भारत की सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक हिन्दी वेबसाइट लखैपुर डॉट कॉम पर आपका स्वागत है

10 दिसंबर 2018

Ras Sindoor | रस सिन्दूर एक विवेचना


रस सिन्दूर कुपिपक्व रसायन केटेगरी की ऐसी औषधि जो अनुपान भेद से हर तरह के रोगों को दूर करती है. अब आप सोच रहे होंगे कि सिर्फ़ एक दवा और हर तरह की बीमारी को कैसे दूर करेगी?? सब बताऊंगा रस सिन्दूर क्या है? कितने तरह का होता है? कौनसा बेस्ट होता है? क्या-क्या फ़ायदे हैं? कैसे यूज़ करना है? 
रस सिन्दूर क्या है?

आयुर्वेद में रस का मतलब होता है पारा जिसे पारद भी कहते हैं. रस सिन्दूर दो चीज़ें मिलाकर बनाया जाता है शुद्ध पारा और शुद्ध गन्धक. यही दो चीजें इसके घटक होते हैं.

रस सिन्दूर कैसे बनाया जाता है?

आम आदमी के लिए इसे बनाना आसान नहीं है, फिर भी संक्षेप में इसका प्रोसेस समझा देता हूँ.

इसे बनाने के लिए शुद्ध पारा और शुद्ध गन्धक को खरलकर आतशी शीशी में डालकर सात बार कपड़मिट्टी कर सुखाकर मिट्टी के हांडी में डालकर बालू भरा जाता है, जिसे आयुर्वेद में बालुकायंत्र कहा जाता है. 

अब इसे भट्ठी में चढ़ाकर तीन चार घन्टे तक मृदु, मध्यम और तीव्र अग्नि दी जाती है. इसके बाद ठण्डा होने पर लाल रंग की दवा निकालकर रख ली जाती है. इसे बनाते हुवे कई तरह का ध्यान रखा जाता है जो कि औषध निर्माण में अनुभवी वैद्य ही कर सकता है.

रस सिन्दूर बनाने में थोड़ी अलग-अलग विधि अपनाई जाती है और उस तरह से रस सिन्दूर चार प्रकार का होता है जैसे -

रस सिन्दूर अन्तर्धूम 

रस सिन्दूर अर्द्धगन्धकजारित 

रस सिन्दूर द्युगुण गन्धकजारित और 

रस सिन्दूर षडगुण बलिजारित 

इसमें सबसे लास्ट वाला षडगुण बलिजारित रस सिन्दूर सबसे ज़्यादा इफेक्टिव होता है.

रस सिन्दूर के फ़ायदे जानने से पहले इसके गुण या Properties को जान लीजिये -

आयुर्वेदानुसार यह उष्णवीर्य है मतलब तासीर में गर्म. यह योगवाही, रसायन, ब्लड फ्लो बढ़ाने वाला, रक्तदोष नाशक और हृदय को बल देने वाले गुणों से परिपूर्ण होता है. पित्त प्रकृति वालों और पित्त प्रधान रोगों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए और सेवन करना ही हो पित्तशामक दवाओं के साथ सही डोज़ में ही लेना चाहिए.

रस सिन्दूर के फ़ायदे-

कफ़ और वात प्रधान रोगों में इसे प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है. पित्त रोगों में इसे गिलोय सत्व, प्रवाल पिष्टी और मोती पिष्टी जैसी औषधियों के साथ लेना चाहिए. अनुपान भेद से यह अनेकों रोगों को दूर करती है.

इन रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है जैसे - 

नयी पुरानी बुखार, टॉन्सिल्स, प्रमेह, श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिया, रक्त प्रदर, बवासीर, भगंदर, दौरे पड़ना, पागलपन, न्युमोनिया, खाँसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, टी. बी., जौंडिस, हेपेटाइटिस, पेशाब की जलन, मूत्र रोग, अजीर्ण, पेट दर्द, बेहोशी, उल्टी, सुजन, ज़ख्म, गर्भाशय के रोग, कफ-वात प्रधान सर दर्द, सर काम्पना, चर्मरोग, जोड़ों का दर्द, आमवात, टेटनस, स्वप्नदोष, वीर्य विकार, मर्दाना कमज़ोरी, सामान्य कमज़ोरी इत्यादि. 

कुछ वैद्य लोग सिर्फ़ रस सिन्दूर से ही हर तरह की बीमारी का इलाज करते हैं. रस सिन्दूर है ही एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम मेडिसिन.

रस सिन्दूर की मात्रा और सेवन विधि - 

125 mg से 250 mg तक सुबह-शाम शहद या फिर रोगानुसार उचित अनुपान से लेना चाहिए. बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 15 से 60 mg तक देना चाहिए. 

सावधान- यह तेज़ी से असर करने वाली दवा है! इसे डॉक्टर की सलाह से सही मात्रा में ही लिया जाना चाहिए नहीं तो नुकसान भी हो सकता है. 

कई तरह की बीमारियों के रस सिन्दूर के साथ सेवन करने वाली दवाओं का बेहतरीन योग आपको मेरी किताब में मिल जाएगी. 

इसे भी जानिए - 



07 दिसंबर 2018

Ashwagandha Pak | अश्वगन्धा पाक के फ़ायदे क्या आप जानते हैं?


अश्वगन्धा पाक जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मेन इनग्रीडेंट अश्वगन्धा या असगंध है जिसे आयुर्वेदिक प्रोसेस अवलेह-पाक निर्माण विधि से बनाया जाता है. इसमें असगंध, गाय का दूध, रस सिन्दूर, अभ्रक भस्म, नाग भस्म, वंग भस्म, लौह भस्म के अलावा दालचीनी, तेजपात, नागकेशर, इलायची, जायफल, केसर, बंशलोचन, मोचरस, जटामांसी, चन्दन, खैरसार, जावित्री, पिपरामूल, लौंग, कंकोल, पाढ़, अखरोट, शुद्ध भिलावा, सिंघाड़ा और गोखरू जैसी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं. 

अश्वगन्धा पाक के गुण - 

आयुर्वेदानुसार यह बल वर्धक, अग्नि प्रदीपक, पौष्टिक और रसायन गुणों से भरपूर होता है.

अश्वगन्धा पाक के फ़ायदे- 

प्रमेह और मूत्र रोगों को दूर कर यह शरीर की कान्ति बढ़ाता है. 

वीर्यदोष, स्वप्नदोष, धातु विकार या पेशाब के साथ वीर्य जाना जैसी प्रॉब्लम में इसका सेवन करना चाहिए. 

वात वाहिनी नाड़ी, वीर्य वाहिनी नाड़ी और किडनी पर इसका अच्छा असर होता है.
हाथ-पैर, कमर या शरीर में कहीं दर्द हो वात वृद्धि के कारन तो इसके सेवन से फ़ायदा होता है. 

अश्वगन्धा पाक की मात्रा और सेवन विधि - 

पांच से दस ग्राम तक सुबह-शाम दूध से, शहद से या फिर पानी से भी ले सकते हैं. चूँकि इसमें कई तरह की भस्म मिली हुयी है तो इसे डॉक्टर की सलाह से ही सही डोज़ में यूज़ करना चाहिए. इसे आप घर बैठे ऑनलाइन खरीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 



इसे भी जानिए -





01 दिसंबर 2018

Mahachaitas Ghrit | महाचैतस घृत


अगर किसी को मृगी या एपिलेप्सी की बीमारी है या फिर दिमाग की किसी भी तरह की प्रॉब्लम है तो इस अयुर्वेदिक औषधि का सेवन करना चाहिए जिसका नाम है महाचैतस घृत. जी हाँ दोस्तों, तो आईये आज इसी के बारे में चर्चा करते हैं -

महाचैतस घृत दिमाग के रोगों में बेहद असरदार है. यह दिमाग की कमज़ोरी, मेमोरी लॉस से लेकर मृगी और पागलपन तक में फ़ायदा करती है.

महाचैतस घृत के घटक या कम्पोजीशन -

यह एक ऐसी बेजोड़ औषधि है जिसे अनेकों प्रकार की जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है. इसे बनाने के लिए आठ तरह की जड़ी-बूटियों का क्वाथ और 40 तरह की जड़ी-बूटियों का कल्क और देशी गाय के घी का प्रयोग होता है. इसे आयुर्वेदिक प्रोसेस घृतपाक विधि से बनाया जाता है. यह चक्रदत्त का योग है. इस से कम असरदार एक औषधि है चैतस घृत जिसमे सिर्फ़ 12 तरह की जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं. 

महाचैतस घृत के फ़ायदे -


  • मानसिक रोगों या दिमाग की बीमारी के लिए आयुर्वेद में घृत वाली जितनी भी औषधियाँ हैं उनमे से यह सबसे बेस्ट और सबसे ज़्यादा असरदार है इसे यूनिक फार्मूलेशन की वजह से.
  • दिमाग की कमज़ोरी, यादाश्त की कमी, मेमोरी लॉस, मृगी और पागलपन जैसे रोगों में इसे दूसरी दवाओं के साथ लेने से निश्चित रूप से लाभ होता है. 
  • मृगी या एपिलेप्सी की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए इसका सेवन करना चाहिए.


  •  मृगी की बेस्ट आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के लिए आप हमारे विशेषज्ञों की सलाह ले सकते हैं, अधीक जानकारी आपको विडियो की डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगी.


महाचैतस घृत की मात्रा और सेवन विधि -


तीन से छह ग्राम तक मिश्री मिलाकर खायें और ऊपर से दूध पीना चाहिए. बच्चों को कम डोज़ में देना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा होती है, इसे लॉन्ग टाइम तक यूज़ कर सकते हैं. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.

 ब्राह्मी घृत के फायदे 

महातिक्त घृत चर्मरोगों की औषधि 


20 नवंबर 2018

Kukkutandtwak Bhasma | कुक्कुटाण्डत्वक भस्म | Kushta Baiza Murgh


आज एक ऐसी चीज़ और ऐसी दवा के बारे में बताने वाला हूँ जिसे अक्सर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं पर इसी से बनी यह दवा बेहद असरदार होती है.

जी हाँ दोस्तों, इसका नाम है आयुर्वेद में कुक्कुटाण्डत्वक भस्म जबकि यूनानी में इसे कुश्ता बैज़ा मुर्ग़ के नाम से जाना जाता है जो कि अन्डे के छिल्के से बनायी जाती है. तो आईये इसके बारे में पूरी डिटेल जानते हैं - 

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म- इसका पूरा नाम चार शब्दों के मिश्रण से बना है 
कुक्कुट = मुर्गी, अण्ड = अंडा, त्वक = छिल्का, भस्म = भस्म या राख 

मतलब हुवा मुर्गी के अण्डों के छिल्को से बनी भस्म. देसी मुर्गी जिसे आर्गेनिक आहार खिलाया गया हो उसी के अण्डों के छिल्को से बनी भस्म असरदार होती है. फार्म या पोल्ट्री वाले अण्डों की नहीं. 

तो इसे बनाने के लिए देसी मुर्गी के अंडे के छिल्के चाहिए, ध्यान रहे अन्डे के कवर के अन्दर भी एक पतली झिल्ली होती है उसे हटाकर ऊपर वाला हार्ड कवर ही लिया जाता है. 

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म निर्माण विधि -

बताये गए अण्डों के छिलके 100 ग्राम लेकर मोटा-मोटा कूटकर मिट्टी के छोटे बर्तन में रखकर उसमे चान्गेरी का रस इतन डालें की छिल्का पूरा डूब जाये. अब बर्तन का ढक्कन बन्द कर कपड़मिट्टी कर 10 किलो उपलों के बीच में रखकर गजपुट में फूँक दें. पूरी तरह से ठण्डा होने पर निकालकर पीसकर रख लिया जाता. अगर एक बार में सफ़ेद मुलायम भस्म न बने तो दुबारा उसी तरह से चान्गेरी का रस डालकर पुट देना चाहिए. इसकी भस्म हल्की, सफ़ेद और मुलायम बनती है.

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के गुण - 

यह कैल्शियम से भरपूर मूत्ररोग नाशक, बाजीकरण और रसायन गुणों से भरपूर होता है.

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के फ़ायदे -

प्रमेह और मूत्र रोगों में यह बेहद असरदार है, महिला-पुरुष दोनों के लिए सामान रूप से लाभकारी है.

पुरुषों के रोग जैसे प्रमेह, स्वप्नदोष, वीर्य विकार और धातुस्राव जैसे रोगों में दूसरी दवाओं के साथ देने से बेजोड़ लाभ मिलता है. 

महिलाओं के पीरियड रिलेटेड रोग, ल्यूकोरिया, सोमरोग और डिलीवरी के बाद की कमज़ोरी में दूसरी दवाओं के साथ लेने से फ़ायदा होता है.

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म की मात्रा और सेवन विधि -

250mg से 375mg तक सुबह-शाम शहद से देना चाहिए. पुरुष रोगों में वंग भस्म, लौह भस्म और महिलाओं को दशमूल क्वाथ के साथ देना चाहिए. 

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म अपने तरह की एक बेजोड़ औषधि है जिसे आयुर्वेदिक चिकित्सक कई तरह के रोगों में दूसरी दवाओं के साथ प्रयोग करते हैं. इसे किन रोगों में किस तरह से प्रयोग करना चाहिए इसकी पूरी डिटेल आप मेरी आने वाली पुस्तक में पढ़ सकते हैं. इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -

कुक्कुटाण्डत्वक भस्म(Kushta Baiza e Murgh) 50 ग्राम सिर्फ़ 100 रुपया में हमारे स्टोर से ख़रीदें ऑनलाइन - यहाँ क्लिक करें 




इसे भी जानिए - 







14 नवंबर 2018

Gorakhmundi Arq | गोरखमुण्डी अर्क


यह एक ऐसी बूटी है जिसे आयुर्वेद के साथ-साथ यूनानी में भी इस्तेमाल किया जाता है. गोरखमुण्डी अर्क हर तरह के चर्मरोगों या  स्किन डिजीज में असरदार है. तो आईये जानते हैं गोरखमुण्डी अर्क बनाने का तरीका, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में पूरी डिटेल - 

गोरखमुण्डी को मुण्डी के नाम से भी जाना जाता है जो अभी के मौसम में खेतों में मिल जाएगी. हमारे क्षेत्र में तो यह धान की फसल कटने के बाद खेतों में खुद उग आती है. यह पानी वाली जगहों और नदी, तालाब आदि के किनारे भी पाई जाती है, इसका फोटो देखकर आप समझ सकते हैं. 


इसका अर्क बनाने के लिए इसके फुल या फिर पूरा पंचांग जड़ सहित उखाड़ लें. 500 ग्राम इसके पंचांग को साफकर मोटा-मोटा कूटकर 5 लीटर पानी में शाम को भीगा देना चाहिए और सुबह भबका यंत्र या अर्क निकालने वाली मशीन से क़रीब 2.5 लीटर तक अर्क निकाल लेना चाहिए. 

कई लोग प्रेशर कुकर से भी इसका अर्क निकालते हैं, मैंने भी ट्राई किया है अच्छा निकलता है. इसके लिए कुकर की सिटी वाली जगह से सिटी निकाल कर उसमे एक पतली ताम्बे या प्लास्टिक लगा लिया जाता है और इस पाइप को ठण्डे पानी भरे हुवे गमले से गुज़ारना होता है जिस से भाप ठण्डी हो जाती है और दुसरे बर्तन में अर्क जमा किया जाता है. गमले का पानी समय-समय पर बदलना पड़ता है, स्लो फ्लेम में ही इसे  बनाया जाता है. वैसे गोरखमुण्डी अर्क आयुर्वेदिक और यूनानी दवा दुकान में बना बनाया मिल जाता है.

गोरखमुण्डी अर्क के फ़ायदे - 

यह अर्क खाज-खुजली, फोड़े-फुन्सी से लेकर, चकत्ते पड़ना, एक्जिमा, सोरायसिस और कुष्ठव्याधि तक में असरदार है. 

इसके सेवन से चेहरे और स्किन के काले धब्बे दूर होते हैं और त्वचा में निखार आता है. 

यह रक्तदोष या खून की ख़राबी को दूर कर खून साफ़ कर देता है. इसके सेवन से सुज़ाक और फिरंग जैसे रोगों में भी फ़ायदा होता है. 

गोरखमुण्डी अर्क की मात्रा और सेवन विधि - 

25 से 50ML तक रोज़ तीन चार-बार तक लेना चाहिए. दूसरी रक्तशोधक दवाओं के साथ लेने से ही इस से अच्छा लाभ मिलता है. सिर्फ़ इसका अकेला सेवन करने से भी फ़ायदा मिल सकता है ठीक वैसे जैसे युद्ध में अकेला सैनिक. अर्क न बना सकें या न मिले तो इसका काढ़ा या चूर्ण भी सेवन कर सकते हैं. इसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 




इसे भी जानिए -








10 नवंबर 2018

Eladi Churna | एलादि चूर्ण के चमत्कारी लाभ


एलादि चूर्ण हर तरह की उल्टी, ज़्यादा प्यास लगना, मुँह सुखना और पित्तज विकारों की प्रसिद्ध औषधि है. तो आईये जानते हैं एलादि चूर्ण का कम्पोजीशन और फ़ायदे के बारे में विस्तार से- 

एलादि चूर्ण का कम्पोजीशन -

आयुर्वेद में इलायची को एला कहा जाता है जो कि दो तरह की होती है लघु एला और दिर्घ एला,  जिसे आम बोलचाल में छोटी इलायची और बड़ी इलायची के नाम से जाना जाता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें- 

 छोटी इलायची, नागकेशर, दालचीनी, तेजपात, तालीसपत्र, बंशलोचन, मुनक्का बीज निकला हुवा, अनार दाना, धनिया, काला जीरा और सफ़ेद जीरा प्रत्येक दो-दो भाग, पीपल, पिपरामूल, चव्य, चित्रकमूल, सोंठ, कालीमिर्च, अजवायन, तिन्तिड़ीक, अम्लवेत, अजमोद, असगन्ध और कौंच बीज छिल्का निकले हुवे प्रत्येक एक-एक भाग और मिश्री सोलह भाग मिला होता है. 

इसे बनाने का तरीका यह होता है कि सभी जड़ी-बूटियों को बारीक कपड़छन चूर्ण कर पीसी हुयी मिश्री मिलाकर रख लिया जाता है. यह भारतभैषज्यरत्नाकर का योग है. 

एलादि चूर्ण के फ़ायदे - 

उल्टी, उबकाई आना और पित्तरोगों की यह असरदार दवा है. उल्टी किसी भी कारन से हो वातज, पित्तज या कफज इसके सेवन से लाभ होता है. 

पेट में छोभ और उत्तेजना होने से जब कुछ ही खाने-पिने से उल्टी हो जाये तो इसके सेवन से तेज़ी से फ़ायदा होता है.

पित्तदोष बढ़ने से अधीक प्यास लगना, गला सुखना और ज़्यादा गर्मी लगना जैसी प्रॉब्लम में इस से फ़ायदा होता है. 

एलादि चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि - 

तीन से छह ग्राम तक पीसी हुयी मिश्री और शहद में मिलाकर चाटना चाहिए रोज़ तीन-चार बार या आवश्यकतानुसार. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई नुकसान या साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. जब अंग्रेजी दवाओं से भी उल्टी न रूकती हो तो भी इस से लाभ हो जाता है. इसके 50 ग्राम के पैक की क़ीमत 85 रुपया के क़रीब है जिसे आप ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 






इसे भी जानिए -



07 नवंबर 2018

Kumarkalyan Ras | कुमारकल्याण रस के चमत्कारी लाभ


कुमारकल्याण रस बच्चों की बीमारीओं के लिए स्वर्णयुक्त बेजोड़ औषधि है. बच्चों की बीमारियों के लिए आयुर्वेद में इसका बड़ा महत्त्व है. यह बच्चों की हर तरह की बीमारी में तेज़ी से असर करती है. तो आईये जानते कुमारकल्याण रस के गुण और उपयोग के बारे में विस्तार से -

कुमारकल्याण रस का कम्पोजीशन - 

यह स्वर्णघटित रसायन औषधि है जिसमे स्वर्ण भस्म के अलावा मोती भस्म, रस सिन्दूर, अभ्रक भस्म, लौह भस्म और स्वर्णमाक्षिक भस्म मिला होता है. 

बनाने का तरीका यह होता है कि सभी भस्मों को बराबर वज़न में लेकर ग्वारपाठे के ताज़े रस में खरलकर मूंग के दाने के बराबर या 60mg की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. कई वैद्य रस सिन्दूर की जगह पर मकरध्वज मिलाकर बनाते हैं और यह ज़्यादा गुणकारी भी होता है. 

कुमारकल्याण रस के फ़ायदे- 

यह एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम मेडिसिन है जो हार्ट, फेफड़े, ब्रेन, लिवर, Digestive System, नर्वस सिस्टम और यूरिनरी सिस्टम सभी पर अच्छा असर करती है. 

यह बच्चों की खाँसी, अस्थमा, न्युमोनिया, उल्टी, दस्त, पेट की ख़राबी, सुखारोग, टी.बी. जैसी हर तरह की छोटी-बड़ी बीमारियों को दूर कर देता है.

इसके इस्तेमाल से लिवर, पेट के रोग, फेफड़ों के रोग जैसे खाँसी, न्युमोनिया, दिल, दिमाग और पेशाब के रोग दूर होते हैं. 

यह बच्चों की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है जिस से बच्चे जल्दी बीमार नहीं होते और बच्चों को चेचक, टाइफाइड जैसी बीमारियों से भी बचाता है. 

कुल मिलाकर बस यह समझ लीजिये कि बच्चों के लिए आयुर्वेद की यह टॉप क्लास की मेडिसिन है. 

कुमारकल्याण रस की मात्रा और सेवन विधि -

 आधी से एक गोली तक शहद से सुबह-शाम चटाना चाहिए. या फिर रोगानुसार उचित अनुपन और दूसरी दवाओं के साथ देना चाहिए. चूँकि यह तेज़ी से असर करने वाली रसायन औषधि है इसलिए इसे डॉक्टर की सलाह से ही देना चाहिए. इसके 10 टेबलेट की क़ीमत करीब 1000 रुपया होती है जिसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते निचे दिए लिंक से - 

कुमारकल्याण रस 1 ग्राम उत्तम क्वालिटी का ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर से -





इसे भी जानिए -






04 नवंबर 2018

Panchaskar Churna | पंचसकार चूर्ण कब्ज़ की शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि


पंचसकार चूर्ण कब्ज़ की पॉपुलर आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो कब्ज़ को तो दूर करती ही है साथ-साथ भूख बढ़ाती है और पाचन शक्ति को ठीक करती है. तो आईये जानते हैं पंचसकार चूर्ण का कम्पोजीशन, गुण, उपयोग और निर्माण विधि के बारे में विस्तार से - 

पंचसकार चूर्ण का कम्पोजीशन -

इसे पांच तरह की चीजें मिलाकर बनाया जाता है जिसमे सनाय की  पत्ती इसका मेन इनग्रीडेंट होता है. इसे बनाने के लिए चाहिए होता है सनाय की पत्ती चार भाग, सोंठ, सौंफ़, सेंधा नमक एक-एक भाग और छोटी  हर्रे दो भाग. छोटी हर्रे को घी या एरण्ड तेल में भून लेना चाहिए.

बनाने का तरीका यह है कि सभी को कूट-पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है. सनाय की पत्ती में इसके फुल, फल और डंठल मिले होते हैं जिसे एक-एक कर चुनकर निकाल लेना चाहिए नहीं तो इसकी वजह से पेट में मरोड़ होती है. कोई भी कमर्शियल कंपनी इसे सही से नहीं बनाती है क्यूंकि इसके फुल, फल और डंठल को हाथ से चुनकर अलग करना होता है. 

आयुर्वेदानुसार यह विरेचक और पाचक गुणों से भरपूर होता है. यह विबन्ध या बद्धकोष्ठनाशक है. 

पंचसकार चूर्ण के फ़ायदे- 

कब्ज़ को दूर करने के लिए ही इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग किया जाता है. यह आँतों को गति देकर कब्ज़ को दूर करता है.

यह हाजमा ठीक करता है और भूख भी बढ़ाता है. अगर पेट में कीड़े भी हों तो उसमे भी इस से फ़ायदा होता है.

चर्मरोग या स्किन डिजीज की दवा लेने से पहले और दवा लेते हुवे भी पेट साफ़ करने के लिए इसका प्रयोग करते रहना चाहिए. 

पंचसकार चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि -

तीन से छह ग्राम तक रात में सोने से पहले गर्म पानी या गर्म दूध से लेना चाहिए. अगर प्रॉब्लम ज़्यादा हो तो सुबह-शाम भी लिया जा सकता है. सनाय पत्ती मिला होने से ज़्यादा लॉन्ग टाइम तक यूज़ नहीं करना चाहिए नहीं तो इसकी आदत पड़ सकती है ऐसा लोग कहते हैं, पर इस तरह की बात मेरे अनुभव में नहीं आयी है. इसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 



इसे भी जानिए -





29 अक्टूबर 2018

Paid Consultation | घर बैठे विशेषज्ञ आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पायें !!!


आज की जानकारी आप सभी के लिए बड़ा ही काम आने वाली है. जी हाँ दोस्तों, अगर आप या आपके फॅमिली में से कोई भी लोग किसी भी बीमारी से परेशान हैं और आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट चाहते हैं तो आपको यह घर बैठे ऑनलाइन मिल जाएगी.

**************************************************************
इन बीमारियों के उपचार की सलाह हमारे विशेषज्ञों द्वारा आपको मिल जाएगी -

►दमा, श्वास(अस्थमा) 

►एसिडिटी/हाइपर एसिडिटी 

►पेप्टिक अल्सर  

►गैस, गैस्ट्रिक 

►पुराना बुखार, मलेरिया, टाइफाइड 

►सर दर्द, माईग्रेन

►कब्ज़ 

►बवासीर, ख़ूनी बवासीर, बादी बवासीर 

►ल्यूकोरिया/मासिक विकार 

►बाँझपन, हिस्टीरिया 

►शरीर की सुजन 

►खाज-खुजली 

►चर्मरोग, मुहांसे, धब्बे, सफ़ेद दाग, एक्जिमा, सोरायसिस 

►केशरोग, बाल गिरना, सफ़ेद होना 

►घबराहट, ह्रदय की कमज़ोरी, हृदयरोग 

►उच्चरक्तचाप, कोलेस्ट्रोल वृद्धि 

►सर्दी-जुकाम, नज़ला 

►अवसाद, मानसिक रोग, डिप्रेशन 

►फैटी लिवर, लिवर-स्प्लीन की बीमारी, जौंडिस, हेपेटाइटिस 

►आँव आना, संग्रहणी, IBS 

►पेट के कीड़े 

►मधुमेह, बहुमूत्र 

►प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ना

►पत्थरी, किडनी-ब्लैडर की पत्थरी, पित्ताशय की पत्थरी


►यूरिक एसिड 

►सिस्ट, मॉस, ट्यूमर, ग्लैंड, गण्डमाला, कंठमाला  

►इसनोफ़िलिया

►एलर्जी

►टी. बी. 

►गठिया, साइटिका, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, वात व्याधि 

►मोटापा 

►वीर्य विकार, वीर्य का पतलापन, शुक्राणु की कम संख्या, शीघ्रपतन, नपुंसकता(नामर्दी), स्वप्नदोष, धात गिरना इत्यादि. 

**************************************************************

फ़्री सलाह पाने के लिए डायरेक्ट 'वैद्य जी' को WhatsApp करने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये 

आप मर्द हों या औरत, बच्चे हों या बड़े अगर कोई भी बीमारी आपको है तो परेशान न हों. आप सभी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों के टीम की सर्विस आपके लिए ला रहा हूँ. इस टीम में मेरे अलावा चार डॉक्टर हैं -

1. डॉक्टर देवेन्द्र पाठक(BAMS, MD) - कायचिकित्सा विशेषज्ञ और आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर हैं आप अनुभवी नाड़ी वैद्य हैं और मेरे गुर भी.

2. हकीम डॉ. नेशात आलम(आयुर्वेदाचार्य) - जीर्ण एवम जटिल रोग विशेषज्ञ. ये आयुर्वेद और यूनानी के वयोवृद्ध अनुभवी डॉक्टर हैं और यह भी मेरे गुरु हैं.

3. डॉ. इरशाद(BAMS) - स्पेशलिस्ट औफ़ मॉडर्न मेडिसिन 

4. डॉ. श्रीमती नीलम राय(BAMS) - स्त्रीरोग विशेषज्ञ. यह भी आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं.







सक्सेसफुल पेमेंट के 24 घंटा के अन्दर(या जितना जल्दी सम्भव होगा) आपके दिए गये मोबाइल नंबर पर कॉल कर आपकी बीमारी की डिटेल ली जाएगी और उसके बाद हमारे एक्सपर्ट दवा की सलाह देंगे जो कि मैं आपको कॉल कर बता दूँगा और साथ ही आपके WhatsApp और ई मेल ID पर भी डिटेल्स भेज दी जाएगी. 

डिटेल्स में दवाओं का योग बता दिया जायेगा, खाने का तरीका बताया जायेगा और साथ ही परहेज़ के बारे में भी. आपका पूरा डाटा Confidential रहेगा, आपके बीमारी की बात सिर्फ़ मेरे, आपके और डॉक्टर्स के बीच रहेगी. यूट्यूब कमेंट की तरह पब्लिक नहीं.

फ़ीस कैसे पे करें?

दिए गए लिंक से PayTm अब आप कर सकते हैं - PayTm नंबर- 7645065097

Online Payment Link- click here

अगर आपको हमारे विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह चाहिए तो अभी फीस पे कीजिये और हमारे एक्सपर्ट की सलाह पाईये, यहाँ एक बाद क्लियर कर दूं कि सिर्फ़ सलाह दी जाएगी, दवा नहीं. आने वाले समय में दवाएँ भी उपलब्ध कराने की कोशिश करूँगा. इसके बारे में कोई सवाल हो तो कमेंट कर पूछिये, आपके सवालों का स्वागत है. 


यहाँ विडियो में देख सकते हैं -


(पेमेंट आप्शन अपडेट किया गया है)


24 अक्टूबर 2018

Arshkuthar Ras for Piles | अर्शकुठार रस बवासीर की आयुर्वेदिक औषधि


बवासीर के लिए अर्शकुठार रस आयुर्वेद की जानी-मानी औषधि है. अर्शकुठार जैसा कि इसका नाम है वैसा की इसका काम है. अर्श का मतलब बवासीर या पाइल्स और कुठार का मतलब कुल्हाड़ी यानी बवासीर पर कुल्हाड़ी की तरह वार कर ठीक करने वाली दवा. तो आईये जानते हैं अर्शकुठार रस का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से -

अर्शकुठार रस का कम्पोजीशन -

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे पारा-गंधक के अलावा भस्मों और कई तरह की जड़ी-बूटियो को मिलाकर बनाया जाता है. इसमें शुद्ध पारा 40 ग्राम, शुद्ध गंधक, लौह भस्म और ताम्र भस्म प्रत्येक 80-80 ग्राम, सोंठ, मिर्च, पीपल, दन्तीमूल, सूरणकन्द, वंशलोचन, शुद्ध टंकण, यवक्षार और सेंधा नमक प्रत्येक 20-20 ग्राम, स्नुही का दूध 320 ग्राम और गोमूत्र डेढ़ लीटर मिला होता है.

अर्शकुठार रस निर्माण विधि - 

जड़ी-बूटियो का बारीक चूर्ण बना लें, और पारा-गन्धक को खरलकर कज्जली बना लें. कज्जली के बारे में यहाँ बता दूँ कि जब शुद्ध पारे को शुद्ध गन्धक के साथ मिलाकर पत्थर के खरल में पिसा जाता है तो पारे की चमक ख़त्म हो जाती है और यह काजल की तरह काले रंग का पाउडर बन जाता है. इसे ही आयुर्वेद में कज्जली कहा जाता है.

अर्शकुठार रस बनाने के लिए सेहुंड के दूध और गोमूत्र को कड़ाही में डालकर हलवे की तरह गाढ़ा होने तक पकाया जाता है, इसके बाद आँच से उतार कर जड़ी-बुटियों का चूर्ण और भस्म मिक्स कर इतना खरल करें कि गोली बनाने लायक हो जाये. अब इसकी 250mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. 

अर्शकुठार रस के फ़ायदे- 

अर्शकुठार रस बादी बवासीर या नॉन ब्लीडिंग पाइल्स में ज़्यादा असरदार है. नयी-पुरानी बवासीर के मस्से सुख जाते हैं, कब्ज़ दूर कर पेट साफ़ करता है. 

ब्लीडिंग वाले नए बवासीर में इस से फ़ायदा होता है, खुनी बवासीर अगर पुरानी हो तो इस से उतना फ़ायदा नहीं होता, उसके लिए कांकायन वटी अर्श लेना चाहिय.

अर्शकुठार रस की मात्रा और सेवन विधि – 

एक से दो गोली सुबह-शाम अभ्यारिष्ट या दूसरी पेट साफ़ करने वाली दवाओं के साथ लेना चाहिए. गुलकन्द या गर्म पानी से बादी बवासीर में लेना चाहिए.

बादी बवासीर(नॉन ब्लीडिंग पाइल्स) में - अर्शकुठार रस 2 गोली + कांचनार गुग्गुल 1 गोली + आरोग्यवर्धिनी वटी 1 गोली मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी या गुलकन्द के साथ खाकर ऊपर से 4 स्पून अभ्यारिष्ट पीना चाहिए.

वैसे तो सही डोज़ में लेने से इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है, पर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से इसे लेना बेस्ट रहता है. इसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -




इसे भी जानिए -






22 अक्टूबर 2018

Dhatri Lauh Benefits | धात्री लौह के फ़ायदे


यह आयुर्वेद की पॉपुलर दवाओं में से एक है जो पेट की कई तरह की बीमारियों को दूर करती है, तो आईये जानते हैं धात्री लौह का कम्पोजीशन, बनाने की विधि, इसके गुण और उपयोग के बारे में विस्तार से - 

धात्री लौह का कम्पोजीशन -

यह एक लौह भस्म प्रधान दवा है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है मुलेठी चूर्ण एक भाग, लौह भस्म दो भाग और आँवले का चूर्ण चार भाग. मुलेठी और आँवले का बारीक कपड़छन चूर्ण होना चाहिए. 

सभी को अछी तरह से खरल कर ताज़े गिलोय के रस की दो-तीन भावना देकर 500mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. कुछ कंपनियां इसका टेबलेट बनाती है तो कुछ इसे पाउडर फॉर्म में ही रखती हैं. यह बना-बनाया मार्केट में मिल जाता है. 

धात्री लौह की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक खाना से पह ले या बाद में घी या शहद के साथ लेना चाहिए.

धात्री लौह के फ़ायदे -

खाना खाने के बाद पेट दर्द होना, खाने पचने टाइम पेट दर्द होना, सिने की जलन, खट्टी डकार, एसिडिटी, अपच और कब्ज़ जैसी बीमारीओं में यह बेहद असरदार है.

लौह भस्म मिला होने से खून की कमी या एनीमिया और जौंडिस में भी इस से फ़ायदा होता है. 

इस से पाचन शक्ति ठीक होती है और सफ़ेद हुवे बालों को काला करने में हेल्प करता है.

बच्चों के लिए भी फ़ायदेमन्द है अगर सही डोज़ में दिया जाये. इसका लगातार इस्तेमाल करने से कमज़ोरी दूर होती है और इम्युनिटी पॉवर भी बढ़ती है. इसे आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -




इसे भी जानिए - 




18 अक्टूबर 2018

IBS Treatment | संग्रहणी का आयुर्वेदिक उपचार - Vaidya Ji Ki Diary


आज वैद्य जी की डायरी में मैं आज बताने वाला हूँ संग्रहणी या IBS के लिए असरदार आयुर्वेदिक योग के बारे में. 

जी हाँ दोस्तों, आप में से कई लोग अक्सर पूछते रहते हैं इस बीमारी के इलाज के बारे में. तो आईये जानते हैं संग्रहणी या IBS के लिए इफेक्टिव आयुर्वेदिक योग की पूरी डिटेल - 

जैसा कि आप सभी जानते है IBS में रोगी को कई बार दस्त होते हैं जो तरह-तरह की दवा लेने पर भी जल्दी ठीक नहीं होता है. आज मैं इसके लिए बेहद असरदार आयुर्वेदिक योग बता रहा हूँ जिसे एक बार ट्राई ज़रूर करें-

इसके लिए आपको चाहिए होगा - 

प्रवाल पंचामृत रस(मोती युक्त) 5 ग्राम 

पंचामृत पर्पटी 5 ग्राम 

वृहत लोकनाथ रस 10 ग्राम 

कुटजघन वटी 10 ग्राम 

भुने हुवे जीरे का चूर्ण 10 ग्राम

बिल्वावलेह

चित्रकादि वटी 

कुटजारिष्ट

प्रवाल पंचामृत रस(मोती युक्त) 5 ग्राम + पंचामृत पर्पटी 5 ग्राम + वृहत लोकनाथ रस 10 ग्राम + कुटजघन वटी 10 ग्राम + भुने हुवे जीरे का चूर्ण 10 ग्राम. 

सभी को पीसकर अछी तरह से मिलाकर 40 मात्रा बना लेना है. एक-एक मात्रा रोज़ दो से तीन बार तक एक स्पून बिल्वावलेह के साथ देना चाहिए. 

खाना के बाद 2 गोली चित्रकादि वटी और चार स्पून कुटजारिष्ट पीना चाहिय. लगातार कुछ हफ्ते तक इसका इस्तेमाल से करने से आप IBS से छुटकारा पा सकते हैं.

इसका इस्तेमाल करते हुवे हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाएं. तेल-मसाला वाले हैवी फ़ूड, नॉन वेज और फ़ास्ट फ़ूड बिल्कुल नहीं खाना चाहिए. 




वैद्य जी की डायरी के दुसरे चमत्कारी योग को यहाँ देखें 

05 अक्टूबर 2018

Ajmodadi Churna | अजमोदादि चूर्ण सुजन और दर्द की औषधि


अजमोदादि चूर्ण क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो सुजन और हर तरह के वात रोगों में बेहद असरदार है. इसके इस्तेमाल से सुजन, जोड़ों का दर्द, गठिया, साइटिका, आमवात, कमर दर्द, पीठ का दर्द और बॉडी का दर्द जैसे वातरोग दूर होते हैं. तो आईये जानते हैं अजमोदादि चूर्ण का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से -

अजमोदादि चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन -

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसमें अजमोद के अलावा दूसरी कई सारी जड़ी-बूटियाँ होती हैं. यह दो तरह के योग से बनाया जाता है. सबसे पहले जानते हैं प्रचलित योग के बारे में -

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है अजमोद, वायविडंग, सेंधा नमक, देवदार, चित्रकमूल छाल, सोया, पीपल, पीपलामूल और काली मिर्च प्रत्येक 10-10 ग्राम, हर्रे 50 ग्राम, विधारा और सोंठ प्रत्येक 100 ग्राम. सभी को कूट-पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है. यह शारंगधर संहिता का योग है. इसमें गुड़ मिलाकर बड़ी-बड़ी गोलियाँ भी बनाया जाता है जिसे अमोदादि वटक कहते हैं.

दुसरे वाले अजमोदादि चूर्ण का कम्पोजीशन कुछ इस तरह से होता है - अजमोद, बच, कूठ, अमलतास, सेंधा नमक, सज्जीक्षार, हर्रे, त्रिकटु, ब्रह्मदंडी, मोथा, हुलहुल, सोंठ और काला नमक. सभी को बराबर वज़न में लेकर चूर्ण बनाया जाता है. दोनों ही योग के फ़ायदे एक जैसे ही होते हैं, पहले वाले योग को ही मैंने रोगियों पर इस्तेमाल कर अच्छा रिजल्ट देखा है.

अजमोदादि चूर्ण के गुण- यह वात और कफ़ नाशक है. दर्द-सुजन दूर करने वाला, वायु नाशक और पाचक होता है.

अजमोदादि चूर्ण  के फ़ायदे -

आमवात जिसमे जोड़ों में दर्द हो, सुजन में, शरीर में सुजन और हल्का बुखार हो तो इसे दूसरी वातनाशक औषधियों के साथ देने से अच्छा लाभ मिलता है.

गठिया, साइटिका, कमर दर्द, पीठ दर्द या फिर बॉडी में कहीं भी दर्द-सुजन हो तो इसका इस्तेमाल करना चाहिए. इसे लॉन्ग टाइम तक यूज़ करने से ही पूरा फ़ायदा दीखता है.

अजमोदादि चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि - 

तीन से छह ग्राम तक सुबह-शाम गर्म पानी से लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ दवा है, किसी तरह कोई नुकसान नहीं होता है लॉन्ग टाइम तक यूज़ करने से भी. इसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 




इसे भी जानिए -



02 अक्टूबर 2018

Parpatadhrishta | पर्पटाद्यरिष्ट के फ़ायदे


पर्पटाद्यरिष्ट क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो लिवर-स्प्लीन की बीमारी, जौंडिस, कामला, हेपेटाइटिस, सुजन और मलेरिया में बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं पर्पटाद्यरिष्ट का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में पूरी डिटेल - 

पर्पटाद्यरिष्ट का कम्पोजीशन-

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है पर्पटा नाम की बूटी ही इसका मुख्य घटक है. पर्पटा को ही पित्तपापड़ा के नाम से जाना जाता है. 

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए पित्तपापड़ा 5 किलो लेकर 40 लीटर पानी के क्वाथ बनायें और जब 10 लीटर पानी बचे तो ठण्डा होने पर छानकर पुराना गुड़ 10 किलो और धाय के फूल आधा किलो मिक्स करें. गिलोय, सोंठ, मिर्च, पीपल, नागरमोथा, दारूहल्दी, छोटी कटेरी, धमासा, चव्य, चित्रकमूल और वायविडंग प्रत्येक 50-50 ग्राम का जौकुट चूर्ण मिक्स कर रिष्ट वाले चिकने बर्तन में सन्धान के लिए रख दिया जाता है. 

एक महिना बाद अच्छी तरह से फ़िल्टर कर काँच के बोतल में भरकर रख लेना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से ही बनाया जाता है जो कि औषध निर्माण में अनुभवी वैद्य ही बना सकता है. यह बना बनाया मार्केट में शायेद ही मिलता हो.

पर्पटाद्यरिष्ट के फ़ायदे -

यह लिवर-स्प्लीन की हर तरह की बीमारी में बेहद इफेक्टिव है. लिवर बढ़ा हो, स्प्लीन बढ़ा हो, जौंडिस हो या फिर हेपेटाइटिस भी हो तो इस से फ़ायदा होता है. पर इसके साथ में और भी दवाएँ लेनी चाहिए.

पेट की बीमारी, गोला बनना, सुजन, मलेरिया, भूख की कमी और दिल की कमज़ोरी में भी फ़ायदा होता है.

यह पाचन तंत्र को ठीक कर भूख बढ़ाता है. 

पर्पटाद्यरिष्ट की मात्रा और सेवन विधि - 15 से 30 ML तक सुबह-शाम खाना के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, बस शुगर वाले रोगी को यूज़ नहीं करें क्यूंकि इसमें गुड़ की मात्रा होती है. 





30 सितंबर 2018

Swamala Compound | स्वामला कम्पाउंड


यह धूतपापेश्वर नाम की कम्पनी का पेटेंट प्रोडक्ट है जो हेल्थ टॉनिक की तरह काम करता है यह कमज़ोरी को दूर कर चुस्ती-फुर्ती लाता है और पॉवर स्टैमिना को बढ़ा देता है, तो आईये जानते हैं स्वामला कम्पाउंड क्या है? और साथ जानेंगे इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

स्वामला कम्पाउंड अवलेह या हलवे की तरह की दवा ठीक च्यवनप्राश जैसी, बल्कि इसे अडवांस च्यवनप्राश कह सकते हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो च्यवनप्राश इसका मेन इनग्रीडेंट है. 

इसके हर दस ग्राम में स्वर्ण भस्म और रौप्य भस्म या चाँदी भस्म 1-1mg, अभ्रक भस्म 5mg, कान्तलौह भस्म और प्रवाल पिष्टी प्रत्येक 10-10mg, मकरध्वज 14mg और बाक़ी च्यवनप्राश होता है. 

आयुर्वेद की पोपुलर दवा च्यवनप्राश में सोना-चाँदी और मकरध्वज जैसी चीज़ों का मिश्रण इसे असरदार बना देता है. यह त्रिदोष नाशक है.

स्वामला कम्पाउंड के फ़ायदे-

थकान, आलस कमज़ोरी, बुखार, खाँसी, टी. बी., पुरानी बीमारी और बीमारी के बाद की कमज़ोरी दूर करने के लिए इसे लेना चाहिए.

यह पॉवर-स्टैमिना को बढ़ाता है, यौन कमज़ोरी दूर करता है और महिला-पुरुष की इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम में भी इस से फ़ायदा होता है.

इसे जनरल हेल्थ टॉनिक के रूप में भी यूज़ कर सकते हैं.

स्वामला कम्पाउंड का डोज़ - 

एक से दो स्पून तक सुबह-शाम ख़ाली पेट लेना चाहिए, इसे एक से दो महिना तक लगातार ले सकते हैं. 

मकरध्वज जैसा हैवी मेटल मिला होने से लॉन्ग टाइम तक ज़्यादा यूज़ नहीं करना चाहिए. इसके 500ग्राम के पैक की क़ीमत है 545 रुपया है जिसे डिस्काउंट प्राइस में आप घर बैठे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -





इसे भी जानिए -








loading...

26 सितंबर 2018

Low BP Treatment | लो ब्लड प्रेशर(निम्न रक्तचाप) की आयुर्वेदिक चिकित्सा - वैद्य जी की डायरी # 13


वैद्य जी की डायरी में आज मैं बताऊंगा लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप को दूर करने वाले आयुर्वेदिक योग के बारे में. जी हाँ दोस्तों, कई लोगों को लो ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम होती है और आपमें से कई लोग अक्सर मुझसे पूछते भी रहते हैं इसकी दवा के बारे में, तो आईये जानते हैं लो BP को दूर करने वाले आयुर्वेदिक योग के बारे में विस्तार से -


कई लोग BP बढ़ाने के लिए नमक ज़्यादा खाते हैं जिस से कुछ टाइम के लिए ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, पर ज़्यादा नमक खाने से कई तरह के दुसरे नुकसान भी हो सकते हैं, इस बात को समझ लीजिये. आज जो योग मैं बता रहा हूँ यह बिल्कुल टेस्टेड और 100% इफेक्टिव है, इसका नाम मैंने रखा है -

निम्न रक्तचापनाशक योग - 

इसके लिए आपको चाहिए होगा रस सिन्दूर 2.5gm + लौह भस्म शतपुटी 2.5gm + अभ्रक भस्म शतपुटी 2.5gm + शुद्ध कुचला चूर्ण 2.5gm + शुद्ध शिलाजीत 5gm

सबसे पहले रस सिन्दूर को खरल में डालकर अच्छी तरह से पिस लें उसके बाद दूसरी चीज़ों को अच्छी तरह से मिक्स बराबर मात्रा की 30 पुड़िया बनाना है. 

एक-एक पुड़िया सुबह-शाम शहद से खाकर आधे घंटे के बाद द्राक्षासव + लोहासव + बलारिष्ट तीनो दो-दो स्पून एक कप पानी में मिक्स कर लेना चाहिए. यह व्यस्क व्यक्ति के लिए डोज़ बताया गया है. सारी दवाएं भोजन के बाद ही लेना है. 

यहाँ पर दो बातों का ध्यान रखें -

(1) अगर पित्त बढ़ा हो और पित्त प्रकृति वाले हों तो शुद्ध कुचला चूर्ण इसमें शामिल न करें. 

(2) और दूसरी बात यह कि इस योग को शहद के साथ खाने से भी मुँह का टेस्ट कड़वा हो जाता है शुद्ध कुचला मिला होने से, चाहें तो इसकी गोली बनाकर या फिर कैप्सूल में भरकर निगल सकते हैं. 

बताया गया योग हमारे चिकित्सक साथी, वैद्य, हकीम और आयुर्वेद के छात्रों के लिए बेहद उपयोगी रहेगा. अपने दर्शकों से कहना चाहूँगा कि अगर आपको लो ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम है तो बताया गया योग स्थानीय वैद्य जी की देख रेख में ही यूज़ करें.

तो दोस्तों वैद्य जी की डायरी में आज इतना ही, उम्मीद आज की जानकारी आपको पसंद आयेगी, तो एक लाइक और शेयर तो बनता है. 

इसे भी जानिए -







21 सितंबर 2018

Prameh Gajkeshri Ras | प्रमेहगजकेशरी रस


प्रमेहगजकेशरी रस शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो प्रमेह, धात की समस्या, मधुमेह या डायबिटीज, पेशाब की जलन, पत्थरी और बॉडी की गर्मी जैसी कई तरह की बीमारियों में बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं प्रमेहगजकेशरी रस का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से - 

प्रमेहगजकेशरी रस के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में दो तरह का योग बताया गया है. पहला है स्वर्णभस्म वाला और दूसरा है बिना स्वर्ण भस्म का साधारण वाला. स्वर्णयुक्त ही सबसे ज़्यादा इफेक्टिव होता है. सबसे पहले स्वर्णभस्म वाले का कम्पोजीशन जानते हैं -

प्रमेहगजकेशरी रस स्वर्णयुक्त -

स्वर्ण भस्म, वंग भस्म, कान्त लौह भस्म, रस सिन्दूर, मोती पिष्टी या भस्म, दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपात और नागकेशर का चूर्ण सभी को बराबर वज़न में लेकर घृतकुमारी के रस में खरल कर 125 मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यह रसेन्द्र सार संग्रह का योग है.

प्रमेहगजकेशरी रस साधारण -

इसके लिए चाहिए होता है लौह भस्म, नाग भस्म और बंग भस्म प्रत्येक एक-एक भाग, अभ्रक भस्म चार भाग, शुद्ध शिलाजीत पांच भाग और गोखरू का चूर्ण छह भाग लेकर अच्छी तरह से मिक्स कर निम्बू के रस में सात दिनों तक खरलकर एक-एक रत्ती या 125 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लें. 

प्रमेहगजकेशरी रस के फ़ायदे- 

प्रमेह और मधुमेह यानि शुक्रस्राव या धात की समस्या और डायबिटीज के लिए यह आयुर्वेद की महान औषधियों में से एक है. 

स्वर्णयुक्त प्रमेहगजकेशरी रस डायबिटीज में इन्सुलिन की तरह तेज़ी से असर करता है. इसी तरह प्रमेह और धतुस्राव या धात गिरने को या तीन दिनों में रोक देता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है. 

ज्यादा प्यास लगना, मुंह सुखना, ज़्यादा पेशाब होना, भूख की कमी जैसी डायबिटीज से रिलेटेड प्रॉब्लम इस से दूर होती है.

पेशाब की जलन, खुलकर पेशाब नहीं होना, पेशाब की नली में रुकावट होने में असरदार है.

प्रमेहगजकेशरी रस की मात्रा और सेवन विधि -

एक-एक गोली सुबह शाम पानी या गुडमार के क्वाथ से लेना चाहिए. ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से -

Pramehagaj Kesari (50 Tablets)


इसे भी जानिए- 







19 सितंबर 2018

Babularishta | बब्बूलारिष्ट के फ़ायदे


बब्बूलारिष्ट क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो खाँसी, दमा, टी.बी., थायसीस, रक्तपित्त, पेशाब के रोग और खून की ख़राबी जैसी कई तरह की बीमारियों में असरदार है, तो आईये जानते हैं बब्बूलारिष्ट का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से - 

बब्बूलारिष्ट के घटक या कम्पोजीशन-

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक बबूल होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बबूल की छाल, गुड़, धाय के फूल, पिपल, जायफल, लौंग, कंकोल, बड़ी इलायची, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर और काली मिर्च से मिश्रण से आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से बनाया जाता है. 

बब्बूलारिष्ट के गुण -

आयुर्वेदानुसार यह कफ़-पित्त नाशक, रक्तशोधक और रक्तरोधक भी है. इसमें Antitussive, Anti-inflammatory, Styptic और पाचक जैसे गुण पाये जाते हैं. 

बब्बूलारिष्ट के फ़ायदे- 

खाँसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, टी. बी. थाईसीस, मूत्ररोग और रक्तविकार यानि स्किन डिजीज में आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका प्रयोग कराते हैं.

टी.बी. वाली खाँसी जिसमे कफ़ के साथ ब्लड निकलता हो साथ में कमज़ोरी, बुखार और भूक की कमी हो तो इसका सेवन करना चाहिए.

पेशाब की जलन, नाक मुंह से खून आने या रक्तपित्त, फोड़े-फुंसी और दुसरे स्किन डिजीज में सहायक औषधियों के साथ लेने से फ़ायदा होता है.

बब्बूलारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि -

15 से 30ML तक बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर खाना के बाद सुबह शाम लेना चाहिय या फिर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसका डोज़ लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा होती है जिसे बच्चे-बड़े सभी यूज़ कर सकते हैं सही डोज़ में. बैद्यनाथ के 450ML की क़ीमत 126 रुपया है. 

इसे भी जानिए -




17 सितंबर 2018

Bol Parpati | बोल पर्पटी के फ़ायदे जानिए


बोल पर्पटी क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो रक्त प्रदर, पीरियड में ज़्यादा ब्लीडिंग होना, ख़ूनी बवासीर और ब्लीडिंग वाली बीमारियों में असरदार है. तो आइये जानते हैं बोल पर्पटी का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

बोल पर्पटी का कम्पोजीशन- 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक बोल नाम की औषधि है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक एक-एक भाग और बोल दो भाग के मिश्रण से बनाया जाता है.

बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पारा और गंधक को खरलकर कज्जली बना ली जाती है और उसके बोल को मिक्स कर कड़ाही में डालकर पिघलने तक गर्म किया जाता है. इसके बाद केले के पत्ते पर इसे फैलाकर ऊपर से दूसरा केले का पत्ता डालकर दबा दिया जाता है, जिस से पपड़ी की तरह बन जाये. पपड़ी को ही आयुर्वेद में पर्पटी का नाम दिया गया है. 

आयुर्वेदानुसार बोल पर्पटी पित्त दोष को कम करती है. यह रक्तपित्त नाशक और रक्तरोधक या खून  बंद करने वाले गुणों से भरपूर होती है. 

बोल पर्पटी के फ़ायदे - 

जैसा कि शुरू में ही बताया गया है रक्त प्रदर, पीरियड की हैवी ब्लीडिंग, नकसीर, ख़ूनी बवासीर और ब्लीडिंग वाली दूसरी बीमारियों में इसका प्रयोग किया जाता है. 

बोल पर्पटी की मात्रा और सेवन विधि - 

125mg से 250mg तक रोज़ दो-तीन बार तक शहद या मिश्री के साथ लेना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही सही मात्रा में लेना चाहिए क्यूंकि हैवी मेटल वाली दवा है, ग़लत डोज़ होने से नुकसान भी हो सकता है. बैद्यनाथ के 5 ग्राम की क़ीमत 58 रुपया है. 


इसे भी जानिए -