शिला सिन्दूर क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के स्किन डिजीज या चर्मरोग, खून की ख़राबी, इन्फेक्शन, बुखार, फेफड़ों की बीमारी, सुज़ाक और मोटापा जैसी बीमारियों को दूर करता है. तो आईये जानते हैं शिला सिन्दूर का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
शिला सिन्दूर के घटक या कम्पोजीशन -
यह कुपिपक्व रसायन औषधि है जिसे बनाना आसान नहीं होता. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें शुद्ध मैनशील, शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक और ग्वारपाठा का रस मिला होता है जिसे कुपिपक्व रसायन निर्माण विधि से हाई टेम्परेचर में बनाया जाता है.
शिला सिन्दूर के गुण -
आयुर्वेदानुसार यह कफ़-पित्त नाशक है. रक्त शोधक या ब्लड प्योरीफ़ायर, संक्रमण या इन्फेक्शन दूर करने वाला, Broad Spectrum Anti-biotic, मेद या चर्बी नाशक या Anti-obesity जैसे गुणों से भरपूर होता है.
शिला सिन्दूर के फ़ायदे -
यह तेज़ असर करने वाली दवा है जिसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में ही यूज़ करना चाहिए. गर्मी में इसे यूज़ करना ठीक नहीं.
हर तरह का चर्मरोग जैसे खाज-खुजली, फोड़ा-फुंसी से लेकर कुष्ठव्याधि तक में यह असरदार है.
खाँसी और अस्थमा ख़ासकर कफ़ या वात प्रधान खाँसी जिसमे सफ़ेद कफ़ निकलता हो तो इसका इस्तेमाल करें.
इन्फेक्शन, इन्फेक्शन वाली बुखार, मलेरिया जैसे रोगों में भी असरदार है.
मोटापा दूर करने में भी यह असरदार है. जब ज़्यादा फैटी फ़ूड खाने और बैठे रहने से चर्बी बढ़ गयी हो तो इसके इस्तेमाल से चर्बी बननी बंद होती है और फैट को कम कर देता है.
शिला सिन्दूर की मात्रा और सेवन विधि -
60 mg से 125 तक सुबह शाम शहद के साथ लेना या फिर डॉक्टर की सलाह से सही अनुपान से लेना चाहिए. गर्मी के मौसम में बहुत कम डोज़ में 15 से 30 mg तक ही यूज़ करें. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की देख रेख में ही लेना चाहिए, ग़लत डोज़ होने से सीरियस नुकसान हो सकता है.
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें