स्वर्णवंग क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो प्रमेह, यौन रोगों, मूत्र रोगों, डायबिटीज, पुरानी खांसी, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी कई तरह की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. तो आईये जानते हैं स्वर्णवंग का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
स्वर्णवंग जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है स्वर्ण का मतलब सोना या गोल्ड और वंग भी एक तरह का मेटल है. पर इसमें स्वर्ण या सोना नहीं मिला होता, बल्कि सोने की तरह या सुनहला दिखने की वजह से इसे स्वर्णवंग कहा गया है. इसे स्वर्णबंग और स्वर्णराज बंगेश्वर जैसे नामों से भी जाना जाता है.
स्वर्णवंग का कम्पोजीशन -
इसके कम्पोजीशन या Ingredients की बात करें तो इसमें वंग भस्म, शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, नवसादर और निम्बू का रस मिला होता है जिसे आयुर्वेदिक प्रोसेस कूपीपक्व रसायन निर्माण विधि से अग्नि देकर बनाया जाता है.
स्वर्णवंग के गुण -
त्रिदोष पर इसका असर होता है यानि त्रिदोष नाशक है जो वात, पित्त और कफ़ को बैलेंस करता है.
स्वर्णवंग के फ़ायदे -
पुरानी सर्दी-खाँसी, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, मूत्र रोग और Urinary Tract Infection जैसे रोगों में असरदार है.
डायबिटीज और इसकी वजह से होने वाली परेशानियों में असरदार है.
मर्दाना कमज़ोरी, वीर्य विकार, स्वप्नदोष, स्पर्म काउंट की कमी जैसे पुरुष रोगों में दूसरी सहायक दवाओं के साथ इस्तेमाल किया जाता है.
स्वर्णवंग के इस्तेमाल से Digestive System मज़बूत होता है, भूख बढ़ती है, बॉडी को एनर्जी देता है और पॉवर-स्टैमिना को बढ़ाता है.
स्वर्णवंग की मात्रा और सेवन विधि -
125mg सुबह शाम मक्खन, मलाई या शहद में मिक्स लेना चाहिए. या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित अनुपान से. इसे डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में ही यूज़ करें, अन्यथा नुकसान भी हो सकता है. डाबर के 100mg के पैक की क़ीमत 110 रुपया है जिसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए गए लिंक से - Swarna Vanga 5 gram
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