ल्यूकोरिया महिलाओं की ऐसी बीमारी है जो हेल्थ डाउन कर शरीर को अन्दर से खोखला कर देती है, और तरह-तरह की दवा खाने के बाद भी यह बीमारी जल्दी नहीं जाती है. तो आईये जानते हैं कि इस बीमारी में कौन-कौन सी आयुर्वेदिक दवा को किस तरह से इस्तेमाल करना चाहिए-
दोस्तों, आज जो आयुर्वेदिक योग मैं बता रहा हूँ वह 100% इफेक्टिव है, जो की कुछ इस तरह से है-
अगर कब्ज़ या Constipation की भी प्रॉब्लम हो तो सबसे पहले त्रिफला चूर्ण या फिर दूध में एरंड तेल मिलाकर पीना चाहिए उसके बाद ही दवाएँ सही से असर करेंगी-
योग नंबर - 1
स्वर्णमालिनी वसंत रस - 3 ग्राम, प्रदरान्तक लौह- 6 ग्राम, कामदुधा रस(मोती युक्त)- 3 ग्राम, त्रिवंग भस्म- 3 ग्राम, कुक्कुटांडत्वक भस्म - 3 ग्राम और सितोपलादि चूर्ण - 30 ग्राम
सभी को अच्छी तरह से मिक्स कर खरल करें और 30 पुडिया बना लें. एक-एक पुडिया सुबह शाम शहद में मिक्स कर खाना खाने के पहले लेना है. इसे लगातार 15 दिन तक लेने के बाद योग नंबर - 2 का इस्तेमाल करें.
योग नंबर- 2
वसन्तकुसुमाकर रस - 3 ग्राम, त्रिवंग भस्म- 3 ग्राम, कुक्कुटांडत्वक भस्म - 6 ग्राम, प्रदरारि रस- 6 ग्राम, गोदंती भस्म- 6 ग्राम, प्रवाल पिष्टी- 6 ग्राम और सितोपलादि चूर्ण - 30 ग्राम
सभी को मिक्स कर खरल कर लें और 30 पुड़िया बना दें. एक-एक पुडिया सुबह-शाम शहद में मिक्स कर खाना है और ऊपर से एक कप दूध पीना है. इसे भी खाना के पहले लेना है सुबह शाम.
अशोकारिष्ट और पत्रांगासव दोनों 2-2 चम्मच बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर भोजन के बाद सुबह शाम लेना है.
सुपारी पाक एक-एक चम्मच सुबह शाम दूध से लेना है. योग नंबर- 2 और दूसरी दवाओं को लगातार कम से कम 45 दिन यूज़ करना चाहिए. कब्ज़ न होने दें, त्रिफला चूर्ण या सफगोल को रात में सोने पहले लिया करें.
मिर्च, मसाला, फ़ास्ट फ़ूड, और खट्टी चीजों से परहेज़ रखें. हल्का सुपाच्य भोजन करें. फिटकरी के पानी से प्राइवेट पार्ट की सफ़ाई भी करना चाहिए.
यहाँ बताया गया आयुर्वेदिक योग ल्यूकोरिया को दूर करने में 100% इफेक्टिव है. आयुर्वेदिक डॉक्टर की देख रेख में यूज़ करें, और बीमारी से छुटकारा पायें.
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लोहासव एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है हो आयुर्वेदिक आयरन टॉनिक की तरह काम करती है. यह आयरन की कमी से होने वाली बीमारीओं को दूर करती है.
लोहासव जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है लोहा यानि आयरन इसका मेन इनग्रीडेंट होता है. यह सिरप फॉर्म में होता है. आयुर्वेद में दो तरह के सिरप होते हैं - आसव और रिष्ट. आसव को बिना उबाले बनाया जाता है जबकि रिष्ट जो होता है, उसे जड़ी-बूटियों को उबालकर काढ़ा बनाने के बाद बनाया जाता है. आसव और अरिष्ट में यही बेसिक डिफरेंट होता है. इन सब की डिटेल में न जाकर आईये बात करते हैं लोहासव के कम्पोजीशन की -
शुद्ध लोहे का बुरादा-
सोंठ
काली मिर्च
पिप्पली
हर्रे
बहेड़ा
आंवला
अजवाइन
विडंग
मोथा
चित्रकमूल- प्रत्येक 192 ग्राम
धातकी - 960 ग्राम
शहद - 3 किलो
गुड़- 9.6 किलो और पानी- 24.5 लीटर के मिश्रण से आसव निर्माण विधि से इसका आसव बनाया जाता है.
लोहासव के फ़ायदे-
आयरन की कमी, खून की कमी या एनीमिया, जौंडिस, लीवर और स्प्लीन के रोग, कमज़ोर पाचन शक्ति, भूख की कमी, गैस, जलोदर जैसी प्रॉब्लम में इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
यह आयरन रिच होते हुवे भी अंग्रेज़ी दवाओं की तरह कब्ज़ नहीं होने देता है.
बीमारी के बाद की कमज़ोरी, खाँसी, अस्थमा, शुगर, मलेरिया, टाइफाइड जैसी पुरानी बुखार, पाइल्स, फिशचूला, त्वचा रोग और ह्रदय रोगों में भी इस से फ़ायदा होता है.
कुल मिलाकर देखा जाये तो आयरन की कमी को दूर करने वाली यह आयुर्वेद की बेहतरीन दवाओं में से एक है जो बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के काम करती है.
लोहासव की मात्रा और सेवन विधि -
15 से 30 ML तक बराबर मात्रा में पानी मिलाकर खाना के बाद रोज़ दो बार लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का नुकसान नहीं होता. पर इसके टेस्ट की वजह से किसी किसी को इसे पिने के बाद उल्टी हो सकती है और सभी को सूट नहीं करता. बच्चे-बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं. प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल न करना ही बेहतर है.
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इसे भी जानिए-
स्पिरुलिना एक ऐसी वनस्पति है जिसे दुनियाभर में सुपर फ़ूड की तरह इस्तेमाल किया जाता है, यह ज़रूरी विटामिन्स और पोषक तत्वों से भरपूर होता है जिस से कई तरह की बीमारियों में फ़ायदा होता है. तो आईये जानते हैं स्पिरुलिना के फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
सबसे पहले जानते हैं कि स्पिरुलिना है क्या चीज़?
स्पिरुलिना जो है पानी में पाया जाने वाला एक तरह का शैवाल है जिसे जलीय वनस्पति कह सकते हैं जो कि हरे रंग का होता है. यह प्राकृतिक झरनों, झीलों और नदियों में पाया जाता है.
स्पिरुलिना विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होता है, एक तरह से यह पोषक तत्वों का भंडार होता है. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन्स से भरपूर होता है.
अगर दूसरी चीज़ों से Compare करे तो इसमें पालक से पचास गुना ज़्यादा आयरन होता है, दूध से पांच गुना ज़्यादा कैल्शियम, सोया बीन से तीन गुना ज़्यादा प्रोटीन, गाजर से दस गुना ज़्यादा बीटा कैरोटीन होता है.
स्पिरुलिना के फ़ायदे-
- ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग और कोलेस्ट्रॉल के लिए -
ये आपके खून से कोलेस्ट्राल का लेवल कम करके BP को नार्मल करता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों में कई ऐसे हैं जिनसे ह्रदय में रक्त संचार प्रभावी ढंग से बढ़ता है. इसकी सहायता से ह्रिदय के तमाम जोखिमों को कम किया जा सकता है.
आयरन की प्रचुर मात्रा स्पिरुलिना को गर्भावस्था के दौरान एक आवश्यक आहार बनाता है. इसकी सहायता से अनीमिया को दूर किया जा सकता है. कब्ज वगैरह के लिए भी ये बेहद कारगर साबित होता है.
स्पिरुलिना में त्वचा के स्वास्थ्य के लिए जरुरी विटामिन ए, बी-12, ई, फास्फोरस, लोहा और कैल्शियम आदि पाए जाते है. अपने इन तत्वों की बदौलत स्पिरुलिना आपकी त्वचा को नर्म-मुलायम और चमकदार बनाती है. यही नहीं ये आँखों के निचे के धब्बे और ड्राई आईज के उपचार में भी लाभदायक है.
- शुगर या डायबिटीज के लिए -
मधुमेह के मरीजों के लिए भी स्पिरुलिना काफी असरदार है. इसे नियमित रूप से लेने से आपका शुगर कम होता है. ये सूजन को कम करके रक्तचाप और कोलेस्ट्राल का स्तर भी निचे लाता है.
- पेट के रोगों गैस्ट्रिक और अल्सर के लिए -
उच्च गुणवत्ता वाली प्रोटीन, सिस्टीन और एमिनो एसिड की इसमें उपस्थिति इसे ड्यूइडनल अल्सर और गैस्ट्रिक के लिए फ़ायदेमंद है. इसके अलावा इसमें पाया जाने वाला क्लोरोफिल पाचन शक्ति को इम्प्रूव करता है.
अनेकों पोषक तत्वों से परिपूर्ण स्पिरुलिना कैंसर के रोकथाम में भी सकरात्मक भूमिका निभाती है. ये एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में ये हमारे शरीर से फ्री रेडिकल्स को नष्ट करता है. जाहिर है फ्री रेडिकल्स कैंसर का कारण बनते हैं. इसके अतिरिक्त इसमें फिनोलिक नामक यौगिक भी उपस्थित रहता है जो कि कार्सिनोजेनेसिस पर रोक लगाता है.
जिनका वजन बहुत ज्यादा है उनके लिए इसका सेवन राम बाण साबित होता है. क्योंकि इसमें फैटी एसिड, बीटा कैरोटिन, क्लोरोफिल और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये सब मिलकर आपके शरीर में पोषक तत्वों की उपथिति को बनाए रखते हुए आपका भूख कम करते हैं. जिससे कि आपका वजन कम होता है.
- लीवर को दुरुस्त रखने में-
स्पिरुलिना में प्रचुर मात्रा में मौजूद फाइबर और प्रोटीन आपके लीवर के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं. लीवर के सामान्य कामकाज को बढ़ाने के अलावा यह लीवर को पुराने हेपेटाईटिस के मरीजों के लिए लाभकारी साबित होता है.
- आँखों की बीमारियों के लिए-
कई शोधों में स्पिरुलिना को आँखों के लिए भी लाभदायक बताया गया है. आँखों के कई बीमारियों जैसे कि जेराट्रिक मोतियाबिंद, नेफ्रैटिक रेटिनल क्षति, मधुमेह रेटिनल क्षति आदि के उपचार में इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है.
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए -
स्पिरुलिना को लेकर कई शोध हुए हैं. इनमें से कई शोधों में ये पता चला है कि इसके सेवन से इम्युनिटी पॉवर बढ़ती है और कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ाने में भी ये सहायक सिद्ध होता है.
स्पिरुलिना का इस्तेमाल वायरल इन्फेक्शन के उपचार में सहायक के रूप में होता है. इसमें सूजन को कम करने वाले तत्व मौजूद होते हैं. ये हानिकारक मुक्त कणों को नष्ट करके वायरल संक्रमण के असर को कम करता है.
दिमाग तेज़ करने और मानसिक रोगों के लिए -
स्पिरुलिना के इस्तेमाल से दिमाग को ताक़त मिलती है, दिमाग तेज़ होता है, चिंता, तनाव जैसे मानसिक रोगों से बचाता है.
स्पिरुलिना कोई यूज़ कैसे करते हैं?
इसका टेबलेट एक-एक सुबह शाम ले सकते हैं. पाउडर को पानी से या जूस, ड्रिंक या चाय वगैरह में भी मिक्स कर लिया जाता है.
आईये अब जानते हैं स्पिरुलिना के नुकसान के बारे में -
ऑटो इम्यून से पीड़ित व्यक्ति को इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए. इसे लॉन्ग टाइम तक यूज़ नहीं करें और डॉक्टर की सलाह के बिना इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
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शान-ए-मर्द जियो हर्ब नाम की कम्पनी की यूनानी दवा है जो पुरुष यौन रोगों या मर्दाना कमज़ोरी में इस्तेमाल की जाती है. तो आईये जानते हैं कि क्या यह वाक़ई असरदार है? और जानेगे इसके कम्पोजीशन और फ़ायदे की पूरी डिटेल -
शान-ए-मर्द माजून-
शान-ए-मर्द एक तरह का माजून या हलवे की तरह की दवा है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें असगंध, शतावर, सफ़ेद मुसली, बीजबंद, चोपचीनी, कबाबचीनी, सोंठ, कालीमुसली, कौंच बीज, विदारीकन्द, पिप्पली, छोटी इलायची, तिल का तेल और चीनी मिलाकर बनाया गया है.
शान-ए-मर्द कैप्सूल -
इसका कैप्सूल कौंच बीज, असगंध, शतावर, मखाना, गोखुरू, गिलोय, चित्रकमूल, दालचीनी, तेजपात और स्वर्णपत्र के मिश्रण से बनाया गया है.
शान-ए-मर्द के फ़ायदे-
सामान्य कमज़ोरी, शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, Impotency, वीर्यपात, स्वप्नदोष, हस्तमैथुन के कारण होने वाली कमज़ोरी, वीर्य का पतलापन, स्पर्म काउंट की कमी जैसे रोगों में इस से फ़ायदा होता है.
शान-ए-मर्द का डोज़-
इसका माजून चार से पाँच ग्राम तक सुबह शाम दूध के साथ खाना खाने के एक घंटा बाद लेना चाहिए. इसका कैप्सूल भी खाना खाने एक एक घंटा बाद या डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए. हार्ट की प्रॉब्लम वालों को इस से नुकसान भी हो सकता है.
इसके 250 ग्राम के माजून की क़ीमत 310 रुपया के क़रीब है. जबकि पांच कैप्सूल 120 रुपया का है. शान-ए-मर्द का तेल भी आता है जिसे लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
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केशकुन्तल टेबलेट एक नेचुरल हेयर सप्लीमेंट है जो बालों की हर तरह की प्रॉब्लम को दूर करता है. इसके इस्तेमाल से बालों का गिरना और टाइम से पहले सफ़ेद होना रुकता है. बालों को लम्बा, मज़बूत और चमकदार बनाता है. तो आईये जानते हैं केशकुन्तल टेबलेट का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
व्यास फार्मा का केशकुन्तल टेबलेट जड़ी-बूटी और भस्मों के कॉम्बिनेशन से बनाया गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
आमलकी रसायन, श्रिंग भस्म, कुमास्थी भस्म, प्रवाल भस्म, शंख भस्म, शुक्ति भस्म, लौह भस्म, मंडूर भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म, कुक्कुटान्त्वक भस्म, अश्वगंधा और शतावरी के मिश्रण से बनाया गया है.
केशकुन्तल टेबलेट के फ़ायदे-
बालों का गिरना रोकता है और जड़ों को मज़बूत करता है.
समय से पहले बालों को सफ़ेद होने से रोकता है और समय से पहले सफ़ेद हो चुके बालों को काला करने में मदद करता है.
नए बाल उगाने में मदद करता है जिसे से गंजापन में भी फ़ायदा होता है. बालों को काला, मज़बूत और चमकदार बनाता है.
कुल मिलाकर देखा जाये तो यह एक बेहतरीन हेयर टॉनिक और हेयर सप्लीमेंट है जिसे औरत-मर्द, बच्चे-बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं.
केशकुन्तल टेबलेट की मात्रा और सेवन विधि -
दो टेबलेट सुबह शाम पानी से भोजन के बाद कम से कम तीन महीने तक लेना चाहिए. बच्चों को कम डोज़ में देना चाहिए.
इसके इस्तेमाल करते हुवे केशकुन्तल पाउडर से बालों को धोएं और 'महा भृंगराज तेल' बालों में लगाना चाहिए. इसके 100 टेबलेट की क़ीमत 175 रुपया के कारीब है, इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं.
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पंचासव जो है बैद्यनाथ का एक प्रोडक्ट है जो पेट की बीमारियों के लिए असरदार है, इसके इस्तेमाल से गैस, कब्ज़, एसिडिटी, पेट दर्द और अपच जैसे पाचन सम्बन्धी रोग दूर होते हैं. तो आईये जानते हैं पंचासव का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल-
पंचासव जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसमें पाँच तरह के आसव/रिष्ट मिला होता है यानि पांच तरह के आयुर्वेदिक सिरप का मिश्रण है यह. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
द्राक्षासव
कुमार्यासव
लोहासव
बलारिष्ट और
दशमूलारिष्ट का मिश्रण होता है.
इन पाँच तरह के आयुर्वेदिक दवाओं का कॉम्बिनेशन इसे एक बेहद असरदार औषधि बना देता है. इन पाँचों आसव और रिष्ट की अलग-अलग जानकारी आप हमारे चैनल और वेबसाइट पर देख सकते हैं.
पंचासव के फ़ायदे-
भूख की कमी, पाचन की कमज़ोरी, गैस, डकार आना, एसिडिटी, कब्ज़, खून की कमी, सामान्य कमज़ोरी, थकान जैसी प्रॉब्लम में इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
पंचासव न सिर्फ Digestion की प्रॉब्लम को दूर करता है बल्कि यह एक टॉनिक की तरह भी काम करता है.
यह लीवर के फंक्शन को ठीक कर देता है, भूख बढ़ाता है और पाचन तंत्र को मज़बूत बना देता है.
खून की कमी को दूर करता है, शरीर को शक्ति देता है और ताक़त बढ़ाता है. बीमारी के बाद इसका इस्तेमाल करने से कमज़ोरी दूर हो जाती है.
कुल मिलाकर देखा जाये तो पंचासव एक बेहतरीन Digestive Tonic है जो ओवरआल हेल्थ को इम्प्रूव कर देता है.
पंचासव की मात्रा और सेवन विधि -
15 से 30 ML तक सुबह शाम खाना के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, बच्चे-बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं बस उम्र के मुताबिक़ सही डोज़ होना चाहिए. इसके 450 ML की क़ीमत क़रीब 115 रुपया है.
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लोकनाथ रस एक क्लासिकल रसायन औषधि है जो लीवर, स्प्लीन, पेट का ट्यूमर, दर्द, सुजन और पाचन सम्बन्धी पेट के रोगों को दूर करती है. तो आईये जानते हैं लोकनाथ रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
आयुर्वेद में रस या रसायन औषधियां तेज़ी से असर करने वाली होती हैं और इनमे अक्सर शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक मिला होता है. लोकनाथ रस के कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
शुद्ध पारा एक भाग, शुद्ध गंधक दो भाग, अभ्रक भस्म एक भाग, लौह भस्म और ताम्र भस्म प्रत्येक दो-दो भाग और कपर्दक भस्म नौ भाग का मिश्रण होता है.
बनाने का तरीका यह होता है कि पारा-गंधक की कज्जली बनाकर अभ्रक भस्म मिलायें और ग्वारपाठे के रस की भावना देकर मर्दन करें. उसके बाद दुसरे भस्मों को मिक्स कर मकोय के रस की भावना देकर मर्दन करें और जब गोला या टिकिया बनाने लायक हो जाये तो टिकिया बनाकर सुखा लें. इसके बाद सराब-सम्पुट में बंद कर लघुपुट की अग्नि देनी होती है.
पूरी तरह से ठंडा होने पर अच्छी तरह से खरल कर रख लें. यह भैषज्य रत्नावली में बताया गया तरीका है. यह दो तरह का होता है- वृहत लोकनाथ रस और दूसरा लोकनाथ रस. वृहत वाला ज़्यादा इफेक्टिव है इसीलिए इसकी जानकारी यहाँ दे रहा हूँ.
वृहत लोकनाथ रस के फ़ायदे -
लीवर और स्प्लीन के बढ़ जाने और लीवर-स्प्लीन की दूसरी हर तरह की प्रॉब्लम के लिए यह बेहद असरदार दवा है.
गुल्म(Abdominal lump, Tumor), पेट के अन्दर ट्यूमर या सिस्ट होना, सुजन वगैरह को दूर करता है. यह digestive सिस्टम को सही कर पाचन शक्ति ठीक कर देता है.
इन सब के अलावा पुराना बुखार, अतिसार और पेट की दूसरी बीमारियों में भी यह असरदार है.
वृहत लोकनाथ रस की मात्रा और सेवन विधि -
125 mg से 250 mg तक शहद + पिप्पली चूर्ण के साथ. सर्पुन्खामूल चूर्ण या गोमूत्र से भी ले सकते हैं. या फिर डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए. इसके साथ में कुमार्यासव लेने से अच्छा लाभ मिलता है. वृहत लोकनाथ रस आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
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हिमालया स्टिपलोन हर्बल मेडिसिन है जो बॉडी में कहीं से भी होने वाली ब्लीडिंग को रोकता है. तो आईये जानते हैं हिमालया स्टिपलोन का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
हिमालया स्टिपलोन जड़ी-बूटियों और भस्मों के कॉम्बिनेशन से बनाया जाता है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - वसाका, आमलकी, दूर्वा, नागकेसर, लज्जालु, लोध्र, चन्दन, अनन्तमूल, प्रवाल पिष्टी, त्रिनकान्तमणि पिष्टी और सौराष्ट्री भस्म का मिश्रण होता है.
इसमें मिलायी गयी जड़ी-बूटियां ब्लीडिंग रोकने में बेहद असरदार हैं.
हिमालया स्टिपलोन के फ़ायदे-
ब्लीडिंग वाली हर तरह की बीमारी में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
मसूड़ों से खून आना, पाइल्स की ब्लीडिंग, नकसीर या नाक से खून आना, पेशाब से खून आना, Uterine ब्लीडिंग और पीरियड की Excessive ब्लीडिंग में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है.
कुल मिलाकर समझ लीजिये कि ब्लीडिंग वाली किसी भी बीमारी में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
हिमालया स्टिपलोन का डोज़-
2-2 टेबलेट रोज़ तीन बार पानी से कम से कम पांच दिन या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए. इसका ऑलमोस्ट कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है, इसके 30 टेबलेट के पैक की क़ीमत करीब 75 रुपया है. इसे मेडिकल स्टोर से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
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जवारिश मस्तगी पेट की बीमारियों की दवा है जो दस्त, लीवर की कमज़ोरी को दूर कर हाजमा ठीक करती है, तो आईये जानते हैं जवारिश मस्तगी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
जवारिश मस्तगी के कम्पोजीशन की बात करें तो इसे रूमी मस्तगी, अर्क गुलाब और कंद सफ़ेद मिलाकर बनाया जाता है. यह यूनानी मेडिसिन की जवारिश कैटेगरी की दवा है.
जवारिश मस्तगी के फ़ायदे-
यह पेट, लीवर और आँतों को ताक़त देती है, हाजमा की कमज़ोरी की वजह से होने वाले दस्त को रोकती है. ज्यादा पेशाब होना, मुंह का मज़ा ख़राब होना, ज़्यादा राल बनना जैसी प्रॉब्लम दूर करती है.
यह लीवर के फंक्शन को सही करती है, भूख बढ़ाती है और Digestion को ठीक कर देती है.
जवारिश मस्तगी का डोज़ -
5 से 10 ग्राम तक सुबह शाम अर्क बादियान या पानी से लेना चाहिए. हमदर्द, रेक्स जैसी कंपनियों की यह दवा यूनानी दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ले सकते हैं.
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गुग्गुल जो है एक तरह का गोंद है जो गुग्गुल वृक्ष से निकलता है. इसे गुग्गुल, गुग्गुलु, देवधूप, जैसे नामों से जाना जाता है. गुग्गुल को अंग्रेजी में Commiphora Mukul कहा जाता है. यह बड़े कमाल की चीज़ है, इसे कई तरह की आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. गुग्गुल को धुवन की तरह भी आग में जलाया जाता है जिस से वातावरण शुद्ध होता है. इसे पूजा-पाठ और हवन में इस्तेमाल किया जाता है.
आयुर्वेदानुसार गुग्गुल जो है तासीर में गर्म, कफ़, वात, कृमि और अर्श नाशक होता है.
गुग्गुल को खाने में इस्तेमाल करने से पहले शोधित करना होता है, शुद्ध गुग्गुल को ही आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. आईये जानते हैं गुग्गुल शोधित करने की विधि के बारे में -
पंसारी की दुकान में गुग्गुल मिल जाता है, पर महँगा होने की वजह से इसमें कई तरह की मिलावट भी होती है, इसमें इसकी तरह के दुसरे गोंद भी मिले होते हैं.
सबसे पहले तो इसमें जो मिट्टी या कंकड़-पत्थर दिखे, उसे निकाल दें. गुग्गुल शोधन के लिए त्रिफला और ताज़ी गिलोय भी चाहिए होती है.
अगर आपको एक किलो गुग्गुल शुद्ध करना है तो एक किलो त्रिफला और दो किलो ताज़ी गिलोय चाहिए होगी. त्रिफला और गिलोय को मोटा-मोटा कूटकर 12 लीटर पानी में काढ़ा बनायें. जब चार लीटर पानी बचे तो छानकर इस काढ़े को एक कड़ाही में डालकर आंच पर चढ़ाएँ.
अब गुग्गुल को कपड़े की एक पोटली में बाँधकर उबलते हुवे काढ़े में रखना है, ताकि गुग्गुल घुल-घुलकर काढ़े में आ जाये.
ओरिजिनल गुग्गुल पोटली से घुलकर काढ़े में आ जाता है, बाकी दूसरी मिलावटी चीज़ें और दुसरे गोंद पोटली में रह जाते हैं. जब गुग्गुल घुलकर काढ़े में आ जाये तो काढ़े को उबालते हुवे गाढ़ा कर लें, जब हलवे की तरह हो जाये तो धुप में सुखाकर रख लें. लोहे की कड़ाही में बनाया गया शुद्ध गुग्गुल काले रंग का होता है.
गुग्गुल शोधन का एक दूसरा तरीका यह भी होता है कि त्रिफला और गिलोय के काढ़े में डायरेक्ट गुग्गुल को डाल दें और जब घुल जाये तो काढ़े के ऊपर मलाई की तरह जमने वाली परत को जमा करना होता है और फिर उसे गाढ़ा कर सुखा लिया जाता है और कढ़ाही के तले में बचने वाले कचरे को फेक दिया जाता है. पर जहाँ तक मेरा एक्सपीरियंस है पोटली वाला तरीका आसान होता है.
तो दोस्तों, यही है गुग्गुल शुद्ध करने का तरीका!
शुद्ध गुग्गुल में ही जड़ी-बूटियों का चूर्ण और भस्मों को मिलाकर कई तरह के आयुर्वेदिक गुग्गुल बनाये जाते हैं, जिनकी जानकारी मैं अक्सर देते रहता हूँ.
अकेले शुद्ध गुग्गुल को कम ही इस्तेमाल किया जाता है, इसे मिलाकर बनायी गयी दवा ही सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाती है.
गुग्गुल जो है हर तरह के दर्द, सुजन, मोटापा से कोलेस्ट्रॉल जैसी कई तरह की बीमारियों को दूर करता है.
इसे भी जानिए -
शिलाप्रवंग स्पेशल टेबलेट आयुर्वेदिक दवा कम्पनी धूतपापेश्वर का पेटेंट ब्रांड है जिसे शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन और Oligospermia जैसे पुरुष यौन रोगों में प्रयोग किया जाता है. तो आईये जानते हैं शिलाप्रवंग स्पेशल टेबलेट का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
शिलाप्रवंग स्पेशल टेबलेट जड़ी-बूटियों के अलावा सोना, मोती, मकरध्वज जैसे कीमती भस्मों के मिश्रण से बनाया गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसके हर टेबलेट में -
शुद्ध शिलाजीत - 40mg, प्रवाल भस्म- 20mg, वंग भस्म- 20mg, स्वर्णमाक्षिक भस्म- 20mg, गिलोय सत्व- 20mg, अश्वगंधा- 60mg, शतावर- 15mg, गोक्षुर- 15mg, बला- 15mg, आँवला-10mg, अकरकरा- 10mg, जायफल- 5mg, कपूर- 5mg, लता कस्तूरी- 20mg, कौंच बीज- 90mg, मकरध्वज- 10 mg, स्वर्ण भस्म- 1mg और मुक्ता पिष्टी- 1mg का मिश्रण होता है.
शिलाप्रवंग के फ़ायदे-
शिलाप्रवंग स्पेशल टेबलेट पुरुष यौन रोगों की एक असरदार दवा है इसके बेहतरीन कम्पोजीशन की वजह से.
पुरुषों की बहुत की कॉमन प्रॉब्लम PE, ED, स्वप्नदोष, वीर्य का पतलापन में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
यह शारीरिक मानसिक थकान, कमज़ोरी, चिंता, तनाव को दूर कर यौन शक्ति को बढ़ा देता है.
ओलिगोस्पेर्मिया या शुक्राणुओं की कमी की वजह से होने वाली मेल इनफर्टिलिटी में भी फ़ायदेमंद है.
शिलाप्रवंग स्पेशल टेबलेट की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो टेबलेट तक दूध के साथ सुबह शाम खाना खाने के बाद या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए. इसे लगातार तीन महिना तक ले सकते हैं. इसके 30 टेबलेट के पैक की क़ीमत क़रीब 600 रुपया है, इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से -
इसे भी जानिए -
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कुमकुमादि तैलम या कुमकुमादि आयल सौन्दर्य वर्धक आयुर्वेदिक औषधि है जो चेहरे के दाग़ धब्बे, कील-मुहाँसे, डार्क सर्कल्स, स्कार्स जैसी प्रॉब्लम को दूर करता है और रंग निखार कर गोरा होने में भी मदद करता है वो भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के. आईये जानते हैं कुमकुमादि तैलम का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
कुमकुमादि तैलम जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बना हर्बल आयल है जिसमे कुमकुम या केसर भी मिला होता है इसलिए इसका नाम कुमकुमादि तैलम रखा गया है. यह भैषज्य रत्नावली का योग है ईसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई तरह की चीज़े मिली होती हैं जिन्हें तीन पार्ट में जानेंगे, जैसे - क्वाथ द्रव्य, कल्क द्रव्य और बेस आयल
क्वाथ द्रव्य(जड़ी-बूटियाँ जिनका क्वाथ या काढ़ा बनाना होता है)-
लाल चन्दन, मंजीठ, यष्टिमधु, दारूहल्दी, उशीर, पद्माख, नील कमल, बरगद की जटा, पाकड़, कमल केसर, बेल, अग्निमंथा, श्योनका, गंभारी, पाटला, शालपर्णी, प्रिश्नपर्णी, गोक्षुर, वृहती और कंटकारी प्रत्येक 48 ग्राम
कल्क द्रव्य(जिनका पेस्ट या चटनी बनानी है)-
मंजीठ, यष्टिमधु, महुआ, लाख और पतंगा प्रत्येक 12 ग्राम
आयल बेस के लिए - तिल तेल 192 ML, बकरी का दूध- 384 ML चाहिए होगा और केसर- 48 ग्राम और थोड़ा गुलाब जल भी चाहिए.
कुमकुमादि तैलम बनाने का तरीका-
बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले क्वाथ द्रव्य की जड़ी-बूटियों को मोटा-मोटा कूटकर 9 लीटर पानी में काढ़ा बनायें और जब दो लीटर पानी बचे तो ठण्डा होने पर छान लें.
अब कल्क द्रव्य को पिस लें और थोड़ा पानी मिलाकर चटनी या पेस्ट की तरह बना लें. अब काढ़े में पेस्ट, तिल का तेल और बकरी का दूध मिक्स कर उबालना है स्लोआँच में. जब पानी का अंश उड़ जाये और सिर्फ़ तेल बचे तो ठण्डा होने पर छान लें.
अब केसर में थोड़ा गुलाब जल मिक्स कर खरल में डालकर पिस लें और तेल में मिक्स कर लें. बस कुमकुमादि तैल तैयार है. वैसे यह बना-बनाया मार्केट में मिल जाता है.
कुमकुमादि तैलम के गुण -
इसके गुणों की बात करें तो यह एंटी-ऑक्सीडेंट, Moisturizer, Anti-hyperpigmentation, एन्टी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी और Natural Sun Screen जैसे गुणों से भरपूर होता है.
कुमकुमादि तैलम के फ़ायदे-
कुमकुमादि तैलम एक बेहतरीन ब्यूटी आयल है जो न सिर्फ़ रंग को निखारता है बल्कि डार्क सर्कल्स, Hyperpigmentation, Blemishes, ब्लैक स्पॉट, स्कार्स, कील-मुहाँसे और दाग़ धब्बों को दूर कर देता है.
चेहरे में होने वाले दाग़ धब्बों को दूर कर नेचुरल मॉइस्चराइजर का काम करता है. इसका इस्तेमाल कील-मुहाँसे होने से बचाता है.
कुमकुमादि तैलम ऑलमोस्ट हर तरह की स्किन टाइप में असरदार है, ख़ासकर ड्राई स्किन में ज़्यादा फ़ायदा करता है.
कुमकुमादि तैलम को यूज़ कैसे करें?
अपने हाथ और चेहरे को अच्छी तरह से धोकर कुमकुमादि तैलम की कुछ बूंद लेकर हाथों से चेहरे की हल्की मसाज करें और कम से कम तीन घंटा तक लगा रहने दें. ऑयली स्किन वाले कम से कम एक घंटा लगा रहने दें, उसके बाद चेहरा धो लें. ड्राई स्किन वाले सोने से पहले भी इसे लगा सकते हैं.
कुमकुमादि तैलम को Nasal Drops की तरह भी नाक में भी डाला जाता है जिस से wrinkles, ब्लैक स्पॉट और दाग़ धब्बों में फ़ायदा होता है. आर्य वैद्यशाला के 10 ML के पैक की क़ीमत 410 रुपया है, इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -
इसे भी जानिए -
दिव्य वृक्कदोषहर वटी पतंजलि का एक प्रोडक्ट है जो सुजन, किडनी फैल्योर और पेशाब की बीमारियों के लिए इस्तेमाल की जाती है, तो आईये जानते हैं वृक्कदोषहर वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है वृक्कदोषहर वटी यानि किडनी की प्रॉब्लम को दूर करने वाली टेबलेट. पुनर्नवा, पाषाणभेद, वरुण की छाल जैसी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से इसे बनाया गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
ढ़ाक, पित्तपापड़ा, पुनर्नवा, पाषाणभेद, कुल्थी, अपामार्ग, कासनी, पीपल, नीम, मकोय, गोखुरू, धमासा, कुश, खस, धनिया, सरकंडा, इछु, गिलोय, ऊँटकटारा, अरणी, अमलतास, शतावर, विदारीकन्द, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, जव, कुटकी और गोंद के मिश्रण से बनाया जाता है.
वृक्कदोषहर वटी के गुण-
यह तासीर में ठण्डी, मूत्रल या Diuretic, एंटी इंफ्लेमेटरी, शरीर से Toxins या विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने वाली, पत्थरी नाशक, और किडनी डिसफंक्शन को ठीक करने वाले गुणों से भरपूर है.
वृक्कदोषहर वटी के फ़ायदे-
यह किडनी और मूत्र रोगों की असरदार दवा है, पेशाब का पीलापन, पेशाब के क्रिस्टल, यूरिया, Creatnine आना जैसी प्रॉब्लम से लेकर किडनी फैल्योर तक में फ़ायदा करती है.
इसके इस्तेमाल से किडनी और ब्लैडर में होने वाली पत्थरी घुलकर निकल जाती है.
वृक्कदोषहर वटी के इस्तेमाल से मूत्र संक्रमण या Urinary Tract Infection(UTI) दूर होता है. कुल मिलाकर देखा जाये तो किडनी और पेशाब के हर तरह के रोगों में इसका इस्तेमाल कर फ़ायदा ले सकते हैं.
वृक्कदोषहर वटी की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो टेबलेट दो से तीन बार तक खाना खाने के बाद पानी से लेना चाहिए.
इसके साथ में वृक्कदोषहर क्वाथ, गोक्षुरादि गुग्गुल, चंद्रप्रभा वटी जैसी औषधियाँ भी ले सकते हैं. वृक्कदोषहर वटी के 20 ग्राम के पैक की क़ीमत 60 रुपया है जिसे पतंजलि स्टोर से या फिर ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं.
इसे भी जानिए -
अर्जुन को अर्जुन और अर्जुना नाम से भी जाना जाता है जबकि अंग्रेज़ी में इसे Terminalia Arjuna कहा जाता है.
अर्जुन के गुण -
★ अर्जुन शीतल, हृदय के लिए हितकारी, स्वाद में कषैला, घाव, क्षय (टी.बी.), विष, रक्तविकार, मोटापा, प्रमेह, घाव, कफ तथा पित्त को नष्ट करता है.
★ इससे हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है, हृदय की पोषण क्रिया अच्छी होती है.
★ मांसपेशियों को बल मिलने से हृदय की धड़कन सामान्य होती है.
★ इसके उपयोग से सूक्ष्म रक्तवाहिनियों का संकुचन होता है, जिससे रक्त, भार बढ़ता है. इस प्रकार इससे हृदय सशक्त और उत्तेजित होता है. इससे रक्त वाहिनियों के द्वारा होने वाले रक्त का स्राव भी कम होता है, जिससे यह सूजन को दूर करता है. यह एक बेहतरीन Cardioprotective और हार्ट टॉनिक है.
अर्जुन की छाल को सबसे ज़्यादा हार्ट की प्रॉब्लम के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो आईये सबसे पहले जान लेते हैं कि हार्ट की बीमारियों के लिए इसे कैसे इस्तेमाल करना चाहिए-
अर्जुन की मोटी छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में मलाई रहित एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है.
अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर ले सकते हैं. चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें. इससे भी समान रूप से लाभ होगा. अर्जुन की छाल के चूर्ण के प्रयोग से उच्च रक्तचाप भी अपने-आप सामान्य हो जाता है. यदि केवल अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर ही चाय बनायें, उसमें चायपत्ती न डालें तो यह और भी प्रभावी होगा, इसके लिए पानी में चाय के स्थान पर अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें, फिर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पियें.
हार्ट अटैक के बाद 40 मिलीलीटर अर्जुन की छाल का दूध के साथ बना काढ़ा सुबह तथा रात दोनों समय सेवन करें. इससे दिल की तेज धड़कन, हृदय में पीड़ा, घबराहट होना आदि रोग दूर होते हैं.
अर्जुन छाल क्षीरपाक विधि : अर्जुन की ताजा छाल को छाया में सूखाकर चूर्ण बनाकर रख लें. इसे 250 मिलीलीटर दूध में 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर हल्की आंच पर रख दें और उसमें उपरोक्त तीन ग्राम (एक चाय का चम्मच हल्का भरा) अर्जुन छाल का चूर्ण मिलाकर उबालें. जब उबलते-उबलते पानी सूखकर दूध मात्र अर्थात् आधा रह जाये तब उतार लें. पीने योग्य होने पर छानकर रोगी द्वारा पीने से सम्पूर्ण हृदय रोग नष्ट होते है और हार्ट अटैक से बचाव होता है.
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अर्जुन के फल और पत्ते |
आईये अब जानते हैं अर्जुन के कुछ दुसरे प्रयोग-
मुंह के छाले (Mouth ulcers): अर्जुन की छाल के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर छालों पर लगायें. इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं.
पेट दर्द : आधा चम्मच अर्जुन की छाल, जरा-सी भुनी-पिसी हींग और स्वादानुसार नमक मिलाकर सुबह-शाम गर्म पानी के साथ फंकी लेने से पेट के दर्द, गुर्दे का दर्द और पेट की जलन में लाभ होता है.
उरस्तोय रोग (फेफड़ों में पानी भर जाना) : अर्जुन वृक्ष का चूर्ण, यष्टिमूल तथा लकड़ी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लेना चाहिए. इस चूर्ण को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में 100 से 250 मिलीमीटर दूध के साथ दिन में 2 बार देने से उरस्तोय रोग (फेफड़ों में पानी भर जाना) में लाभ होता है.
अतिक्षुधा (अधिक भूख लगना) रोग : शालपर्णी और अर्जुन की जड़ को बराबर मात्रा में मिश्रण बनाकर पीने से भस्मक रोग मिट जाता है.
हड्डी के टूटने पर : हड्डी के टूटने पर अर्जुन की छाल पीसकर लेप करने से लाभ होता है. प्लास्टर चढ़ा हो तो अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती है. टूटी हड्डी के स्थान पर भी इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बांधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है.
मोटापा दूर करें : अर्जुन का चूर्ण 2 ग्राम को अग्निमथ (अरनी) के बने काढ़े के साथ मिलाकर पीने से मोटापे में लाभ होता हैं.
प्रमेह (वीर्य विकार) में : अर्जुन की छाल, नीम की छाल, आमलकी छाल, हल्दी तथा नीलकमल को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण करें. इस चूर्ण की 20 ग्राम मात्रा को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, जब यह 100 मिलीलीटर शेष बचे, तो इसे शहद के साथ मिलाकर नित्य सुबह-शाम सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट हो जाता है.
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Arjuna Tree |
कान का दर्द : अर्जुन के पत्तों का 3-4 बूंद रस कान में डालने से कान का दर्द मिटता है.
मधुमेह का रोग : अर्जुन के पेड़ की छाल, कदम्ब की छाल और जामुन की छाल तथा अजवाइन बराबर मात्रा में लेकर जौकूट (मोटा-मोटा पीसना) करें. इसमें से 24 ग्राम जौकूट लेकर, आधा लीटर पानी के साथ आग पर रखकर काढ़ा बना लें. थोड़ा शेष रह जाने पर इसे उतारे और ठंडा होने पर छानकर पीयें. सुबह-शाम 3-4 सप्ताह इसके लगातार प्रयोग से मधुमेह में लाभ होगा.
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हमदर्द लिपोटैब कोलेस्ट्रॉल को कण्ट्रोल कर नार्मल करता है, हार्ट की प्रॉब्लम को दूर कर हार्ट को हेल्दी रखता है. तो आईये जानते हैं हमदर्द लिपोटैब का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल-
लिपोटैब जो है यूनानी दवा कम्पनी हमदर्द का पेटेंट ब्रांड है जो की जड़ी-बूटियों के कॉम्बिनेशन से बना है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसके हर टेबलेट में -
Badranjboya Ext (Nepeta hindostana) - 39.97mg
Safoof Seer (Allium sativum) - 144.84mg
Safoof Chobzard (Curcuma longa) - 55.70mg
Lactose - 111.42mg
Chalk Powder - 73.57mg
Starch - 55.70mg
Gum Acacia (Acacia arabica) - 55.70mg का मिश्रण होता है.
लिपोटैब के फ़ायदे -
हल्दी, लहसुन और कैटनिप जैसी असरदार जड़ी-बूटियों का फ़ॉर्मूला कोलेस्ट्रॉल कम करने में असरदार है. यह खून में मौजूद लिपिड को कण्ट्रोल कर कोलेस्ट्रॉल लेवल को नार्मल कर देता है.
बैड कोलेस्ट्रॉल या LDL और ट्राइग्लिसराइड को कम कर नार्मल कर देता है और इसकी वजह से होने वाली प्रॉब्लम को दूर कर देता है.
चेस्ट पेन या सिने का दर्द और साँस लेने में तकलीफ़ होना दूर करता है.
इसके इस्तेमाल से वज़न भी कम करने में मदद मिलती है. कुल मिलाकर देखा जाये तो कोलेस्ट्रॉल और इस से रिलेटेड प्रॉब्लम के लिए हमदर्द लिपोटैब एक अच्छी दवा है.
हमदर्द लिपोटैब का डोज़-
दो टेबलेट रोज़ एक बार शाम को खाना खाने से तीस मिनट पहले लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, लॉन्ग टाइम तक यूज़ कर सकते हैं. इसके 60 टेबलेट के पैक क़ीमत क़रीब 145 रुपया है. इसे यूनानी दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं.
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