अणु तेल क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जिसे नस्य या Nasal Drops की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसके इस्तेमाल से नाक, कान, आँख जैसी इन्द्रियों को बल मिलता है और साइनस, थायराइड, सर्दी-जुकाम, एलर्जी, बालों का टाइम से पहले सफ़ेद होना, बाल गिरना, सर्द दर्द, माईग्रेन और यादाश्त की कमी जैसे कई तरह के रोगों में फ़ायदा होता है, तो आईये जानते हैं अणु तेल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
अणु तेल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह शरीर में सूक्ष्म अणुओं तक पहुँच जाता है इसीलिए इसे अणु तेल कहा गया है. इसे कई तरह की जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
जीवंती, हाउबेर, देवदार, मोथा, दालचीनी, उशीर, श्वेत सारिवा, सफ़ेद चन्दन, दारूहल्दी, यष्टिमधु, मोथा, अगर, शतावर, बिल्व, उत्पल, बृहती, कंटकारी, रास्ना, विडंग, शालपर्णी, प्रिश्नपर्णी, तेजपात, छोटी इलायची, रेणुका बीज, कमल, बकरी का दूध और तिल तेल के मिश्रण से बनाया जाता है.
अणु तेल त्रिदोष नाशक होता है पर कफ़ और वातदोष में इसका ज़्यादा असर दीखता है.
अणु तेल के फ़ायदे-
नाक, कान, आँख, गला, सर की बीमारियों और वातरोगों में यह असरदार है.
नयी पुरानी साइनस, थाइराइड, नाक की सुजन, सुगंध पता नहीं लगना, सर्दी-खाँसी, गले की सुजन, सर दर्द, एलर्जी, बाल गिरना, समय से पहले बाल सफ़ेद होना, दाढ़ी-मूँछ के बाल सफ़ेद होना जैसी प्रॉब्लम में फ़ायदेमंद है.
फेसिअल पैरालिसिस, गर्दन की जकड़न, कन्धों का दर्द और जकड़न, मसल्स की कमज़ोरी और जकड़न जैसे वात रोगों में इसका नस्य लेने से लाभ होता है.
टोंसिल, गला ख़राब होना, यादाश्त की कमजोरी, नर्व की कमज़ोरी, दांत के रोग, हकलाहट, हार्मोनल Imbalance में भी फ़ायदेमंद है.
अणु तेल नाक, कान, आँख जैसी इन्द्रियों को ताक़त देता है और इनकी बीमारियों को दूर करता है. पंचकर्म के नस्यकर्म में इसे विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है.
अणु तेल का इस्तेमाल आप बताई गई बीमारीओं से बचने के लिए भी कर सकते हैं.
अणु तेल का प्रयोग कैसे करें?
सुबह फ्रेश होने के बाद लेटकर ड्रॉपर से दो-तीन बूंद नाक में डालें और अन्दर तक खींचें. इसे डालने के बाद पांच-दस मिनट तक लेटे रहना चाहिए. अगर कफ़ हो और तेल गला तक आ जाए तो थूक देना चाहिए. एक बार में नाक की एक ही छेद में डालें, थोड़ी देर बाद दुसरे छेद में डालना चाहिए. इसे रोज़ सुबह एक बार या फिर सुबह शाम भी डाल सकते हैं.
अणु तेल को सुबह में भी मोस्टली यूज़ किया जाता है और स्पेशल कंडीशन में शाम में भी. पर कुछ हालत में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जैसे-
भूखे, प्यासे में, बाल धोने के बाद, प्रेगनेंसी में, कहीं चोट लगने पर, बहुत ज़्यादा थकावट होने पर और बारिश के मौसम में जब धुप न हो तो अणु तेल का इस्तेमाल न करें.
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