क्षार तेल क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो कान की हर तरह की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. यह कान का दर्द, कान बहना, कान से कम सुनाई देना, बहरापन, कान का इन्फेक्शन, कान में कीड़े पड़ जाना जैसे रोगों को दूर करता है, तो आईये जानते हैं क्षार तेल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
क्षार तेल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसमें कई तरह के क्षार या नमक और जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें मुली क्षार, जौ क्षार, विड लवण, समुद्र लवण, रोमक लवण, सैंधव लवण, सौवर्च लवण, हींग, शिग्रु, सोंठ, देवदार, बच, कुष्ठ, रसांजन, शतपुष्पा, पिपरामूल, मोथा, कदली स्वरस या केले के तने का रस और निम्बू का रस का मिश्रण होता है जिसे सरसों के तेल में आयुर्वेदिक प्रोसेस तेल पाक विधि से तेल सिद्ध किया जाता है.
क्षार तेल के औषधीय गुण -
यह वात और कफ़ दोष नाशक है. दर्द-सुजन नाशक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बायोटिक, एंटी सेप्टिक जैसे गुणों से भरपूर होता है.
क्षार तेल के फ़ायदे-
कान में खुजली होना, पस, इन्फेक्शन, कान बहना, कान दर्द, कान में कीड़े होना जैसी प्रॉब्लम होने पर इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
कान से पस आना या कान बहने की प्रॉब्लम नयी हो या पुरानी, इसे लगातार इस्तेमाल करने से दूर होती है. कान बहने में इसके साथ में 'त्रिफला गुग्गुल' भी लेने से अच्छा रिजल्ट मिलता है.
कान से कम सुनाई देना या बहरापन के लिए भी यह असरदार है, इसे लगातार कुछ महीने डालते रहने से बहरापन भी दूर हो जाता है.
क्षार तेल इस्तेमाल करने का तरीका -
कान को रूई से साफ़ कर चार-पाँच बूंद कान में रोज़ एक दो बार डालना चाहिए. इसे किसी ड्रॉपर से कान में पूरा भरकर भी डाल सकते हैं, कान में पूरा भरकर कॉटन लगा लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है. इसे लगातार तीन से छह महिना तक भी यूज़ कर सकते हैं. बहरापन दूर करने के लिए इसे लॉन्ग टाइम तक यूज़ करना पड़ता है. बैद्यनाथ जैसी कम्पनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
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