महारास्नादि क्वाथ क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जिसे हर तरह के वातरोगों यानि दर्दवाले रोगों में इस्तेमाल किया जाता है. इसके इस्तेमाल से अर्धांगवात, सर्वांगवात, जोड़ों का दर्द, सुजन-जकड़न, गठिया, अर्थराइटिस, Rheumatoid Arthritis, Osteoarthritis, साइटिका, कमरदर्द, लकवा, पक्षाघात, गैस और पेट के रोग जैसी बीमारियाँ दूर होती है. तो आईये जानते हैं महारास्नादि क्वाथ का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -
महारास्नादि क्वाथ को महारास्नादि काढ़ा और महारास्नादि कषाय भी कहा जाता है. इसका मेन इनग्रीडेंट रास्ना नाम की जड़ी-बूटी होती है, इसी पर इसका नाम रखा गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें -
रास्ना - 2 भाग
धमासा, बला, एरण्डमूल, देवदार, कपूरकचरी, बच, वसाका, सोंठ, हरीतकी, चव्य, मोथा, पुनर्नवा, गिलोय, विधारा, सौंफ़, गोखुरू, असगंध, अतिविषा, अमलतास, शतावर, सहचर, पिप्पली, धनिया, कंटकारी और वृहती प्रत्येक 1-1 भाग का मिश्रण होता है. आयुर्वेदिक कंपनियों का यह काढ़ा बना बनाया सिरप के रूप में मिलता है. जबकि इसका मोटा कुटा हुआ जौकूट चूर्ण भी मिलता है जिसे उबालकर काढ़ा बनाकर भी यूज़ कर सकते हैं.
महारास्नादि क्वाथ के गुण -
यह वातदोष नाशक(Anti-rheumatic, Anti-arthritic), दर्द(Analgesic) और सुजन नाशक(Anti-inflammatory), नर्व को ताक़त देने वाला(Neuroprotective) और एंटी ऑक्सीडेंट जैसे गुणों से भरपूर होता है.
महारास्नादि क्वाथ के फ़ायदे -
यह मसल्स, नर्व, जोड़ों और हड्डी पर असर करने वाली दवा है. इसे कई तरह के वात रोगों में इस्तेमाल किया जाता है जैसे -
लकवा/पक्षाघात(Paralysis, Hemiplegia, Facial Paralysis)
गृध्रसी(साइटिका, Sciatica)
माँसपेशियों का दर्द(Muscles Pain)
गठिया, आमवात, जोड़ों का दर्द, सुजन(Gout, Arthritis, Rheumatism, Rheumatoid Arthritis, Osteoarthritis, Frozen Shoulder etc.)
आंत्र वृद्धि(Hernia)
आध्यमान(Flatulence) वगैरह
इसके इस्तेमाल से नए-पुराने हर तरह के वात रोग दूर होते हैं, दर्द-सुजन को कम करता है और भूख बढ़ाता है.
महारास्नादि क्वाथ की मात्रा और सेवनविधि -
इसका सिरप 30 ML से 60 ML तक सुबह शाम भोजन के बाद लेना चाहिए बराबर मात्रा में पानी मिलाकर. यही सबके लिए आसान होता है. डाबर, बैद्यनाथ, सांडू, झंडू जैसी कंपनियों का यह बना बनाया मिल जाता है.
इसका काढ़ा अगर चूर्ण के रूप में हो तो इसे 60 ग्राम लेकर आधा लीटर पानी में उबालना है, जब 100 ML पानी बचे तो ठण्डा होने पर छान लें और इसकी दो मात्रा बनाकर 50-50 ML सुबह शाम पीना चाहिए. इसका काढ़ा बनाकर भोजन से आधा घंटा पहले या ख़ाली पेट पीना है.
महारास्नादि क्वाथ ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है, लॉन्ग टाइम तक यूज़ कर सकते हैं.
दर्द वाले रोग या वातरोगों में इसके साथ वृहत वातचिंतामणि रस, योगराज गुग्गुल, रास्नादि गुग्गुल, सिंहनाद गुग्गुल, वातगजान्कुश रस, महावातविध्वंसन रस जैसी दूसरी दवाएँ भी ली जाती हैं जिसे डॉक्टर की सलाह से यूज़ करना चाहिए.
परहेज़-
महारास्नादि क्वाथ का यूज़ करते हुए खाने में परहेज़ भी करना चाहिए, वातवर्धक आहार नहीं लेना चाहिए जैसे - चना, मटर, बैगन, उड़द की दाल, मिठाई, गरिष्ठ भोजन या हैवी फ़ूड, मसाला और मांस-मछली
खाना क्या चाहिए?
खाने में हल्का सुपाच्य भोजन लेना चाहिए. मूंग की दाल, परवल, करेला, लौकी जैसी सब्ज़ी खाएं. खाने में हींग और जीरा को भी ऐड करें.
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