लोहासव एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है हो आयुर्वेदिक आयरन टॉनिक की तरह काम करती है. यह आयरन की कमी से होने वाली बीमारीओं को दूर करती है.
लोहासव जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है लोहा यानि आयरन इसका मेन इनग्रीडेंट होता है. यह सिरप फॉर्म में होता है. आयुर्वेद में दो तरह के सिरप होते हैं - आसव और रिष्ट. आसव को बिना उबाले बनाया जाता है जबकि रिष्ट जो होता है, उसे जड़ी-बूटियों को उबालकर काढ़ा बनाने के बाद बनाया जाता है. आसव और अरिष्ट में यही बेसिक डिफरेंट होता है. इन सब की डिटेल में न जाकर आईये बात करते हैं लोहासव के कम्पोजीशन की -
शुद्ध लोहे का बुरादा-
सोंठ
काली मिर्च
पिप्पली
हर्रे
बहेड़ा
आंवला
अजवाइन
विडंग
मोथा
चित्रकमूल- प्रत्येक 192 ग्राम
धातकी - 960 ग्राम
शहद - 3 किलो
गुड़- 9.6 किलो और पानी- 24.5 लीटर के मिश्रण से आसव निर्माण विधि से इसका आसव बनाया जाता है.
लोहासव के फ़ायदे-
आयरन की कमी, खून की कमी या एनीमिया, जौंडिस, लीवर और स्प्लीन के रोग, कमज़ोर पाचन शक्ति, भूख की कमी, गैस, जलोदर जैसी प्रॉब्लम में इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
यह आयरन रिच होते हुवे भी अंग्रेज़ी दवाओं की तरह कब्ज़ नहीं होने देता है.
बीमारी के बाद की कमज़ोरी, खाँसी, अस्थमा, शुगर, मलेरिया, टाइफाइड जैसी पुरानी बुखार, पाइल्स, फिशचूला, त्वचा रोग और ह्रदय रोगों में भी इस से फ़ायदा होता है.
कुल मिलाकर देखा जाये तो आयरन की कमी को दूर करने वाली यह आयुर्वेद की बेहतरीन दवाओं में से एक है जो बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के काम करती है.
लोहासव की मात्रा और सेवन विधि -
15 से 30 ML तक बराबर मात्रा में पानी मिलाकर खाना के बाद रोज़ दो बार लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का नुकसान नहीं होता. पर इसके टेस्ट की वजह से किसी किसी को इसे पिने के बाद उल्टी हो सकती है और सभी को सूट नहीं करता. बच्चे-बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं. प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल न करना ही बेहतर है.
डाबर, बैद्यनाथ, पतंजलि जैसी आयुर्वेदिक कम्पनी का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
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