लोकनाथ रस एक क्लासिकल रसायन औषधि है जो लीवर, स्प्लीन, पेट का ट्यूमर, दर्द, सुजन और पाचन सम्बन्धी पेट के रोगों को दूर करती है. तो आईये जानते हैं लोकनाथ रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
आयुर्वेद में रस या रसायन औषधियां तेज़ी से असर करने वाली होती हैं और इनमे अक्सर शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक मिला होता है. लोकनाथ रस के कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
शुद्ध पारा एक भाग, शुद्ध गंधक दो भाग, अभ्रक भस्म एक भाग, लौह भस्म और ताम्र भस्म प्रत्येक दो-दो भाग और कपर्दक भस्म नौ भाग का मिश्रण होता है.
बनाने का तरीका यह होता है कि पारा-गंधक की कज्जली बनाकर अभ्रक भस्म मिलायें और ग्वारपाठे के रस की भावना देकर मर्दन करें. उसके बाद दुसरे भस्मों को मिक्स कर मकोय के रस की भावना देकर मर्दन करें और जब गोला या टिकिया बनाने लायक हो जाये तो टिकिया बनाकर सुखा लें. इसके बाद सराब-सम्पुट में बंद कर लघुपुट की अग्नि देनी होती है.
पूरी तरह से ठंडा होने पर अच्छी तरह से खरल कर रख लें. यह भैषज्य रत्नावली में बताया गया तरीका है. यह दो तरह का होता है- वृहत लोकनाथ रस और दूसरा लोकनाथ रस. वृहत वाला ज़्यादा इफेक्टिव है इसीलिए इसकी जानकारी यहाँ दे रहा हूँ.
वृहत लोकनाथ रस के फ़ायदे -
लीवर और स्प्लीन के बढ़ जाने और लीवर-स्प्लीन की दूसरी हर तरह की प्रॉब्लम के लिए यह बेहद असरदार दवा है.
गुल्म(Abdominal lump, Tumor), पेट के अन्दर ट्यूमर या सिस्ट होना, सुजन वगैरह को दूर करता है. यह digestive सिस्टम को सही कर पाचन शक्ति ठीक कर देता है.
इन सब के अलावा पुराना बुखार, अतिसार और पेट की दूसरी बीमारियों में भी यह असरदार है.
वृहत लोकनाथ रस की मात्रा और सेवन विधि -
125 mg से 250 mg तक शहद + पिप्पली चूर्ण के साथ. सर्पुन्खामूल चूर्ण या गोमूत्र से भी ले सकते हैं. या फिर डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए. इसके साथ में कुमार्यासव लेने से अच्छा लाभ मिलता है. वृहत लोकनाथ रस आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
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