स्मृतिसागर रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो एक बेहतरीन ब्रेन टॉनिक है. इसके इस्तेमाल से मेमोरी लॉस, Neuropathy, दिमाग की कमज़ोरी, बेहोशी, मृगी या एपिलेप्सी, पागलपन और हिस्टीरिया जैसी बीमारियाँ दूर होती हैं और बुद्धि और सिखने की क्षमता को यह बढ़ाता है. तो आइये जानते हैं स्मृतिसागर रस का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
स्मृतिसागर रस जैसा कि इसका नाम रखा गया है यानी यादाश्त या मेमोरी का समुन्दर. इसके इस्तेमाल से मेमोरी पॉवर बढ़ जाती है.
स्मृतिसागर रस के घटक या कम्पोजीशन -
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे कई तरह की चीज़ों से बनाया जाता है जैसे - शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक की कज्जली 20 ग्राम, शुद्ध हरताल, शुद्ध मैनशील, स्वर्णमाक्षिक भस्म और ताम्र भस्म प्रत्येक 10-10 ग्राम. भावना देने के लिए मीठी बच और ब्राह्मी के क्वाथ के अलावा ज्योतिष्मती का तेल भी चाहिए होता है.
स्मृतिसागर रस निर्माण विधि -
बनाने का तरीका यह है कि सभी चीजों को पत्थर के खरल में डालकर घोटें और सबसे पहले मीठी बच के काढ़े की 21 भावना दें और उसके बाद ब्रह्मी के क्वाथ की 21 भावना देने के बाद ज्योतिष्मती के तेल में घोंटकर 125mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. यही स्मृतिसागर रस है.
स्मृतिसागर रस की मात्रा और सेवन विधि -
एक-एक गोली सुबह शाम घी या ब्राह्मी घृत से खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए.
स्मृतिसागर रस के फ़ायदे-
दिमाग की कमज़ोरी, नर्वस सिस्टम की कमज़ोरी को यह दूर करती है. यह दिमाग को ताक़त देती है और मेमोरी पॉवर, बुद्धि और सिखने की क्षमता को बढ़ा देती है.
ज़्यादा सोचने, चिंता करने, शोक, दुःख या फिर सर में चोट लगने की वजह से होने वाले मानसिक रोगों में असरदार है.
मृगी या एपिलेप्सी में इसका ज़रूर सेवन करना चाहिए. हिस्टीरिया और पागलपन जैसी बीमारी में भी असरदार है. मृगी में इसके साथ में वातकुलान्तक रस, सारस्वत चूर्ण, सारस्वतारिष्ट और अश्वगंधारिष्ट जैसी दवाओं के साथ लॉन्ग टाइम तक लेने से बीमारी दूर हो जाती है.
फेसिअल पैरालिसिस में भी इसका अच्छा रिजल्ट मिलता है ख़ासकर जब नाड़ियों में रक्त का थक्का जमने से पक्षाघात हुवा हो.
कुल मिलाकर देखा जाये तो स्मृतिसागर रस ब्रेन के लिए एक बेहतरीन दवा है, यह मेरा पर्सनल एक्सपीरियंस भी है. स्कूल लाइफ में मैं इसे यूज़ कर चूका हूँ.
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