कमज़ोर आदमी को शेर जैसी ताक़त देने वाली दवा है नारसिंह चूर्ण. यह वात रोगों को दूर करने वाली, बल-वीर्य बढ़ाने वाली और उत्तम बाजीकरण औषधि है जो बुढ़ापे के लक्षणों को दूर कर देती है. तो आइये जानते हैं नारसिंह चूर्ण के कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
नारसिंह चूर्ण के घटक एवम निर्माण विधि -
शतावर, धोये हुवे तिल, विदारीकन्द और गोखरू प्रत्येक 64-64 तोला, वराहीकन्द 80 तोला, गिलोय 100 तोला, शुद्ध भिलावा 128 तोला, चित्रकमूल छाल 40 तोला, दालचीनी, तेजपात और छोटी इलायची प्रत्येक 11-11 तोला और मिश्री 280 तोला.
बनाने का तरीका यह है कि सभी को कुटपिसकर कपडछन चूर्ण बनाकर एयर टाइट डब्बे में रख लें.
नारसिंह चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि -
तीन ग्राम इस चूर्ण को सुबह-शाम एक स्पून घी और दो स्पून शहद के साथ मिक्स कर खाएं और ऊपर से गाय का दूध पियें. यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. इसका सेवन करते हुवे दूध, घी और मक्खन मलाई ज़्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही इसे यूज़ करना चाहिए.
नारसिंह चूर्ण के फ़ायदे-
यह चूर्ण हर तरह के वात रोगों के असरदार है. यह उत्तम बलकारक, बाजीकरण और रसायन है.
काम शक्ति की कमी, आलस, कमज़ोरी, बल-वीर्य की कमी, नामर्दी, शुक्राणुओं की कमी जैसी पुरुषरोग दूर हो जाते हैं इस चूर्ण के प्रयोग से.
इस से पाचन शक्ति ठीक होती है और भूख बढ़ती है.
इसे आप आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
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