पंचामृत पर्पटी एक तरह की पपड़ी वाली दवा है जिसे स्पेशल तरीके से बनाया जाता है जिसमे केले के ताज़े पत्ते का इस्तेमाल होता है. पंचामृत पर्पटी के घटक या कम्पोजीशन - इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें शुद्ध पारा- 48 ग्राम, शुद्ध गंधक-96 ग्राम, अभ्रक भस्म-12 ग्राम, लौह भस्म-24 ग्राम और ताम्र भस्म- 12 ग्राम जैसी चीजें मिली होती हैं. पंचामृत पर्पटी निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को खरल में डालकर कज्जली बना लें. इसके बाद दुसरे भस्मों को मिक्स कर लोहे के बर्तन में डालकर पिघलने तक गर्म करना होता है. इसके बाद एक प्लेट में केले के ताज़े पत्ते के ऊपर पिघली हुयी दवा को डालकर फैला दें और ऊपर से केले का दूसरा पत्ता डालकर दबा दें. इस तरह से दवा फैलकर पपड़ी की तरह हो जाती है. ठंडा होने पर पीसकर रख लिया जाता है. पंचामृत पर्पटी के फ़ायदे- संग्रहणी, IBS और दस्त में ही इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है, और यह काफी असरदार भी है. दिन में कई बार पॉटी जाना, अपच और एसिडिटी में उचित अनुपान से लेने से अच्छा लाभ होता है. ब्लीडिंग वाले रोग जैसे खुनी बवासीर, नाक-मुंह से खून आना और रक्त प्रदर में भी इस से फायदा होता है. पंचामृत पर्पटी की मात्रा और सेवन विधि - 125mg से 375mg तक दिन में दो बार भुने हुवे जीरे के चूर्ण और शहद के साथ मिक्स चाटना चाहिए और ऊपर से छाछ पीना चाहिए. बैद्यनाथ के 10 ग्राम की क़ीमत 121 रुपया है जिसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - Panchamrit Parpati (10 grams)
आनन्ददा वटी क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो पुरुषों के बल, वीर्य, वर्ण और मैथुन शक्ति को बढ़ाती है. तो आईये जानते हैं आनन्ददा वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - आनन्ददा वटी के घटक या कम्पोजीशन- इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध अहिफेन, रस सिन्दूर प्रत्येक 10-10 ग्राम, उत्तम कस्तूरी, कपूर 3-3 ग्राम, काली मिर्च का चूर्ण 10 ग्राम, जायफल चूर्ण, जावित्री चूर्ण, केसर और शुद्ध हिंगुल प्रत्येक 6-6 ग्राम लेना होता है. आनन्ददा वटी निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले रस सिन्दूर को अच्छी तरह से खरल करने के बाद दूसरी चीजों को अच्छी तरह मिक्स कर खरलकर भाँग के पत्तों के रस की तीन भावना देने के बाद दो-दो रत्ती या 250mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. यही आनन्ददा वटी है, यह बनी बनाई मार्केट में नहीं मिलती है. कस्तूरी तो अब दुर्लभ है और अहिफेन भी बैन है. योग्य वैद्य ही इसे बना सकते हैं वैकल्पिक औषधियों के मिश्रण से.
आनन्ददा वटी की मात्रा और सेवन विधि - एक गोली सोने से एक घंटा पहले मलाई, दूध या फिर पान में पत्ते में रखकर खाना चाहिए. आनन्ददा वटी के फ़ायदे- इसके सेवन से पॉवर-स्टैमिना और लिबिडो बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है. बल, वीर्य की वृद्धि होती है और पाचक अग्नि भी बढ़ जाती है. शास्त्रों के अनुसार मैथुन से एक घंटा पहले एक गोली मलाई के साथ सेवन करने से पुरुष मदमस्त स्त्रियों के साथ इच्छानुसार रमण कर सकता है. वीर्य स्तम्भन और बल वृद्धि के लिए कुछ दिनों तक मलाई या दूध के साथ इसका सेवन करना चाहिए. यानी PE और ED के लिए यह एक इफेक्टिव दवा है.
पन्ना भस्म क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो एक तरह के पत्थर से बनायी जाती है. पन्ना को ही एमेराल्ड के नाम से जाना जाता है. पन्ना भस्म जो है दिमाग की बीमारी, अस्थमा, दिल की बीमारी, धड़कन, एसिडिटी, चक्कर, उल्टी, पेशाब की जलन और पेशाब के रोगों में असरदार है. तो आईये जानते हैं पन्ना भस्म के फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में पूरी डिटेल - पन्ना भस्म के घटक या कम्पोजीशन - इसके कम्पोजीशन की बात करें तो पन्ना नाम रत्न जो कि एक तरह का स्टोन है वही इसका मेन इनग्रीडेंट होता है. पन्ना हल्के हरे रंग का कीमती पत्थर होता है जिसे लोग अंगूठी में भी पहनते हैं. शोधन मारण जैसे आयुर्वेदिक प्रोसेस के बाद इसे अग्नि देकर भस्म बनाया जाता है. पन्ना भस्म के गुण - आयुर्वेदानुसार यह तासीर में सहित या ठंडा होता है. वात-पित्त नाशक, Antacid, Anti Emetic, Cardio protective और Digestive जैसे गुणों से भरपूर होता है. पन्ना भस्म के फ़ायदे - वैसे तो यह कई तरह की बीमारियों में असरदार है परन्तु आयुर्वेदिक डॉक्टर लोग इसे दिमाग की बीमारी, नर्वस सिस्टम की कमजोरी, पेशाब की प्रॉब्लम, धड़कन और हार्ट से रिलेटेड बीमारी, पित्त बढ़ने, उल्टी-चक्कर और पेट की बीमारियों के लिए ही यूज़ करते हैं.
पन्ना भस्म की मात्रा और सेवन विधि - 125mg सुबह शाम शहद से या फिर रोगानुसार उचित औषधि और अनुपान के साथ लेना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही सही डोज़ में यूज़ करें, नहीं तो सीरियस नुकसान भी हो सकता है.
कमज़ोर आदमी को शेर जैसी ताक़त देने वाली दवा है नारसिंह चूर्ण. यह वात रोगों को दूर करने वाली, बल-वीर्य बढ़ाने वाली और उत्तम बाजीकरण औषधि है जो बुढ़ापे के लक्षणों को दूर कर देती है. तो आइये जानते हैं नारसिंह चूर्ण के कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - नारसिंह चूर्ण के घटक एवम निर्माण विधि - शतावर, धोये हुवे तिल, विदारीकन्द और गोखरू प्रत्येक 64-64 तोला, वराहीकन्द 80 तोला, गिलोय 100 तोला, शुद्ध भिलावा 128 तोला, चित्रकमूल छाल 40 तोला, दालचीनी, तेजपात और छोटी इलायची प्रत्येक 11-11 तोला और मिश्री 280 तोला. बनाने का तरीका यह है कि सभी को कुटपिसकर कपडछन चूर्ण बनाकर एयर टाइट डब्बे में रख लें.
नारसिंह चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि - तीन ग्राम इस चूर्ण को सुबह-शाम एक स्पून घी और दो स्पून शहद के साथ मिक्स कर खाएं और ऊपर से गाय का दूध पियें. यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. इसका सेवन करते हुवे दूध, घी और मक्खन मलाई ज़्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही इसे यूज़ करना चाहिए. नारसिंह चूर्ण के फ़ायदे- यह चूर्ण हर तरह के वात रोगों के असरदार है. यह उत्तम बलकारक, बाजीकरण और रसायन है. काम शक्ति की कमी, आलस, कमज़ोरी, बल-वीर्य की कमी, नामर्दी, शुक्राणुओं की कमी जैसी पुरुषरोग दूर हो जाते हैं इस चूर्ण के प्रयोग से. इस से पाचन शक्ति ठीक होती है और भूख बढ़ती है. इसे आप आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
आज मैं बताऊंगा चाँदी यानी सिल्वर के बर्तन के फ़ायदे के बारे में. जी हाँ दोस्तों, आपने ज़रूर सुना होगा कि राजा-महाराजा लोग सोने-चाँदी के बर्तन में खाना खाया करते थे. आज भी राज घरानों में चाँदी के बर्तन का इस्तेमाल होता है. और यही नहीं बल्कि आपके घर में भी छोटे बचों को चाँदी के चम्मच और कटोरी से खाना खिलाया जाता है, पर क्यूँ? क्या आप जानते है? आईये यही सब आज के इस पोस्ट में जानते हैं- चाँदी का आयुर्वेद में बड़ा महत्त्व है, इसे शीतल यानी तासीर में ठण्डी, पित्त नाशक, दिल दिमाग को ताक़त देने वाला और टॉनिक माना गया है. तो आईये अब जानते हैं कि चाँदी के बर्तन में खाना खाने से क्या-क्या फ़ायदे मिल सकते हैं?
चाँदी के ग्लास में पानी पिने या चाँदी के बर्तन में खाना खाने से बॉडी को ठंडक मिलती है, बढ़ा हुवा पित्त दोष कम होता है. ज़्यादा गर्मी लगना और गुस्सा आने में फ़ायदा होता है.
चाँदी को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. यह बैक्टीरिया फ्री होता है और इन्फेक्शन से भी बचाता है.
चाँदी के बर्तन में खाना पकाने पर गर्म होने पर इसकी तासीर खाने में मिल जाती है, जिसे से चाँदी के गुण खाने में आते हैं और बॉडी को इसका फ़ायदा मिलता है.
अगर आप चाँदी के ग्लास में पानी या चाय-काफ़ी पिते हैं तो यह सर्दी-जुकाम होने से बचाता है, पित्त कम करता है जिस से एसिडिटी, बॉडी, हाथ-पैर की जलन में फ़ायदा होता है.
चांदी के बर्तन में खाना खाने से दिमाग को शांति और ताक़त मिलती है जिस से यादाश्त बढ़ती है और इस से आँखों को भी फ़ायदा होता है.
किसी भी चीज़ के बर्तन में ख़ासकर मेटल वाले बर्तन में अगर आप खाना खाते हैं तो उसका कुछ न कुछ हिस्सा आपके पेट जाता है और उसका असर ज़रूर होता है. इसी तरह से चाँदी के बर्तन का भी असर होता है. चाँदी एक बेहतरीन धातु है जो हेल्थ के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद है. पर ध्यान रहे, चाँदी प्योर होनी चाहिए तभी फ़ायदा होगा.
तो दोस्तों, अगर आपका बजट अलाव करता है तो चाँदी का कम से कम कप या ग्लास लाकर रोज़मर्रा के लिए इस्तेमाल कर फ़ायदा ले सकते हैं.
डॉ. और्थो का ऐड आपने टीवी पर ज़रूर देखा होगा, यह जोड़ों के दर्द, जोड़ों की सुजन, कन्धों का दर्द, मसल्स का दर्द जैसे हर तरह के दर्द में असरदार है. डॉ. और्थो जो है कैप्सूल, आयल और स्प्रे के रूप में अवेलेबल है. तो आईये जानते हैं डॉ. और्थो के कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में पूरी डिटेल - डॉ. और्थो का कम्पोजीशन - सबसे पहले जान लेते हैं डॉ. और्थो कैप्सूल के कम्पोजीशन के बारे में. डॉ. और्थो कैप्सूल जो है कुंदुरु, शुद्ध गुग्गुल, रास्ना, मेथी, सोंठ, अश्वगंधा, शुद्ध शिलाजीत और विषमुष्टि या कुचला जैसी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया गया है. इसमें मिलाई गई जड़ी-बूटियाँ दर्द, सुजन और जकड़न को दूर करने के जानी जाती हैं. जैसे शुद्ध गुग्गुल दर्द-सुजन के लिए बेजोड़ चीज़ है. रास्ना वात नाशक औषधि है. मेथी, सोंठ और अश्वगंधा दर्द, जकड़न, सुजन को दूर कर ब्लड फ्लो को बढ़ाती है. शिलाजीत ताक़त देता है और विषमुष्टि या कुचला दर्द दूर करता है और नर्व को शक्ति देता है. डॉ. और्थो आयल का कम्पोजीशन - डॉ. और्थो आयल के कम्पोजीशन की बात करें तो इसे आठ तरह के तेलों के मिश्रण से बनाया गया है. जैसे अलसी का तेल, कपूर तेल, पुदीना तेल, चीड़ तेल, गंधपुरा तेल, निर्गुन्डी तेल, ज्योतिष्मती तेल और तिल तेल निर्गुन्डी जो है वातरोग नाशक जानी-मानी औषधि है, इसका तेल दर्द दूर करने में असरदार है. इसके साथ पुदीना, कपूर, चिड और गंधपूरा या गन्धपूर्णा का मिश्रण इसे फ़ास्ट एक्टिंग बना देता है. डॉ. और्थो स्प्रे भी इसी तरह की दर्दनाशक दवाओं के मिश्रण से बनाया गया है. इसके तेल को जली-कटी स्किन और ज़ख्म पर नहीं लगाना चाहिए. जोड़ों का दर्द, सुजन, जकड़न और मसल्स के दर्द जैसी प्रॉब्लम में डॉ. और्थो कैप्सूल का सेवन करने और डॉ. और्थो आयल की मालिश से फ़ायदा होता है. पूरा लाभ के लिए कम से कम तीन महिना तक यूज़ करना चाहिए. एक से दो कैप्सूल सुबह शाम गर्म पानी या दूध से लेना चाहिए. तेल या स्प्रे से रोज़ दो-तीन बार मालिश करें. डॉ. और्थो के 30 कैप्सूल की क़ीमत 183 रुपया है, डॉ. और्थो आयल के 100ML की क़ीमत 295 रुपया है जबकि इसका स्प्रे 127 रुपया है, इसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -
नहाने के लिए मैं हिमालया नीम एंड टर्मेरिक सोप यूज़ करता हूँ जो कि इंडिया के अलावा दुसरे कई सारे देशों में भी मिल जाता है. यहाँ दुबई में तो यह हर जगह मिल जाता है. तो आईये जानते हैं हिमालया नीम एंड टर्मेरिक सोप के बारे में पूरी डिटेल - हिमालया का यह हर्बल प्रोडक्ट है और जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है हिमालया नीम एंड टर्मेरिक यानी नीम और हल्दी के मिश्रण से बना हुवा साबुन. नीम और हल्दी स्किन के लिए जानी मानी चीज़ है. नीम जो है ब्लड प्योरीफाई करने एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल एक्शन के लिए दुनियाभर में जानी जाती है. इफेक्टिव होने की वजह से ही इसे आयुर्वेद की कई सारी दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. टर्मेरिक या हल्दी को कौन नहीं जानता? खाना बनाने के लिए हर रोज़ किचन में इसका इस्तेमाल होता है. हल्दी स्किन को हेल्दी रखती है. दाग-धब्बे दूर करती है और नेचुरल एंटी बायोटिक की तरह भी काम करती है. हिमालया नीम एंड टर्मेरिक सोप में नीम की पत्ती का एक्सट्रेक्ट, नीम का तेल, हल्दी, निम्बू, वेजिटेबल आयल और सोप बेस वाली चीज़ें मिली होती हैं.
हिमालया नीम एंड टर्मेरिक सोप के फ़ायदे- इसके फ़ायदे की बात करें तो इसे नार्मल साबुन की तरह यूज़ कर सकते हैं. बॉडी में अगर किसी तरह का फ़ंगल इन्फेक्शन, खुजली, घमौरी, दाना वगैरह तो ज़रूर यूज़ करें. बारिश के इस मौसम में खुजली और इन्फेक्शन से बचने के लिए इसका इस्तेमाल करना अच्छा है. इसकी खुशबु भी अच्छी है, इस से नहाने के बाद बड़ा ही फ्रेश महसूस होता है. इसके 125 ग्राम के एक साबुन की क़ीमत 44 रुपया है. अमेज़न में इसके छह पैक की क़ीमत डिस्काउंट के साथ सिर्फ 212 रुपया है जिसे आप ऑनलाइन आर्डर कर मंगा सकते हैं, निचे दिए लिंक से -