अग्निवर्धक वटी क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो भूख बढ़ाती है, इसके इस्तेमाल से पेट का भारीपन, पेट फूलना, मन्दाग्नि, कब्ज़ और खट्टी डकार आना जैसी प्रॉब्लम दूर होती है. तो आईये जानते हैं अग्निवर्धक वटी का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
अग्निवर्धक वटी के घटक या कम्पोजीशन-
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसके लिए चाहिए होता है काला नमक, काली मिर्च, नौसादर, आक के फूलों का लौंग प्रत्येक 5-5 ग्राम, निम्बू का सत्त- 320 ग्राम और निम्बू का रस भी चाहिए होता है भावना देने के लिए.
बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले काली मिर्च, आक के फूलों का लौंग और काला नमक को पिस लें और उसमे नौसादर और निम्बू का सत्व मिलाकर खरल करें, अब निम्बू का रस डालकर घुटाई कर चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लें. बस अग्निवर्धक वटी तैयार है.
अग्निवर्धक वटी के गुण -
आयुर्वेदानुसार यह दीपक, पाचक-अग्निवर्धक है यानी भूख बढ़ाने वाला, अग्नि प्रदीप्त करने वाला Digestive Enzyme है.
अग्निवर्धक वटी के फ़ायदे-
भूख नहीं लगना, खाने में अरुचि होना, पेट का भारीपन, कब्ज़ जैसी प्रॉब्लम के इसका सेवन करना चाहिए.
पेट फूलना, पेट में गुड़-गुड़ आवाज़ होना, बेचैनी और आलस में असरदार है.
यह स्वाद में टेस्टी होती है, मुंह में रखते ही मुँह का मज़ा ठीक होता है और खाने में रूचि आती है.
अग्निवर्धक वटी की मात्रा और सेवन विधि -
एक-एक गोली गुनगुने पानी से रोज़ दो-तिन बार या फिर ऐसी ही मुँह में रखकर चुसना चाहिए. बच्चे-बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं बस आयु के अनुसार सही डोज़ होना चाहिए.
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