लशुनादि वटी क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो पेट की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. यह गैस, दस्त, पाचन शक्ति की कमज़ोरी, भूख की कमी और आँतों की कमज़ोरी को दूर करती है, तो आईये जानते हैं लशुनादि वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
लशुनादि वटी जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मेन इनग्रीडेंट लहसुन या गार्लिक होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें लहसुन, सफ़ेद जीरा, सेंधा नमक, शुद्ध गंधक, सोंठ, मिर्च, पीपल, हींग और नीम्बू के रस का मिश्रण होता है.
बनाने का तरीका यह होता है कि हींग के अलावा सभी चीज़ें एक-एक भाग लेना है और हींग चौथाई भाग. लहसुन को छीलकर पेस्ट बना लें और दूसरी चीज़ों का पाउडर, फिर सभी को मिक्स कर निम्बू के रस में खरलकर 500 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही लशुनादि वटी है.
लशुनादि वटी के औषधिय गुण -
यह वात और कफ़ दोष को बैलेंस करती है और पित्त को बढ़ाती है. तासीर में थोड़ा गर्म कह सकते हैं. गैस नाशक, पाचक और भूख बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होती है.
लशुनादि वटी के फ़ायदे-
पेट की गैस, बदहज़मी, डायरिया, अपच, भूख की कमी और पाचन शक्ति की कमज़ोरी जैसे पेट के रोगों में यह असरदार है.
जी मिचलाना, पेट दर्द, पेट फूलने जैसी प्रॉब्लम में भी इस से फ़ायदा होता है.
लशुनादि वटी की मात्रा और सेवनविधि -
एक से दो गोली रोज़ दो-तीन बार तक खाना खाने के बाद नार्मल पानी से लेना चाहिए. या फिर डॉक्टर की सलाह के मुताबिक.
यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा होती है, इसे लॉन्ग टाइम तक भी यूज़ कर सकते हैं. नमक की मात्रा मिला होने से हाई BP वाले सावधानी से यूज़ करें. ज़्यादा डोज़ होने पर पेट में जलन हो सकती है. डाबर, बैद्यनाथ जैसी कम्पनियों की यह दवा दुकान में मिल जाती है.
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