सर्वतोभद्र वटी जो है किडनी फ़ेल्योर और इस से रिलेटेड रोगों के लिए एक बेहतरीन क्लासिकल मेडिसिन है, तो आईये जानते हैं इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
दोस्तों, आयुर्वेद में किडनी फ़ेल्योर और किडनी की बीमारीयों के लिए क्लासिकल आयुर्वेदिक दवाओं की कमी नहीं है सर्वतोभद्र वटी, महेश्वर वटी, चंद्रप्रभा वटी जैसी दवाओं का नाम सबसे पहले आता है. इन सब के अलावा भस्म और जड़ी बूटियों का भी प्रयोग किया जाता है.
सर्वतोभद्र वटी किडनी फ़ेल्योर के लिए सबसे हाई क्लास की दवा है जिसमे सोना-चाँदी जैसी क़ीमती चीज़ें मिली हुयी हैं. यह आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्यरत्नावली का योग है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
स्वर्ण भस्म, रजत भस्म, अभ्रक भस्म सहस्रपुटी, लौह भस्म, शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध गंधक और स्वर्णमाक्षिक भस्म सभी को बराबर वज़न में लेकर वरुण के क्वाथ में सात दिनों तक खरलकर 125 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही सर्वतोभद्र वटी है.
सर्वतोभद्र वटी के फ़ायदे-
सर्वतोभद्र वटी किडनी फ़ेल्योर और इस से रिलेटेड रोगों में बेहद असरदार है जैसे - हर तरह की Nephritis और इस से रिलेटेड Symptoms, किडनी इनलार्जमेंट(Nephromegaly), Polycystic Kidney Disease, शुगर या डायबिटीज की वजह से होने वाली किडनी की प्रॉब्लम और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन वगैरह.
किडनी फ़ेल्योर और इस से रिलेटेड रोगों में इसके साथ दूसरी सहायक औषधि और जड़ी-बूटियों का क्वाथ लेने से ही अच्छा रिजल्ट मिलता है, तो आईये जानते हैं कि किस तरह की प्रॉब्लम में इसे किन दवाओं के साथ लेना चाहिए-
जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे कि आयुर्वेद त्रिदोष के सिधान्त पर काम करता है. रोगी का कौन सा दोष बढ़ा हुआ है उसी के अनुसार आयुर्वेदिक डॉक्टर सर्वतोभद्र वटी के साथ दूसरी सहायक दवाओ को देते हैं. चूँकि ये सारी चीज़ Experienced Doctor नाड़ीज्ञान और लक्षणों से ही सही पता लगा सकते हैं, पर यहाँ पर मैं जनरल बात बता देता हूँ जिससे आप को भी कुछ समझ आ जाये.
सर्वतोभद्र वटी को कफ़ दोष में वरुण की छाल के काढ़े के साथ, पित्त दोष में गोक्षुर के काढ़े के साथ और वायु या वात दोष में शिलाजीत और दूध के साथ लिया जाता है.
अब जान लेते हैं कुछ डिटेल में कि कफ़, पित्त और वायु या वात दोष के लक्षण क्या रहेंगे और सर्वतोभद्र वटी को लेने का बेस्ट तरीका क्या रहेगा -
कफ़ दोष में -
अगर कफ़ दोष के कारण प्रॉब्लम होगी तो कुछ इस तरह के लक्षण रोगी में दीखते है जैसे -
भूख की कमी, आलस, नीन्द आते रहना, पेट भारी रहना, हल्का सर दर्द, ज़बान में सफेदी और मुँह का स्वाद मीठा/नमकीन लगना.
ऐसी कंडीशन में सर्वतोभद्र वटी 1 गोली + चंद्रप्रभा वटी 2 गोली सुबह शाम दें और साथ में पिप्पली, काली मिर्च, नागरमोथा और पुनर्नवा का चूर्ण भी देना चाहिए.
पित्त दोष में -
अगर पित्त दोष के कारण प्रॉब्लम होगी तो कुछ इस तरह के लक्षण रोगी में दीखते है जैसे - पेशाब की जलन, पेट में जलन, बॉडी की गर्मी, सीने में जलन, चक्कर, धड़कन बढ़ना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, मुँह का स्वाद खट्टा/तीखा लगना वगैरह
ऐसी कंडीशन में सर्वतोभद्र वटी 1 गोली + 1 ग्राम गिलोय सत्व सुबह शाम गोक्षुर, धनिया और पित्तपापड़ा के काढ़े के साथ देना चाहिए
वात(वायु) दोष में -
अगर वात दोष के कारण किडनी फ़ेल्योर हुयी हो तो रोगी में कुछ इस तरह के लक्षण दीखते हैं जैसे - जोड़ों और हड्डियों में दर्द, जकड़न, तेज़ सर दर्द, साँस लेने में तकलीफ़, हिचकी, नींद नहीं आना, ड्राई स्किन और मुँह का स्वाद पता नहीं चलना वगैरह.
ऐसी कंडीशन में सर्वतोभद्र वटी 1 गोली + चंद्रप्रभा वटी 2 गोली सुबह शाम दूध से लेना चाहिए. साथ में असगंध और पिप्पली का चूर्ण भी. गिलोय, गोखुरू और त्रिनपंचमूल का काढ़ा बनाकर सुबह शाम लेना चाहिए.
यह तो हो गया कि कफ़, पित्त और वात दोष में दवा कैसे यूज़ करना है. पर कुछ रोगियों को एक साथ दो तरह के दोष या तीनो दोष या त्रिदोष भी बढ़े होते हैं, तो ऐसी कंडीशन में आयुर्वेदिक डॉक्टर सही निदान कर ही उचित अनुपान से दवा दे सकते हैं.
सर्वतोभद्र वटी को डोज़-
एक से दो गोली या 125 mg से 250 mg तक रोग और दोष के अनुसार उचित अनुपान के साथ जैसा की बताया गया है. इसे लगातार कम से कम एक से दो महिना तक लेना चाहिए.
सर्वतोभद्र वटी ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, इसे डॉक्टर की सलाह से और डॉक्टर की देख रेख में ही लेना चाहिए. उचित अनुपान और सहायक औषधियों के साथ लेने से ही फ़ायदा होता है. बैद्यनाथ, VHCA जैसी कुछ कम्पनियाँ ही इसे बनाती हैं. अगर यह मार्केट में न मिले तो लोकल वैद्य जी से बनवाकर यूज़ कर सकते हैं.
किडनी की बीमारियों के लिए काम करने वाली एक दवा है 'वृकदोषान्तक वटी' व्यास फार्मा की. वरुणादि वटी, चंद्रप्रभा वटी, महेश्वर वटी, गोक्षुरादी गुग्गुल वगैरह किडनी प्रॉब्लम के लिए दूसरी क्लासिकल आयुर्वेदिक दवाएं है.
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