गण्डमाला कण्डन रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो गण्डमाला को दूर करती है. गले के आस पास हार की तरह होने वाली गिल्टी या ग्लैंड को गण्डमाला कहते हैं. अंग्रेज़ी में इसे सर्वाइकल लिम्फ कहा जाता है, यह सिस्ट और ग्लैंड को भी दूर करता है, तो आईये जानते हैं गण्डमाला कण्डन रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
गण्डमाला कण्डन रस जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह एक रस या रसायन औषधि है जिस पारा, गंधक और दूसरी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें-
शुद्ध पारा - 12 gram
शुद्ध गंधक - 6 gram
ताम्र भस्म - 6 gram
मंडूर भस्म - 36 gram
सोंठ - 72 gram
मिर्च - 72 gram
पिप्पली - 72 gram
सेंधा नमक - 6 gram
कांचनार की छाल - 144 gram
शुद्ध गुग्गुल - 144 gram
गाय का घी - ज़रूरत के हिसाब से
बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को खरल में डालकर कज्जली बनायें उसके बाद दूसरी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स कर खरल करें. सबसे आख़िर में शुद्ध गुग्गुल मिक्स कर इमामदस्ते में कुटाई करें थोड़ा घी मिलाकर. इसके बाद दो-दो रत्ती या 250 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. बस यही गण्डमाला कण्डन रस है.
गण्डमाला कण्डन रस के गुण -
यह वात और कफ़ दोष नाशक है, तासीर में थोड़ा गर्म. हर तरह की ग्लैंड, सिस्ट और ग्रंथि को दूर करने वाले गुणों से भरपूर होता है.
गण्डमाला कण्डन रस के फ़ायदे -
इसे ख़ासकर गण्डमाला के लिए इस्तेमाल किया जाता है. Cervical Lymph, ग्लैंड, सिस्ट, गाँठ, गिल्टी, कंठमाला या Goiter, Thyroid, Fibroid जैसी बीमारियों में असरदार है.
गण्डमाला कण्डन रस की मात्रा और सेवन विधि -
एक से दो गोली या 250 से 500 mg सुबह शाम खाना खाने के बाद लेना चाहिए. इसे तीस-चालीस दिनों से ज्यादा लगातार इस्तेमाल न करें. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. बीमारी और रोगी की कंडीशन के हिसाब से सही डोज़ होना चाहिए, ज़्यादा डोज़ होने से नुकसान हो सकता है.
गण्डमाला कण्डन रस का इस्तेमाल करते हुवे दूध, घी, मक्खन, मलाई और हैवी फ़ूड का इस्तेमाल करना चाहीये. इसे सिर्फ़ कुछ आयुर्वेदिक कम्पनियां ही बनाती हैं जैसे धूतपापेश्वर लिमिटेड, संजीविका और रसाश्रम फार्मा वगैरह.
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