चन्द्रामृत रस क्लासिकल आयुर्वेदिक रसायन औषधि है जो सर्दी, खाँसी, बुखार, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में इस्तेमाल की जाती है, तो आईये जानते हैं चन्द्रामृत रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
चन्द्रामृत रस आयुर्वेद में रसायन औषधि को रस भी कहते हैं जिनमे पारा और गंधक का मिश्रण होता है. चन्द्रामृत रस में भी पारा और गंधक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियों और भस्मों का मिश्रण होता है.
चन्द्रामृत रस का कम्पोजीशन -
इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे सोंठ, मिर्च, पीपल, हर्रे, बहेड़ा, आँवला, चव्य, जीरा, धनिया, सेंधा नमक, शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, लौह भस्म, अभ्रक भस्म प्रत्येक एक-एक भाग और टंकण भस्म चार भाग का मिश्रण होता है. जिसे वासा स्वरस की भावना देकर गोली या टेबलेट बनाया जाता है.
चन्द्रामृत रस के गुण -
यह कफ़ और वात दोष को बैलेंस करती है. यह Antitussive, Expectorant, Antibiotic, Anti inflammatory और एंटी एलर्जिक जैसे गुणों से भरपूर होती है.
चन्द्रामृत रस के फ़ायदे-
जैसा कि शुरू में ही बताया गया है यह सर्दी, खाँसी, बुखार, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में बेहद असरदार दवा है.
खाँसी सुखी हो या गीली इसे सितोपलादि चूर्ण के साथ मिक्स कर लेने से बेहतरीन फ़ायदा मिलता है. जब सारे अंग्रेज़ी कफ़ सिरप फेल हो जाएं तो भी यह काम कर जाती है.
साइनस और एलर्जिक राईनाईटिस में इस से फ़ायदा होता है.
चन्द्रामृत रस की मात्रा और सेवन विधि-
एक-एक गोली सुबह शाम शहद, अदरक के रस, सितोपलादि चूर्ण या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. बच्चों को कम डोज़ में दिया जाता है. इसे डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करें नहीं तो नुकसान भी हो सकता है, क्यूंकि यह रसायन औषधि है और पारा-गंधक जैसे हैवी मेटल मिले हैं.
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