पंचतिक्त घृत गुग्गुल क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है छोटे-बड़े, नए पुराने एक्जिमा, सोरायसिस और लेप्रोसी जैसे हर तरह के चर्मरोगों को दूर करता है. वातरक्त या गठिया, पाइल्स, फिश्चूला, ट्यूमर, ग्लैंड जैसी कई दूसरी बीमारियों में भी असरदार है. तो आईये जानते हैं पंचतिक्त घृत गुग्गुल क्या है? इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
पंचतिक्त घृत गुग्गुल भैषज्य रत्नावली का योग है जो कि घी के रूप में होती है. यह एक तरह की मेडिकेटेड घी वाली दवा है.
पंचतिक्त घृत गुग्गुल के घटक या कम्पोजीशन -
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है पंचतिक्त यानी पाँच तरह की तिक्त या कड़वी जड़ी-बूटियाँ घी और गुग्गुल ही इसका मेन इनग्रीडेंट है पर इसमें और भी दूसरी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं.
पंचतिक्त में आती है नीम की छाल, गिलोय, बांसा, पटोल-पत्र और छोटी कटेरी.
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है नीम की छाल, गिलोय, बांसा, पटोल-पत्र और छोटी कटेरी प्रत्येक चार-चार सौ ग्राम, पानी 25 लीटर, गाय का घी 1280 ग्राम,
शुद्ध गुग्गुल 200 ग्राम और पाठा, वायविडंग, देवदार, गजपीपल, सज्जीक्षार, यवक्षार, सोंठ, हल्दी, सौंफ़, चव्य, कूठ, मालकांगनी, काली मिर्च, इन्द्रजौ, जीरा, चित्रकमूल छाल, कुटकी, शुद्ध भिलावा, बच, पिपलामुल, मंजीठ, अतीस, हर्रे, बहेड़ा, आँवला और अजवाइन प्रत्येक 10-10 ग्राम लेना होता है.
पंचतिक्त घृत गुग्गुल निर्माण विधि -
बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले पंचतिक्त वाली पांच जड़ी-बूटियों को मोटा-मोटा कूटकर 25 लीटर पानी में डालकर क्वाथ बनायें. जब एक चौथाई पानी बचे तो घी, गुग्गुल और दूसरी जड़ी-बुटियों का चूर्ण मिक्स कर घृतपाक विधि से पकाने के बाद छान कर लिया जाता है. यही पंचतिक्त घृत गुग्गुल कहलाता है.
पंचतिक्त घृत गुग्गुल के गुण -
आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष को दूर करता है. विष नाशक यानि बॉडी से toxins को दूर करने वाला, रक्तदोष नाशक यानि ब्लड प्योरीफ़ायर, एंटी फंगल, एंटी लेप्रोसी, पाचक यानी Digestive सिस्टम को इम्प्रूव करने वाला और लिवर प्रोटेक्टिव जैसे गुणों से भरपूर है.
पंचतिक्त घृत गुग्गुल के फ़ायदे -
- रक्त दोष या खून की ख़राबी से होने वाली बीमारियों में इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है. यह खून को साफ़ करती है और शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर कर देती है.
- हर तरह के स्किन डिजीज फोड़े-फुंसी से लेकर एक्जिमा, सोरायसिस और कुष्ठव्याधि तक में यह बेहद असरदार है.
- वातरक्त यानी बड़ा ही कष्टकारी रोग जिसे गठिया, बाय, आर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द के नाम से जाना जाता है, उसमे भी यह असरदार है.
- हर तरह ट्यूमर, नाड़ीव्रण, ग्लैंड, पाइल्स, फिश्चूला और गण्डमाला जैसे रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
- इसे लॉन्ग टाइम तक लगातार इस्तेमाल करते रहने से बड़ी-बड़ी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं.
पंचतिक्त घृत गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि -
6 से 12 ग्राम तक सुबह शाम दूध या पानी से खाना के बाद लेना चाहिए या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही मात्रा और सही अनुपान से. यह बिलकुल सेफ़ दवा है सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
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