लशुनादि वटी क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो पेट की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. यह गैस, दस्त, पाचन शक्ति की कमज़ोरी, भूख की कमी और आँतों की कमज़ोरी को दूर करती है, तो आईये जानते हैं लशुनादि वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - लशुनादि वटी जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मेन इनग्रीडेंट लहसुन या गार्लिक होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें लहसुन, सफ़ेद जीरा, सेंधा नमक, शुद्ध गंधक, सोंठ, मिर्च, पीपल, हींग और नीम्बू के रस का मिश्रण होता है. बनाने का तरीका यह होता है कि हींग के अलावा सभी चीज़ें एक-एक भाग लेना है और हींग चौथाई भाग. लहसुन को छीलकर पेस्ट बना लें और दूसरी चीज़ों का पाउडर, फिर सभी को मिक्स कर निम्बू के रस में खरलकर 500 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही लशुनादि वटी है.
लशुनादि वटी के औषधिय गुण - यह वात और कफ़ दोष को बैलेंस करती है और पित्त को बढ़ाती है. तासीर में थोड़ा गर्म कह सकते हैं. गैस नाशक, पाचक और भूख बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होती है.
लशुनादि वटी के फ़ायदे- पेट की गैस, बदहज़मी, डायरिया, अपच, भूख की कमी और पाचन शक्ति की कमज़ोरी जैसे पेट के रोगों में यह असरदार है. जी मिचलाना, पेट दर्द, पेट फूलने जैसी प्रॉब्लम में भी इस से फ़ायदा होता है.
लशुनादि वटी की मात्रा और सेवनविधि - एक से दो गोली रोज़ दो-तीन बार तक खाना खाने के बाद नार्मल पानी से लेना चाहिए. या फिर डॉक्टर की सलाह के मुताबिक. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा होती है, इसे लॉन्ग टाइम तक भी यूज़ कर सकते हैं. नमक की मात्रा मिला होने से हाई BP वाले सावधानी से यूज़ करें. ज़्यादा डोज़ होने पर पेट में जलन हो सकती है. डाबर, बैद्यनाथ जैसी कम्पनियों की यह दवा दुकान में मिल जाती है.
हिमालया प्योरिम हिमालया हर्बल का एक पेटेंट ब्रांड है जो ब्लड इम्पुरिटी को दूर कर खून साफ़ करती है. इसके इस्तेमाल से खून की ख़राबी से होने वाली बीमारियाँ जैसे ज़ख्म, फोड़े-फुंसी और स्किन की हेर तरह की प्रॉब्लम में फ़ायदा होता है. यह लीवर को Detoxify और प्रोटेक्ट भी करता है, तो आईये जानते हैं हिमालया प्योरिम का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - हिमालया प्योरिम खून साफ़ करने वाली बेहतरीन जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - हल्दी, अराग्यवध, बाकुची, कूठ, कुटकी, नीम, गिलोय, वरुण, विडंग, भृंगराज, त्रिफला और कालमेघ के मिश्रण से बनाया गया है.
हिमालया प्योरिम के औषधिय गुण - त्रिदोष पर इसका असर होता है. रक्तशोधक, Antiseptic, Anti-बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी वायरल, एंटी इंफ्लेमेटरी और Wound Healing जैसे गुणों से भरपूर होता है.
हिमालया प्योरिम के फ़ायदे- यह एक इफेक्टिव रक्तशोधक या Blood Purifier है, खून साफ़ करता है और बॉडी से विषैले तत्वों या Toxins को निकालता है. स्किन की हर तरह की प्रॉब्लम जैसे फोड़े-फुंसी, कील-मुहाँसे और चर्मरोग को दूर करने में मदद करता है. यह लीवर को प्रोटेक्ट करता है, लीवर के फंक्शन को सही करता है और लीवर को हेल्दी बनाता है. इसे लिव 52 के विकल्प के रूप में भी ले सकते हैं. कुल मिलाकर देखा जाये तो बॉडी को Detoxify करने और नर्म, मुलायम हेल्दी स्किन पाने के लिए यह एक अच्छी हर्बल दवा है.
हिमालया प्योरिम का डोज़ - दो टेबलेट खाना खाने के बाद सुबह शाम पानी से लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ दवा है, लॉन्ग टाइम तक भी यूज़ कर सकते हैं, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है. जटिल चर्मरोगों जैसे एक्जिमा, सोरायसिस और कुष्ठ में ही इसे सहायक औषधि के रूप में ले सकते हैं. इसी तरह का काम करने वाली दूसरी दवाएं हैं हिमालया Talekt, दिव्य कायाकल्प वटी, कैशोर गुग्गुल वगैरह.
महा तिक्त घृत क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के स्किन डिजीज, गैस्ट्रिक, गठिया, एनीमिया, जौंडिस, बुखार, हार्ट के रोग और ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे कई तरह की पुरानी बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. पंचकर्म के स्नेहन के लिए इसे प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं महा तिक्त घृत का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - महा तिक्त घृत भैषज्यरत्नावली(कुष्ठ अधिकार 118-124) का योग है जो घी के रूप में होती है. कई तरह की जड़ी-बूटियों को घी में पकाया जाता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - सप्तपर्ण, अतीस, सर्पुन्खा, तिक्तरोहिणी, पाठा, मोथा, उशीर, त्रिफला, पटोल, नीम, पित्तपापड़ा, धन्यवासा, चन्दन, पिप्पली, गजपीपल, पद्माख, हल्दी, दारूहल्दी, उग्रगंधा, विशाका, शतावर, सारिवा, वत्सक बीज, वासा, मूर्वा, अमृता, किरातिक्त, यष्टिमधु और त्रायमान प्रत्येक 6 ग्राम, आँवला का जूस डेढ़ लीटर, पानी 6 लीटर और घी 750 ग्राम का मिश्रण होता है. बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले जड़ी-बूटियों का काढ़ा बना लिया जाता है उसके बाद आंवला का जूस और घी मिलाकर कड़ाही में डालकर मन्द आँच में पकाया जाता है, जब पानी पूरा उड़ जाये और सिर्फ घी बचे तो ठण्डा होने पर पैक कर लिया जाता है, यही महा तिक्त घृत है.
महा तिक्त घृत के औषधीय गुण - यह वात और पित्त को शान्त करती है. एंटी सेप्टिक, एंटी बायोटिक, Antacid और हीलिंग जैसे गुणों से भरपूर होती है.
महा तिक्त घृत के फ़ायदे- पंचकर्म के प्रोसेस स्नेहन कर्म के लिए ही इसे सबसे ज्यादा यूज़ किया जाता है. पेट के अल्सर के लिए भी आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं. खून साफ़ करने और स्किन डिजीज दूर करने के लिए बेहद असरदार है ज़ख्म, फ़ोडा, एक्जिमा, सोरायसिस, कुष्ठ जैसे रोगों में यूज़ करना चाहिए. जल्दी न भरने वाले ज़ख्म, फ़ोडा, एक्जिमा, सोरायसिस जैसे चर्मरोगों में इसका एक्सटर्नल यूज़ भी कर सकते हैं मलहम ही तरह. गठिया, वातरक्त और ब्लीडिंग वाले रोगों में इस से फ़ायदा होता है.
महा तिक्त घृत की मात्रा और सेवन विधि - स्नेहन कर्म के लिए इसका डोज़ डिपेंड करेगा रोगानुसार, जो की पंचकर्म स्पेशलिस्ट ही इसका डोज़ फिक्स कर सकते हैं. हर तरह के स्किन डिजीज, गठिया, पाइल्स और ब्लीडिंग वाले रोगों के लिए इसे हाफ स्पून रोज़ दो बार खाना से पहले गुनगुने पानी से ले सकते हैं. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा होती है, लगातार दो-तिन महीने या ज़्यादा टाइम तक भी यूज़ कर सकते हैं. डोज़ ज़्यादा होने पर अपच, दस्त जैसी प्रॉब्लम हो सकती है. महा तिक्त घृत का इस्तेमाल करते हुवे नमक, मिर्च, तेल और खट्टी चीज़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. महा तिक्त घृत डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में भी यूज़ करना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
क्षार तेल क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो कान की हर तरह की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है. यह कान का दर्द, कान बहना, कान से कम सुनाई देना, बहरापन, कान का इन्फेक्शन, कान में कीड़े पड़ जाना जैसे रोगों को दूर करता है, तो आईये जानते हैं क्षार तेल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - क्षार तेल जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसमें कई तरह के क्षार या नमक और जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें मुली क्षार, जौ क्षार, विड लवण, समुद्र लवण, रोमक लवण, सैंधव लवण, सौवर्च लवण, हींग, शिग्रु, सोंठ, देवदार, बच, कुष्ठ, रसांजन, शतपुष्पा, पिपरामूल, मोथा, कदली स्वरस या केले के तने का रस और निम्बू का रस का मिश्रण होता है जिसे सरसों के तेल में आयुर्वेदिक प्रोसेस तेल पाक विधि से तेल सिद्ध किया जाता है.
क्षार तेल के औषधीय गुण - यह वात और कफ़ दोष नाशक है. दर्द-सुजन नाशक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बायोटिक, एंटी सेप्टिक जैसे गुणों से भरपूर होता है.
क्षार तेल के फ़ायदे- कान में खुजली होना, पस, इन्फेक्शन, कान बहना, कान दर्द, कान में कीड़े होना जैसी प्रॉब्लम होने पर इसका इस्तेमाल करना चाहिए. कान से पस आना या कान बहने की प्रॉब्लम नयी हो या पुरानी, इसे लगातार इस्तेमाल करने से दूर होती है. कान बहने में इसके साथ में 'त्रिफला गुग्गुल' भी लेने से अच्छा रिजल्ट मिलता है. कान से कम सुनाई देना या बहरापन के लिए भी यह असरदार है, इसे लगातार कुछ महीने डालते रहने से बहरापन भी दूर हो जाता है.
क्षार तेल इस्तेमाल करने का तरीका - कान को रूई से साफ़ कर चार-पाँच बूंद कान में रोज़ एक दो बार डालना चाहिए. इसे किसी ड्रॉपर से कान में पूरा भरकर भी डाल सकते हैं, कान में पूरा भरकर कॉटन लगा लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है. इसे लगातार तीन से छह महिना तक भी यूज़ कर सकते हैं. बहरापन दूर करने के लिए इसे लॉन्ग टाइम तक यूज़ करना पड़ता है. बैद्यनाथ जैसी कम्पनियों का यह मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
बीजपुष्टी रस आयुर्वेदिक दवा कम्पनी धूतपापेश्वर का पेटेंट ब्रांड है जो मेल इनफर्टिलिटी को दूर करती है. यह स्पर्म क्वालिटी, क्वांटिटी और मोटिलिटी को बढ़ाती है, तो आईये जानते हैं बीजपुष्टी रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - बीजपुष्टी रस जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है बीज का मतलब यहाँ पर शुक्राणु या स्पर्म है, बीजपुष्टी का मतलब हुआ शुक्राणुओं को पोषण देने वाला. इसमें जड़ी-बूटियों के अलावा स्वर्णभस्म का भी मिश्रण है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें स्वर्ण भस्म, पूर्णचंद्रोदय, मकरध्वज, यष्टिमधु, सालमपंजा, गोखुरू, शतावरी और आँवला का मिश्रण होता है जिसमे अश्वगंधा के क्वाथ की भावना देकर बनाया गया है. यह टेबलेट के रूप में होती है. इसमें मिलायी जाने वाली सारी चीज़ें पॉवर-स्टैमिना बढ़ाने और शुक्राणुओं को पोषण देने की जानी-मानी औषधियाँ हैं. बीजपुष्टी रस के औषधीय गुण - यह कफ़ और वात दोष पर असर करती है. पॉवर-स्टैमिना बढ़ाने वाली और यौन शक्तिवर्धक गुणों से भरपूर है.
बीजपुष्टी रस के फ़ायदे- पुरुष बाँझपन या मेल इनफर्टिलिटी के लिए ही इसे इस्तेमाल किया जाता है. Oligospermia की इफेक्टिव दवा है. यह स्पर्म काउंट को बढ़ाती है. स्पर्म क्वालिटी और मोटिलिटी को भी इम्प्रूव कर संतान प्राप्ति में मदद करती है. पॉवर-स्टैमिना की कमी, जोश की कमी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी प्रॉब्लम को दूर करती है. यौनेक्षा बढ़ाने और इनफर्टिलिटी के लिए महिलायें भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.
बीजपुष्टी रस का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका- एक से दो टेबलेट सुबह शाम भोजन के बाद एक गिलास दूध से लेना चाहिए. इसी तरह की दूसरी पेटेंट दवाएँ हैं हिमालया स्पीमैन और चरक एडीज़ोया कैप्सूल जिसे बीजपुष्टी रस के साथ भी लिया जा सकता है. बीजपुष्टी रस सेफ़ दवा है फिर भी डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करें.
सेफ़ाग्रेन आयुर्वेदिक दवा कम्पनी चरक फार्मा का पेटेंट प्रोडक्ट है जो माईग्रेन, साइनस और इस से रिलेटेड प्रॉब्लम को दूर करती है, तो आईये जानते हैं चरक सेफ़ाग्रेन का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - सेफ़ाग्रेन टेबलेट में कई तरह की जड़ी-बूटियों और भस्म का मिश्रण होता है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें केसर, सज्जी क्षार, अर्क पुष्प, पिपलामूल, धतूरा, अजमोद, गोदन्ती भस्म, सितोपलादि चूर्ण, निशोथ, भृंगराज, सोंठ और तुलसी जैसी चीज़ों का मिश्रण होता है. सेफ़ाग्रेन टेबलेट के औषधीय गुण - यह वात-कफ़ नाशक, तासीर में थोड़ा गर्म अनलजेसिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुणों से भरपूर होता है.
सेफ़ाग्रेन टेबलेट के फ़ायदे - माईग्रेन या आधाशीशी का दर्द, साइनस के लिए यह एक पॉपुलर दवा है. माईग्रेन में होने वाले लक्षण जैसे सर दर्द, चक्कर, उल्टी जैसी प्रॉब्लम को दूर करता है. यह माईग्रेन के दौरे और फ्रीक्वेंसी को कम करता है. साइनस की प्रॉब्लम, नाक बंद होना, नाक की जकड़न, साँस लेने में तकलीफ़ होना, नाक के अन्दर की सुजन जैसी प्रॉब्लम को दूर करता है. नाक से पानी आना कम करता है, ब्लॉकेज और दर्द दूर करता है. कुल मिलाकर देखा जाये तो माईग्रेन और साइनस और इस से रिलेटेड प्रॉब्लम के लिए यह एक इफेक्टिव दवा है.
सेफ़ाग्रेन टेबलेट का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका - माईग्रेन हो या साइनस इसे दो टेबलेट रोज़ दो बार लेना चाहिए पानी से खाना खाने के बाद. यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है लगातार दो-तिन महीने तक यूज़ कर सकते हैं. इसका नेसल ड्राप भी आता है जिसे नाक में दाल सकते हैं. माईग्रेन और साइनस में कुछ परहेज़ भी करना चाहिए जैसे - तेल मसाले वाले भोजन, देर से पचने वाले हैवी फ़ूड, ठंडा पानी, आइस क्रीम, कोल्ड ड्रिंक, रात में जागना, केला, दही जैसी चीज़ों से परहेज़ करें. दूध, घी, हल्दी, अदरक, लहसुन जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करें और रात में जल्द सोयें. चरक सेफ़ाग्रेन के चालीस टेबलेट के पैक की क़ीमत क़रीब 98 रुपया है इसे फार्मेसी से या फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए गए लिंक से -
बायो कॉम्बिनेशन - 1 होमियो बायोकेमीक दवा है एनीमिया या खून की कमी और इस से रिलेटेड रोगों में इस्तेमाल की जाती है. तो आईये जानते हैं बायो कॉम्बिनेशन - 1 का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - बायो कॉम्बिनेशन - 1 जो है चार तरह के बायोकेमीक साल्ट का मिश्रण है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - कैलकेरिया फौस(Calc. Phos 3 x), फ़ेरम फौस(Ferrum Phos. 3 x), नैटरम म्यूर(Natrum Mur. 6 x) और कैली फौस( Kalium Phos. 3 x) का मिश्रण होता है.
बायो कॉम्बिनेशन - 1 के फ़ायदे -
एनीमिया या बॉडी में होने वाली खून की कमी को दूर करने की यह बेहतरीन दवा है. खून की कमी किसी भी वजह से हो, ज़्यादा ब्लीडिंग से या किसी और वजह से तो यह दवा फ़ायदा करती है. खून की कमी से चमड़ी का रंग पिला हो जाना, कमज़ोर पाचनशक्ति, चिंता-तनाव, ज़्यादा हार्ट बीट होना जैसे लक्षणों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. कमज़ोर पाचन शक्ति वाली चिडचिडे बच्चों में भी यह दवा फ़ायदा करती है.
बायो कॉम्बिनेशन - 1 का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका - चार टेबलेट दिन में चार बार गुनगुने पानी से. बच्चों को एक से दो टेबलेट तक रोज़ चार बार देना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, बच्चे-बड़े, बूढ़े, पूरा फॅमिली इस्तेमाल कर सकते हैं. SBL कम्पनी के 25 ग्राम के पैक की क़ीमत क़रीब 75 रुपया है, इसे होमियो दवा दुकान से फिर ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
हब्बे मुमसिक अम्बरी क्लासिकल यूनानी दवा है जो पुरुष यौनरोगों को दूर करती है. यह पॉवर और स्टैमिना को बढ़ाकर, जल्द डिस्चार्ज नहीं होने देती और टाइमिंग बढ़ाती है. तो आईये जानते हैं हब्बे मुमसिक अम्बरी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल- हब्बे मुमसिक अम्बरी गोली या टेबलेट के रूप में होती है, इसमें जड़ी-बूटियों के अलावा केसर, अम्बर और वर्क नुकरा भी मिला होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - अगर हिंदी, बालछड़, जावित्री, जायफल, जदवार, अकरकरा, फिल्फिल स्याह, मस्तंगी रूमी, भाँग, ज़ाफ़रान, अम्बर, अफ्यून, वर्क नुकरा और कंद सफ़ेद का मिश्रण होता है.
हब्बे मुमसिक अम्बरी के फ़ायदे- जोश जगाने, पॉवर स्टैमिना बढ़ाने और लॉन्ग लास्टिंग इरेक्शन के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. पावरफुल यौनशक्तिवर्धक और क्विक एक्शन के लिए हकीम लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. टाइमिंग बढ़ाने के लिए यह एक असरदार दवा है.
हब्बे मुमसिक अम्बरी का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका - एक से दो गोली तक दूध के साथ सोने से पहले या ज़रूरत के हिसाब से एक घंटा पहले लेना चाहिए. इसे ऑलमोस्ट सेफ़ दवा माना जाता है, फिर भी लगातार ज़्यादा दिनों तक इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिये. हमदर्द जैसी यूनानी कंपनियों की यह मिल जाती है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीदा जा सकता है. हमदर्द की दस गोली का पैक क़रीब एक सौ रुपया में मिलता है.
कुटजघन वटी क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो Irritable Bowel Syndrome या IBS, दस्त, डायरिया, ब्लीडिंग और आँतों की इन्फेक्शन को दूर करती है, तो आईये जानते हैं कुटजघन वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - कुटजघन वटी जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका में इनग्रीडेंट कुटज की छाल का कंसंट्रेशन होता है. कुटज को कूड़े की छाल भी कहते हैं. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कुटज की छाल का घन और अतीस या अतिविषा का मिश्रण होता है, जिसे पानी के साथ खरलकर गोलियाँ बनायी जाती है. कुटजघन वटी के औषधीय गुण - आयुर्वेदानुसार यह आमपाचक और ग्राही गुणों से भरपूर होती है. Antidiarrheal, Antidysentric और एंटी अमेबिक जैसे गुण पाए जाते हैं.
कुटजघन वटी के फ़ायदे - दस्त, पेचिस और IBS जैसे रोगों में इसे प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है. बुखार में होने वाले दस्त, आँतों की इन्फेक्शन, दस्त की वजह से होने वाले पेट का दर्द, पेट की ऐंठन जैसे रोग दूर होते हैं. यह की आँव या म्यूकस को निकालता है और म्यूकस बनना रोकता है, सफ़ेद-लाल पेचिश और ब्लीडिंग वाले दस्त में फ़ायदेमंद है.
कुटजघन वटी की मात्रा और सेवनविधि - तीन से चार टेबलेट तक दिन में तीन-चार बार तक गर्म पानी से लेना चाहिए. यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. बच्चों और ओल्ड ऐज के लोगों में कम डोज़ में देना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, किसी तरह का साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है. इसे प्रेगनेंसी में भी यूज़ किया जा सकता है. बैद्याथ, डाबर, पतंजलि जैसी कम्पनियों की यह मिल जाती है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
दशांग लेप चूर्ण क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो चूर्ण या पाउडर के रूप में होती है जिसे लेप या पेस्ट बनाकर स्किन पर लगाया जाता है. यह हर तरह के घाव या ज़ख्म, फोड़े-फुंसी, एक्जिमा, सोरायसिस और हर तरह के चर्मरोगों में प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं दशांग लेप का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - दशांग लेप चूर्ण में दस तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, दस तरह की जड़ी-बूटी मिलाने से ही इसका नाम दशांग रखा गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें शिरीष की छाल, मुलेठी, तगर, लाल चन्दन, इलायची, जटामांसी, हल्दी, दारूहल्दी, कूठ और ह्रिवेरा की जड़ का मिश्रण होता है. सभी जड़ी-बूटियों को बराबर वज़न में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है. यह आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्यरत्नावली का योग है(विसर्प रोगाधिकार 16)
दशांग लेप चूर्ण के औषधीय गुण - एंटी सेप्टिक, एंटी इंफ्लेमेटरी या सुजन नाशक जैसे गुणों से भरपूर होता है.
दशांग लेप चूर्ण के फ़ायदे - यह एक्सटर्नल यूज़ या बाहरी प्रयोग की दवा है जिसे हर तरह के ज़ख्म और स्किन डिजीज में यूज़ किया जाता है. फोड़े-फुंसी, ज़ख्म, खुजली, एक्जिमा, सोरायसिस, हर्पस, स्किन इन्फेक्शन, स्किन पिगमेनटेशन जैसे रोगों में इसका इस्तेमाल करना चाहिए. बुखार और सर दर्द में भी इसका लेप माथे पर लगाया जाता है. बॉडी में कहीं भी सुजन हो तो इसका लेप लगा सकते हैं. जलोदर, अपेंडिक्स की सुजन, जोड़ों की सुजन में भी इस्तेमाल किया जाता है.
दशांग लेप इस्तेमाल करने का तरीका - इसके चूर्ण को देसी गाय के घी में मिलाकर पेस्ट की तरह बना लें प्रभावित स्थान पर लेप की तरह लगायें. सुजन वाली जगह में इसे हल्का गर्म कर लगाना चाहिए. चर्मरोगों में गोमूत्र में मिक्स कर लगायें, स्किन पिगमेनटेशन के लिए घी की जगह गोमूत्र में ही मिक्स कर लगाने से लाभ होता है. इसे रोज़ एक-दो बार लगाना चाहिए और लगाने के एक-दो घंटा बाद गुनगुने पानी से धो लें. यह ऑलमोस्ट सेफ है, अगर इसे लगाने के बाद किसी तरह का इरीटेशन या रैश हो तो न लगायें. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह मिल जाता है, इस ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.
मानसमित्र वटी को मानसमित्र वटक और मानसमित्र वटकम के नाम से भी जाना जाता है, यह हर तरह के मानसिक रोगों की बेहतरीन दवा है. यह चिन्ता, तनाव, डिप्रेशन, मेमोरी लॉस, मैनिया, फ़ोबिया, नीन्द की कमी, सिजोफ्रेनिया, अल्ज़ाइमर जैसे जितने भी मेंटल डिजीज हैं, सभी को जड़ से दूर करता है, तो आईये जानते हैं मानसमित्र वटी का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - दोस्तों, आज की हमारी बिजी, भाग-दौड़ भरी मॉडर्न लाइफ़ स्टाइल में चिंता, स्ट्रेस, डिप्रेशन जैसी प्रॉब्लम बहुत ही कॉमन है, और इस टाइप सारी प्रॉब्लम को दूर करने यह एक बेस्ट दवा है जो किसी भी अंग्रेजी दवा से कई गुना बेहतर है. मानसमित्र वटी में कई तरह की जड़ी-बूटि और भस्मों के अलावा सोना-चाँदी जैसी कीमती चीज़ों का भी मिश्रण होता है, जो इसे बेहद इफेक्टिव मेडिसिन बना देता है. मानसमित्र वटी के कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - (मिलायी जाने वाली जड़ी-बूटी) बला नागबला बिल्व प्रिश्नपर्णी शंखपुष्पी पुष्करमूल कुकरौन्दा पद्माख बच सफ़ेद चन्दन लाल चन्दन यष्टिमधु दालचीनी पिप्पली कपूर एलायची इन्द्रजौ रतनजोत निर्गुन्डी मोथा रास्ना गोजिव्हा कमल केसर जीवक ऋषभक काकोली कंटकारी वृहती गोरखमुंडी कालमेघ अमलतास फालसा हर्रे बहेड़ा आँवला गिलोय सुगंधबाला तगर जीवन्ती सोमलता असगंध हल्दी उशीर द्राक्षा ऋद्धि वृद्धि दूर्वा हंसपादी या कीटमाता भद्रा लौंग तुलसी केसर प्रत्येक एक-एक भाग
(मिलाये जाने वाले भस्म और खनिज) स्वर्ण भस्म रजत भस्म लौह भस्म मृगश्रृंग भस्म स्वर्णमाक्षिक भस्म प्रवाल पिष्टी मोती पिष्टी शुद्ध शिलाजीत और कस्तूरी एक-एक भाग (भावना द्रव्य) त्रायमान ब्रह्मी शंख पुष्पि बच यवासा लक्ष्मणा बेल की जड़ बला जीरा गाय का दूध सोमलता बनाने का तरीका यह होता है कि जड़ी बूटियों का फाइन पाउडर बनाकर, भस्म, पिष्टी और शिलाजीत को मिक्स करने के बाद त्रायमान, यवासा, बेल की जड़, बच, जीरा, बला और लक्ष्मणा का काढ़ा बनाकर भावना दें, ब्रह्मी और शंख पुष्पि के रस और दूध की भावना भी दें. अच्छी तरह से खरलकर एक-एक रत्ती या 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही मानसमित्र वटी है.
मानसमित्र वटी के औषधीय गुण - मानसमित्र वटी माइंड और ब्रेन के लिए इफेक्टिव है, नर्वस सिस्टम को स्ट्रोंग बनाती है. तासीर में नार्मल यानि मातदिल. तीनों दोषों पर असर करती है. किसी भी दोष के बढ़ने से होने वाले मानसिक रोग को दूर करने वाले गुणों से भरपूर है. Anti-stress, Anxiolytic, Antidepressant, Neuroprotective, Antioxidant, Nervine Tonic, Memory Booster, Mind Sharpner जैसे गुण पाए जाते हैं. मानसमित्र वटी के फ़ायदे - जैसा कि शुरू में ही मैंने बताया है यह हर तरह की मानसिक समस्या की बेजोड़ दवा है. चाहे स्ट्रेस, तनाव, चिंता, डिप्रेशन, नींद की कमी हो या कोई भी मेंटल प्रॉब्लम हो तो इसका इस्तेमाल करना चाहिए यह साधारण स्ट्रेस से लेकर अल्झाइमर और सिजोफ्रेनिया तक में असरदार है. मूड की ख़राबी, तुनकमिजाज़ि, चिडचिडापन, गुस्सा आना, Frustration, होपलेस, ख़ालीपन महसूस होना, ख़ुद को कसूरवर समझना, अनजाना दर, फोबिया, किसी काम में मन नहीं लगना, कंसंट्रेशन की कमी, ग़मगीन होना, भूलने की बीमारी, मानसिक थकान और सुसाइड का ख्याल आना जैसी कोई भी मेंटल प्रॉब्लम हो तो इस दवा से दूर होती है. मानसमित्र वटी के इस्तेमाल से बुद्धि, कंसंट्रेशन और मेमोरी पॉवर बढ़ती है, मानसिक थकान और मानसिक समस्या को दूर कर अच्छी नीन्द लाने में मदद करता है. हकलाना और आवाज़ की ख़राबी को दूर कर वौइस् क्वालिटी को भी इम्प्रूव करता है. कुल मिलाकर आप यह समझ लीजिये कि किसी भी तरह की मेंटल प्रॉब्लम में मानसमित्र वटी के इस्तेमाल से फ़ायदा होता है.
मानसमित्र वटी की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक रोज़ दो बार दूध से खाना खाने के बाद लेना चाहिए. बच्चों को कम मात्रा में आधी से एक गोली तक रोज़ दो बार दे सकते हैं. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, मैक्सिमम छह महिना तक लगातार यूज़ कर सकते हैं. दूसरी दवाओं के साथ भी ले सकते हैं बस दो-घंटे के अंतर पर इसे लेना चाहिए. मेमोरी पॉवर और कंसंट्रेशन बढ़ाने के लिए पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट भी इसे यूज़ कर सकते हैं. इसे आर्य वैधशाला जैसी कुछ आयुर्वेदिक कम्पनियां ही बनाती हैं, इसे ऑनलाइन ख़रीदें निचे दिए लिंक से -
श्वासकुठार रस अस्थमा, खाँसी, ब्रोंकाइटिस, न्युमोनिया, टॉन्सिल्स, स्वाइन फ्लू, साँस की तकलीफ जैसे फेफड़ों के रोगों की क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है. श्वासकुठार जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है श्वास यानि अस्थमा और कुठार का मतलब कुल्हाड़ी यानि अस्थमा पर कुल्हाड़ी की तरह वार करने वाली दवा है. तो आईये जानते हैं श्वासकुठार रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - श्वासकुठार रस जड़ी-बूटी, पारा गंधक और खनिज के मिश्रण से बनाया जाता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, शुद्ध वत्सनाभ, टंकण भस्म और शुद्ध मंशील प्रत्येक एक-एक भाग, सोंठ और पिप्पली दो-दो भाग और काली मिर्च दस भाग का मिश्रण होता है जिसे पान के पत्ते के रस की भावना देकर बनाया जाता है. बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले सोंठ, मिर्च, पीपल और शुद्ध वत्सनाभ का बारीक कपड़छन पाउडर बनाकर अलग रख लें. शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को खरल कर कज्जली बना लें और टंकण भस्म और मनशील मिक्स कर खरल करें उसके बाद जड़ी-बूटियों का चूर्ण मिलाकर पान के पत्ते के रस में तीन दिनों तक खरल कर एक-एक रत्ती या 125 mg की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लें.
श्वासकुठार रस के गुण - यह तासीर में गर्म होता है, वात और कफ़ नाशक है. श्वासकुठार रस के फ़ायदे- इसे अस्थमा के लिए ही ख़ासकर इस्तेमाल किया है, यह साँस की तकलीफ़ और रेस्पिरेटरी सिस्टम के रोगों को दूर करता है. अस्थमा, पुरानी ब्रोंकाइटिस, खाँसी-सर्दी, न्यूमोनिया, टॉन्सिल्स और स्वाइन फ्लू जैसे रोगों में इस से फ़ायदा होता है. श्वासकुठार रस के इस्तेमाल से अरुचि और पाचन की समस्या में भी लाभ होता है.
श्वासकुठार रस की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक या 125 mg से 250 mg तक शहद या रोगानुसार उचित अनुपान से लेना चाहिए. इसे एक दो महिना से ज़्यादा लगातार नहीं लेना चाहिए. यह दवा पित्त को बढ़ाती है, पित्त प्रकृति वाले और जिनका पित्त दोष बढ़ा हो उन्हें इसका यूज़ नहीं करना चाहिए. इसमें वत्सनाभ, मनशील जैसी दवा मिली हुयी हैं, इसे रोग और रोगी की कंडीशन के अनुसार सही डोज़ में डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए, नहीं तो सीरियस नुकसान भी हो सकता है. बैद्यनाथ, डाबर जैसी कम्पनियों का यह मिल जाता है. बेस्ट क्वालिटी का श्वासकुठार रस ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर lakhaipur.in से - श्वासकुठार रस 100 ग्राम
गण्डमाला कण्डन रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो गण्डमाला को दूर करती है. गले के आस पास हार की तरह होने वाली गिल्टी या ग्लैंड को गण्डमाला कहते हैं. अंग्रेज़ी में इसे सर्वाइकल लिम्फ कहा जाता है, यह सिस्ट और ग्लैंड को भी दूर करता है, तो आईये जानते हैं गण्डमाला कण्डन रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - गण्डमाला कण्डन रस जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह एक रस या रसायन औषधि है जिस पारा, गंधक और दूसरी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें- शुद्ध पारा - 12 gram शुद्ध गंधक - 6 gram ताम्र भस्म - 6 gram मंडूर भस्म - 36 gram सोंठ - 72 gram मिर्च - 72 gram पिप्पली - 72 gram सेंधा नमक - 6 gram कांचनार की छाल - 144 gram शुद्ध गुग्गुल - 144 gram गाय का घी - ज़रूरत के हिसाब से बनाने का तरीका यह होता है कि सबसे पहले शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक को खरल में डालकर कज्जली बनायें उसके बाद दूसरी जड़ी-बूटियों का बारीक चूर्ण मिक्स कर खरल करें. सबसे आख़िर में शुद्ध गुग्गुल मिक्स कर इमामदस्ते में कुटाई करें थोड़ा घी मिलाकर. इसके बाद दो-दो रत्ती या 250 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. बस यही गण्डमाला कण्डन रस है.
गण्डमाला कण्डन रस के गुण - यह वात और कफ़ दोष नाशक है, तासीर में थोड़ा गर्म. हर तरह की ग्लैंड, सिस्ट और ग्रंथि को दूर करने वाले गुणों से भरपूर होता है. गण्डमाला कण्डन रस के फ़ायदे - इसे ख़ासकर गण्डमाला के लिए इस्तेमाल किया जाता है. Cervical Lymph, ग्लैंड, सिस्ट, गाँठ, गिल्टी, कंठमाला या Goiter, Thyroid, Fibroid जैसी बीमारियों में असरदार है.
गण्डमाला कण्डन रस की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली या 250 से 500 mg सुबह शाम खाना खाने के बाद लेना चाहिए. इसे तीस-चालीस दिनों से ज्यादा लगातार इस्तेमाल न करें. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. बीमारी और रोगी की कंडीशन के हिसाब से सही डोज़ होना चाहिए, ज़्यादा डोज़ होने से नुकसान हो सकता है. गण्डमाला कण्डन रस का इस्तेमाल करते हुवे दूध, घी, मक्खन, मलाई और हैवी फ़ूड का इस्तेमाल करना चाहीये. इसे सिर्फ़ कुछ आयुर्वेदिक कम्पनियां ही बनाती हैं जैसे धूतपापेश्वर लिमिटेड, संजीविका और रसाश्रम फार्मा वगैरह.
यार्सागुम्बा को हिमालयन वियाग्रा भी कहा जाता है अंग्रेज़ी में इसे Cordiceps कहते हैं, जबकि इसका पूरा नाम Cordiceps Sinesis है. इसे ख़ासकर पॉवर, स्टैमिना और सेक्सुअल पॉवर बढ़ाने के लिए यूज़ किया जाता है. यह चमत्कारी गुणों से भरपूर औषधि है और इसके कई सारे दुसरे फ़ायदे भी हैं, तो आईये जानते हैं यार्सागुम्बा या हिमालयन वियाग्रा के बारे में पूरी डिटेल - यार्सागुम्बा हिमालयन एरिया में पाया जाता है, नेपाल, चीन, तिब्बत जैसे देशों में मिलता है. इसे कई नामों से जाना जाता है यार्सागुम्बा इसका तिब्बतियन नाम है. अंग्रेज़ी में इसे Cordiceps Sinesis, Caterpillar Fungus, Caterpillar Mushroom और Chinese Caterpillar Fungus जैसे नामों से जाना जाता है. नेपाली में इसे किरा झार या कीड़ा झार कहा जाता है. यह एक तरह का फंगस है जिसे कीड़ा और मशरूम का मिश्रण कह सकते हैं. जैसा कि इसे देखने से ही पता चलता है इसके रूट या जड़ की तरफ कीड़ा है जबकि ऊपर का भाग फंगस या एक तरह का मशरूम है. यह बहुत ही रेयर होता है, जिसकी वजह से काफी महँगा भी है. सूखे हुवे यार्सागुम्बा की बहुत डिमांड होती यौन शक्तिवर्धक दवा के रूप में. इसके एक किलो की क़ीमत 60 लाख रुपया से भी ज़्यादा है. यार्सागुम्बा कई तरह के विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होता है, इसमें विटामिन बी -1, विटामिन बी -2, विटामिन बी- 12, विटामिन K जैसे विटामिन्स के अलावा कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. यार्सागुम्बा के औषधीय गुण - यह एक बेहतरीन यौन शक्ति वर्धक, पॉवर-स्टैमिना बढ़ने वाला, टॉनिक, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी एजिंग, एंटी ट्यूमर, एंटी कैंसर, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है. यार्सागुम्बा या हिमालयन वियाग्रा के फ़ायदे - यौन शक्ति बढ़ाने के लिए वियाग्रा की तरह ही इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है. शीघ्रपतन, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, इम्पोटेंसी में बेहद असरदार है. पॉवर और स्टैमिना बढ़ाने के लिए यह दुनियाभर में पोपुलर है. यह टॉनिक की तरह भी काम करता है, शारीरिक कमज़ोरी, थकान, चिंता- तनाव को दूर करता है. एंटी एजिंग है, बुढ़ापे के लक्षणों को कम करता है चुस्ती-फुर्ती लाता है और इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाता है. दिल, दिमाग, नर्वस सिस्टम और फेफड़ों को तकत देता है, मेमोरी लॉस, खाँसी, ब्रोंकाइटिस में फ़ायदेमंद है. खून की कमी को दूर करता है, कोलेस्ट्रॉल कम करता है. किडनी और ब्लैडर की बीमारियों में भी इफेक्टिव है, रात में बार-बार पेशाब होना और किडनी फेलियर में फ़ायदेमंद है. यार्सागुम्बा के इस्तेमाल से महिलाओं में यौनेक्षा की कमी दूर होती है. कुल मिलाकर देखा जाये तो यह न सिर्फ पॉवर और स्टैमिना को बढ़ाता है बल्कि टॉनिक और हेल्थ सप्लीमेंट की तरह भी काम करता है. यार्सागुम्बा का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका- 250 mg से 1.5 ग्राम तक रोज़ दो बार खाना खाने के दो-तीन घंटे के बाद पानी से लेना चाहिए. इसका डोज़ पाचन शक्ति और बॉडी की कंडीशन पर डिपेंड करता है. इसे कई लोगों में शुरू में ज़्यादा डोज़ भी दिया जाता है एक हफ्ते तक, उसके बाद नार्मल Maintaining डोज़. इसे मैक्सिमम तीन महीने तक यूज़ कर सकते हैं. यार्सागुम्बा का साइड इफ़ेक्ट - इसे ऑलमोस्ट सेफ़ दवा माना जाता है पर हर किसी यह सूट नहीं करती. पेट की ख़राबी, डायरिया, चक्कर, सर दर्द और मुँह सुखना जैसी प्रॉब्लम हो सकती है, अगर आपको यह सूट न करे. इसका कैप्सूल और टेबलेट मार्केट में मिल जाता है, इसे ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से-
सारिवाद्यासव क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो सिरप या लिक्विड फॉर्म में होती है. यह पेशाब और किडनी की बीमारियों में फ़ायदेमंद है. पेशाब की जलन, पेशाब का पीलापन दूर कर यूरिक एसिड, यूरिया और Creatinine और Toxins को निकालता है. गठिया और चर्मरोगों में भी असरदार है क्यूंकि यह खून भी साफ़ करती है. तो आईये जानते हैं सारिवाद्यासव का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - सारिवाद्यासव जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मेन इनग्रीडेंट सारिवा नाम की जड़ी होती है जिसे अनंतमूल भी कहा जाता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें - सारिवा, नागरमोथा, लोध्र, बरगद, पीपल की छाल, कचूर, पद्माख, नेत्रबला, पाठा, आँवला, गिलोय, उशीर, सफ़ेद चन्दन, लाल चन्दन, अजवाइन, कुटकी, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, तेजपात, कुठ, हरीतकी और सनाय प्रत्येक 50 ग्राम, धातकी या धाय के फूल 125 ग्राम, मुनक्का 750 ग्राम, गुड़ 3.75 किलो और पानी 6.5 लीटर का मिश्रण होता है. इसे आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से बनाया जाता है. बनाने का तरीका यह होता है कि पानी को गर्म कर मिट्टी के घड़े में डालें और फिर सभी जड़ी-बूटियाँ मोटी कुटी हुयी मिक्स कर ढक्कन लगाकर कपडमिट्टी से सील कर तीस दिनों के लिए छोड़ देना होता है. 30 दिनों के बाद अच्छी तरह से छान कर काँच की बोतल में पैक कर रख लिया जाता है.
सारिवाद्यासव के औषधिये गुण - यह तासीर में ठण्डा, पित्त दोष को कम करता है. वात और कफ़ दोष को बैलेंस करता है. यह पेशाब बढ़ाने और पेशाब साफ़ लाने वाला(Diuretic), किडनी के फंक्शन को सही करने वाला(Nephroprotective), विषैले तत्वों को बाहर निकालने वाला(Detoxifying), Anti-Syphilis, Anti-gout और रक्तशोधक(Blood Purifier) गुणों से भरपूर होता है.
सारिवाद्यासव के फ़ायदे - जैसा कि शुरू में ही बताया गया है यह किडनी और पेशाब की बीमारियों में बेहद असरदार है. आयुर्वेद के अनुसार यह बीसों प्रकार के प्रमेह, चर्मरोग और वात रोग को दूर करता है. किडनी का सही से काम नहीं करना(Kidney Dysfunction), पेशाब की इन्फेक्शन(Urinary Tract Infection), पेशाब का पीलापन, पेशाब की जलन, पेशाब से यूरिक एसिड, Creatinine, यूरिया आना और किडनी स्टोन जैसी हर तरह की प्रॉब्लम में इफेक्टिव है. यह बॉडी से Toxins को निकालता है और खून साफ़ करता है जिस से हर तरह की स्किन प्रॉब्लम और गठिया, जोड़ों के दर्द में भी फ़ायदा होता है. यह सिफलिस और कारबंकल जैसी बीमारियों में भी फायदेमंद है. Digestion को इम्प्रूव करता है, नया खून बनाने और प्लेटलेट्स को बढ़ाने में भी मदद करता है. कुल मिलाकर देखा जाये तो यह किडनी, पेशाब की प्रॉब्लम दूर करने और खून साफ़ करने की एक अच्छी दवा है.
सारिवाद्यासव की मात्रा और सेवन विधि- 15 से 30 ML तक बराबर मात्रा में पानी मिलाकर खाना के बाद रोज़ दो बार लेना चाहिए. बच्चों को भी कम डोज़ में दे सकते हैं. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है, लॉन्ग टाइम तक यूज़ कर सकते हैं. प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग में इसका इस्तेमाल न करें. बैद्यनाथ, डाबर जैसी आयुर्वेदिक कंपनियों का यह आयुर्वेदिक दवा दुकान में मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.