बहुमूत्रान्तक रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो बहुमूत्र या बार-बार बहुत पेशाब होना, मधुमेह, प्रमेह, शीघ्रपतन और वीर्य की कमी जैसी बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. तो आईये जानते हैं बहुमूत्रान्तक रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
बहुमूत्रान्तक रस जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है बहुमूत्र का अंत करने वाली रसायन औषधि.
बहुमूत्रान्तक रस का कम्पोजीशन -
यह भैषज्य रत्नावली का योग है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है रस सिन्दूर, लौह भस्म, वंग भस्म, शुद्ध अफ़ीम, गूलर-फल के बीज, बेल की जड़ की छाल और तुलसी सभी बराबर वज़न में.
बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले रस सिन्दूर को खरल करें उसके बाद लौह भस्म, वंग भस्म और शुद्ध अफ़ीम मिलाने के बाद दूसरी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स करें. अब गूलर के फलों के रस में घोंटकर दो-दो रत्ती या 250mg की गोलियाँ बनाकर सुखा कर रख लें. यही बहुमूत्रान्तक रस है.
बहुमूत्रान्तक रस के फ़ायदे-
यह रसायन बार-बार पेशाब होने या बहुमूत्र, मधुमेह और सोमरोग में बहुत फ़ायदेमंद है.
प्रमेह, वीर्यविकार, वीर्य की कमी, शीघ्रपतन और नामर्दी में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
बहुमूत्रान्तक रस की मात्रा और सेवनविधि-
बहुममूत्र और मधुमेह या डायबिटीज में इसे एक-एक गोली सुबह शाम जामुन की गुठली, गुडमार चूर्ण और गुलर के रस के साथ लेना चाहिए.
प्रमेह में गुरीच के रस और शहद के साथ. जबकि वीर्य विकार, शीघ्रपतन और नामर्दी में मिश्री मिले दूध के साथ लेना चाहिए.
बहुमूत्रान्तक रस के साइड इफेक्ट्स -
इसके इस्तेमाल से वैसा कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है, लेकिन प्यास बहुत लगने लगती है. अगर ज़्यादा प्यास लगे तो मुलेठी, चन्दन बुरादा, सारिवा और ख़स का काढ़ा बनाकर ठण्डा होने पर पीना चाहिए. बहुमूत्रान्तक रस को आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में ही यूज़ करें. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं.
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