गोक्षुरादि चूर्ण ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जिसका कम्पोजीशन साधारण होते हुवे भी असरदार है. यह मर्दाना कमज़ोरी दूर कर बल-वीर्य और कामोत्तेजना को बढ़ाती है. तो आईये जानते हैं गोक्षुरादि चूर्ण का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से -
गोक्षुरादि चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन -
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें गोखरू के अलावा पांच चीजें होती हैं. गोखरू, तालमखाना, शतावर, कौंच बीज, नागबला और अतिबला.
बनाने का तरीका बहुत आसान है, सभी को बराबर वज़न में लेकर कूटपीसकर चूर्ण बना लिया जाता है. यह योगतरंगिणी नामक ग्रन्थ का नुस्खा है. गोक्षुरादि चूर्ण का दूसरा नुस्खा भी है जो महिलारोगों में प्रयोग किया जाता है, इस से बिल्कुल अलग होता है जो की भैषज्य रत्नावली का योग होता है. उसकी जानकारी फिर कभी दी जाएगी.
गोक्षुरादि चूर्ण के गुण -
यह मूत्रल यानि पेशाब साफ़ लाने वाला, बल-वीर्य बढ़ाने वाला, कामोत्तेजक, वीर्य गाढ़ा करने वाला, मेल हार्मोन Testosterone बढ़ाने वाला और बाजीकरण जैसे गुणों से भरपूर होता है.
गोक्षुरादि चूर्ण के फ़ायदे-
यौनेक्षा की कमी, वीर्य का पतलापन और शीघ्रपतन जैसे पुरुष यौन रोगों में इसका प्रयोग करने से अच्छा लाभ मिलता है.
अधीक मैथुन के कारन वीर्य का नाश का कर चुके व्यक्तियों को धैर्यपूर्वक इसका सेवन करना चाहिए.
यह स्ट्रेस को कम कर कामोत्तेजना और आनन्द बढ़ाता है.
गोक्षुरादि चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि -
2.5 से 5 ग्राम तक सोने से एक घंटा पहले मिश्री मिले दूध से लेना चाहिए. वीर्य का नाश कर चुके युवकों को इसे सुबह-शाम कुछ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुवे लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है.
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