कर्पूर रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो दस्त और डायरिया में असरदार है. तो आईये जानते हैं कर्पूर रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - कर्पूर रस जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कपूर से बनी रसायन औषधि. आयुर्वेद में कपूर को कर्पुर के नाम से जाना जाता है जिसे अंग्रेज़ी में Camphor कहते हैं. कर्पूर रस के घटक या कम्पोजीशन - इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे शुद्ध हिंगुल, शुद्ध अहिफेन, मोथा, इन्द्रजौ, जातिफल और कपूर के मिश्रण से बनाया जाता है. बनाने का तरीका यह होता है की सभी चीज़ों को बराबर वज़न में लेकर खरलकर थोड़ा पानी मिक्स कर 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यह भैषज्य रत्नावली का योग है.
कर्पूर रस के गुण या Properties - इसके गुणों की बात करें तो यह वात और कफ़ दोष को कम करता है, ग्राही और पाचक है. यानी Antidiarrheal, Digestive, Anti-bacterial और एंटी कैंसर जैसे गुणों से भी भरपूर होता है. कर्पूर रस के फ़ायदे - लूज़ मोशन, दस्त और डायरीया के लिए इसे प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है. नये दस्त और डायरीया में ही आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका प्रयोग कराते हैं.
कर्पूर रस की मात्रा और सेवन विधि - एक गोली सुबह शाम या रोज़ तीन बार तक शहद के साथ. या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार. इसे डॉक्टर की सलाह से ही लें, क्यूंकि यह रसायन औषधि है. आयुर्वेदिक कम्पनियों की यह मिल जाती है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो एक तरह के खनिज या पत्थर से बनाई जाती है जो दस्त, डायरिया, उल्टी, पेट की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट के लिए फ़ायदेमन्द है, तो आईये जानते हैं ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म क्या है? इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - ज़हरमोहरा एक तरह का पत्थर जैसा खनिज होता है. जैसा कि इसका नाम है यह ज़हर या Poision नहीं होता पर साँप-बिच्छू के ज़हर की काट ज़रूर करता है. इसका उपयोग करने से पहले शोधन ज़रूर किया जाता है ताकि किसी तरह का नुकसान न हो. इसे अंग्रेज़ी में Serpentine कहा जाता है जो की Magnesium Silicate का एक रूप है. ज़हरमोहरा को आयुर्वेद में नागपाषाण भी कहा जाता है. इसकी पिष्टी और भस्म भी बनाई जाती है, इसकी पिष्टी को ज़हरमोहरा खताई पिष्टी भी कहते हैं. इसके मिलते जुलते नाम वाली दवा 'जवाहर मोहरा' दूसरी दवा है जो हार्ट की बीमारियों में असरदार है. इसकी भस्म या फिर पिष्टी बनाने से पहले शोधन-मारण जैसे आयुर्वेदिक प्रोसेस से गुज़ारना पड़ता है. ज़हरमोहरा शोधन विधि- इसे शुद्ध करने का तरीका यह है कि आग में लाल होने तक गर्म कर गाय के दूध में 21 बार डालकर बुझायें, इसी तरह से त्रिफला के काढ़े में भी 21 बार बुझाना होता है. इसके बाद गुलाब जल या फिर चंदनादि अर्क में सात दिनों तक खरलकर पिष्टी बनाई जाती है. भस्म बनाने के लिए इन सब प्रोसेस के बाद गाय के दूध में छह घंटा तक खरलकर टिकिया बनाकर सुखाने के बाद गजपुट की अग्नि देकर भस्म बनाया जाता है. वैसे ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म बना बनाया मार्केट में मिल जाता है.
ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म के गुण - आयुर्वेदानुसार यह वात, पित्त और कफ़ तीनों को बैलेंस करता है. यह Antidiarrheal, Antiemetic यानि उल्टीनाशक, Antacid, Anti-hypertensive यानी BP कम करने वाला, Antibaceterial, पाचक या Digestive और साँप-बिच्छू का Antidote जैसे गुणों से भरपूर होता है. ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म के फ़ायदे - छोटे बच्चों के उल्टी-दस्त, या फिर हरे पीले दस्त होने पर यह बेहद असरदार है. इसे साथ चौहद्दी या बालचतुरभद्र चूर्ण को शहद में मिक्स कर चटाने से अच्छा फ़ायदा होता है, यह मेरा कई सालों का एक्सपीरियंस है. हाई ब्लड प्रेशर में यह काफ़ी असरदार है सर्पगंधा चूर्ण और मोती पिष्टी के साथ इसे लेने से अच्छा फ़ायदा होता है. पेट की गर्मी, सीने की जलन, पुरानी बुखार, महिलाओं की हैवी ब्लीडिंग जैसी प्रॉब्लम में दूसरी दवाओं के साथ लेने से अच्छा फ़ायदा होता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर इसे कई तरह की बीमारियों में प्रयोग करते हैं, इसे डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए. ज़हरमोहरा पिष्टी/भस्म की मात्रा और सेवन विधि- 125 mg से 250 mg तक सुबह-शाम उचित अनुपान से यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. बच्चो को 30 से 60 mg तक डॉक्टर की सलाह से ही सही डोज़ में देना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, सही डोज़ में लेने से कोई नुकसान नहीं होता है, प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल न करें. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
शिला सिन्दूर क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के स्किन डिजीज या चर्मरोग, खून की ख़राबी, इन्फेक्शन, बुखार, फेफड़ों की बीमारी, सुज़ाक और मोटापा जैसी बीमारियों को दूर करता है. तो आईये जानते हैं शिला सिन्दूर का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - शिला सिन्दूर के घटक या कम्पोजीशन - यह कुपिपक्व रसायन औषधि है जिसे बनाना आसान नहीं होता. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें शुद्ध मैनशील, शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक और ग्वारपाठा का रस मिला होता है जिसे कुपिपक्व रसायन निर्माण विधि से हाई टेम्परेचर में बनाया जाता है. शिला सिन्दूर के गुण - आयुर्वेदानुसार यह कफ़-पित्त नाशक है. रक्त शोधक या ब्लड प्योरीफ़ायर, संक्रमण या इन्फेक्शन दूर करने वाला, Broad Spectrum Anti-biotic, मेद या चर्बी नाशक या Anti-obesity जैसे गुणों से भरपूर होता है. शिला सिन्दूर के फ़ायदे - यह तेज़ असर करने वाली दवा है जिसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में ही यूज़ करना चाहिए. गर्मी में इसे यूज़ करना ठीक नहीं. हर तरह का चर्मरोग जैसे खाज-खुजली, फोड़ा-फुंसी से लेकर कुष्ठव्याधि तक में यह असरदार है. खाँसी और अस्थमा ख़ासकर कफ़ या वात प्रधान खाँसी जिसमे सफ़ेद कफ़ निकलता हो तो इसका इस्तेमाल करें. इन्फेक्शन, इन्फेक्शन वाली बुखार, मलेरिया जैसे रोगों में भी असरदार है. मोटापा दूर करने में भी यह असरदार है. जब ज़्यादा फैटी फ़ूड खाने और बैठे रहने से चर्बी बढ़ गयी हो तो इसके इस्तेमाल से चर्बी बननी बंद होती है और फैट को कम कर देता है. शिला सिन्दूर की मात्रा और सेवन विधि - 60 mg से 125 तक सुबह शाम शहद के साथ लेना या फिर डॉक्टर की सलाह से सही अनुपान से लेना चाहिए. गर्मी के मौसम में बहुत कम डोज़ में 15 से 30 mg तक ही यूज़ करें. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की देख रेख में ही लेना चाहिए, ग़लत डोज़ होने से सीरियस नुकसान हो सकता है.
The Vitamins for Healthy Strong Hair लन्दन यानी ब्रिटेन का बना यह प्रोडक्ट है जो बालों के लिए बेहद असरदार है. यह बालों को घना, मज़बूत और काला बनाता है. 90 दिनों में गारंटीड फ़ायदा हो जाता है यह कंपनी का चैलेंज है. तो आईये जानते हैं The Vitamins for Healthy Strong Hair के फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - The Vitamins for Healthy Strong Hair का कम्पोजीशन - यह पूरी तरह से नेचुरल विटामिन्स से बनी दवा है. फल, सब्जिओं और नेचुरल वनस्पतियों से निकाली गयी चुनिन्दा विटामिन्स का कॉम्बिनेशन है. जो कि शुगर फ्री, जिलेटिन फ्री, ग्लूटेन फ्री है. किसी भी तरह का केमिकल, कलर, Preservative, साल्ट और कोई भी नॉन वेज प्रोडक्ट नहीं है इसमें.
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई तरह की विटामिन्स और मिनरल्स का मिश्रण है जैसे - Biotin, Copper, Folic Acid, Inositol, Iodine, Iron, Manganese, PABA, Rosehip, Rutin, Selenium, Vitamin A, Vitamin B1, Vitamin B12, Vitamin B2, Vitamin B3, Vitamin B6, Vitamin C, Vitamin D, Vitamin E और Zinc जैसी चीज़ें मिली होती हैं. The Vitamins for Healthy Strong Hair के फ़ायदे- अगर आपके बाल घने नहीं है, पतले और कमज़ोर हैं, झड़ते हैं तो यह दवा आपके लिए बड़े काम की है. यह बालों को घना, मज़बूत और चमकदार बनाता है, बालों की जड़ों को मज़बूत बनाता है और नया बाल उगने में मदद करता है. अगर आप तरह-तरह की दवा खाकर थक गए है तो भी इसे एक बार ट्राई करें, गारन्टीड फ़ायदा होगा, यह कंपनी का चैलेंज है. The Vitamins for Healthy Strong Hair की मात्रा और सेवन विधि - दो टेबलेट रोज़ एक बार खाना के बाद एक गिलास पानी से. यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. अगर आपकी उम्र 18 साल से कम है तो रोज़ एक टेबलेट भी चलेगा. वैसे तो इसका इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है. प्रेगनेंसी और ब्रेस्ट फीडिंग में इसका इस्तेमाल न करें. और अगर अगले तीन महीने में प्रेगनेंसी की प्लानिंग है तो भी इसका इस्तेमाल न करें. इसको लेते हुवे कोई दूसरा विटामिन्स यूज़ न करें. इसके तीन महीने के पुरे कोर्स की क़ीमत है 7876.00 रुपया. जिसे आप www.itreallyworksvitamins.com पर जाकर ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं यहाँ आपको 20% कम प्राइस में 6300 में मिल सकता है. थोड़ा महँगा तो लगता है, पर फ़ायदे भी तो हैं. लोग अपने बालों के लिए तो लाखों ख़र्च करते हैं. वैसे भी यह लन्दन का प्रोडक्ट है जो विदेश में धूम मचा रहा है. अपने बालों के ग्रोथ का सफ़र शुरू करें यहाँ से( ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक) - https://www.itreallyworksvitamins.com ► वेजिटेरियन ► हलाल ► Kosher ► 100% प्राकृतिक It Really Works Vitamins पैसे वापस कर देगा अगर आप ख़ुश नहीं होंगे 31 जुलाई तक 15% का डिस्काउंट पायें अपने पहले आर्डर पर डिस्काउंट Discount Code- LAKHAIPUR
चिया सीड और सब्ज़ा सीड को लेकर कई लोग कन्फ्यूज्ड रहते हैं और इसका अंतर नहीं समझ पाते. तो आईये जानते हैं चिया सीड के फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल और चिया और सब्ज़ा सीड का अंतर -
चिया सीड विटामिन्स और दुसरे पोषक तत्वों से भरपूर होता है. यह एंटी ऑक्सीडेंट, कैल्शियम, आयरन, फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और दुसरे मिनरल्स से भरपूर होता है. अपने चमत्कारी गुणों के कारन यह दुनियाभर में मशहूर है. यहाँ मैं बता रहा हूँ इसके कुछ खास फ़ायदों के बारे में. स्किन के लिए - चिया जो है एंटी ऑक्सीडेंट रिच होता है जिसकी वजह से यह स्किन के लिए फ़ायदेमंद है. इस से स्किन प्रॉब्लम में फ़ायदा होता है और एंटी एजिंग होने से स्किन में होने वाली झुर्रियों से बचाता है. वज़न कम करे - चिया सीड को वज़न कम करने के लिए सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है. नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करने से एक्स्ट्रा फैट को दूर कर कर वज़न कम करता है. पाचन सम्बन्धी रोगों के लिए - फाइबर रिच होने से यह कब्ज़ दूर करता है. हाजमा दुरुस्त कर Digestive सिस्टम को स्ट्रोंग बनाता है. इसके इस्तेमाल से शुगर लेवल भी कण्ट्रोल होता है. हड्डियों के लिए - कैल्शियम रिच होने से यह हड्डियों को मज़बूत बनाता है. गठिया, आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से बचाता है और दाँतों को मज़बूत बनाता है. ह्रदय रोगों के लिए - इसमें पाए जाने वाले विटामिन्स हार्ट के लिए फ़ायदेमंद हैं. यह BP और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है. एनर्जी और बॉडी मसल्स के लिए- कई तरह के विटामिन्स से भरपूर होने से यह बॉडी को एनर्जी देता है और मसल्स को मज़बूत बनाता है. तो ये हैं चिया सीड के कुछ ख़ास फ़ायदे. चिया सीड को इस्तेमाल कैसे करें? एक से दो स्पून तक रोज़ पानी में भीगाकर लेना चाहिए. इसका पाउडर बनाकर भी ले सकते हैं. इसके बीजों को भिगाकर ड्रिंक्स में मिक्स कर या फिर खाना के साथ भी ले सकते हैं. आईये अब जान लेते हैं चिया सीड के नुकसान या साइड इफेक्ट्स- वैसे तो सही डोज़ में लेने से इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. पर किसी-किसी को इसे खाने के बाद पेट दर्द हो सकता है. फाइबर रिच होने से यह पानी बहुत सोखता है. इसे खाने के बाद पानी ज़्यादा पीना चाहिए. ये तो हो गयी चिया सीड की जानकारी, सब्ज़ा सीड की डिटेल आप यहाँ पढ़ सकते हैं जिसे मैं पहले ही बता चूका हूँ. चिया सीड ऑनलाइन ख़रीदें अमेज़न से -
हेपानो जानी-मानी आयुर्वेदिक कम्पनी डाबर का पेटेंट या प्रोपरायटरी ब्रांड है जो लिवर की बीमारियों में असरदार है. तो आईये जानते हैं डाबर हेपानो का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - डाबर हेपानो का कम्पोजीशन - इसे लिवर के फंक्शन को सही करने वाली जानी-मानी जड़ी-बूटियों से बनाया गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - भूमिआँवला, गुडूची, निम्बा, कालमेघ, हरीतकी, आमलकी, विभितकी, कुटकी और पिप्पली मिला होता है. इसके टेबलेट और सिरप दोनों का कम्पोजीशन ऑलमोस्ट सेम होता है.
डाबर हेपानो के फ़ायदे -
हैवी मेटल्स और केमिकल वाले भोजन से लिवर को होने वाले नुकसान से बचाता है.
SGOT, SGPT बढ़ा होने, जौंडिस, लिवर की ख़राबी और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों में असरदार है.
यह लिवर के फंक्शन को सही करता है और लिवर को हेल्दी बनाता है.
यह लिवर को डैमेज करने वाले कारणों से बचाता है. भूख बढ़ाने और पाचनशक्ति को ठीक करने में मदद करता है.
नार्मल आदमी भी इसे लिवर को हेल्दी रखने के लिए इस्तेमाल कर सकता है.
डाबर हेपानो का डोज़- 5 से 10 ML तक सुबह शाम खाना के पहले. इसका टेबलेट 1 से 2 सुबह शाम या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए. इसके 200ML के बोतल की क़ीमत 85 रुपया है जबकि इसके 60 टेबलेट की क़ीमत 75 रुपया है. इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -
चन्दनादि लौह हर तरह के प्रमेह की असरदार आयुर्वेदिक औषधि है. इसके इस्तेमाल से प्रमेह, पेशाब के साथ मेह, शुक्र, पस सेल्स, ब्लड सेल्स, फॉस्फेट, साल्ट, प्रोटीन वगैरह आने की प्रॉब्लम दूर होती है. तो आईये जानते हैं चन्दनादि लौह का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में पूरी डिटेल - चन्दनादि लौह नार्मल जो होता है वो उसका कम्पोजीशन अलग है. यहाँ चन्दनादि लौह प्रमेह के बारे में बताया जा रहा है. चन्दनादि लौह(प्रमेह) के घटक या कम्पोजीशन - इसके घटक या कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें चन्दन और लौह भस्म के अलावा कई तरह की जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं जैसे- सफ़ेद चन्दन, सेमल के फूल, दालचीनी, इलायची के बीज, तेजपात, हल्दी, दारुहल्दी, अनंतमूल, श्यामलता, नागरमोथा, मुलेठी, आँवला, मुसली, वंशलोचन, भारंगी, देवदार, बड़ी हर्रे और ख़स प्रत्येक एक-एक भाग और लौह भस्म 36 भाग. यानी अगर जड़ी-बूटियाँ दस-दस ग्राम ले रहे हैं तो लौह भस्म 360 ग्राम लेना है. बनाने का तरीका यह है कि सभी जड़ी-बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण कर लें और उसमे लौह भस्म मिलाकर अच्छी तरह से घोंटकर रख लें. बस चन्दनादि लौह तैयार है. यह भैषज्य रत्नावली का योग है. चन्दनादि लौह के फ़ायदे-
यह हर तरह के प्रमेह की श्रेष्ठ औषधि है. जब पेशाब के साथ प्रोटीन, फैट, साल्ट, पस सेल्स, ब्लड, फॉस्फेट वगैरह कुछ भी आने लगे तो इसका सेवन करना चाहिए.
जब यूरिन टेस्ट में इस तरह की चीज़ें पाई जाएँ तो चन्दनादि लौह और चंद्रप्रभा वटी दोनों को मिलाकर शहद के साथ लेना चाहिए.
जीर्ण ज्वर या पुरानी बुखार में इसका प्रयोग कराया जाता है ख़ासकर जब एंटी बायोटिक से फ़ायदा न होता हो तो इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
कामला, जौंडिस और खून कमी में भी यह फ़ायदेमंद है.
चन्दनादि लौह की मात्रा और सेवन विधि - 125 से 250 mg तक सुबह शाम शहद से या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से रोगानुसार उचित अनुपान से लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है.
द्राक्षावलेह क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो लिवर की बीमारियों के लिए बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं द्राक्षावलेह का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - द्राक्षावलेह जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसे द्राक्षा या मुनक्का से बनाया जाता है जो की अवलेह या हलवे की तरह होता है, ठीक वैसा ही जैसा कि च्यवनप्राश होता है. द्राक्षावलेह का कम्पोजीशन - इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है द्राक्षा- 768gram , पिप्पली-768gran, चीनी- 2.4kg, यष्टिमधु-96gram, सोंठ-96gram, वंशलोचन-96gram, आँवला जूस- 12 liter और शहद - 768gram द्राक्षावलेह निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले सोंठ, पीपल और यष्टिमधु का बारीक चूर्ण बनाकर रख लें. कड़ाही में आँवला जूस डालें और पिसा हुवा द्राक्षा, चीनी और जड़ी बूटियों का चूर्ण मिक्स कर गाढ़ा होने तक पकाएं. इसके बाद चूल्हे से उतार कर वंशलोचन मिक्स करें और पूरी तरह से ठंडा होने पर सबसे लास्ट में शहद मिक्स कर काँच के जार में पैक कर रख लें. बस यही द्राक्षावलेह है.
द्राक्षावलेह के फ़ायदे- लिवर की बीमारियों के लिए यह एक अच्छी दवा है. लिवर का बढ़ जाना, जौंडिस और अनेमिया या खून की कमी में बेहद असरदार है. यह लिवर के फंक्शन को सही करता है और लिवर प्रोटेक्टिव का भी काम करता है. सीने की जलन, हाइपर एसिडिटी, भूख की कमी और पेट के रोगों में भी असरदार है. शराब पिने वाले लोग अगर इसका इस्तेमाल करें तो लिवर को प्रोटेक्ट कर सकते हैं. द्राक्षावलेह की मात्रा और सेवन विधि - पाँच से दस ग्राम तक सुबह शाम खाना के बाद गर्म पानी, दूध या शहद के साथ लेना चाहिए. बच्चों को कम डोज़ में देना चाहिए. बच्चे बड़े-बूढ़े सभी यूज़ कर सकते हैं. प्रेगनेंसी में भी खून की कमी को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. डायबिटीज वालों को इसे यूज़ नहीं करना चाहिए चीनी और शहद की मात्रा होने से. डाबर के 250 ग्राम की क़ीमत 185 रुपया है अमेज़न डॉट इन में, इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं दिए लिंक से -
कामिनीविद्रावण रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो पुरुष यौन रोगों में बेहद असरदार है. यह वीर्य को गाढ़ा कर स्तम्भन शक्ति को बढ़ाती है और शीघ्रपतन को दूर करती है. तो आईये जानते हैं कामिनीविद्रावण रस का कम्पोजीशन, इसके फायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - कामिनीविद्रावण रस के घटक या कम्पोजीशन- इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है अकरकरा, सोंठ, लौंग, केसर, पीपल, जायफल, जावित्री और चन्दन प्रत्येक 10-10 ग्राम. शुद्ध सिंगरफ और शुद्ध गंधक प्रत्येक 2.5 ग्राम और शुद्ध अफ़ीम 40 ग्राम. कामिनीविद्रावण रस निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले सिंगरफ, शुद्ध गंधक और अफ़ीम को अच्छी तरह से घोटने के बाद दूसरी जड़ी-बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण मिक्स कर, ठन्डे पानी में घोटकर दो-दो रत्ती या 250mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. बस कामिनीविद्रावण रस तैयार है! कामिनीविद्रावण रस के फ़ायदे-
वीर्य को गाढ़ा करने, स्तम्भन शक्ति बढ़ाने और शुक्रवाहिनी नाड़ियों को ताक़त देने वाली यह बेजोड़ दवा है.
यह वीर्य स्तम्भन करती है, जल्द डिस्चार्ज नहीं होने देती जिस से शीघ्रपतन में बेहद फ़ायदा होता है.
हस्तमैथुन, स्वप्नदोष और बचपन की ग़लतियों की वजह से होने वाली कमज़ोरी, शीघ्रपतन और वीर्य का पतलापन दूर करने के लिए यह एक बेजोड़ रसायन है.
कुल मिलाकर समझ लीजिये कि वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए यह एक इफेक्टिव मेडिसिन है.
कामिनीविद्रावण रस की मात्रा और सेवन विधि - एक गोली रात में सोने से एक घंटा पहले एक ग्लास दूध से लेना चाहिए. यह अफीम वाली दवा है इसका ध्यान रखें, इस से अगर कब्ज़ियत हो तो सुबह-सुबह गर्म दूध पीना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करना चाहिए, ज़्यादा डोज़ होने से नुकसान हो सकता है. डाबर, बैद्यनाथ और मुल्तानी जैसी आयुर्वेदिक कंपनियों की यह मिल जाती है. बैद्यनाथ के 10 ग्राम या 40 टेबलेट की क़ीमत क़रीब 1575 रुपया है अमेज़न में. इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए गए लिंक से -
अग्निवर्धक वटी क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो भूख बढ़ाती है, इसके इस्तेमाल से पेट का भारीपन, पेट फूलना, मन्दाग्नि, कब्ज़ और खट्टी डकार आना जैसी प्रॉब्लम दूर होती है. तो आईये जानते हैं अग्निवर्धक वटी का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - अग्निवर्धक वटी के घटक या कम्पोजीशन- इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसके लिए चाहिए होता है काला नमक, काली मिर्च, नौसादर, आक के फूलों का लौंग प्रत्येक 5-5 ग्राम, निम्बू का सत्त- 320 ग्राम और निम्बू का रस भी चाहिए होता है भावना देने के लिए. बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले काली मिर्च, आक के फूलों का लौंग और काला नमक को पिस लें और उसमे नौसादर और निम्बू का सत्व मिलाकर खरल करें, अब निम्बू का रस डालकर घुटाई कर चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लें. बस अग्निवर्धक वटी तैयार है. अग्निवर्धक वटी के गुण - आयुर्वेदानुसार यह दीपक, पाचक-अग्निवर्धक है यानी भूख बढ़ाने वाला, अग्नि प्रदीप्त करने वाला Digestive Enzyme है. अग्निवर्धक वटी के फ़ायदे- भूख नहीं लगना, खाने में अरुचि होना, पेट का भारीपन, कब्ज़ जैसी प्रॉब्लम के इसका सेवन करना चाहिए. पेट फूलना, पेट में गुड़-गुड़ आवाज़ होना, बेचैनी और आलस में असरदार है. यह स्वाद में टेस्टी होती है, मुंह में रखते ही मुँह का मज़ा ठीक होता है और खाने में रूचि आती है. अग्निवर्धक वटी की मात्रा और सेवन विधि - एक-एक गोली गुनगुने पानी से रोज़ दो-तिन बार या फिर ऐसी ही मुँह में रखकर चुसना चाहिए. बच्चे-बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं बस आयु के अनुसार सही डोज़ होना चाहिए.
पाइल्स और फिश्चूला के लिए मैं तो कम से कम तीन दवाओं को रीकोमेंड करता हूँ नंबर वन- कंकायण वटी अर्श, नंबर टू- त्रिफला गुग्गुल और नंबर तीन पर आता है- दिव्य अर्शकल्प वटी. पाइल्स और फिश्चूला की बढ़ी हुयी कंडीशन में भी अगर तीनों को दो-दो टेबलेट सुबह शाम छाछ के साथ लिया जाये तो अच्छा रिजल्ट मिलता है. ख़ूनी और बादी बवासीर या ब्लीडिंग और नॉन ब्लीडिंग पाइल्स और फिश्चूला इन दवाओं के इस्तेमाल से ठीक हो जाता है. पतंजलि के अर्श कल्प वटी की जगह पर आप हिमालया का पाईलेक्स भी यूज़ कर सकते हैं. इन सब के साथ अभ्यारिष्ट या फिर बड़ी हर्रे का चूर्ण भी लिया जा सकता है.
गुल्मकालानल रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो गुल्म या पेट में गोला बनने वाली बीमारी में बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं गुल्मकालानल रस के घटक या कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - गुल्मकालानल रस के घटक - जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह रसायन औषधि है जिसमे पारा-गन्धक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियाँ होती हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, टंकण भस्म, ताम्र भस्म, शुद्ध हरताल सभी 20-20 ग्राम, जावाखार- 100 ग्राम, सोंठ, मिर्च, पीपल, नागरमोथा, गजपीपल, हर्रे, बच और कूठ 10-10 ग्राम लेना है. गुल्मकालानल रस निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले पारा-गंधक की कज्जली बना लें और उसके जड़ी-बूटियों का चूर्ण और भस्म मिक्स कर नागरमोथा, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, सोंठ, पाठा और अपामार्ग के काढ़े की अलग-अलग एक-एक भावना देकर अच्छी तरह से खरलकर 500 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. गुल्मकालानल रस के गुण - आयुर्वेदानुसार यह वात या वायु नाशक है. तासीर में गर्म है. यह कफ़ दोष को भी कम करता है. यह पाचक, मूत्रल, गैस और कब्ज़ नाशक गुणों से भरपूर होता है. गुल्मकालानल रस के फ़ायदे - गुल्म या पेट में गोला बनना, पेट में गैस, आँतों में मल की गाँठ बनना और पेट फूलना जैसी प्रॉब्लम में यह दवा बेहद असरदार है. कफज, पित्तज और वातज हर तरह के गुल्म में रोगानुसार उचित अनुपान से आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका प्रयोग कराते हैं. गुल्मकालानल रस की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक सुबह-शाम हर्रे के काढ़े के साथ लेना चाहिए. या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. चूँकि यह रसायन औषधि है तो इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करें. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इसे आप ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
वातगजांकुश रस जो है वात रोगों की आयुर्वेद की जानी-मानी औषधि है जो गठिया, साइटिका, लकवा, Spondylosis और जकड़न जैसे वात रोगों में प्रयोग की जाती है. तो आईये जानते हैं वातगजांकुश रस क्या है? इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - वातगजांकुश रस यानी हाथी जैसे बड़े वात रोगों पर अंकुश लगाने या कण्ट्रोल करने वाली रसायन औषधि. वात रोगों को आयुर्वेद में हाथी जैसा बड़ा माना गया है जो की सच है. आपने देखा ही होगा कि गठिया या आर्थराइटिस जैसे रोग जल्दी नहीं जाते हैं. वातगजांकुश रस का कम्पोजीशन- यह हैवी मेटल वाली रसायन औषधि है जिसमे पारा-गंधक के अलावा भस्म और जड़ी-बूटियाँ होती हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें मिला होता है - रस सिन्दूर, लौह भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म, शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल, हर्रे, काकड़ासिंघी, शुद्ध बच्छनाग, अरनी के जड़ की छाल, सोंठ, काली मिर्च, पीपल और शुद्ध सुहागा या टंकण भस्म सभी बराबर मात्रा में लेना होता है. वातगजांकुश रस निर्माण विधि - बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले रस सिन्दूर, शुद्ध गंधक और दुसरे भस्मों को अच्छी तरह से खरल कर मिक्स करें और उसका बाद जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स कर गोरखमुंडी और निर्गुन्डी के रस में एक-एक दिन घोंटकर 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें, यही वातगजांकुश रस है. वातगजांकुश रस के गुण(Properties)- आयुर्वेदानुसार यह वात और कफ़ नाशक है. दर्द-सुजन नाशक, एंटी इंफ्लेमेटरी, Anti-arthritic, Detoxifier और जकड़न दूर करने वाले गुणों से भरपूर होता है. वातगजांकुश रस के फ़ायदे - गठिया, साइटिका, लकवा, पक्षाघात, Spondylosis और जकड़न वाले ऑलमोस्ट हर तरह के वात रोगों की यह बेहद असरदार दवा है जिसे आयुर्वेदिक डॉक्टर वातरोगों से ग्रसित रोगियों पर इसका सफ़लतापूर्वक प्रयोग कराते हैं. आयुर्वेद में इसका बड़ा ही गुणगान किया गया है. और ऐसे भी यह काफ़ी असरदार दवा है अगर सही से इसका इस्तेमाल किया जाये. वातगजांकुश रस की मात्रा और सेवन विधि - एक-एक गोली सुबह शाम रास्नादी क्वाथ या दशमूल क्वाथ के साथ लेना चाहिए. या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित अनुपान से. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए, नहीं तो नुकसान भी हो सकता है. आयुर्वेदिक कम्पनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
जैसा कि आप सभी जानते ही हैं पित्त की थैली में होने वाली पत्थरी को गालस्टोन कहते है. यह अधिकतर छोटी-छोटी कई सारी होती हैं जिसे मल्टीप्ल स्टोन कहा जाता है, जबकि बड़े साइज़ में अकेली भी हो सकती है. एलोपैथिक वाले तो मानते ही नहीं कि यह दवा से भी निकल सकती है. पर सच्चाई तो यह है कि सही आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से अधिकतर लोगों की यह बिना ऑपरेशन निकल जाती है. तो आईये जानते हैं बिना ऑपरेशन पित्त पत्थरी को दूर करने वाले आयुर्वेदिक योग की पूरी डिटेल - गॉलस्टोन का ऑपरेशन कराने से पहले यह ज़रूर जान लीजिये की इसके ऑपरेशन में न सिर्फ स्टोन को निकाला जाता है बल्कि पूरा गॉलब्लैडर या पित्त की थैली ही निकाल दी जाती है. इसका ऑपरेशन होने के बाद लाइफ़ टाइम के लिए आपको Digestion की प्रॉब्लम हो सकती है क्यूंकि गॉलब्लैडर पाचक पित्त का स्राव करता है जिस से Digestion में मदद मिलती है. वैसे तो पहले ही मैं पित्त पत्थरी के लिए दो तरह के उपाय बता चूका हूँ जिसमे ठंडाई वाला आसान सा घरेलु प्रयोग है, दूसरा एप्पल जूस वाला थोडा इजी नहीं है. पर आज जो बताने वाला हूँ वो पूरी तरह से आयुर्वेदिक योग है- पित्ताश्मरी नाशक योग - इसके लिए आपको चाहिए होगा ताम्र भस्म - 10 ग्राम और शंख वटी - 50 ग्राम शंख वटी को खरल में डालकर पिस लें और ताम्र भस्म को अच्छी तरह से मिक्स कर खरल कर बराबर मात्रा की सादे कागज़ में 120 पुड़िया बनाकर एयर टाइट डब्बे में रख लें. इस्तेमाल का तरीका यह है कि एक-एक पुडिया सुबह शाम लेना है करेला जूस - 20 ML + कुमार्यासव 20 ML + रोहितकारिष्ट - 20 ML के साथ भोजन के एक घंटा के बाद. बताया गया आयुर्वेदिक योग गॉलस्टोन को घुलाकर निकाल देता है. 90% लोगों को इस से फ़ायदा हो जाता है. इस योग का इस्तेमाल करने से पहले सोनोग्राफी से गॉलस्टोन का साइज़ और संख्या पता कर लें और साठ दिनों के बाद दुबारा सोनोग्राफी करा लेना चाहिए. छोटी साइज़ वाली मल्टीप्ल स्टोन तो 60 दिनों में ही निकल जाती है, बड़ी स्टोन के लिए ज़्यादा दिनों तक दवा लेनी पड़ सकती है. अगर किसी को दवा इस्तेमाल करने के 60 दिनों बाद भी पत्थरी के साइज़ में कुछ फ़र्क नहीं पड़ता है तो लास्ट आप्शन ऑपरेशन या फिर लिथोट्रिप्सी ही हैइसे . परहेज़- इस योग का इस्तेमाल करते हुवे दूध, दूध से बनने वाली चीज़, मिठाई, उड़द की दाल, तेल-मसाले वाले भोजन और देर से पचने वाले फूड़ नहीं खाना चाहिए. आज के इस योग में बताई गयी दवाएँ जैसे ताम्र भस्म, शंख वटी, कुमार्यासव, रोहितकारिष्ट बैद्यनाथ या डाबर जैसी अच्छी कम्पनी का ही यूज़ करें. करेला तो हर जगह मिल ही जाता है, जूसर में डालकर इसका फ़्रेश जूस बनाकर यूज़ करना है. नोट- गॉलस्टोन की सीरियस कंडीशन या Complication वाली कंडीशन में इसका इस्तेमाल न करें. तो दोस्तों वैद्य जी डायरी में ये था आज का योग पित्त पत्थरी को दूर करने का. इस तरह की उपयोगी जानकारी आपको और कहीं नहीं मिलेगी. हाँ कुछ बेवकूफ़ नीम-हकीम लोग मेरी दी गयी जानकारी को कॉपी करने लगे हैं. अगर आपको मेरी दी गयी जानकारी की नकल कहीं दिखती है तो कमेंट कर ज़रुर बताएं.
हिमालया डायबिकॉन टेबलेट डायबिटीज या शुगर को कण्ट्रोल करने की हर्बल दवा है जो हर तरह की डायबिटीज में असरदार है. अमेरिका में यह ग्लुकोकेयर के नाम से मिलती है, तो आईये जानते हैं हिमालया डायबिकॉन का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - हिमालया डायबिकॉन टेबलेट का कम्पोजीशन - हिमालया डायबिकॉन हर्बल मिनरल मेडिसिन है जिसमे जड़ी-बूटियों के अलावा भस्मों का भी मिश्रण होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे - शुद्ध गुग्गुल-30mg, शुद्ध शिलाजीत-30mg, मेहश्रृंगी-30mg, पित्तसारा- 20mg, मुलेठी-20mg, सप्तरंगी-20mg, जम्बू-20mg, शतावरी-20mg, पुनर्नवा-20mg, मुंडतिका-10mg, गुडूची-10mg, चिरैता-10mg, भूमि आमला-10mg, गंभारी-10mg, कर्पसी-10mg, दारूहल्दी-5mg, घृतकुमारी-5mg, त्रिफला-3mg, विडंगादि लौह-27mg, सुश्वी-20mg, काली मिर्च-10mg, तुलसी-10mg, अतिबला-10mg, अभ्रक भस्म-10mg, प्रवाल भस्म-10mg, जंगली पालक-5mg, वंग भस्म-5mg, हल्दी-10mg, अकीक पिष्टी-5mg, शुद्ध शिंगरफ-5mg, यशद भस्म-5mg और त्रिकटु-5mg का मिश्रण होता है. डायबिकॉन DS टेबलेट में इन सभी को दोगुनी मात्रा होती है. हिमालया डायबिकॉन के गुण(Properties)- यह Anti-diabetic है. इन्सुलिन Secretion को बढ़ाने वाला और पंक्रियास को ताक़त देने वाले गुणों से भरपूर होता है. हिमालया डायबिकॉन के फ़ायदे- प्री डायबिटीज, नई डायबिटीज, टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के लिए यह असरदार दवा है. यह शुगर लेवल को कम कर नार्मल कर देता है. टाइप-2 वाले शुगर रोगी को शुगर लेवल को मेन्टेन करने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए. हिमालया डायबिकॉन का डोज़- ब्लड शुगर की बढ़ी हुयी कंडीशन में डायबिकॉन टेबलेट दो-दो सुबह शाम लेना चाहिए खाना खाने के एक घंटा पहले. जबकि डायबिकॉन टेबलेट एक-एक सुबह शाम लें. इसी तरह इसका कैप्सूल यानि हिमालया ग्लुकोकेयर भी एक-एक सुबह शाम ले सकते हैं. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. डायबिकॉन DS के 60 टेबलेट की क़ीमत क़रीब 140 रुपया है जबकि ग्लुकोकेयर के 180 कैप्सूल की क़ीमत 5000 रुपया है, इसे ऑनलाइन खरीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -