नारिकेल-लवण आयुर्वेदिक औषधि है जो पित्त विकार, पेट दर्द और एसिडिटी जैसी प्रॉब्लम में बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं नारिकेल-लवण को बनाने का तरीका, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
नारिकेल-लवण के घटक एवम निर्माण विधि-
यह नारियल और सेंधा नमक के मिश्रण से बना होता है. इसे बनाने के लिए चाहिए होता है सेंधा नमक का चूर्ण और जटा निकला हुवा नारियल.
बनाने का तरीका यह होता है कि जटा निकले हुवे पके नारियल में छेद कर उसका पानी निकाल दें और उस छेद से सेंधा नमक का चूर्ण भरकर, छेद बंदकर कपड़मिट्टी कर सुखा दें और इसके बाद महापुट में रखकर फूँक दें. पूरी तरह से ठण्डा होने पर ऊपर के जले काले भाग को हटाकर नमक को निकालकर पीसकर रख लें. यह नारिकेल लवण है.
नारिकेल-लवण के गुण -
आयुर्वेदानुसार यह पाचक और पित्त नाशक है, वात दोष का भी शमन करता है. Antacid और Anti-spasmodic जैसे गुणों से भरपूर है.
नारिकेल-लवण के फ़ायदे -
पित्त विकार, एसिडिटी, पेट का दर्द, खाना खाने के बाद होने वाला पेट का दर्द या परिणामशूल जैसी प्रॉब्लम में यह बेहद असरदार है.
यह खाना हज़म करने में मदद करता है. कफज, पित्तज, वातज और सन्निपातज शूल यह हर तरह के पेट दर्द में असरदार है.
नारिकेल-लवण की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो ग्राम तक पानी के साथ या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए. इसे नवसादर, घी और यवक्षार के साथ भी लिया जाता है. नमक की मात्रा होने से हाई ब्लड प्रेशर वालों को नहीं लेना चाहिए. आयुर्वेदिक कम्पनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
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