आज मैं बता रहा हूँ आयुर्वेदिक दवा बिल्वादि चूर्ण के बारे में जिसे दस्त, पेचिश, डायरिया और Digestion की प्रॉब्लम में प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं बिल्वादि चूर्ण का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
बिल्वादि चूर्ण क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जिसमे बेल के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियाँ भी मिलाई जाती हैं, इसके कम्पोजीशन की बात करें इसमें
कच्चे बेल की गिरी - 25 ग्राम
भाँग - 25 ग्राम
मोचरस - 25 ग्राम
सोंठ - 25 ग्राम
धाय के फूल - 25 ग्राम
धनियाँ - 50 ग्राम
सौंफ़ - 100 ग्राम का मिश्रण होता है.
बनाने का तरीका यह है कि सभी को कूट पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है बस यही बिल्वादि चूर्ण है. कच्चे बेल की गिरी मिलाया जाने से इसका नाम बिल्वादि चूर्ण रखा गया है. कच्चे बेल में दस्त रोकने वाले गुण होते हैं जबकि पका हुआ बेल दस्तावर होता है.
बिल्वादि चूर्ण के गुण -
बिल्वादि चूर्ण आयुर्वेदानुसार ग्राही, संकोचक और पाचक होता है यानि Anti-diarreal, एंटी बैक्टीरियल, Anti-septic और Digestive गुणों से भरपूर होता है.
बिल्वादि चूर्ण के फ़ायदे -
दस्त, पेचिश, अपच की वजह से होने वाले दस्त और डायरिया में इसके प्रयोग से लाभ होता है.
पेचिश जिसमे कभी सफ़ेद तो कभी लाल म्यूकस आता है उसमे इस से अच्छा लाभ होता है.
यह पेट से विषैले तत्वों या Toxins को निकाल देता है और पाचन शक्ति को ठीक करता है. दस्त का कारन बनने वाले अमीबा और दुसरे विषाणुओं को दूर कर देता है.
बिल्वादि चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि-
तीन ग्राम तक नार्मल पानी से ख़ाली पेट या खाना खाने के पहले रोज़ दो-तीन बार तक लेना चाहिए. भाँग मिला होने से इसे खाने के बाद नींद आ सकती है, छोटे बच्चों को इसे नहीं देना चाहिए.
बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि जैसी कंपनियों का यह आयुर्वेदिक दवा दुकान में मिल जाता है, या फिर इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
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