द्राक्षावलेह क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो लिवर की बीमारियों के लिए बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं द्राक्षावलेह का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
द्राक्षावलेह जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसे द्राक्षा या मुनक्का से बनाया जाता है जो की अवलेह या हलवे की तरह होता है, ठीक वैसा ही जैसा कि च्यवनप्राश होता है.
द्राक्षावलेह का कम्पोजीशन -
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है द्राक्षा- 768gram , पिप्पली-768gran, चीनी- 2.4kg, यष्टिमधु-96gram, सोंठ-96gram, वंशलोचन-96gram, आँवला जूस- 12 liter और शहद - 768gram
द्राक्षावलेह निर्माण विधि -
बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले सोंठ, पीपल और यष्टिमधु का बारीक चूर्ण बनाकर रख लें. कड़ाही में आँवला जूस डालें और पिसा हुवा द्राक्षा, चीनी और जड़ी बूटियों का चूर्ण मिक्स कर गाढ़ा होने तक पकाएं. इसके बाद चूल्हे से उतार कर वंशलोचन मिक्स करें और पूरी तरह से ठंडा होने पर सबसे लास्ट में शहद मिक्स कर काँच के जार में पैक कर रख लें. बस यही द्राक्षावलेह है.
द्राक्षावलेह के फ़ायदे-
लिवर की बीमारियों के लिए यह एक अच्छी दवा है. लिवर का बढ़ जाना, जौंडिस और अनेमिया या खून की कमी में बेहद असरदार है.
यह लिवर के फंक्शन को सही करता है और लिवर प्रोटेक्टिव का भी काम करता है.
सीने की जलन, हाइपर एसिडिटी, भूख की कमी और पेट के रोगों में भी असरदार है.
शराब पिने वाले लोग अगर इसका इस्तेमाल करें तो लिवर को प्रोटेक्ट कर सकते हैं.
द्राक्षावलेह की मात्रा और सेवन विधि -
पाँच से दस ग्राम तक सुबह शाम खाना के बाद गर्म पानी, दूध या शहद के साथ लेना चाहिए. बच्चों को कम डोज़ में देना चाहिए. बच्चे बड़े-बूढ़े सभी यूज़ कर सकते हैं.
प्रेगनेंसी में भी खून की कमी को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. डायबिटीज वालों को इसे यूज़ नहीं करना चाहिए चीनी और शहद की मात्रा होने से. डाबर के 250 ग्राम की क़ीमत 185 रुपया है अमेज़न डॉट इन में, इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं दिए लिंक से -
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