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30 दिसंबर 2017

योगेन्द्र रस के गुण और उपयोग | Yogendra Ras Benefits and Usage


योगेन्द्र रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो स्वर्णयुक्त और रसायन औषधि है. यह हर तरह के वात रोगों के अलावा हार्ट, किडनी, लीवर, मानसिक रोग और पुरुष रोगों में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह कई तरह के बीमारियों में फ़ायदा करती है, तो आईये जानते हैं योगेन्द्र रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

योगेन्द्र रस स्वर्णयुक्त औषधि है जिसमे सोना जैसी महँगी चीजें मिली होती हैं. योगेन्द्र रस आयुर्वेदिक ग्रन्थ 'भैषज्य रत्नावली' का योग है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - 

रस सिन्दूर- दो भाग, कान्त लौह भस्म, अभ्रक भस्म, स्वर्ण भस्म, मुक्ता भस्म और वंग भस्म प्रत्येक एक-एक भाग का मिश्रण होता है जिसे घृतकुमारी के रस में खरल कर 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही योगेन्द्र रस कहलाता है. 


योगेन्द्र रस के गुण - 

यह वात और पित्त दोष को दूर करता है. एंटी इंफ्लेमेटरी, antacid, पाचक, ह्रदय को बल देने वाला(Cardio protective) और Nervine टॉनिक जैसे गुण इसमें पाए जाते हैं. 


योगेन्द्र रस के फ़ायदे- 

यह हर तरह के वातरोगों की असरदार दवा है यानि जोड़ो का दर्द, गठिया, कमरदर्द आर्थराइटिस से लेकर लकवा, साइटिका, पक्षाघात, एकांगवात, कम्पवात जैसे हर तरह के दर्द वाले या वातरोगों में आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं. 

यह दिमाग को ताक़त देता है और मानसिक रोगों को भी दूर करता है जैसे एपिलेप्सी, हिस्टीरिया, बेहोशी पागलपन जैसे मानसिक रोग. 

योगेन्द्र रस हार्ट के रोगों में भी असरदार है, हार्ट की कमजोरी, घबराहट, दिल का ज़्यादा धड़कना जैसे रोगों में असरदार है. हाई BP को भी कण्ट्रोल करता है. 

एसिडिटी, अपच को दूर कर पाचन शक्ति को ठीक करता है. 

किडनी पर भी इसका अच्छा असर होता है, प्रमेह, बहुमूत्र जैसे रोगों में फ़ायदेमंद है. 

यह बल वीर्य को बढ़ाता है, नर्व और मसल्स को ताक़त देता है. यह एक नेचुरल यौनशक्ति वर्धक है, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसे पुरुष रोगों में भी फ़ायदेमंद है. 

योगेन्द्र रस ऐसी दवा है जिसे दूसरी दवा के साथ मिलाकर लेने से उसका पॉवर बढ़ जाता है. 

कुल मिलाकर देखा जाये तो योगेन्द्र रस ऐसी स्वर्णयुक्त दवा है जिसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियाँ दूर होती हैं. 

योगेन्द्र रस की मात्रा और सेवन विधि - 

एक गोली सुबह शाम शहद या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ. वात रोगों में एरंडमूल क्वाथ से, पित्त रोगों में त्रिफला के पानी और मिश्री के साथ, हार्ट के रोगों में अर्जुन की छाल के चूर्ण से, हिस्टीरिया, मृगी जैसी मानसिक रोगों में जटामांसी के काढ़े से और बल-वीर्य बढ़ाने या पुरुष यौन रोगों के लिए लिए मक्खन-मलाई या दूध से लेना चाहिए. इसे डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में ही यूज़ करें. 
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