सूरणकन्द न सिर्फ एक तरह की सब्ज़ी है बल्कि यह औषधि का भी काम करती है. इसे हिन्दी और संस्कृत में जिमीकन्द और सूरण , मराठी में गोडा सूरण, बांग्ला में ओल, कन्नड़ में सुवर्ण गडड़े, तेलगु कंडा डूम्पा और फ़ारसी में जमीकंद जैसे नामो से जाना जाता है. हाथी के पंजे की तरह दिखने की वजह से अंग्रेज़ी में Elephant Foot कहा जाता है. इसका एक दूसरा नाम यम भी है. तो आईये जानते हैं इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
यह तासीर में गर्म होता है इसलिए इसे ज़्यादातर ठण्ड के मौसम में खाया जाता है. जिमीकंद में विटामिन B6, विटामिन सी, पोटैशियम, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स होते हैं और यह एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है.
इसके पौधे दो-तीन फुट लम्बे, गहरे हरे रंग के और सफ़ेद धब्बे वाले होते हैं.
जिमीकंद के फ़ायदे-
- यह पाचन शक्ति को ठीक करता है और कब्ज़ को दूर करता है जिसकी वजह से पाइल्स या बवासीर के रोगियों को इसे खाने की सलाह दी जाती है. बवासीर की आयुर्वेदिक औषधि सूरण वटक में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
- यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, ब्लड प्रेशर नार्मल करता है और हार्ट के लिए भी फ़ायदेमंद है.
- जिमीकन्द दिमाग को भी तेज़ करने में मदद करता है, यह मेमोरी पॉवर को बढ़ाता है और अल्ज़ाईमर से बचाता है.
- एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन सी और बीटा कैरोटीन होने से यह कैंसर जैसी बीमारी से बचने में मदद करता है.
- इसमें कॉपर मौजूद होने से रेड ब्लड सेल को बढ़ाता है और ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है.
- लिवर की प्रॉब्लम और वात रोग में भी असरदार है, वज़न कम करने में भी मदद करता है.
- एनर्जी से भरपूर होने की वजह से इसे कामशक्ति बढ़ाने वाला भी माना जाता है.
जिमीकन्द के नुकसान-
वैसे तो जिमीकन्द गुणों से भरपूर सब्जी है पर आयुर्वेदानुसार चर्मरोग और स्किन डिजीज वालों को इसे नहीं खाना चाहिए.
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