निम्बादि चूर्ण जो है ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जो हर तरह की स्किन डिजीज में असरदार है. खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी से लेकर एक्जिमा, सोरायसिस और कुष्ठरोग जैसी बड़ी बीमारियों को भी दूर कर देती है. तो आईये जानते हैं निम्बादि चूर्ण का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
निम्बादि चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन-
इसके लिए चाहिए होता है नीम की छाल, गिलोय, हर्रे, आँवला, सोंठ, सोमराजी, वायविडंग, पीपल, अजवायन, बच, ज़ीरा, कुटकी, खैरसार, सेंधानमक, यवक्षार, हल्दी, दारूहल्दी, नागरमोथा, देवदार और कूठ सभी बराबर वज़न में.
बनाने का तरीका यह होता है कि सभी को कूट-पीसकर कपड़छन चूर्ण बनाकर रख लें. यही निम्बादि चूर्ण है, यह भैषज्य रत्नावली का योग है.
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निम्बादि चूर्ण की मात्रा और सेवनविधि -
दो से चार ग्राम तक सुबह शाम पानी से या फिर खदिरारिष्ट, मंजिष्ठारिष्ट जैसी दवाओं के साथ लेना चाहिए.
निम्बादि चूर्ण के गुण -
यह रक्तशोधक है यानि इफेक्टिव ब्लड प्योरीफ़ायर है. Anti-allergic, Antibiotic और Anti-fungal जैसे गुणों से भरपूर होती है.
निम्बादि चूर्ण के फ़ायदे -
यह हर तरह के चर्मरोगों या स्किन डिजीज की बेहतरीन दवा है. छोटे-मोटे फोड़े-फुंसी और खुजली से लेकर दाद, एक्जिमा, सोरायसिस और कुष्टव्याधि तक में यह दवा असरदार है. आयुर्वेदिक डॉक्टर लोग हर तरह के चर्मरोगों में इसका प्रयोग करते हैं.
इन सब के अलावा आमवात की वजह से होने वाली सुजन, पांडू, कामला और गुल्म जैसे रोगों में भी असरदार है.
चर्मरोगों में निम्बादि चूर्ण चूर्ण के साथ रस माणिक्य और गंधक रसायन जैसी दवा मिलाकर लेने से बेहतरीन रिज़ल्ट मिलता है, यह मेरा पर्सनल एक्सपीरियंस भी है.
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