शिरःशूलादि वज्र रस क्लासिक आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के सर दर्द को दूर करती है, चाहे सर दर्द किसी भी कारण से क्यूँ न हो. तो आईये जानते हैं शिरःशूलादि वज्र रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
शिरःशूलादि वज्र रस जैसा कि इसके नाम से पता चलता है शिरःशूल यानी सर दर्द को वज्र के समान दूर करने वाली रसायन औषधि. जिस तरह से वज्रपात से असुरों का नाश होता है, उसी तरह से इस दवा से सर दर्द या Headache का नाश होता है. इसे शिरःशुलाद्री वज्र रस भी कहा जाता है.
शिरःशूलादि वज्र रस के घटक या कम्पोजीशन-
यह रसायन औषधि है तो इसमें शुद्ध-पारा और शुद्ध गंधक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियां मिली होती हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है - शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, लौह भस्म, ताम्र भस्म प्रत्येक 40-40 ग्राम, त्रिफला 80 ग्राम, कुठ, यष्टिमधु, पीपल, सोंठ, गोक्षुर, विडंग, बिल्व, अग्निमन्था, श्योनका, गम्भारी, पाटला, शालपर्णी, पृष्णपर्णी, बृहती और कंटकारी प्रत्येक 10-10 ग्राम, शुद्ध गुग्गुल 160 ग्राम. भावना देने के लिए दशमूल क्वाथ और थोड़ी मात्रा में घी.
शिरःशूलादि वज्र रस निर्माण विधि -
बनाने के तरीका यह की सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को पत्थर के खरल डालकर कज्जली बना लें और दूसरी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स करें और भस्म वगैरह भी. अब इसमें दशमूल क्वाथ की दो-तीन भावना देने के बाद शुद्ध गुग्गुल मिक्स कर अच्छी तरह से घोंटकर हाथ में घी लगाकर चने के बराबर की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. यही शिरःशूलादि वज्र रस है. वैसे यह बना हुवा भी मिल जाता है. यह भैषज्य रत्नावली का योग है.
शिरःशूलादि वज्र रस के गुण -
आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष नाशक है. कफ़, पित्त और वात तीनों दोषों पर इसका असर होता है. शूलनाशक ख़ासकर सर दर्द दूर करने वाले गुणों से भरपूर होता है.
शिरःशूलादि वज्र रस के फ़ायदे -
हर तरह के सर दर्द के लिए यह बेहद असरदार दवा है. कफज, पित्तज, वातज, श्लैश्मिक या किसी भी वजह से होने वाले सर दर्द को दूर करती है.
अधकपारी, माईग्रेन, टेंशन वाला सर दर्द जैसे सर दर्द में फ़ायदा होता है.
ज़्यादा टेंशन, मानसिक थकान और मेंटल प्रेशर की वजह से होने वाले सर दर्द में भी असरदार है.
अपने एक्सपीरियंस की बात करूँ तो जितने लोगों को भी यह दवा दिया है, अच्छा रिजल्ट मिला है. पर सर दर्द के मूल कारण का भी उपचार होना चाहिए.
शिरःशूलादि वज्र रस की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो गोली तक सुबह शाम बकरी के दूध या शहद से. या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही डोज़ में उचित अनुपान से लेना चाहिए. कम उम्र के लोगों को भी दे सकते हैं पर आयु के अनुसार सही मात्रा होनी चाहिए. हैवी मेटल वाली दवा है, ग़लत डोज़ होने से नुकसान भी हो सकता है. इसे लगातार चार से छह वीक तक लिया जा सकता है.
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