वैद्य जी की डायरी आज मैं बताने वाला हूँ गर्भधारण या प्रेगनेंसी रोकने वाले कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग के बारे में.
आयुर्वेद में इस तरह के कई सारे प्रयोग भरे पड़े हैं जिनका आसानी से यूज़ कर फ़ायदा ले सकते हैं. आयुर्वेद में इसे दो भाग में रखा गया है- पहला है पूर्व प्रयोग जिसे मोस्टली पीरियड के टाइम किया जाता है जिसे प्रेगनेंसी नहीं होती.
दूसरा होता है पश्चात् प्रयोग जिसे प्रेगनेंसी के बाद किया जाता है यानी एबॉर्शन वाला प्रयोग.
आज यहाँ पूर्व प्रयोग ही बताने वाला हूँ. यहाँ कुछ खाने वाले आसान से नुस्खे बता रहा हूँ -
- पीपल, वायविडंग और सुहागा इन तीनों को बराबर वज़न में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को एक स्पून रोज़ ख़ाली पेट ठन्डे पानी से पीरियड के दौरान चार दिनों तक लेने से गर्भ नहीं ठहरता है.
- कायफल, नागकेशर, कलौंजी, छोटी हर्रे, कला जीरा और कचूर सभी दस-दस ग्राम लेकर कूटपीसकर चूर्ण बना लें और पानी मिक्स कर खरलकर एक-एक ग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. इसे एक-एक गोली सुबह शाम पानी से 7 दिनों तक लेने से स्त्री को गर्भधारण नहीं होता है.
- तालिशपत्र और स्वर्णगैरिक दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर रख लें. अब इस चूर्ण को छह ग्राम रोज़ पानी से लेने से प्रेगनेंसी नहीं होती है.
- चित्रकमूल 12 ग्राम, सुहागा 12 ग्राम, हल्दी 1 ग्राम और काली मिर्च 2 ग्राम सभी को पीसकर 16 डोज़ बना लें. इसे एक-एक पुड़िया सुबह शाम गर्म पानी से पीरियड में लेने से प्रेगनेंसी नहीं होती है.
- ढाक के बीजों की राख को हींग के साथ सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता है.
दो दोस्तों ये थे प्रेगनेंसी रोकने वाले कुछ आसान से प्रयोग. अगले किसी विडियो के अस्थाई रूप से गर्भधारण रोकने वाले कुछ स्पेशल योग की जानकारी दूंगा.
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