जैसा कि आप सभी जानते ही हैं पित्त की थैली में होने वाली पत्थरी को गालस्टोन कहते है. यह अधिकतर छोटी-छोटी कई सारी होती हैं जिसे मल्टीप्ल स्टोन कहा जाता है, जबकि बड़े साइज़ में अकेली भी हो सकती है. एलोपैथिक वाले तो मानते ही नहीं कि यह दवा से भी निकल सकती है. पर सच्चाई तो यह है कि सही आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से अधिकतर लोगों की यह बिना ऑपरेशन निकल जाती है. तो आईये जानते हैं बिना ऑपरेशन पित्त पत्थरी को दूर करने वाले आयुर्वेदिक योग की पूरी डिटेल -
गॉलस्टोन का ऑपरेशन कराने से पहले यह ज़रूर जान लीजिये की इसके ऑपरेशन में न सिर्फ स्टोन को निकाला जाता है बल्कि पूरा गॉलब्लैडर या पित्त की थैली ही निकाल दी जाती है. इसका ऑपरेशन होने के बाद लाइफ़ टाइम के लिए आपको Digestion की प्रॉब्लम हो सकती है क्यूंकि गॉलब्लैडर पाचक पित्त का स्राव करता है जिस से Digestion में मदद मिलती है.
वैसे तो पहले ही मैं पित्त पत्थरी के लिए दो तरह के उपाय बता चूका हूँ जिसमे ठंडाई वाला आसान सा घरेलु प्रयोग है, दूसरा एप्पल जूस वाला थोडा इजी नहीं है. पर आज जो बताने वाला हूँ वो पूरी तरह से आयुर्वेदिक योग है-
पित्ताश्मरी नाशक योग -
इसके लिए आपको चाहिए होगा ताम्र भस्म - 10 ग्राम और शंख वटी - 50 ग्राम
शंख वटी को खरल में डालकर पिस लें और ताम्र भस्म को अच्छी तरह से मिक्स कर खरल कर बराबर मात्रा की सादे कागज़ में 120 पुड़िया बनाकर एयर टाइट डब्बे में रख लें.
इस्तेमाल का तरीका यह है कि एक-एक पुडिया सुबह शाम लेना है करेला जूस - 20 ML + कुमार्यासव 20 ML + रोहितकारिष्ट - 20 ML के साथ भोजन के एक घंटा के बाद.
बताया गया आयुर्वेदिक योग गॉलस्टोन को घुलाकर निकाल देता है. 90% लोगों को इस से फ़ायदा हो जाता है.
इस योग का इस्तेमाल करने से पहले सोनोग्राफी से गॉलस्टोन का साइज़ और संख्या पता कर लें और साठ दिनों के बाद दुबारा सोनोग्राफी करा लेना चाहिए.
छोटी साइज़ वाली मल्टीप्ल स्टोन तो 60 दिनों में ही निकल जाती है, बड़ी स्टोन के लिए ज़्यादा दिनों तक दवा लेनी पड़ सकती है.
अगर किसी को दवा इस्तेमाल करने के 60 दिनों बाद भी पत्थरी के साइज़ में कुछ फ़र्क नहीं पड़ता है तो लास्ट आप्शन ऑपरेशन या फिर लिथोट्रिप्सी ही हैइसे .
परहेज़- इस योग का इस्तेमाल करते हुवे दूध, दूध से बनने वाली चीज़, मिठाई, उड़द की दाल, तेल-मसाले वाले भोजन और देर से पचने वाले फूड़ नहीं खाना चाहिए.
आज के इस योग में बताई गयी दवाएँ जैसे ताम्र भस्म, शंख वटी, कुमार्यासव, रोहितकारिष्ट बैद्यनाथ या डाबर जैसी अच्छी कम्पनी का ही यूज़ करें. करेला तो हर जगह मिल ही जाता है, जूसर में डालकर इसका फ़्रेश जूस बनाकर यूज़ करना है.
नोट- गॉलस्टोन की सीरियस कंडीशन या Complication वाली कंडीशन में इसका इस्तेमाल न करें.
तो दोस्तों वैद्य जी डायरी में ये था आज का योग पित्त पत्थरी को दूर करने का. इस तरह की उपयोगी जानकारी आपको और कहीं नहीं मिलेगी. हाँ कुछ बेवकूफ़ नीम-हकीम लोग मेरी दी गयी जानकारी को कॉपी करने लगे हैं. अगर आपको मेरी दी गयी जानकारी की नकल कहीं दिखती है तो कमेंट कर ज़रुर बताएं.
Buy Online-
इसे भी जानिए -
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें