चन्दनादि लौह हर तरह के प्रमेह की असरदार आयुर्वेदिक औषधि है. इसके इस्तेमाल से प्रमेह, पेशाब के साथ मेह, शुक्र, पस सेल्स, ब्लड सेल्स, फॉस्फेट, साल्ट, प्रोटीन वगैरह आने की प्रॉब्लम दूर होती है. तो आईये जानते हैं चन्दनादि लौह का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में पूरी डिटेल -
चन्दनादि लौह नार्मल जो होता है वो उसका कम्पोजीशन अलग है. यहाँ चन्दनादि लौह प्रमेह के बारे में बताया जा रहा है.
चन्दनादि लौह(प्रमेह) के घटक या कम्पोजीशन -
इसके घटक या कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें चन्दन और लौह भस्म के अलावा कई तरह की जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं जैसे-
सफ़ेद चन्दन, सेमल के फूल, दालचीनी, इलायची के बीज, तेजपात, हल्दी, दारुहल्दी, अनंतमूल, श्यामलता, नागरमोथा, मुलेठी, आँवला, मुसली, वंशलोचन, भारंगी, देवदार, बड़ी हर्रे और ख़स प्रत्येक एक-एक भाग और लौह भस्म 36 भाग. यानी अगर जड़ी-बूटियाँ दस-दस ग्राम ले रहे हैं तो लौह भस्म 360 ग्राम लेना है.
बनाने का तरीका यह है कि सभी जड़ी-बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण कर लें और उसमे लौह भस्म मिलाकर अच्छी तरह से घोंटकर रख लें. बस चन्दनादि लौह तैयार है. यह भैषज्य रत्नावली का योग है.
चन्दनादि लौह के फ़ायदे-
- यह हर तरह के प्रमेह की श्रेष्ठ औषधि है. जब पेशाब के साथ प्रोटीन, फैट, साल्ट, पस सेल्स, ब्लड, फॉस्फेट वगैरह कुछ भी आने लगे तो इसका सेवन करना चाहिए.
- जब यूरिन टेस्ट में इस तरह की चीज़ें पाई जाएँ तो चन्दनादि लौह और चंद्रप्रभा वटी दोनों को मिलाकर शहद के साथ लेना चाहिए.
- जीर्ण ज्वर या पुरानी बुखार में इसका प्रयोग कराया जाता है ख़ासकर जब एंटी बायोटिक से फ़ायदा न होता हो तो इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
- कामला, जौंडिस और खून कमी में भी यह फ़ायदेमंद है.
चन्दनादि लौह की मात्रा और सेवन विधि -
125 से 250 mg तक सुबह शाम शहद से या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से रोगानुसार उचित अनुपान से लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है.
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