फैटी लीवर का नाम आपने सुना ही होगा यह आजकल की बहुत ही कॉमन बीमारी हो गयी है. तो सबसे पहले जानते हैं कि
फैटी लीवर(Fatty Liver) क्या होता है ?
जैसा कि हमसभी जानते हैं कि लीवर जो है बॉडी का सबसे बड़ा ऑर्गन है और बहुत महत्वपूर्ण अंग है. स्वस्थ जीवन के लिए इसका हेल्दी रहना ज़रूरी है. जब लीवर की सेल्स या कोशिकाओं में एक्स्ट्रा फैट हो जाता है तो इसे फैटी लीवर कहा जाता है. नार्मल लीवर में थोड़ी फैट की मात्रा तो होती ही है, अगर यही फैट लीवर की वज़न का दस परसेंट या ज्यादा हो जाता है तो इसे फैटी लीवर माना जाता है.
फैटी लीवर(Fatty Liver) का कारण -
आज की फ़ास्ट और मॉडर्न लाइफ स्टाइल इस तरह की प्रॉब्लम का कारण होती है. आयुर्वेद के अनुसार किसी भी बीमारी का मुख्य कारण आहार-विहार होता है. मतलब आप कैसा खाना खाते हैं, आपकी डेली रूटीन कैसी है, आप किस तरह के एनवायरनमेंट में रहते हैं वगैरह.
ऑयली-स्पाइसी फ़ूड ज़्यादा खाना, फ़ास्ट-फ़ूड, सॉफ्ट ड्रिंक, अधीक नॉन वेज खाना और शराब पीना जैसी चीज़ें इसका मेन कारन होता है.
इन सब के अलावा विटामिन्स की कमी, अंग्रेजी दवाओं और एंटी बायोटिक का अधीक इस्तेमाल, इन्फेक्शन, मलेरिया-टाइफाइड और हेपेटाइटिस जैसी बीमारी होना भी इसके कारन होते हैं.
फैटी लीवर के लक्षण -
शुरू में तो जब तक किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं होती, इसका पता नहीं चलता है. लेकिन जब लीवर बढ़ जाता है और पेट में सुजन होती है तो जाँच के बाद इसका पता चलता है.
फैटी लीवर से कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ जाता है और अक्सर हार्ट की प्रॉब्लम आने पर जाँच में फैटी लीवर का पता चलता है.
सीना भारी लगना, लीवर में दर्द होना, पाचन शक्ति कमज़ोर होना, भूख की कमी, गैस, लेज़ीनेस जैसे लक्षण फैटी लीवर के होते हैं.
फैटी लीवर की आयुर्वेदिक चिकित्सा -
फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा लेने से पहले ज़रूरी है कि खाने-पिने में परहेज़ करें तभी आप इस से जल्द छूटकारा पा सकते हैं.
परहेज़ क्या करना है?
तेल-मसाला वाले खाने, तली हुयी चीजें, फ़ास्ट फ़ूड, सॉफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल और नॉन वेज बिल्कुल अवॉयड करें. फाइबर रिच फ़ूड और हरी साग सब्जियों का ज़्यादा इस्तेमाल करें. खाना खाने के तुरन्त बाद पानी नहीं पियें.
आयुर्वेद में फैटी लीवर को ठीक करने की कई सारी दवाएं हैं. बहुत ही पोपुलर और हर जगह मिलने वाली दवा है Liv52 जिसका इस्तेमाल कोई भी कर सकता है और फ़ायदा ले सकता है.
क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन की बात करें सबसे ऊपर नाम आता है 'आरोग्यवर्धिनी वटी' का. यह एक रसायन औषधि है जो न सिर्फ फैटी लीवर को नार्मल कर देती है बल्कि पुरे बॉडी के लिए असरदार दवा है.
कुमार्यासव, रोहितकारिष्ट, पुनर्नवादि मंडूर, पुनर्नवा गुग्गुल, मंडूर भस्म, प्रवाल पंचामृत रस आयुर्वेदिक औषधियाँ फैटी लीवर के लिए इस्तेमाल की जाती हैं जिसे रोग और रोगी की कंडीशन के हिसाब से सही डोज़ में आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए.
आयुर्वेदिक दवाएँ ही लीवर और इसकी बीमारियों जैसे पीलिया, कामला, सिरोसिस, हेपेटाइटिस जैसे रोगों के लिए बेस्ट दवा होती है. तो दोस्तों, ये थी आज की जानकारी फैटी लीवर के कारण, लक्षण और ट्रीटमेंट के बारे में.
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