गुल्मकालानल रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो गुल्म या पेट में गोला बनने वाली बीमारी में बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं गुल्मकालानल रस के घटक या कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
गुल्मकालानल रस के घटक -
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह रसायन औषधि है जिसमे पारा-गन्धक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियाँ होती हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, टंकण भस्म, ताम्र भस्म, शुद्ध हरताल सभी 20-20 ग्राम, जावाखार- 100 ग्राम, सोंठ, मिर्च, पीपल, नागरमोथा, गजपीपल, हर्रे, बच और कूठ 10-10 ग्राम लेना है.
गुल्मकालानल रस निर्माण विधि -
बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले पारा-गंधक की कज्जली बना लें और उसके जड़ी-बूटियों का चूर्ण और भस्म मिक्स कर नागरमोथा, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, सोंठ, पाठा और अपामार्ग के काढ़े की अलग-अलग एक-एक भावना देकर अच्छी तरह से खरलकर 500 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है.
गुल्मकालानल रस के गुण -
आयुर्वेदानुसार यह वात या वायु नाशक है. तासीर में गर्म है. यह कफ़ दोष को भी कम करता है. यह पाचक, मूत्रल, गैस और कब्ज़ नाशक गुणों से भरपूर होता है.
गुल्मकालानल रस के फ़ायदे -
गुल्म या पेट में गोला बनना, पेट में गैस, आँतों में मल की गाँठ बनना और पेट फूलना जैसी प्रॉब्लम में यह दवा बेहद असरदार है.
कफज, पित्तज और वातज हर तरह के गुल्म में रोगानुसार उचित अनुपान से आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका प्रयोग कराते हैं.
गुल्मकालानल रस की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो गोली तक सुबह-शाम हर्रे के काढ़े के साथ लेना चाहिए. या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. चूँकि यह रसायन औषधि है तो इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करें. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इसे आप ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
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