अंगूरासव क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो भूख बढ़ाने, कमज़ोरी दूर कर शरीर को ताक़त और स्टैमिना देने, सुखी खाँसी, नीन्द की कमी और पित्त बढ़ने जैसी प्रॉब्लम में फ़ायदेमंद है. तो आईये जानते हैं अंगूरासव का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
अंगूरासव का कम्पोजीशन-
अंगूरासव का मुख्य घटक या मेन इनग्रीडेंट अंगूर होता है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
मीठे अंगूर का रस - 10 किलो चीनी- 5 किलो धाय के फूल- 1/2 किलो चिकनी सुपारी- 25 ग्राम लौंग, इलायची, दालचीनी, तेजपात, सोंठ, मिर्च, पीपल, नागकेशर, अकरकरा, कमलकन्द, कूठ और बबूल की छाल प्रत्येक 20-20 ग्राम लेना होता है.
जिसे आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव निर्माण विधि से इसका आसव या सिरप बनाया जाता है.
अंगूरासव के गुण -
आयुर्वेदानुसार यह पित्त नाशक है, पाचक या digestive, भूख बढ़ाने वाला, बल-ओज और वीर्य वर्धक, पौष्टिक, एंटी ऑक्सीडेंट और कार्डियो प्रोटेक्टिव जैसे गुणों से भरपूर होता है.
अंगूरासव के फ़ायदे-
भूख की कमी, शारीरिक कमज़ोरी, मन खिन्न रहना, नीन्द की कमी, पित्त बढ़ने से होने वाला सर दर्द और चक्कर, और सुखी खाँसी जैसे लक्षण होने पर इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
यह सौम्य विरेचक या माइल्ड Laxative है जिस से कब्ज़ दूर होता है.
यह एक तरह का आयुर्वेदिक टॉनिक है जो कमज़ोरी और थकान दूर कर पॉवर और स्टैमिना को बढ़ाता है.
अंगूरासव की मात्रा और सेवन विधि -
15 से 30 ML तक सुबह शाम खाना खाने के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर लेना चाहिए. बच्चों को 5 से 10 ML तक देना चाहिए. बच्चे-बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं बिल्कुल सेफ़ दवा है. चीनी की मात्रा होने से डायबिटीज वालों को नहीं लेना चाहिए. इसे लगातार दो-तीन महिना तक लिया जा सकता है.
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें