महा वातविध्वंसन रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के वात रोगों को दूर करती है. इसके इस्तेमाल से मसल्स और नाड़ियों का दर्द, जोड़ों का दर्द, पेट का दर्द, पैरालिसिस और मिर्गी जैसे रोगों में फ़ायदा होता है. तो आईये जानते हैं महा वातविध्वंसन रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
महा वातविध्वंसन रस का मतलब होता है वात रोगों का विध्वंस या नष्ट करने वाली रसायण औषधी. जिसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए.
महा वातविध्वंसन रस का कम्पोजीशन-
यह रसतंत्रसार व् सिद्ध प्रयोग संग्रह या योग है. इसमें पारा गंधक के अलावा जड़ी-बुटियों का मिश्रण होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो बनाने के लिए शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, नाग भस्म, वंग भस्म, लौह भस्म, ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म, टंकण भस्म, सोंठ, मिर्च और पीपल एक-एक भाग और शुद्ध वत्सनाभ चार भाग लेना होता है.
बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले पारा-गंधक की कज्जली बनाकर दूसरी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स कर त्रिकटु, त्रिफला, चित्रकमूल, भृंगराज, कुठ, निर्गुन्डी और आँवला के क्वाथ की एक-एक भावना दें. निम्बू के रस और अर्कक्षीर की भी एक-एक भावना देकर अच्छी तरह से खरलकर 125 mg की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है.
महा वातविध्वंसन रस के गुण -
यह मुख्यतः वातनाशक है, वात दोष को बैलेंस करता है. Analgesic, Anti-inflammatory, Anti-colic जैसे गुणों से भरपूर होता है.
महा वातविध्वंसन रस के फ़ायदे-
वात रोगों की यह जानी-मानी दवा है, आमवात जोड़ों का दर्द, नसों का दर्द, मसल्स का दर्द, बदन दर्द, लकवा, पेट दर्द जैसी तकलीफ़ों में आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
जोड़ों का सुजन, शरीर की सुजन में भी असरदार है.
यह पाचन शक्ति को ठीक करता है और भूख बढ़ाने में मदद करता है.
महा वातविध्वंसन रस की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो गोली सुबह शाम शहद, अदरक के रस या फिर रोगानुसार उचित अनुपन के साथ लेना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करें नहीं तो नुकसान भी हो सकता है.
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