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27 दिसंबर 2017

इच्छाभेदी रस के फ़ायदे | Herbal Medicine for Ascites, Constipation & Bloating


इच्छाभेदी रस एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो जलोदर और कब्ज़ दूर करती है. आयुर्वेद में इसे तीव्र विरेचक के रूप में पंचकर्म के 'विरेचन' कर्म में भी इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं इच्छाभेदी रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

इच्छाभेदी रस यानि इच्छा को भेदने वाली रस या रसायन औषधि. यह तीव्र विरेचक है यानि पावरफुल दस्तावर दवा है जिसके इस्तेमाल से पतले दस्त होने लगते हैं. 

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, सोंठ, मिर्च, टंकण भस्म और शुद्ध जयपाल का मिश्रण होता है. जयपाल को ही आम बोलचाल में जमालगोटा के नाम से जाना जाता है. 

इच्छाभेदी रस कफ़ और पित्त दोष नाशक होता है, कब्ज़ दूर कर दस्त लाता है. 


इच्छाभेदी रस के फ़ायदे- 

इसके फ़ायदे की बात करें तो यह पेट साफ़ करने की पावरफुल दवा है. इसे लेने से बाई फ़ोर्सली चार-छह दस्त आकर पेट साफ़ हो जाता है. 

पेट फूलने और जलोदर(Ascites) में या जब पेट में पानी भरा हो तो इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है. 

कुल मिलाकर देखा जाये तो जब भी पेट साफ़ करने या विरेचन की ज़रूरत हो तो आयुर्वेदिक डॉक्टर इस दवा का इस्तेमाल करते हैं. 


इच्छाभेदी रस की मात्रा और सेवन विधि -

एक से दो टेबलेट बस एक ही बार लेना चाहिए जब पेट साफ़ करने की ज़रूरत हो. इसे ठन्डे पानी से लेना चाहिए. इसे लेने के कुछ टाइम के बाद ही दस्त होने लगते हैं, और उल्टी भी हो सकती है. जब पेट साफ़ हो जाये और दस्त बंद करना हो तो गर्म पानी पीना चाहिए, तो फिर दस्त बंद हो जाते हैं. दस्त बंद होने के बाद छाछ और चावल खाना चाहिए. इसे सिर्फ़ डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. ओवरडोज़ होने से डायरिया भी हो सकता है. 

इच्छाभेदी रस लेने से पहले रात में एरण्ड तेल पीना अच्छा रहता है, और दिन में ही इच्छाभेदी रस लेना चाहिए. 

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