गंधक रसायन चर्मरोगों या स्किन डिजीज को दूर करने वाली क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है. इसके इस्तेमाल से खाज-खुजली, एक्जिमा, फोड़े-फुंसी, चकत्ते, छाजन और सफ़ेद दाग से लेकर कुष्ठव्याधि तक नए-पुराने हर तरह के चर्मरोग दूर हो जाते हैं. तो आईये जानते हैं गंधक रसायन का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
गंधक रसायन का घटक या कम्पोजीशन -
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक शुद्ध गंधक होता है. गंधक को अंग्रेज़ी में Sulphur कहा जाता है. इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध गंधक के अलावा भावना देने के लिए चातुर्जात क्वाथ, त्रिफला क्वाथ, गिलोय का रस और अदरक का रस
बनाने का तरीका यह होता है कि शुद्ध गंधक को चूर्ण बना लें और फिर इसमें चातुर्जात क्वाथ, त्रिफला क्वाथ, गिलोय का रस और अदरक के रस की कम से कम आठ-आठ भावना देकर सुखाकर पीसकर रख लिया जाता है.
शास्त्रानुसार इसे टोटल चौसठ भावना देकर बनाने का प्रावधान है. इसमें आधा भाग मिश्री पाउडर भी मिला सकते हैं. कुछ कंपनीयाँ इसे पाउडर फॉर्म मे तो कुछ इसका टेबलेट भी बनाती हैं.
विधिवत बनाया गया गंधक रसायन हल्का काले रंग का बनता है, यह मेरा एक्सपीरियंस है. मार्केट में मिलने वाला गंधक रसायन ऐसा नहीं होता, जिस से साबित होता है कि विधि-विधान से नहीं बना होता.
यहाँ पर दो बात और बता दूँ पहली यह की चातुर्जात में चार चीजें होती हैं इलायची, दालचीनी, तेजपात और नागकेशर सभी बराबर मात्रा में.
और दूसरी बात शुद्ध गंधक या गंधक को शोधित करने का तरीका. गंधक रसायन बनाने के लिए आँवलासार गंधक लेना होता है जो की पीले रंग का होता है.
गंधक शुद्ध करने की विधि -
गंधक शुद्ध करने का तरीका यह होता है कि एक कड़ाही में थोड़ा गाय का घी डालकर गर्म करें और उसमे आँवलासार गंधक को डालकर हल्की आँच में गर्म करने से गंधक पिघल जाता है. अब एक चौड़े मुँह के बर्तन में गाय का दूध डालें और ऊपर से कपड़ा बाँध दें.
अब पिघले हुवे गर्म गंधक को कपड़े में डालने से गंधक छनकर दूध में गिरेगा. ध्यान रहे दूध नार्मल या ठंडा होना चाहिए. अब दूध में पड़े गंधक को पानी से अच्छी तरह से धो लेना है. इसी तरह से गर्म गंधक को कम से कम सात बार दूध में बुझाने से गंधक शुद्ध हो जाता है.
ध्यान रहे हर बार नया दूध लेना है, और गंधक बुझा हुवा दूध को फेक दें क्यूंकि यह विषैला हो जाता है. तो यह है गंधक शुद्ध करने का तरीका. आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में थोड़ा झमेला तो है, पर यदि सही से विधिपूर्वक बनाया जाये तो 100% इफेक्टिव बनती हैं.
गंधक रसायन के औषधिय गुण -
आयुर्वेदानुसार यह तासीर में गर्म, पित्तशामक, कुष्ठाघ्न यानी हर तरह के चर्म रोगों को दूर करने वाला, विषघ्न या विष को दूर करने वाला, जीवाणु-विषाणु नाशक रसायन है. यह Antibacterial, Antiviral, Antibiotic, Antimicrobial, Anti-inflammatory, Anti Leprosy और Blood Purifier जैसे गुणों से भरपूर होता है.
गंधक रसायन के फ़ायदे -
- दाद, खाज-खुजली, एक्जिमा, सोरायसिस, कुष्ठ, सफ़ेद दाग़, फोड़े-फुंसी, फंगल इन्फेक्शन, बालों का गिरना, बालों में रुसी या Dandruff होना जैसी प्रॉब्लम में बेहद असरदार है.
- स्किन में चकत्ते होना, पित्ती उछलना(Urticaria) और कील-मुहाँसों में भी असरदार है.
- रक्तशोधक गुण होने से खून साफ़ करता है और वातरक्त या गठिया रोग में भी फ़ायदेमंद है.
- कुल मिलाकर बस समझ लीजिये कि चर्मरोगों और खून साफ़ करने की यह आयुर्वेद की बेस्ट दवाओं में से एक है.
गंधक रसायन की मात्रा और सेवन विधि -
बीमारी और रोगी की कंडीशन के अनुसार ही इसका सही डोज़ फिक्स होता है. वैसे 250mg या एक टेबलेट रोज़ दो से तीन बार तक लिया जा सकता है. इसे रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. हर तरह के चर्मरोगों में इसके साथ रस माणिक्य का भी प्रयोग किया जाता है.
पुराने चर्मरोगों में इसके साथ कैशोर गुग्गुल, निम्बादी चूर्ण, खदिरारिष्ट, मजिष्ठारिष्ट जैसी दवा लेनी चाहिए. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से सही डोज़ में लेना ठीक रहता है.
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