ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो एक तरह के खनिज या पत्थर से बनाई जाती है जो दस्त, डायरिया, उल्टी, पेट की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट के लिए फ़ायदेमन्द है, तो आईये जानते हैं ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म क्या है? इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
ज़हरमोहरा एक तरह का पत्थर जैसा खनिज होता है. जैसा कि इसका नाम है यह ज़हर या Poision नहीं होता पर साँप-बिच्छू के ज़हर की काट ज़रूर करता है. इसका उपयोग करने से पहले शोधन ज़रूर किया जाता है ताकि किसी तरह का नुकसान न हो. इसे अंग्रेज़ी में Serpentine कहा जाता है जो की Magnesium Silicate का एक रूप है.
ज़हरमोहरा को आयुर्वेद में नागपाषाण भी कहा जाता है. इसकी पिष्टी और भस्म भी बनाई जाती है, इसकी पिष्टी को ज़हरमोहरा खताई पिष्टी भी कहते हैं. इसके मिलते जुलते नाम वाली दवा 'जवाहर मोहरा' दूसरी दवा है जो हार्ट की बीमारियों में असरदार है.
इसकी भस्म या फिर पिष्टी बनाने से पहले शोधन-मारण जैसे आयुर्वेदिक प्रोसेस से गुज़ारना पड़ता है.
ज़हरमोहरा शोधन विधि-
इसे शुद्ध करने का तरीका यह है कि आग में लाल होने तक गर्म कर गाय के दूध में 21 बार डालकर बुझायें, इसी तरह से त्रिफला के काढ़े में भी 21 बार बुझाना होता है. इसके बाद गुलाब जल या फिर चंदनादि अर्क में सात दिनों तक खरलकर पिष्टी बनाई जाती है.
भस्म बनाने के लिए इन सब प्रोसेस के बाद गाय के दूध में छह घंटा तक खरलकर टिकिया बनाकर सुखाने के बाद गजपुट की अग्नि देकर भस्म बनाया जाता है. वैसे ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म बना बनाया मार्केट में मिल जाता है.
ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म के गुण -
आयुर्वेदानुसार यह वात, पित्त और कफ़ तीनों को बैलेंस करता है. यह Antidiarrheal, Antiemetic यानि उल्टीनाशक, Antacid, Anti-hypertensive यानी BP कम करने वाला, Antibaceterial, पाचक या Digestive और साँप-बिच्छू का Antidote जैसे गुणों से भरपूर होता है.
ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म के फ़ायदे -
छोटे बच्चों के उल्टी-दस्त, या फिर हरे पीले दस्त होने पर यह बेहद असरदार है. इसे साथ चौहद्दी या बालचतुरभद्र चूर्ण को शहद में मिक्स कर चटाने से अच्छा फ़ायदा होता है, यह मेरा कई सालों का एक्सपीरियंस है.
हाई ब्लड प्रेशर में यह काफ़ी असरदार है सर्पगंधा चूर्ण और मोती पिष्टी के साथ इसे लेने से अच्छा फ़ायदा होता है.
पेट की गर्मी, सीने की जलन, पुरानी बुखार, महिलाओं की हैवी ब्लीडिंग जैसी प्रॉब्लम में दूसरी दवाओं के साथ लेने से अच्छा फ़ायदा होता है.
आयुर्वेदिक डॉक्टर इसे कई तरह की बीमारियों में प्रयोग करते हैं, इसे डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए.
ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म की मात्रा और सेवन विधि-
125 mg से 250 mg तक सुबह-शाम उचित अनुपान से यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. बच्चो को 30 से 60 mg तक डॉक्टर की सलाह से ही सही डोज़ में देना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, सही डोज़ में लेने से कोई नुकसान नहीं होता है, प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल न करें. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
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