम, गैस, गुल्म या गोला बनना, कब्ज़, दस्त, IBS या संग्रहणी, खून की कमी, कमज़ोरी शारीरिक दुर्बलता इत्यादि.

Digestive system में कहीं की ग्रंथि या सिस्ट होना, फुफ्फुस ग्रंथी और कैंसर तक में इस से लाभ होता है. 

कुल मिलाकर बस समझ लीजिये कि पेट की बीमारियों के लिए यह अमृत तुल्य लाभकारी है. इसके इस्तेमाल से पेट की बीमारी तो दूर होती ही है साथ ही कमज़ोरी दूर होकर चेहरा खिल जाता है. 

प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक और वैद्यगण रोगियों पर इसका प्रयोग कराएँ और फिर रिजल्ट देखें. 15 सालों से अधीक समय से सफलतापूर्वक हमारे यहाँ इसका प्रयोग किया जा रहा है. 

उदर महायोग का एक महीने का डोज़ 60 मात्रा बना बनाया अब अवेलेबल है हमारे स्टोर lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है जहाँ से आप ऑनलाइन आर्डर कर मंगा सकते हैं. 


10 जुलाई 2019

Shringarabhra Ras | श्रृंगाराभ्र रस के गुण, उपयोग एवम प्रयोग विधि


आज की जानकारी है क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन श्रृंगाराभ्र रस के बारे में जिसमे आप जानेंगे इसके घटक या कम्पोजीशन, निर्माण विधि और गुण-उपयोग की पूरी जानकारी - 

सबसे पहले नज़र डालते हैं इसके कम्पोजीशन या घटक पर- अभ्रक भस्म इसका मुख्य घटक होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है कृष्णाभ्रक भस्म 80 ग्राम, लौंग, दालचीनी, नागकेशर, तेजपात, कपूर, जावित्री, नेत्रवाला, गजपीपल, जटामांसी, तालिसपत्र, कूठ, धायफुल प्रत्येक 3-3 ग्राम, सोंठ, मिर्च, पीपल, आँवला, बहेड़ा प्रत्येक डेढ़-डेढ़ ग्राम, छोटी इलायची के बीज और जायफल 6-6 ग्राम, शुद्ध गंधक 10 ग्राम और शुद्ध पारा 6 ग्राम

श्रृंगाराभ्र रस निर्माण विधि - 

बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को खरलकर कज्जली बना लें और इसके बाद जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स कर, अंत में अभ्रक भस्म मिलाकर अच्छी तरह घुटाई कर पानी के संयोग से मटर के आकार की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखाकर रख लिया जाता है. यही श्रृंगाराभ्र रस है. 

श्रृंगाराभ्र रस के गुण -

इसके गुणों या प्रॉपर्टीज की बात करें तो यह Anti tussive, Expectorant, Anti biotic, Anti allergic, Anti inflammatory, टॉनिक और रसायन जैसे कई तरह के गुणों से भरपूर है. वात, पित्त और कफ़ तीनों दोषों पर इसका असर होने से यह त्रिदोष नाशक है.

श्रृंगाराभ्र रस के फ़ायदे- 

इसके फायदों की बात करें तो इसका सबसे ज़्यादा असर फेफड़े और श्वसन तंत्र पर ही होता है. खाँसी और अस्थमा की यह पॉपुलर दवाओं में से एक है.

खाँसी, बलगम, अस्थमा, कफ़ जमा होना, सफ़ेद चिकना कफ़ निकलना, सीने या पसली में दर्द होना, सर भरी होना, साँस लेने में तकलीफ़ होना, कमज़ोरी इत्यादि में उचित अनुपान से लेने अच्छा लाभ होता है.

श्रृंगाराभ्र रस की मात्रा और सेवन विधि -

एक-एक गोली सुबह-शाम अदरक के रस और शहद के साथ या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. रसायन औषधि है तो डॉक्टर की देख रेख में लेना ही समझदारी है. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक दिया गया है. 


इसे भी जानिए - 





06 जुलाई 2019

Jatiphaladi Vati(Stambhak) | जातिफलादि वटी (स्तंभक)


आज की जानकारी है जातिफलादि वटी(स्तंभक) के बारे जो वीर्यस्तम्भन करने वाली औषधि है. तो आईये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से - 

आपमें से कई लोग जानते होंगे कि जातिफलादि वटी दो तरह की होती है. एक जातिफलादि वटी ग्राही या संग्रहणी वाली और दूसरी जातिफलादि वटी(स्तंभक) तो आज की जानकारी है जातिफलादि वटी(स्तंभक) के बारे में, सबसे पहले जानते हैं -

जातिफलादि वटी(स्तंभक) के घटक या कम्पोजीशन - 

यह अफीम प्रधान औषधि है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे  बनाने के लिए चाहिए होता है जायफल, अकरकरा, सोंठ, शीतल चीनी, केशर, लौंग और सफ़ेद चन्दन प्रत्येक एक-एक भाग और शोधित अफ़ीम चार भाग

बनाने का तरीका यह होता है कि जड़ी-बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण कर लें, केशर को खरल में डालकर पिस लें, इसके बाद शुद्ध अफ़ीम और जड़ी-बूटियों का चूर्ण अच्छी तरह मिक्स कर थोड़ा पानी मिक्स कर अच्छी तरह घुटाई कर दो-दो रत्ती या 250mg की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखाकर रख लें.

जातिफलादि वटी(स्तंभक) के गुण 

आयुर्वेदानुसार यह स्तम्भक और संकोचक है, वात वाहिनी और शुक्रवाहिनी नाड़ियों पर इसका सबसे ज़्यादा असर होता है. 

जातिफलादि वटी(स्तंभक) के फ़ायदे 

स्तम्भन शक्ति बढ़ाने के लिए ही इसका प्रयोग किया जाता है. यह शीघ्रपतन नहीं होने देती.

जल्द डिस्चार्ज नहीं होने और शीघ्रपतन दूर करने के लिए वैद्यगन इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक कराते हैं. 

इसके सेवन से पहले वीर्यवर्धक और पौष्टिक औषधियों का सेवन अवश्य करना चाहिए. 

जातिफलादि वटी(स्तंभक) की मात्रा और सेवन विधि - 

एक गोली सोने से एक घंटा पहले दूध, शहद या घी के साथ लेना चाहिए. यह अफ़ीम वाली दवा है तो इसका ज़्यादा इस्तेमाल नुकसान करता है और लेने के देने भी पड़ सकते हैं. 

इसका इस्तेमाल करते हुए और इस्तेमाल के बाद भी दूध, घी, मक्खन-मलाई का ज़्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. इसे हफ्ता में एक से दो बार ही यूज़ करें. 

इसके साइड इफ़ेक्ट की बात करें तो शरीर की गर्मी बढ़ जाना, कमज़ोरी, चक्कर आना, किसी काम में मन नहीं लगना, चिडचिडापन जैसी प्रॉब्लम हो सकती है. इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 








03 जुलाई 2019

Asthma Treatment | अस्थमा का चमत्कारी नुस्खा - वैद्य जी की डायरी 15


वैद्य जी की डायरी में आज अस्थमा या दमा के लिए बहुत ही सिम्पल और आसान सा योग बताने वाला हूँ जिसका इस्तेमाल हर कोई आसानी से कर सकता है, तो आईये इसके बारे में पूरी डिटेल्स जानते हैं- 

लोग कहते हैं कि दमा दम के साथ जाता है, कुछ हद तक यह सही भी है पर यदि सही ट्रीटमेंट मिले तो यह बीमारी ठीक भी हो जाती है. इसके लिए आयुर्वेद में कई तरह की शास्त्रीय औषधियाँ हैं जो बीमारी को दूर करने में सक्षम होती हैं. इसके अलावा कई तरह के अनुभूत योग भी हैं जिसे वैद्य लोग रोगियों पर प्रयोग करते हैं, ऐसा ही एक योग है जिसे मैं बताने वाला हूँ जिसका नाम है श्वास नाशक योग 

इसके लिए सिर्फ दो चीज़ें चाहिए - देसी गेहूं और हल्दी दोनों आर्गेनिक हो तो अत्ति उत्तम. गेहूं 200 ग्राम तो हल्दी 100 ग्राम

श्वास नाशक योग निर्माण विधि -

इसे बनाने का तरीका बहुत आसान है, मिट्टी के बर्तन गेहूं को चूल्हे पर रखकर जलाना है, कोयला होने तक. इसी तरह हल्दी को भी जला लें. यहाँ पर ध्यान रखने वाली बात यह है कि इसे जलाकर राख नहीं करना है बल्कि कोयला होने तक ही जलाना है. ठण्डा होने पर कूट-पीसकर बारीक पाउडर बनाकर रख लें, बस श्वास नाशक योग तैयार है. 

श्वास नाशक योग की मात्रा और सेवन विधि -

इसे कल्प विधि कुल 51 दिन प्रयोग करना होता है विशेष विधि से. पहले दिन इसे 5 ग्राम सुबह ख़ाली पेट पानी से लेना है रोज़ एक बार. इसी तरह से रोज़ एक ग्राम का डोज़  बढ़ाते हुए पच्चीसवें दिन 30 ग्राम का डोज़ हो जायेगा, इसके बाद रोज़ एक ग्राम डोज़ कम करते हुए जब 5 ग्राम पर डोज़ आने पर बंद कर दें. 

यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. कल्प विधि से 51 दिनों तक प्रयोग करने से अस्थमा और कफ़ वाली खाँसी से मुक्ति मिल जाती है. 

वैद्य जी की डायरी में आज इतना ही, इसके बारे में  कोई सवाल हो तो कमेंट कर पूछिये. जानकारी अच्छी लगी तो लाइक और शेयर ज़रूर कीजिये.


28 जून 2019

Panchamrit Lauh Guggul | पंचामृत लौह गुग्गुल - एक रसायन औषधि


पंचामृत लौह गुग्गुल आयुर्वेद में अपने कैटगरी की स्पेशल दवा है अपने यूनिक कम्पोजीशन की वजह से. यह गुग्गुल होते हुए भी बेजोड़ रसायन औषधि है. 

पंचामृत लौह गुग्गुल के घटक या कम्पोजीशन - 

इसे शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, रौप्य भस्म, अभ्रक भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म प्रत्येक एक-एक भाग, लौह भस्म दो भाग और त्रिफला और गिलोय द्वारा शोधित शुद्ध गुग्गुल छह भाग के मिश्रण से बनाया जाता है. 

पंचामृत लौह गुग्गुल के फ़ायदे- 

यह हर तरह के वात रोग जैसे जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, साइटिका, जकड़न इत्यादि को दूर करता है.

नर्व और नर्वस सिस्टम की कमज़ोरी, दिमाग की कमज़ोरी और इसकी वजह से होने वाले सर दर्द, नीन्द की कमी इत्यादि में लाभकारी है.

पेट की बीमारी जैसे गैस, लिवर-स्प्लीन की बीमारी, भूख की कमी, खून की कमी जैसी प्रॉब्लम को दूर कर हेल्थ इम्प्रूव करता है और ताक़त लाता है.

कुल मिलाकर देखा जाये तो चाँदी, अभ्रक, स्वर्णमाक्षिक और लौह भस्मों का सारा फ़ायदा इस एक दवा से मिल जाता है. 

पंचामृत लौह गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि - 

एक-एक गोली सुबह शाम दूध या रोगानुसार उचित अनुपान के साथ देना चाहिए. इसके आभाव में महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग किया जा सकता है उचित अनुपान के साथ. यह ज़्यादा प्रचलित नहीं है, इसलिए सभी कंपनियाँ से नहीं बनाती. 
ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक दिया गया है. 


25 जून 2019

How to improve eyesight? | आँखों की रौशनी बढ़ाने की औषधि - नेत्रज्योतिवर्धक सुरमा


आँखों की रौशनी कम हो या फिर आँखों की कोई भी प्रॉब्लम से अगर आप परेशान हैं तो आज की जानकारी आपके लिए है, क्यूंकि आज मैं आँखों की रौशनी  बढ़ाने वाले एक बेजोड़ आयुर्वेदिक योग के बारे में बताने वाला हूँ जिसके प्रयोग से न सिर्फ़ आँखों की रौशनी बढ़ेगी बल्कि आप चश्मा से भी छुटकारा पा सकते हैं, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं- 

सुरमा का नाम आपने सुना ही होगा, अक्सर लोग आँखों की सुन्दरता बढ़ाने के लिए इसे लगाते हैं. पर आज जो सुरमा मैं बता रहा हूँ यह न सिर्फ़ आँखों की सुन्दरता हो बढ़ाता है बल्कि आखोँ की बीमारियों को दूर कर रौशनी इतनी तेज़ कर देता है कि फिर चश्मे की ज़रूरत ही नहीं रहती है. 

आयुर्वेद का यह वरदान है, प्राचीन समय में राजा-महाराजा लोग इस सुरमे का प्रयोग करते थे आँखों की रौशनी बनाये रखने के लिए. इसका नाम रखा गया है नेत्रज्योतिवर्धक सुरमा 

नेत्रज्योतिवर्धक सुरमा के फ़ायदे - 


  • इसे लगाने से नज़र साफ़ होती है,आँखों की रौशनी बढ़ती है और चश्मा धीरे-धीरे छूट जाता है.



  • आँखों में धुन्ध और जाला पड़ गया हो, ख़ासकर उम्र बढ़ने पर तो इसके इस्तेमाल से बेजोड़ लाभ होता है. 



  • मोतियाबिन्द की शुरुआत में इसके प्रयोग से लाभ होता है. 



  • आँखों की रौशनी बनाये रखने के लिए भी इसका प्रयोग करते रहना चाहिए. 


सुरमा की प्रयोग विधि - 

जैसा नार्मल सुरमा लगाते हैं, वैसे लगाया जाता है. काँच की सलाई दी गयी है साथ में इसी से सुबह और रात में सोने से पहले लगाना चाहिए. इसे लगाने के साथ अगर खाने की दवा 'चक्षुष्य कैप्सूल' भी एक-एक सुबह-शाम लिया जाये तो जल्दी फ़ायदा मिलेगा. 

इस सुरमा को तीन साल से बड़े बच्चों को भी लगा सकते हैं. इसे लगाने के बाद थोड़ी देर आँख में जलन होगी और पानी आयेगा तो घबराना नहीं चाहिए. इसके बारे में  कुछ सवाल-जवाब आप पढ़ सकते हैं, जिसका लिंक दिया गया है. 

इसका 2.5 ग्राम का दो पैक दिया जा रहा है सिर्फ 150 रूपये में जिसका लिंक निचे दिया गया है -


'चक्षुष्य कैप्सूल' ऑनलाइन खरीदें 

तो दोस्तों, अगर आँखों की रौशनी बढ़ाकर चश्मा से मुक्ति पाना चाहते हैं यह सुरमा और खाने की दवा दोनों का इस्तेमाल करें, आपकी आँखों की रौशनी बढ़ जाएगी यही तो आयुर्वेद की गारन्टी है. 



22 जून 2019

Gomutradi Ghan Capsule | गौमूत्रादि घन कैप्सूल - सौ रोगों की एक दवा


गौमूत्र का आयुर्वेद में व्यापक प्रयोग होता है इसके गुणों के कारन, अनेकों शास्त्रीय औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है. इसी के बेस पर बना गौमूत्रादि घन कैप्सूल कई तरह की बीमारियों को दूर करने में रामबाण है, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं - 

गौमूत्रादि घन कैप्सूल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है गौमूत्र के घनसत्व के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बना कवच या कैप्सूल

कैप्सूल में होने से न इसका टेस्ट पता चलता है और न ही कोई गंध, इसके सेवन में कोई दिक्कत नहीं होती है. 

गौमूत्रादि घन कैप्सूल के घटक या कम्पोजीशन - 

इसका कम्पोजीशन बेजोड़ है. कई लोग गौमूत्र अर्क, आसव और क्षार इत्यादि लेते हैं पर सभी लोगों के उनका प्रयोग आसान नहीं होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे गौमूत्रघनसत्व, त्रिफला घनसत्व, कालीजीरी घनसत्व, पुनर्नवा घनसत्व, नागरमोथा घनसत्व और कुटकी घनसत्व के मिश्रण से बनाया गया है. 

गौमूत्रादि घन कैप्सूल के फ़ायदे- 

यह विभिन्न उदर विकारों के लिए रामबाण है. मतलब पेट की कैसी भी कोई भी बीमारी हो तो इसका सेवन कर सकते हैं. 

अजीर्ण, अग्निमान्ध, उदावर्त, गुल्म, अर्श, यकृत प्लीहा वृद्धि, पांडू, कामला, कृमि, मलावरोध, आमवृद्धिजन्य विकार, शोथ, मेदवृद्धि और श्लीपद आदि विकारों में विशेष उपयोगी है. 

आसान और सीधे शब्दों में कहा जाये तो इसे इन बीमारियों में लेना चाहिए जैसे - 

अपच, बदहज़मी, गैस ऊपर को चढ़ना, गोला बनना, कब्ज़, पेट में कीड़े होना. 
लिवर-स्प्लीन का बढ़ जाना, फैटी लिवर, कोलेस्ट्रॉल, खून की कमी, जौंडिस, शरीर में कहीं भी सुजन होना. मोटापा, बवासीर, आँव आना, फ़ाइलेरिया इत्यादि. 

हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर, पेट का कैंसर, ब्लड कैंसर इत्यादि में भी इसे सहायक औषधि के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. 

यह एक ऐसी दवा है जो अकेले आरोग्यवर्धिनी वटी, पुनर्नवादि मंडूर, यकृतहर लौह और लोकनाथ रस जैसी शास्त्रीय औषधि से अच्छा काम करती है, तो इसी बात से आप इसका महत्त्व समझ सकते हैं. 

गौमूत्रादि घन कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि - 

एक से दो कैप्सूल तक सुबह-शाम पानी से लेना चाहिए. 

इसके 60 कैप्सूल की क़ीमत है सिर्फ़ 170 रुपया जो अवेलेबल है lakhaipur.in पर जिसका लिंक  दिया गया है. 


18 जून 2019

Lodhrasava Benefits in Hindi | लोध्रासव के फ़ायदे


यह एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो मूत्ररोग, किडनी और गर्भाशय विकारों में प्रयोग की जाती है, तो आईये जानते हैं इसके कम्पोजीशन और फ़ायदे के बारे में विस्तार से - 

लोध्र पठानी इसका पहला घटक है और इसी पर लोध्रासव इसका नाम दिया गया है. 

लोध्रासव के घटक या कम्पोजीशन - 

इसे लोध्र पठानी, कचूर, फूल प्रियंगु, पोहकरमूल, बड़ी इलायची, मूर्वा, विडंग, त्रिफला, अजवायन, चव्य, सुपारी, इन्द्रायणमूल, चिरायता, कुटकी,  भारंगी, तगर, चित्रकमूल, पीपलामूल, कूठ, अतीस, पाठा, इन्द्रजौ, नागकेशर, नखी, तेजपात, काली मिर्च और मोथा जैसी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से शहद और पानी के साथ सन्धान या फ़रमेनटेशन प्रोसेस से इसका आसव बनाया जाता है. 

लोध्रासव के फ़ायदे- 

इसके फ़ायदों की बात करें तो किडनी, मूत्राशय, गर्भाशय और लिवर पर इसका ज़्यादा असर होता है.

यह पेशाब की जलन को दूर करता है, बार-बार अधीक पेशाब होना, बून्द-बून्द या कम पेशाब होना, पेशाब के समय तकलीफ़ होना, पेशाब नली की सुजन और इन्फेक्शन में इस से फ़ायदा होता है.

कब्ज़, अरुचि, संग्रहणी, खून की कमी और जौंडिस में भी इसे सहायक औषधि के रूप में लेने से लाभ होता है. 

स्वप्नदोष, धातुस्राव, महिलाओं के गर्भाशय रोग जैसे ल्यूकोरिया और पीरियड रिलेटेड प्रॉब्लम में इस से अच्छा लाभ होता है. 

लोध्रासव की मात्रा और सेवन विधि - 

15 से 30 ML तक सुबह-शाम भोजन के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स लेना चाहिए. रोगानुसार मुख्य औषधियों के साथ इसे सहायक औषधि के रूप में ही लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है इसके सेवन से. आयुर्वेदिक कंपनियों की यह मिल जाती है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं जिसका लिंक दिया जा रहा है. 








13 जून 2019

How to Remove Pimples and get fair skin? | कील-मुहाँसे दूर कर रूप निखारने की आयुर्वेदिक औषधि


हर लोग सुन्दर दिखना चाहते हैं ख़ासकर हमारी यंग जनरेशन चाहे वह लड़का हों या लड़की. पिम्पल्स या कील-मुहाँसे और दाग-धब्बे अगर चेहरे पर हो जाएँ तो हर लोग इस से जल्दी छुटकारा पाना चाहते हैं और इसके लिए तरह-तरह की क्रीम ट्राई करते हैं. अगर आपमें से भी किसी को पिम्पल्स हो, दाग-धब्बे हों और अपना रंग निखार कर गोरा दिखना चाहते हों आज की जानकारी आपके काम की है, आईये पूरी डिटेल्स जानते हैं - 

पिम्पल्स के लिए हर लोग कोई न कोई क्रीम ज़रूर ट्राई करते हैं यह बात सौ फीसदी सच है, अगर आपको भी कभी पिम्पल्स हुआ होगा तो आपने भी कुछ लगाया ही होगा. 

तो क्या सिर्फ़ किसी क्रीम से पिम्पल्स जा सकता है? तो जवाब है नहीं

आयुर्वेद का सिधान्त कहता है कि कील-मुहांसे और दाग धब्बों के लिए सिर्फ़ लगाने की दवा से नहीं होगा बल्कि खाने वाली दवा भी लेनी होगी. 

पिम्पल्स और दाग-धब्बों को दूर कर रूप निखारने वाली औषधि यौवनपीड़ीकान्तक टेबलेट और रूपसी उबटन के बारे में आज बताने वाला हूँ. इसमें एक खाने की दवा है तो दूसरी लगाने की.

यौवनपीड़ीकान्तक टेबलेट कील-मुहाँसों के मूलकारन को दूर कर खून साफ़ करती है और रूप निखारती है. 


रूपसी उबटन को फेसपैक की तरह चेहरे पर लगाना होता है दूध या गुलाब जल में पेस्ट बनाकर. 

बेहतरीन जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी शत प्रतिशत शुद्ध आयुर्वेदिक औषधि है यह जो न सिर्फ़ पिम्पल्स को जड़ से दूर कर देती है बल्कि रूप निखारकर गोरा बना देती है. 

यह दोनों ऑनलाइन अवेलेबल है जिसका लिंक दिया जा रहा है- 





05 जून 2019

Panduhari Capsule | पाण्डुहारी कैप्सूल- जौंडिस और खून की कमी की औषधि


खून की कमी, जौंडिस, पीलिया और लिवर बढ़ने जैसी बीमारियों का सबसे बेस्ट ट्रीटमेंट आयुर्वेद में ही है. इन्ही रोगों को दूर करने वाली औषधि पाण्डुहारी कैप्सूल के बारे में आज बताने वाला हूँ, तो आईये जानते हैं पाण्डुहारी कैप्सूल के गुण, उपयोग और प्रयोगविधि के बारे में विस्तार से - 

पाण्डुहारी कैप्सूल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है पाण्डु को हराने वाला कैप्सूल. शरीर में खून की कमी होने को ही आयुर्वेद में पाण्डु कहा जाता है. 

किसी भी कारण से शरीर में  खून की कमी होना, लम्बी बीमारी के बाद खून की कमी होना, जौंडिस होना, जौंडिस के कारण शरीर का पीला पड़ जाना, अवरोधक कामला या Obstructive Jaundice, भूख की कमी, लिवर का बढ़ जाना, सुजन, पेशाब का पीलापन इत्यादि समस्या होने पर इसके से आशानुरूप लाभ होता है. 

बस मोटे तौर पर यह समझ लीजिये कि खून की कमी, जौंडिस, शरीर के  पीलापन और पेशाब  पीला होने पर इसे आप आँख मूंदकर प्रयोग कर सकते हैं. 

हर तरह का हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, लिवर कैन्सर और ब्लड कैंसर इत्यादि में भी इसे सहायक औषधि के रूप में ले सकते हैं.

पाण्डुहारी कैप्सूल के घटक या कम्पोजीशन - 

सबसे पहले आपको बता दूँ कि इसमें गोमूत्र की भावना दी गयी है, जो लोग गोमूत्र से बनी औषधि नहीं लेना चाहें वो 'लिवट्रीट' टेबलेट प्रयोग कर सकते हैं.

पाण्डुहारी कैप्सूल के इनग्रीडेंट की बात करें तो इसे लौह भस्म, मंडूर भस्म, त्रिफला घनसत्व, चिरायता घनसत्व, गिलोय घनसत्व, पुनर्नवा घनसत्व, निम्ब घनसत्व और कुटकी घनसत्व के मिश्रण में गोमूत्र और गिलोय स्वरस की भावना देकर बनाया गया है. इसका कॉम्बिनेशन अपने आप में बेजोड़ है. कई लोग पतंजलि की नीम वटी, गुडूचीघन वटी त्रिफला चूर्ण इत्यादि पचीस तरह की दवा लेते हैं. पर उन सब से अच्छा है कि सिर्फ पाण्डुहारी कैप्सूल लीजिये और फिर चमत्कार देखिए

पाण्डुहारी कैप्सूल की मात्रा और सेवन विधि - 

एक से दो कैप्सूल तक सुबह-शाम पानी से. इसका सेवन करते हुवे भोजन के बाद अगर दो-दो स्पून कुमार्यासव + रोहित्कारिष्ट + पुनर्नवारिष्ट लिया जाये तो तेज़ी से लाभ होता है, और जहाँ अंग्रेज़ी दवा फेल हो गई हो वैसे रोगी भी स्वस्थ हो जाते हैं.

इसके 60 कैप्सूल की क़ीमत है सिर्फ़ 180 रुपया जो मिलेगा ऑनलाइन lakhaipur.in पर जिस लिंक दिया गया है - 


02 जून 2019

Arshantak Capsule & Arshhar Vati for Piles | बवासीर की रामबाण औषधि


अर्शान्तक कैप्सूल और अर्शहर वटी ख़ूनी और बादी दोनों तरह की बवासीर को निर्मूल करने वाली आयुर्वेदिक औषधि है.

ख़ूनी बवासीर में शौच के बाद रक्तस्राव होता है, इसे ब्लीडिंग पाइल्स भी कहा जाता है. जबकि बादी बवासीर में ब्लीडिंग नहीं होती है, पर इसमें ज़्यादा कष्ट होता है. मस्से दोनों तरह की बवासीर में हो सकते हैं. इन सब के बारे में ज़्यादा बताने की ज़रूरत नहीं, आप सभी इसके बारे में जानते ही हैं. 

अर्शान्तक कैप्सूल और अर्शहर वटी पाइल्स या बवासीर से मुक्ति दिलाने में सक्षम है. पाइल्स को आयुर्वेद में अर्श के नाम से जाना जाता है. ख़ूनी बवासीर को रक्तार्श और बादी बवासीर को वातार्श

दोनों तरह की बवासीर में अर्शान्तक कैप्सूल और अर्शहर वटी में से एक-एक सुबह-शाम गर्म पानी से लेना चाहिए.

इन दोनों के इस्तेमाल से ब्लीडिंग बंद हो जाती है और मस्से धीरे-धीरे सुख जाते हैं. यह मल ढीला करती है और कब्ज़ियत दूर करती है. 

अर्शान्तक कैप्सूल और अर्शहर वटी के कम्पोजीशन की डिटेल्स आप दिए गए लिंक ओपन कर पढ़ सकते हैं. दोनों का कॉम्बिनेशन बेजोड़ है, इतनी असरदार दवा कोई और नहीं. 

यह दोनों दवा ऑनलाइन अवेलेबल है lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है. अर्शान्तक कैप्सूल की कीमत है सिर्फ 180 रुपया और अर्शहर वटी सिर्फ 135 रुपया में उपलब्ध है. 


30 मई 2019

Punswan Capsule | पुंसवन कैप्सूल – पुत्र प्राप्ति की आयुर्वेदिक औषधि


आज मैं बताने वाला हूँ पुत्र प्राप्ति में मदद करने वाली आयुर्वेदिक औषधि पुंसवन कैप्सूल के बारे में. तो आईये इसके बारे में डिटेल्स जानते हैं - 

अगर कोई दम्पति चाहते हैं कि उनकी आने वाली संतान पुत्र या बेटा हो तो इस दवा इस्तेमाल करना चाहिए. यह औषधि आयुर्वेद के पुंसवन कर्म पर आधारित है जिसके प्रयोग से पुत्र प्राप्ति होती है. यह गर्भ में पल रहे शिशु का सम्यक पोषण करने में भी सहायक है. इसे कैप्सूल के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसे हर किसी को लेने में आसानी होती है.

मात्रा और प्रयोग विधि –

 Pregnancy का पता लगते ही यानी जब Pregnancy कन्फर्म हो जाये तो इसे एक-एक कैप्सूल सुबह-शाम गाय के दूध से लगातार तीन महीने तक लेना चाहिए. 

बस ध्यान रखें की दवा उल्टी न हो, अगर खाने के बाद किसी टाइम उल्टी हो जाये तो फिर एक कैप्सूल खा लेना चाहिए.

परहेज़- महिला को सुपाच्य आहार या आसानी से पचने वाले भोजन देना चाहिए. तले हुवे पदार्थ, खट्टी चीज़ें, अधीक मिर्च मसाला वाले भोजन से परहेज़ रखना चाहिए.

सैंकड़ों महिलाओं पर इसका प्रयोग कराकर अच्छी सफ़लता पायी गयी है, विश्वास के साथ प्रयोग करें. 

पुंसवन कैप्सूल के एक पैक की कीमत है सिर्फ 320 रुपया, एक पैक में 60 कैप्सूल हैं जो पुरे एक महीने के लिए हैं. इसे लगातार तीन महीने तक यूज़ करना है, तो एक साथ 3 पैक आर्डर कर लें. यह ऑनलाइन अवेलेबल है हमारे स्टोर www.lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है. 

पुंसवन कैप्सूल के साथ यदि 'पुंसवन योग' भी प्रयोग किया जाये तो पुत्र प्राप्ति की सम्भावना बढ़ जाती है. 



तो दोस्तों, अगर आप अपनी अगली संतान पुत्र के रूप में चाहते हैं तो पुंसवन कैप्सूल का प्रयोग अवश्य करें. आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति ज़रूर होगी, यह आयुर्वेद का वरदान है. 

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28 मई 2019

Kalmeghasava Benefits in Hindi | कालमेघासव के फ़ायदे


कालमेघासव आयुर्वेदिक औषधि है जो हर तरह के मलेरिया बुखार में प्रयोग की जाती है, यह लिवर और स्प्लीन बढ़ने में भी असरदार है तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं - 

कालमेघासव जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कालमेघ से बना हुवा आसव या एक तरह का सिरप. इसमें सिर्फ़ कालमेघ नहीं होता, बल्कि कालमेघ इसका मुख्य घटक है और इसमें कई तरह की दूसरी जड़ी-बूटियाँ भी होती हैं, तो सबसे पहले जानते हैं- 

कालमेघासव के घटक या कम्पोजीशन - 

इसे कालमेघ, गिलोय, सप्तपर्ण, कुटकी, करंज पञ्चांग, कुटज छाल, गुड़, धाय के फूल, लौह चूर्ण, रक्तरोहिड़ा त्वक, त्रिकटु, त्रिजात, एलुआ, हर्रे, बहेड़ा और बबूल की छाल के मिश्रण से आसव निर्माण विधि से सन्धान या Fermentation होने के बाद इसे बनाया जाता है. 

कालमेघासव के गुण - 

इसके गुणों की बात करें तो यह विषम ज्वर नाशक, Anti Malarial, Liver protective, Digestive, रक्त प्रसादक या Heamatemic जैसे कई तरह के गुणों से भरपूर होता है.

कालमेघासव के फ़ायदे - 


  • इसके इस्तेमाल से हर तरह की मलेरिया बुखार और ठण्ड लगकर आने वाली बुखार दूर होती है. 
  • मलेरिया पुराना होने पर लिवर-स्प्लीन बढ़ जाती है, अंग्रेज़ी दवाओं के साइड इफ़ेक्ट से खून की कमी, जौंडिस और भूख की कमी जैसी प्रॉब्लम भी हो जाती है, वैसी अवस्था में इसके सेवन से लाभ होता है. 
  • इसके सेवन से भूख बढ़ती है, खून की कमी दूर होती है. रस-रक्तादि धातुओं का शोधन कर यह बुखार हमेशा के लिए दूर कर देता है. 

कालमेघासव की मात्रा और सेवन विधि - 

15 से 30 ML तक रोज़ दो से तीन बार तक भोजन के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर लेना चाहिए. इसके साथ दुसरे ज्वरनाशक योग लेने से अच्छा लाभ मिलता है. 


24 मई 2019

प्रदरान्तक कैप्सूल/टेबलेट ल्यूकोरिया/सफ़ेद पानी की कारगर दवा | Leucorrhea Ayurvedic Medicines


महिलाओं की बीमारी ल्यूकोरिया को लोग कई तरह के नामों से जानते हैं जैसे सफ़ेद पानी आना, धात गिरना, श्वेत प्रदर/रक्त प्रदर इत्यादि. यह ऐसी बीमारी है जो शरीर में घुन की तरह लग जाता है जिस से महिलाओं का स्वास्थ ख़राब हो जाता है. इस बीमारी को जड़ से दूर करने के लिए कम से तीन तरह की दवाओं को साथ लेना चाहिए जिसे आज बता रहा हूँ – प्रदरान्तक कैप्सूल, प्रदरान्तक टेबलेट और पुष्यानुग चूर्ण. तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं – 

सबसे पहेल जानते हैं प्रदरान्तक कैप्सूल के बारे में. जैसा कि इसका नाम है प्रदर यानि ल्यूकोरिया का अंत करने वाला

प्रदरान्तक कैप्सूल का कम्पोजीशन – 

अशोक घनसत्व, उदम्बर घनसत्व, लोध्र घनसत्व, चौलाई घनसत्व, खरैटी घनसत्व, संगजराहत भस्म और स्फटिक भस्म जैसी बेजोड़ और असरदार औषधियों के मिश्रण से इसे  बनाया गया है. 

अब जानते हैं प्रदरान्तक टेबलेट के बारे में –

प्रदरान्तक टेबलेट के घटक या कम्पोजीशन –

इसके घटक भी ऑलमोस्ट सेम हैं प्रदरान्तक कैप्सूल जैसे. ल्यूकोरिया के लिए हिमालया लुकोल के बारे में मैंने बताया है जिस से अनेकों लोगों को फ़ायदा हुआ है, पुराने ल्यूकोरिया में अगर उस से फ़ायदा न हुआ हो तो यहाँ बताई दवाओं का प्रयोग करना चाहिए.

पुष्यानुग चूर्ण – 

यह एक पोपुलर क्लासिक मेडिसिन है जिसकी डिटेल यहाँ पढ़ सकते हैं. 

आईये अब जानते हैं इन औषधियों के फ़ायदे- 

सफ़ेद पानी या ल्यूकोरिया और लाल पानी में यह विशेष उपयोगी है. ल्यूकोरिया की वजह से होने वाले कमर दर्द, पीठ दर्द, हाथ-पैरों की जलन, लगातार रहने वाला सर दर्द, कमज़ोरी, खून की कमी, भूख की कमी इत्यादि रोग दूर होते हैं. 

इन दवाओं के सेवन से ल्यूकोरिया की बीमारी दूर होकर महिलाओं का स्वास्थ ठीक हो जाता है. 

नयी पुरानी हर तरह की बीमारी में इन दवाओं को साथ में लेना चाहिए.

अब जानते हैं इसकी मात्रा और प्रयोग विधि – 

प्रदरान्तक कैप्सूल एक-एक सुबह शाम पानी से. प्रदरान्तक टेबलेट एक-एक सुबह-शाम पानी से. पुष्यानुग चूर्ण एक स्पून शहद या चावल के धोवन से लेना चाहिए. भोजन के बाद चार स्पून पत्रांगासव भी लिया जाये तो अति उत्तम. 

ल्यूकोरिया के लिए तरह-तरह की दवा खाकर थक गए हों तो भी इन दवाओं के इस्तेमाल से बीमारी दूर हो जाती है. 

इन औषधियों का सेवन करते हुवे तेज़ मिर्च-मसाला, खटाई और गरिष्ठ भोजन का त्याग करना चाहिए. 

प्रदरान्तक कैप्सूल, प्रदरान्तक टेबलेट और पुष्यानुग चूर्ण तीनों दवा ऑनलाइन अवेलेबल है उचित मूल्य में हमारे स्टोर lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है. 

प्रदरान्तक कैप्सूल(180 rupya)

प्रदरान्तक टेबलेट(160 सिर्फ़ 160 रुपया)

पुष्यानुग चूर्ण 100 ग्राम(सिर्फ़ 146 रुपया)


20 मई 2019

Tarang Gold Massage Oil | तरंग गोल्ड मसाज आयल- पुरुषों के लिए



कई नवयुवक अप्राकृतिक कर्मों या फिर दूसरी वजह से नसों की कमजोरी, लिंग का ढीलापन, साइज़ का छोटापन और शीघ्रपतन जैसी कई तरह की प्रॉब्लम के शिकार हो जाते हैं और इसके लिए कई तरह के तेल और तिला का प्रयोग करते रहते हैं. अगर आपको किसी अच्छे और इफेक्टिव तेल की ज़रूरत है तो आज की जानकारी आपके लिए. जी हाँ दोस्तों, आज मैं  बताने वाला हूँ तरंग गोल्ड मसाज आयल के बारे में जो न सिर्फ़, नसों की कमज़ोरी और ढीलापन दूर करता है बल्कि साइज़ को भी बढ़ाने में मदद करता है, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं –

तरंग गोल्ड मसाज आयल मालिश के लिए बेहतरीन तेल है जो अपने क्वालिटी के हिसाब से चीप एंड बेस्ट है. इस से कमज़ोर कम्पोजीशन वाले तेल तो मार्केट में हज़ार रूपये में लुटने वाली कंपनियाँ बेच रही हैं.

इसे विशुद्ध आयुर्वेदिक प्रोसेस से तिल तेल के बेस पर मालकांगनी, अकरकरा, असगन्ध, जायफल, लौंग, कूठ, कुचला और दालचीनी जैसी असरदार औषधियों के मिश्रण से बनाया गया है.

तरंग गोल्ड मसाज आयल के फ़ायदे –

नसों की कमज़ोरी, ढीलापन, शीघ्रपतन, साइज़ का छोटापन और तनाव की कमी जैसी प्रॉब्लम में इस तेल की मालिश से स्थायी लाभ होता है.

समागम से दस मिनट पहले मालिश करने से पूर्ण आनन्द की प्राप्ति होती है.

तरंग गोल्ड मसाज आयल की प्रयोग विधि –

शिश्न के मणिभाग या ग्लान्स पेनिस को छोड़कर दो-तीन मिनट तक हल्की मालिश करनी चाहिए. मैरिड/अनमैरिड सभी लोग इसका प्रयोग कर सकते हैं. 

साइज़ का छोटापन और ढीलापन वाले युवकों को सुबह-शाम इसकी मालिश करनी चाहिए. पुरे फ़ायदे के लिए लगातार दो-तीन महीने तक प्रयोग करें. यह बिल्कुल सेफ़ होता है, किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है.

25 ML का दो पैक सिर्फ़ 175 रुपया में ऑनलाइन अवेलेबल है जिसका लिंक दिया गया है-