दशांग लेप चूर्ण क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो चूर्ण या पाउडर के रूप में होती है जिसे लेप या पेस्ट बनाकर स्किन पर लगाया जाता है. यह हर तरह के घाव या ज़ख्म, फोड़े-फुंसी, एक्जिमा, सोरायसिस और हर तरह के चर्मरोगों में प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं दशांग लेप का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
दशांग लेप चूर्ण में दस तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, दस तरह की जड़ी-बूटी मिलाने से ही इसका नाम दशांग रखा गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें शिरीष की छाल, मुलेठी, तगर, लाल चन्दन, इलायची, जटामांसी, हल्दी, दारूहल्दी, कूठ और ह्रिवेरा की जड़ का मिश्रण होता है. सभी जड़ी-बूटियों को बराबर वज़न में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है. यह आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्यरत्नावली का योग है(विसर्प रोगाधिकार 16)
दशांग लेप चूर्ण के औषधीय गुण -
एंटी सेप्टिक, एंटी इंफ्लेमेटरी या सुजन नाशक जैसे गुणों से भरपूर होता है.
दशांग लेप चूर्ण के फ़ायदे -
यह एक्सटर्नल यूज़ या बाहरी प्रयोग की दवा है जिसे हर तरह के ज़ख्म और स्किन डिजीज में यूज़ किया जाता है.
फोड़े-फुंसी, ज़ख्म, खुजली, एक्जिमा, सोरायसिस, हर्पस, स्किन इन्फेक्शन, स्किन पिगमेनटेशन जैसे रोगों में इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
बुखार और सर दर्द में भी इसका लेप माथे पर लगाया जाता है.
बॉडी में कहीं भी सुजन हो तो इसका लेप लगा सकते हैं. जलोदर, अपेंडिक्स की सुजन, जोड़ों की सुजन में भी इस्तेमाल किया जाता है.
दशांग लेप इस्तेमाल करने का तरीका -
इसके चूर्ण को देसी गाय के घी में मिलाकर पेस्ट की तरह बना लें प्रभावित स्थान पर लेप की तरह लगायें. सुजन वाली जगह में इसे हल्का गर्म कर लगाना चाहिए.
चर्मरोगों में गोमूत्र में मिक्स कर लगायें, स्किन पिगमेनटेशन के लिए घी की जगह गोमूत्र में ही मिक्स कर लगाने से लाभ होता है.
इसे रोज़ एक-दो बार लगाना चाहिए और लगाने के एक-दो घंटा बाद गुनगुने पानी से धो लें. यह ऑलमोस्ट सेफ है, अगर इसे लगाने के बाद किसी तरह का इरीटेशन या रैश हो तो न लगायें. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इस ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
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