वैद्य जी की डायरी आज मैं बताने वाला हूँ गर्भधारण या प्रेगनेंसी रोकने वाले कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग के बारे में. आयुर्वेद में इस तरह के कई सारे प्रयोग भरे पड़े हैं जिनका आसानी से यूज़ कर फ़ायदा ले सकते हैं. आयुर्वेद में इसे दो भाग में रखा गया है- पहला है पूर्व प्रयोग जिसे मोस्टली पीरियड के टाइम किया जाता है जिसे प्रेगनेंसी नहीं होती. दूसरा होता है पश्चात् प्रयोग जिसे प्रेगनेंसी के बाद किया जाता है यानी एबॉर्शन वाला प्रयोग. आज यहाँ पूर्व प्रयोग ही बताने वाला हूँ. यहाँ कुछ खाने वाले आसान से नुस्खे बता रहा हूँ -
पीपल, वायविडंग और सुहागा इन तीनों को बराबर वज़न में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को एक स्पून रोज़ ख़ाली पेट ठन्डे पानी से पीरियड के दौरान चार दिनों तक लेने से गर्भ नहीं ठहरता है.
कायफल, नागकेशर, कलौंजी, छोटी हर्रे, कला जीरा और कचूर सभी दस-दस ग्राम लेकर कूटपीसकर चूर्ण बना लें और पानी मिक्स कर खरलकर एक-एक ग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. इसे एक-एक गोली सुबह शाम पानी से 7 दिनों तक लेने से स्त्री को गर्भधारण नहीं होता है.
तालिशपत्र और स्वर्णगैरिक दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर रख लें. अब इस चूर्ण को छह ग्राम रोज़ पानी से लेने से प्रेगनेंसी नहीं होती है.
चित्रकमूल 12 ग्राम, सुहागा 12 ग्राम, हल्दी 1 ग्राम और काली मिर्च 2 ग्राम सभी को पीसकर 16 डोज़ बना लें. इसे एक-एक पुड़िया सुबह शाम गर्म पानी से पीरियड में लेने से प्रेगनेंसी नहीं होती है.
ढाक के बीजों की राख को हींग के साथ सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता है.
दो दोस्तों ये थे प्रेगनेंसी रोकने वाले कुछ आसान से प्रयोग. अगले किसी विडियो के अस्थाई रूप से गर्भधारण रोकने वाले कुछ स्पेशल योग की जानकारी दूंगा.
पंचतिक्त घृत गुग्गुल क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है छोटे-बड़े, नए पुराने एक्जिमा, सोरायसिस और लेप्रोसी जैसे हर तरह के चर्मरोगों को दूर करता है. वातरक्त या गठिया, पाइल्स, फिश्चूला, ट्यूमर, ग्लैंड जैसी कई दूसरी बीमारियों में भी असरदार है. तो आईये जानते हैं पंचतिक्त घृत गुग्गुल क्या है? इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - पंचतिक्त घृत गुग्गुल भैषज्य रत्नावली का योग है जो कि घी के रूप में होती है. यह एक तरह की मेडिकेटेड घी वाली दवा है. पंचतिक्त घृत गुग्गुल के घटक या कम्पोजीशन - जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है पंचतिक्त यानी पाँच तरह की तिक्त या कड़वी जड़ी-बूटियाँ घी और गुग्गुल ही इसका मेन इनग्रीडेंट है पर इसमें और भी दूसरी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं. पंचतिक्त में आती है नीम की छाल, गिलोय, बांसा, पटोल-पत्र और छोटी कटेरी. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है नीम की छाल, गिलोय, बांसा, पटोल-पत्र और छोटी कटेरी प्रत्येक चार-चार सौ ग्राम, पानी 25 लीटर, गाय का घी 1280 ग्राम, शुद्ध गुग्गुल 200 ग्राम और पाठा, वायविडंग, देवदार, गजपीपल, सज्जीक्षार, यवक्षार, सोंठ, हल्दी, सौंफ़, चव्य, कूठ, मालकांगनी, काली मिर्च, इन्द्रजौ, जीरा, चित्रकमूल छाल, कुटकी, शुद्ध भिलावा, बच, पिपलामुल, मंजीठ, अतीस, हर्रे, बहेड़ा, आँवला और अजवाइन प्रत्येक 10-10 ग्राम लेना होता है. पंचतिक्त घृत गुग्गुल निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले पंचतिक्त वाली पांच जड़ी-बूटियों को मोटा-मोटा कूटकर 25 लीटर पानी में डालकर क्वाथ बनायें. जब एक चौथाई पानी बचे तो घी, गुग्गुल और दूसरी जड़ी-बुटियों का चूर्ण मिक्स कर घृतपाक विधि से पकाने के बाद छान कर लिया जाता है. यही पंचतिक्त घृत गुग्गुल कहलाता है. पंचतिक्त घृत गुग्गुल के गुण - आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष को दूर करता है. विष नाशक यानि बॉडी से toxins को दूर करने वाला, रक्तदोष नाशक यानि ब्लड प्योरीफ़ायर, एंटी फंगल, एंटी लेप्रोसी, पाचक यानी Digestive सिस्टम को इम्प्रूव करने वाला और लिवर प्रोटेक्टिव जैसे गुणों से भरपूर है.
पंचतिक्त घृत गुग्गुल के फ़ायदे -
रक्त दोष या खून की ख़राबी से होने वाली बीमारियों में इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है. यह खून को साफ़ करती है और शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर कर देती है.
हर तरह के स्किन डिजीज फोड़े-फुंसी से लेकर एक्जिमा, सोरायसिस और कुष्ठव्याधि तक में यह बेहद असरदार है.
वातरक्त यानी बड़ा ही कष्टकारी रोग जिसे गठिया, बाय, आर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द के नाम से जाना जाता है, उसमे भी यह असरदार है.
हर तरह ट्यूमर, नाड़ीव्रण, ग्लैंड, पाइल्स, फिश्चूला और गण्डमाला जैसे रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
इसे लॉन्ग टाइम तक लगातार इस्तेमाल करते रहने से बड़ी-बड़ी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं.
पंचतिक्त घृत गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि - 6 से 12 ग्राम तक सुबह शाम दूध या पानी से खाना के बाद लेना चाहिए या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही मात्रा और सही अनुपान से. यह बिलकुल सेफ़ दवा है सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
एक्यूमास ग्रेनुल्स और कैप्सूल वज़न बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवा है जिस से दुबलापन दूर होकर वज़न बढ़ जाता है. यह बच्चे और बड़े सभी लोगों के लिए असरदार है. इसका एक सेट आपमें से किसी एक को बिल्कुल फ्री में देने वाला हूँ, तो आईये आज के इस विडियो में जानते हैं इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - एक्यूमास जो है जड़ी-बूटियों से बनी पूरी तरह से आयुर्वेदिक दवा है. यह ग्रेनुल्स और कैप्सूल दोनों रूप में अवेलेबल है, अच्छे रिजल्ट के लिए दोनों का इस्तेमाल करना होता है.
एक्यूमास ग्रेनुल्स का कम्पोजीशन - इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - अश्वगंधा, सेब, कदली या केला, शतावरी, खजूर, आँवला, गोक्षुर, द्राक्षा, विदारीकंद, वराहीकन्द, सोंठ, मिर्च, पीपल, दालचीनी, जीरा और मुसली जैसी 18 तरह की जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं. एक्यूमास कैप्सूल का कम्पोजीशन - इसमें अश्वगंधा, आँवला, गोक्षुर, शतावर, पिप्पली, जीरा, विडंग, यष्टिमधु, विदारीकन्द, सेब और द्राक्षा जैसी 11 तरह की चीज़ें मिली होती हैं.
एक्यूमास के फ़ायदे-
जड़ी-बुटियों के कॉम्बिनेशन से बनी यह दवा एक हेल्थ सप्लीमेंट है और वेट गेनर का काम करती है.
इसमें मिलाई गयी जड़ी-बूटियाँ शरीर के मेटाबोलिज्म को सही करती हैं जिस से बॉडी के ऑर्गन सही से काम करते हैं, Digestion ठीक होता है और खाया पिया शरीर को लगता है.
जिम जाने वाले और एक्सरसाइज करने वाले लोगों के लिए भी यह एक असरदार सप्लीमेंट है.
कुल मिलाकर बस समझ लीजिये कि वेट गेन करने या वज़न बढ़ाने की यह एक अच्छी दवा है जो बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के काम करती है. एक्यूमास का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका - एक से दो स्पून या 20 ग्राम तक एक ग्लास गुनगुने दूध में मिक्स कर सुबह शाम लेना चाहिए. इसके साथ एक्यूमास कैप्सूल भी एक-एक सुबह शाम लें. यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. कम उम्र के लोगों को उनकी उम्र के अनुसार सही डोज़ में देना चाहिए. इसे लड़का-लड़की, महिला-पुरुष सभी लोग यूज़ कर सकते हैं. पूरा फ़ायदा के लिए कम से कम तीन महिना या पूरा लाभ होने तक यूज़ करना ही चाहिए. इसके 500 ग्राम के ग्रेनुल्स की क़ीमत 580 रुपया है जबकि इसके 60 कैप्सूल की क़ीमत 336 रुपया है. इसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं विडियो की डिस्क्रिप्शन में दिए लिंक से -
गर्भ चिंतामणि रस स्वर्णयुक्त क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो महिला रोगों को दूर करती है. यह ल्यूकोरिया और प्रेगनेंसी में होने वाली कई तरह की बीमारियों में असरदार है. तो आईये जानते हैं गर्भ चिंतामणि रस का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - गर्भ चिंतामणि रस के घटक या कम्पोजीशन - इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, स्वर्णभस्म, लौह भस्म, रजत भस्म, माक्षिक भस्म, शुद्ध हरताल, वंग भस्म और अभ्रक भस्म. भावना देने के लिए ब्राह्मी, वासा, भृंगराज, पर्पटाका और दशमूल भी चाहिए होता है.
गर्भ चिंतामणि रस निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह होता है सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक की कज्जली बनाकर दुसरे भस्मों को मिक्स कर अच्छी तरह से घुटाई कर ब्राह्मी, वासा और भृंगराज के रस की सात-सात भावना दें और पर्पटाका और दशमूल क्वाथ की भी सात-सात भावना देखर 250mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. यही गर्भ चिंतामणि रस है. इस गर्भ चिंतामणि रस वृहत के नाम से भी जाना जाता है. यह वात और पित्त दोष को बैलेंस करती है.
गर्भ चिंतामणि रस के फ़ायदे - महिला रोगों के लिए यह हाई क्लास की दवा है सोना-चाँदी जैसे कीमती चीज़ों से बनी होने से. हैवी ब्लीडिंग, लेस ब्लीडिंग, पेशाब की जलन, इन्फेक्शन, ल्यूकोरिया, सूतिका रोग और प्रेगनेंसी में होने वाली Complication में असरदार है. यह गर्भस्थ शिशु को पोषण देती है जिस से स्वस्थ शिशु का जन्म होता है. गर्भ चिंतामणि रस की मात्रा और सेवन विधि - एक-एक गोली सुबह शाम शहद से. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. हैवी मेटल वाली दवा है, ग़लत डोज़ होने या सूट नहीं करने पर सीरियस नुकसान हो सकता है. सही डोज़ में और कम समय तक ही इसका इस्तेमाल किया जाता है.
इयोवा तेल नेचुरल हेयर आयल है जो बालों को झड़ना रोकता है, रुसी या Dandruff दूर करता है, बालों को काला, घना और मज़बूत बनाता है. साथ ही बालों को समय से पहले सफ़ेद होने से बचाता है. इसे मैंने यूज़ कर काफ़ी इफेक्टिव पाया है. तो आईये जानते हैं इयोवा आयल क्या है? और जानेंगे इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - अगर आप बालों की किसी भी प्रॉब्लम से परेशान हैं और तरह-तरह के आयल लगाकर थक चुके हैं तो आपकी समस्या का समाधान है- इयोवा आयल सबसे पहले जान लेते हैं कि इयोवा आयल है क्या चीज़? इयोवा आयल अण्डों से बना तेल है जो की 100% नेचुरल है. इसके 50ML तेल को बनाने के लिए 20 अण्डों का इस्तेमाल किया गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें एग आयल, कैनोला आयल और खुशबु का मिश्रण होता है. लाखों डॉलर खर्च करने के बाद कोल्ड प्रेस्ड टेक्नोलॉजी से अण्डों का तेल निकालकर इस प्रोडक्ट को बनाया गया है जो बालों के लिए 100% इफेक्टिव है. Biotin, ओमेगा 2 & 6, गुड कोलेस्ट्रॉल, एंटी ऑक्सीडेंट और Immunoglobulins जैसे ज़रूरी पोषक तत्व इसमें पाए जाते हैं तो बालों की हर समस्या को दूर करने में सक्षम हैं.
इयोवा आयल के फ़ायदे- बालों का गिरना, बालों की जड़ें कमज़ोर होना, रुसी, बालों का रूखापन, दोमुहें बाल होना, बालों का सफ़ेद होना जैसी बालों को प्रॉब्लम को दूर करता है. अगर आपके बाल झड़ रहे हैं और समय से पहले सफ़ेद हो रहे हैं और आप गंजा होने से बचना चाहते हैं तो इयोवा आयल का इस्तेमाल शुरू कर दें. इस तेल के बारे में पहले मैंने भी सुना था और सोचा कि क्यूँ न पहले इसे टेस्ट कर लूँ इसके बाद आपको बताऊँ. इसकी एक बोतल मैंने एक भाई को कुछ दिन पहले दिया यूज़ करने के लिए जिनके बाल लगभग आधे झड़ चुके हैं. पहले हफ्ते में ही उनका हेयर फॉल कण्ट्रोल हो गया और जैसा इसका रिजल्ट है दो-तीन महीने में उनके बाल घने हो जायेंगे. वाकई में यह कमाल का तेल है. एग आयल होने के बावजूद इसमें अंडे की कोई गंध नहीं है, बल्कि इसकी खुशबू अच्छी है और चिपचिपा भी नहीं है. अपने देश में बालों की समस्या तो है ही यहाँ दुबई या फिर सऊदी, क़तर, बहरीन जैसे कोई भी गल्फ़ कंट्री में हेयर फॉल की प्रॉब्लम की ज़्यादा है क्योंकि यहाँ के पानी में क्लोरीन मिला होता है. तो दोस्तों, आप पुरुष हों या महिला, बच्चे हों या बड़े इस तेल का इस्तेमाल कीजिये और बालों को काला, घाना और मज़बूत बनाइये.
इयोवा आयल यूज़ कैसे करें? इयोवा आयल को बालों की जड़ों में हाथों की उँगलियों से अच्छी तरह से लगायें. कम से कम तीन घंटा लगा रहने के बाद शैम्पू से सर धों लें. या फिर रात में सोने से पहले इस तेल को लगा लें और सुबह शैम्पू कर लें. कोई भी हर्बल शैम्पू या फिर अपनी पसंद का शैम्पू यूज़ कर सकते हैं. यह खुशबूदार तेल है, इसे लगाकर काम पर भी जा सकते हैं. इसे हफ़्ते में तीन बार यूज़ करें और पुरे फ़ायदे के लिए कम से कम लगातार तीन महीने तक इस्तेमाल करें और फिर चमत्कार देखें. इसके 50ML की क़ीमत है सिर्फ 590 रूपये जिसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से, अभी आर्डर कीजिये और इस्तेमाल शुरू कीजिये.
मरिच्यादी तेल आयुर्वेदिक तेल है जो हर तरह की स्किन प्रॉब्लम में असरदार है. यह खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी से लेकर, दाद-एक्जिमा, सफ़ेद दाग, सोरायसिस से लेकर कुष्ठ व्याधि तक में असरदार है. तो आईये जानते हैं मरिच्यादी तेल का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - मरिच्यादी तेल के घटक या कम्पोजीशन - इसे पीले सरसों के तेल बेस पर कई तरह की जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाया जाता है. इसमें सरसों तेल के अलावा वत्सनाभ, काली मिर्च, हरताल, मैन्शील, मोथा, कनेर, अर्क क्षीर, जटामांसी, त्रिवृत, विशाला, कुष्ठ, हल्दी, दारूहल्दी, देवदार, सफ़ेद चन्दन, गोमय और गोमूत्र जैसी चीज़ों का मिश्रण होता है. एक दूसरी दवा महा मरिच्यादी तेल भी है जिसका कम्पोजीशन थोड़ा अलग है, उसमे इन सभी चीज़ों के अलावा दूसरी कई और चीज़े मिली होती हैं, उसका फ़ायदा भी इस से कहीं ज़्यादा होता है. उसकी जानकारी भी जल्द दी जाएगी.
मरिच्यादी तेल के गुण - आयुर्वेदानुसार यह चर्मरोग नाशक है. इसमें एन्टी सेप्टिक, एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इचिंग जैसे गुण पाए जाते हैं. मरिच्यादी तेल फ़ायदे - चर्मरोगों या स्किन डिजीज में एक्सटर्नल यूज़ करने वाली यह जानी-मानी दवा है. खुजली, फंगल इन्फेक्शन, दाद-दिनाय या एक्जिमा और सोरायसिस में इसे लगाया जाता है. सफ़ेद दाग या ल्यूकोडर्मा में भी असरदार है. रस माणिक्य और गंधक रसायन के साथ इसे लगाने से सफ़ेद दाग दूर होता है. फोड़े-फुंसी और ज़ख्म में इस तेल की ड्रेसिंग करने से अच्छा फायदा होता है. बस कुल मिलाकर समझ लीजिये हर तरह की स्किन प्रॉब्लम के लिए यह एक असरदार दवा है.
इसे लगाने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोना चाहिए क्यूंकि यह वत्सनाभ, मैन्शील और हरताल जैसी ज़हरीले चीजों से बनी दवा है. इसे आँखों में लगने से बचाएं और मुंह में नहीं जानी चाहिए. आयुर्वेदिक कंपनियों की यह मिल जाती है इसे आप ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं, निचे दिए लिंक से-
पेट सफ़ा कब्ज़ या Constipation को दूर करने वाली आयुर्वेदिक दवा है जिसका ऐड आपने टीवी पर ज़रूर देखा होगा. तो आईये आज के इस विडियो में जानेंगे कि यह दवा कैसी है? और जानेंगे इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - पेट सफ़ा एक प्रॉपरायट्री आयुर्वेदिक प्रोडक्ट है जो कब्ज़ और गैस को दूर करता है और पाचन शक्ति को इम्प्रूव करता है. पेट सफ़ा का कम्पोजीशन-
यह जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी दवा है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - सनाय की पत्ती, काला नमक, अजवाइन, इसबगोल, त्रिफला, सेंधा नमक, सज्जीक्षार, अमलतास का गूदा, सौंफ़, सोंठ, निशोथ, जीरा और एरंड तेल मिलाकर बनाया गया है.
सनाय की पत्ती, त्रिफला, इसबगोल और अमलतास का गूदा कब्ज़ को दूर करने वाली आयुर्वेद की जानी औषधियां हैं जिन्हें सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है.
पेट सफ़ा के औषधिय गुण - इसके गुणों की बात करें तो यह रेचक यानि Laxative, अनुलोमन यानि पेट से गैस और मल को बाहर करने वाला, पाचक यानि Digestive जैसे गुणों से भरपूर है. पेट सफ़ा के फ़ायदे- कब्ज़ को दूर करने की यह पॉपुलर दवाओं में से एक है. पेट साफ़ नहीं होना, गैस, मल कड़ा होना जैसी प्रॉब्लम में इसका इस्तेमाल करना चाहिए. यह कब्ज़ को दूर करता है और पाचन शक्ति को इम्प्रूव करता है. कब्ज़ की वजह से होने वाले रोग जैसे पाइल्स और एनल फिशर में भी फ़ायदेमंद है.
पेट सफ़ा की डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका- 5 से 10 ग्राम तक या फिर एक से दो स्पून तक सोने से पहले रोज़ रात में एक बार गुनगुने पानी से लेना चाहिए. इसकी टेबलेट लेनी हो तो दो टेबलेट रोज़ एक बार गुनगुने पानी से लेना चाहिए. बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार कम डोज़ में देना चाहिए.
पेट सफ़ा के साइड इफेक्ट्स- वैसे तो यह सेफ़ दवा है, सही डोज़ में लेने से कोई नुकसान नहीं होता. पेट में ऐंठन, हल्का दर्द और दस्त की समस्या हो सकती है ग़लत डोज़ होने से. प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल न करें. सनाय की मिला होने से लॉन्ग टाइम तक यूज़ न करें, नहीं तो इसकी आदत भी पड़ सकती है. हाई BP और बॉडी में Pottasium की अधीक मात्रा हो तो इसका यूज़ न करें. इसके 120gm के ग्रेनुल्स के दो पैक की क़ीमत है 156 रुपया और इसके 30 टेबलेट के 2 पैक की क़ीमत है 140 रुपया अमेज़न में. इसे घर बैठे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -
लीलाविलास रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो गैस्ट्रिक और पित्त रोगों में असरदार है. तो आईये जानते हैं लीलाविलास रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - लीलाविलास रस के घटक या कम्पोजीशन- रसायन औषधि होने से इसमें शुद्ध पारा, गंधक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियां भी होती हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें- शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म, वंशलोचन, हर्रे, बहेड़ा, आंवला और भृंगराज के रस का मिश्रण होता है. लीलाविलास रस के गुण - आयुर्वेदानुसार यह पित्तशामक है, पित्त दोष को बैलेंस करता है. यह Antacid, पाचक या Digestive और लिवर प्रोटेक्टिव जैसे गुणों से भरपूर होता है.
लीलाविलास रस के फ़ायदे- पाचन तंत्र या Digestive System की बीमारियों के लिए यह असरदार दवा है. इसके इस्तेमाल से सीने की जलन, हाइपर एसिडिटी, गैस्ट्रिक, पेट की सुजन, उल्टी, बदहज़मी जैसी प्रॉब्लम दूर होती है. लिवर के फंक्शन को सही करता है, भूख बढ़ाता है. इसके अलावा पेशाब की कमी और पेशाब की तकलीफ़ में भी इस से फ़ायदा होता है.
लीलाविलास रस की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक शहद के साथ खाना के पहले या बाद लेना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. हैवी मेटल वाली रसायन औषधि है, ग़लत डोज़ होने से नुकसान भी हो सकता है. प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल न करें. बैद्यनाथ के 40 टेबलेट की क़ीमत 122 रुपया है ऑनलाइन में.
बायो कॉम्बिनेशन 21 होमियो बायोकेमीक साल्ट है जो छोटे बच्चों के दांत निकलने के समय होने वाली परेशानियों को दूर करता है. Teething Troubles दूर करने वाली दवा के नाम से भी इसे जाना जाता है. तो आईये जानते हैं बायो कॉम्बिनेशन 21 का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - बायो कॉम्बिनेशन 21 का कम्पोजीशन - इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें दो तरह के बायो केमीक साल्ट होते हैं - Ferrum Phos. 3x और Calcarea Phos. 3x इसमें मिलाई गयी दोनों दवाएँ अपने आप में बेजोड़ हैं जो कई तरह के लक्षणों को दूर करने में सक्षम हैं. बायो कॉम्बिनेशन 21 के फ़ायदे- जैसा कि आप सभी जानते हैं छोटे बच्चों को दांत निकलने से पहले और दांत निकलने के दौरान कई तरह की प्रॉब्लम होती है जैसे सर्दी-खाँसी, बुखार, उल्टी, हरे पीले दस्त, मसूड़ों की सुजन, पेट की ख़राबी, पेट दर्द, चिडचिडापन, बेचैनी जैसी प्रॉब्लम पाई जाती है. इस तरह की प्रॉब्लम में बायो कॉम्बिनेशन 21 काफ़ी असरदार है. इसका इस्तेमाल करने से बच्चों के दांत आसानी से निकल जाते हैं. अगर दांत निकलने से पहले इसे लगातार दिया जाये तो किसी तरह की समस्या नहीं होने देता है. नहीं तो एलोपैथ वाले तरह-तरह के एंटीबायोटिक और इंजेक्शन देते हैं ऐसी कंडीशन में. यह हाजमा ठीक करता है और भूख बढ़ाता है. कुल मिलाकर बस इतना समझ लीजिये की दांत निकलने के टाइम बच्चों को होने वाली हर तरह की परेशानियों के लिए यह एक बेहतरीन दवा है जो बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के काम करती है. सिर्फ़ बच्चे ही नहीं बल्कि बड़ों के दांत की प्रॉब्लम में भी इस से फ़ायदा होता है. बायो कॉम्बिनेशन 21 का डोज़ - दो टेबलेट हर तीन घंटे पर यानी रोज़ चार बार देना चाहिए. बड़ों को चार टेबलेट चार बार. यह मीठी दवा है, बच्चे बिना किसी परेशानी के खा लेते हैं. इसे स्पून में डालकर थोड़ा पानी मिक्स कर भी दे सकते हैं. SBL के 25 ग्राम के पैक की क़ीमत क़रीब 85 रुपया है ऑनलाइन में.
शिरःशूलादि वज्र रस क्लासिक आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के सर दर्द को दूर करती है, चाहे सर दर्द किसी भी कारण से क्यूँ न हो. तो आईये जानते हैं शिरःशूलादि वज्र रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - शिरःशूलादि वज्र रस जैसा कि इसके नाम से पता चलता है शिरःशूल यानी सर दर्द को वज्र के समान दूर करने वाली रसायन औषधि. जिस तरह से वज्रपात से असुरों का नाश होता है, उसी तरह से इस दवा से सर दर्द या Headache का नाश होता है. इसे शिरःशुलाद्री वज्र रस भी कहा जाता है. शिरःशूलादि वज्र रस के घटक या कम्पोजीशन- यह रसायन औषधि है तो इसमें शुद्ध-पारा और शुद्ध गंधक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियां मिली होती हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है - शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, लौह भस्म, ताम्र भस्म प्रत्येक 40-40 ग्राम, त्रिफला 80 ग्राम, कुठ, यष्टिमधु, पीपल, सोंठ, गोक्षुर, विडंग, बिल्व, अग्निमन्था, श्योनका, गम्भारी, पाटला, शालपर्णी, पृष्णपर्णी, बृहती और कंटकारी प्रत्येक 10-10 ग्राम, शुद्ध गुग्गुल 160 ग्राम. भावना देने के लिए दशमूल क्वाथ और थोड़ी मात्रा में घी.
शिरःशूलादि वज्र रस निर्माण विधि - बनाने के तरीका यह की सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को पत्थर के खरल डालकर कज्जली बना लें और दूसरी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स करें और भस्म वगैरह भी. अब इसमें दशमूल क्वाथ की दो-तीन भावना देने के बाद शुद्ध गुग्गुल मिक्स कर अच्छी तरह से घोंटकर हाथ में घी लगाकर चने के बराबर की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. यही शिरःशूलादि वज्र रस है. वैसे यह बना हुवा भी मिल जाता है. यह भैषज्य रत्नावली का योग है. शिरःशूलादि वज्र रस के गुण - आयुर्वेदानुसार यह त्रिदोष नाशक है. कफ़, पित्त और वात तीनों दोषों पर इसका असर होता है. शूलनाशक ख़ासकर सर दर्द दूर करने वाले गुणों से भरपूर होता है. शिरःशूलादि वज्र रस के फ़ायदे - हर तरह के सर दर्द के लिए यह बेहद असरदार दवा है. कफज, पित्तज, वातज, श्लैश्मिक या किसी भी वजह से होने वाले सर दर्द को दूर करती है. अधकपारी, माईग्रेन, टेंशन वाला सर दर्द जैसे सर दर्द में फ़ायदा होता है. ज़्यादा टेंशन, मानसिक थकान और मेंटल प्रेशर की वजह से होने वाले सर दर्द में भी असरदार है. अपने एक्सपीरियंस की बात करूँ तो जितने लोगों को भी यह दवा दिया है, अच्छा रिजल्ट मिला है. पर सर दर्द के मूल कारण का भी उपचार होना चाहिए.
शिरःशूलादि वज्र रस की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक सुबह शाम बकरी के दूध या शहद से. या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही डोज़ में उचित अनुपान से लेना चाहिए. कम उम्र के लोगों को भी दे सकते हैं पर आयु के अनुसार सही मात्रा होनी चाहिए. हैवी मेटल वाली दवा है, ग़लत डोज़ होने से नुकसान भी हो सकता है. इसे लगातार चार से छह वीक तक लिया जा सकता है.
ब्राह्मी वटी मेमोरी पॉवर बढ़ाने और बुद्धि बढ़ाने की बेजोड़ आयुर्वेदिक औषधि है, इसके इस्तेमाल से दिमाग की कमज़ोरी और दिमाग की दूसरी बीमारियाँ दूर होती हैं. तो आईये जानते हैं ब्राह्मी वटी कितने तरह की होती है? इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - ब्राह्मी वटी का नाम तो आपने पहले भी सुना होगा पर बहुत लोगों को यह पता नहीं कि यह तीन तरह की होती है. ब्राह्मी वटी न. - 1 (स्वर्णयुक्त) ब्राह्मी वटी (बुद्धि वर्धक) इसे ब्राह्मी वटी न. 2 के नाम से भी जाना जाता है ब्राह्मी वटी(चेचक) तीनों का कॉम्बिनेशन अलग-अलग होता है. यहाँ मैं बताने वाला हूँ ब्राह्मी वटी बुद्धिवर्धक या ब्राह्मी वटी न. 2 के बारे में. ब्राह्मी वटी(बुद्धि वर्धक) के घटक या कम्पोजीशन - जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, इसमें ब्राह्मी नाम की बूटी भी मिली होती है. इसे बनाने के लिए चाहिए होता है - छाया में सुखाई हुई ब्राह्मी दो भाग, शंखपुष्पी दो भाग, बच एक भाग, काली मिर्च आधा भाग, गावज़बाँ दो भाग, स्वर्णमाक्षिक भस्म और रस सिन्दूर एक-एक भाग. जटामांसी भी चाहिए भावना देने के लिए.
ब्राह्मी वटी(बुद्धि वर्धक) निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले रस सिन्दूर को खरल करें उसके बाद स्वर्णमाक्षिक भस्म मिक्स कर दूसरी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स कर जटामांसी के क्वाथ की भावना देकर 250mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. यही ब्राह्मी वटी(बुद्धि वर्धक) है, वैसे यह बनी बनायी भी मिल जाती है. ब्राह्मी वटी(बुद्धि वर्धक) के फ़ायदे - यह एक बेहतरीन ब्रेन टॉनिक है, मेमोरी पॉवर बढ़ाने, दिमाग की कमज़ोरी दूर करने और बुद्धि बढ़ाने की यह बेजोड़ दवा है. स्टूडेंट्स, टीचर, प्रोफेसर, जज, वकील और दुसरे लोग जिनको दिमागी काम ज़्यादा करना पड़ता है, या फिर जिनको मेंटल वर्क करना पड़ता है, उनके लिए यह एक असरदार और उपयोगी औषधि है. नींद की कमी, चिंता, तनाव, स्ट्रेस, बेहोशी, हिस्टीरिया और दुसरे मानसिक रोगों में भी असरदार है.
ब्राह्मी वटी(बुद्धि वर्धक) की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक सुबह शाम एक चम्मच ब्राह्मी घृत को दूध में मिक्स कर लेना चाहिए. इसे लेते हुवे भोजन के बाद सारस्वतारिष्ट दो स्पून सुबह शाम लेने से अच्छा रिजल्ट मिलता है. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. बैद्यनाथ के 80 टेबलेट की क़ीमत 170 रुपया है, इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -
शूलवर्जिनि वटी जो है शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवा है जो पेट दर्द और दुसरे कई तरह के दर्द को दूर करती है. इसके इस्तेमाल से से एसिडिटी, गुल्म या पेट में गोला बनना, भूख की कमी, पाइल्स, फिश्चूला और दस्त में फ़ायदा होता है, तो आईये जानते हैं शूलवर्जिनि वटी क्या है? इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - शूलवर्जिनि वटी जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है शूल यानि दर्द को दूर करने वाली टेबलेट. यह एक तरह की रसायन औषधि है. शूलवर्जिनि वटी के घटक या कम्पोजीशन - रसायन औषधि होने से इसमें शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियाँ और भस्म भी मिले होते हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है - शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, लौह भस्म और शंख भस्म प्रत्येक 20-20 ग्राम. शुद्ध सुहागा, शुद्ध हिंग, सोंठ, मिर्च, पीपल, हर्रे, बहेड़ा, आंवला, दालचीनी, तेजपात, तालिशपत्र, जायफल, लौंग, अजवाइन, ज़ीरा और धनियाँ प्रत्येक 10-10 ग्राम.
शूलवर्जिनि वटी निर्माण विधि - बनाने का तरीका है कि जड़ी-बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण कर अलग रख लें, अब शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को खरल में डालकर कज्जली बना लें. इसके बाद जड़ी-बूटियों का चूर्ण मिक्स कर खरल करें और आँवले के रस में तीन दिनों तक घोंटकर 250mg की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लें. यही शूलवर्जिनि वटी है, वैसे यह बनी-बनाई भी मार्केट में मिल जाती है. शूलवर्जिनि वटी के गुण - आयुर्वेदानुसार इस से वात, पित्त और कफ़ तीनों तरह के दोषों में फ़ायदा होता है. यह शूलनाशक, गैसनाशक, पाचक है. इसमें Anti-colic, Antacid, Digestive aur Anti-pyretic जैसे गुण होते हैं.
शूलवर्जिनि वटी के फ़ायदे - किसी भी वजह से होने वाली पेट दर्द में इसको लेते ही आराम मिलता है. मन्दाग्नि की वजह से होने वाले पेट दर्द, जिसमे हल्का-हल्का दर्द होते रहता है उसके लिए यह बेहद इफेक्टिव दवा है. एसिडिटी, गैस, पेट में गोला बनना, खाने में रूचि नहीं होना, बवासीर, भगंदर, दस्त और जोड़ों के दर्द में भी इस से फ़ायदा होता है. जहाँ तक मेरा एक्सपीरियंस है, इसे पेट दर्द में ही सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है. शूलवर्जिनि वटी की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक रोज़ दो से तीन बार तक नार्मल पानी से या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए. हैवी मेटल वाली दवा है इसे सही डोज़ में डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. बैद्यनाथ के 40 टेबलेट की क़ीमत 71 रुपया है, इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.